Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Friday, 29 November 2019
निशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन नोचौकी रोड़, हुसैनी चौक, राजनगर मे रखा गया है ! ★★★★★ (सेवा से सद्भाव) ★★★★★ दिनांक 01/12/2019 रविवार समय :- 9.00 प्रातः से 4.00 बजे ★मुख्य अतिथि : - श्रीमान् अरविन्द पोसवाल (जिला कलेक्टर) ★विशिष्ट अतिथि : - श्रीमान् जगदीश प्रसाद बुनकर (मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी) ★विशिष्ट अतिथि : - श्रीमान् सीए. दिनेश चन्द्र सनाढ्य (संस्थापक - अपना ट्रस्ट) सभी राजनगरवासी इस चिकित्सा शिविर मे आमन्त्रित है ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ निस्वार्थ "सेवा" से ही इन्सान मे इन्सानियत जागती है ! इन्सानियत से इन्सानों के बीच "सद्भाव" पैदा होता है !
Wednesday, 27 November 2019
★क्या नाथद्वारा मन्दिर मण्डल के 【बोर्ड मे IAS/RAS/उनके द्वारा चयनित व्यक्ति है,】 इसलिए ऐसा हाल है ?★ अमूल के संस्थापक कुरियन ने भूतपूर्व प्रधानमन्त्री शास्त्री जी को बोर्ड मे IAS के लिए क्या कहा ? ★बोर्ड मेम्बर्स ने "विकास के नाम" पर "सफेद हाथी" क्यों बाँधा ? ★क्या बोर्ड मेम्बर्स का व्यवहार "सफेद हाथी" जैसा है ? ★क्या बोर्ड मेम्बर्स कभी "आम वैष्णवों" के लिए सोचेंगे ? ★★जयश्रीकृष्ण★★ CA.Dinesh Sanadhya - 27.11.19 www.dineshapna.blogspot.com
Tuesday, 26 November 2019
"एक षड्यंत्र और शराब की घातकता... ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● "हिंदू धर्म ग्रंथ नहीँ कहते कि देवी को शराब चढ़ाई जाये.., ग्रंथ नहीँ कहते की शराब पीना ही क्षत्रिय धर्म है..ये सिर्फ़ एक मुग़लों का षड्यंत्र था हिंदुओं को कमजोर करने का ! जानिये एक अनकही ऐतिहासिक घटना.. ."एक षड्यंत्र और शराब की घातकता...."कैसे हिंदुओं की सुरक्षा प्राचीर को ध्वस्त किया मुग़लों ने ?? जानिये और फिर सुधार कीजिये !! मुगल बादशाह का दिल्ली में दरबार लगा था और हिंदुस्तान के दूर दूर के राजा महाराजा दरबार में हाजिर थे । उसी दौरान मुगल बादशाह ने एक दम्भोक्ति की "है कोई हमसे बहादुर इस दुनिया में है ?" सभा में सन्नाटा सा पसर गया ,एक बार फिर वही दोहराया गया ! तीसरी बार फिर उसने ख़ुशी से चिल्ला कर कहता" कोई है हमसे बहादुर जो हिंदुस्तान पर सल्तनत कायम कर सके ?? सभा की खामोशी तोड़ती एक बुलन्द शेर सी दहाड़ गूंजी तो सबका ध्यान उस शख्स की ओर गया ! वो जोधपुर के महाराजा राव रिड़मल राठौड़ थे ! रिड़मल जी राठौड़ ने कहा, "मुग़लों में बहादुरी नहीँ कुटिलता है..., सबसे बहादुर तो राजपूत है दुनियाँ में ! मुगलो ने राजपूतो को आपस में लड़वा कर हिंदुस्तान पर राज किया! कभी सिसोदिया राणा वंश को कछावा जयपुर से तो कभी राठोड़ो को दूसरे राजपूतो से...। बादशाह का मुँह देखने लायक था ,ऐसा लगा जैसे किसी ने चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो। "बातें मत करो राव...उदाहरण दो वीरता का। "रिड़मल राठौड़ ने कहा "क्या किसी कौम में देखा है किसी को सिर कटने के बाद भी लड़ते हुए ??" बादशाह बोला ये तो सुनी हुई बात है देखा तो नही, रिड़मल राठौड़ बोले " इतिहास उठाकर देख लो कितने वीरो की कहानिया है सिर कटने के बाद भी लड़ने की... "बादशाह हंसा और दरबार में बैठे कवियों की ओर देखकर बोला "इतिहास लिखने वाले तो मंगते होते है । मैं भी १०० मुगलो के नाम लिखवा दूँ इसमें क्या ? मुझे तो जिन्दा ऐसा राजपूत बताओ जो कहे की मेरा सिर काट दो में फिर भी लड़ूंगा। "राव रिड़मल राठौड़ निरुत्तर हो गए और गहरे सोच में डूब गए। रात को सोचते सोचते अचानक उनको रोहणी ठिकाने के जागीरदार का ख्याल आया। रात रोहणी ठिकाना (जो की जेतारण कस्बे जोधपुर रियासत) में दो घुड़सवार बुजुर्ग जागीरदार के पोल पर पहुंचे और मिलने की इजाजत मांगी। ठाकुर साहब काफी वृद्ध अवस्था में थे फिर भी उठ कर मेहमान की आवभगत के लिए बाहर पोल पर आये ,, घुड़सवारों ने प्रणाम किया और वृद्ध ठाकुर की आँखों में चमक सी उभरी और मुस्कराते हुए बोले" जोधपुर महाराज... आपको मैंने गोद में खिलाया है और अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी है.. इस तरह भेष बदलने पर भी में आपको आवाज से पहचान गया हूँ। हुकम आप अंदर पधारो...मैं आपकी रियासत का छोटा सा जागीरदार, आपने मुझे ही बुलवा लिया होता। राव रिड़मल राठौड़ ने उनको झुककर प्रणाम किया और बोले एक समस्या है , और बादशाह के दरबार की पूरी कहानी सुना दी ! अब आप ही बताये की जीवित योद्धा का कैसे पता चले की ये लड़ाई में सिर कटने के बाद भी लड़ेगा ? रोहणी जागीदार बोले ," बस इतनी सी बात..मेरे दोनों बच्चे सिर कटने के बाद भी लड़ेंगे और आप दोनों को ले जाओ दिल्ली दरबार में ये आपकी और राजपूती की लाज जरूर रखेंगे.. "राव रिड़मल राठौड़ को घोर आश्चर्य हुआ कि एक पिता को कितना विश्वास है अपने बच्चो पर.. , मान गए राजपूती धर्म को। सुबह जल्दी दोनों बच्चे अपने अपने घोड़ो के साथ तैयार थे! उसी समय ठाकुर साहब ने कहा ," महाराज थोडा रुकिए !! मैं एक बार इनकी माँ से भी कुछ चर्चा कर लूँ इस बारे में। "राव रिड़मल राठौड़ ने सोचा आखिर पिता का ह्रदय है कैसे मानेगा ! अपने दोनों जवान बच्चो के सिर कटवाने को ,एक बार रिड़मल जी ने सोचा की मुझे दोनों बच्चो को यही छोड़कर चले जाना चाहिए। ठाकुर साहब ने ठकुरानी जी को कहा" आपके दोनों बच्चो को दिल्ली मुगल बादशाह के दरबार में भेज रहा हूँ सिर कटवाने को ,दोनों में से कौनसा सिर कटने के बाद भी लड़ सकता है ? आप माँ हो आपको ज्यादा पता होगा ! ठकुरानी जी ने कहा"बड़ा लड़का तो क़िले और क़िले के बाहर तक भी लड़ लेगा पर छोटा केवल परकोटे में ही लड़ सकता है क्योंकि पैदा होते ही इसको मेरा दूध नही मिला था। लड़ दोनों ही सकते है, आप निश्चित् होकर भेज दो "दिल्ली के दरबार में आज कुछ विशेष भीड़ थी और हजारो लोग इस दृश्य को देखने जमा थे। बड़े लड़के को मैदान में लाया गया औरमुगल बादशाह ने जल्लादो को आदेश दिया की इसकी गर्दन उड़ा दो..तभी बीकानेर महाराजा बोले "ये क्या तमाशा है ? राजपूती इतनी भी सस्ती नही हुई है , लड़ाई का मौका दो और फिर देखो कौन बहादुर है ? बादशाह ने खुद के सबसे मजबूत और कुशल योद्धा बुलाये और कहा ये जो घुड़सवार मैदान में खड़ा है उसका सिर् काट दो...२० घुड़सवारों को दल रोहणी ठाकुर के बड़े लड़के का सिर उतारने को लपका और देखते ही देखते उन २० घुड़सवारों की लाशें मैदान में बिछ गयी।दूसरा दस्ता आगे बढ़ा और उसका भी वही हाल हुआ ,मुगलो में घबराहट और झुरझरि फेल गयी ,इसी तरह बादशाह के ५०० सबसे ख़ास योद्धाओ की लाशें मैदान में पड़ी थी और उस वीर राजपूत योद्धा के तलवार की खरोंच भी नही आई।ये देख कर मुगल सेनापति ने कहा" ५०० मुगल बीबियाँ विधवा कर दी आपकी इस परीक्षा ने अब और मत कीजिये हजुर , इस काफ़िर को गोली मरवाईए हजुर...तलवार से ये नही मरेगा...कुटिलता और मक्कारी से भरे मुगलो ने उस वीर के सिर में गोलिया मार दी।सिर के परखचे उड़ चुके थे पर धड़ ने तलवार की मजबूती कम नही करीऔर मुगलो का कत्लेआम खतरनाक रूप से चलते रहा। बादशाह ने छोटे भाई को अपने पास निहत्थे बैठा रखा था ये सोच कर की ये बड़ा यदि बहादुर निकला तो इस छोटे को कोई जागीर दे कर अपनी सेना में भर्ती कर लूंगा लेकिन जब छोटे ने ये अंन्याय देखा तो उसने झपटकर बादशाह की तलवार निकाल ली। उसी समय बादशाह के अंगरक्षकों ने उनकी गर्दन काट दी फिर भी धड़ तलवार चलाता गया और अंगरक्षकों समेत मुगलो का काल बन गए। बादशाह भाग कर कमरे में छुप गया और बाहर मैदान में बड़े भाई और अंदर परकोटे में छोटे भाई का पराक्रम देखते ही बनता था। हजारो की संख्या में मुगल हताहत हो चुके थे और आगे का कुछ पता नही था। बादशाह ने चिल्ला कर कहा अरे कोई रोको इनको..। राजा के दरबार का एक मौलवी आगे आया और बोला इन पर शराब छिड़क दो। राजपूत का इष्ट कमजोर करना हो तो शराब का उपयोग करो। दोनों भाइयो पर शराब छिड़की गयी ऐसा करते ही दोनों के शरीर ठन्डे पड़ गए । मौलवी ने बादशाह को कहा " हजुर ये लड़ने वाला इनका शरीर नही बल्कि इनकी कुल देवी है और ये राजपूत शराब से दूर रहते है और अपने धर्म और इष्ट को मजबूत रखते है। यदि मुगलो को हिन्दुस्तान पर शासन करना है तो इनका इष्ट और धर्म भ्रष्ट करो और इनमे दारु शराब की लत लगाओ। यदि मुगलो में ये कमियां हटा दे तो मुगल भी मजबूत बन जाएंगे। उसके बाद से ही राजपूतो में मुगलो ने शराब का प्रचलन चलाया और धीरे धीरे राजपूत शराब में डूबते गए और अपनी इष्ट देवी को आराधक से खुद को भ्रष्ट करते गए। और मुगलो ने मुसलमानो को कसम खिलवाई की शराब पीने के बाद नमाज नही पढ़ी जा सकती। इसलिए इससे दूर रहिये। हिन्दू भाइयों ये सच्ची घटना है और हमे हिन्दू समाज को इस कुरीति से दूर करना होगा। तब ही हम पुनः खोया हुआ वैभव पा सकेंगे और हिन्दू धर्म की रक्षा कर सकेंगे।तथ्य एवं श्रुति पर आधारित। नमन ऐसी वीर परंपरा को नमन.. आग्रह शराब से दूर रहे सभी..! हुक्म आप सभी से निवेदन है पोस्ट ज्यादा से ज्यादा शेयर जरूर करें। जय श्री राम,🚩 जय मां भवानी🚩 जय राजपूताना🚩
#लाल_किले_का_सच... ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● अक्सर हमें यह पढाया जाता है कि दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ ने बनवाया था। लेकिन कहीं यह एक सफ़ेद झूठ तो नहीं। दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ के जन्म से सैकड़ों वर्ष पूर्व “महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय” द्वारा दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था। इस क्रम में एक विशेष बात यह ज्ञात होती है कि महाराज अनंगपाल तोमर कोई और नहीं बल्कि महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे। लाल किले का असली नाम #लाल_कोट है, जिसे महाराज अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी में दिल्ली शहर को बसाने के क्रम में ही बनवाया गया था जबकि शाहजहाँ का जन्म ही उसके सैकड़ों वर्ष बाद 1592 ईस्वी में हुआ है। दरअसल शाहजहाँ ने लाल किला को बनाया या बसाया नहीं अपितु इसे बुरी तरह से नष्ट करने की असफल कोशिश की थी ताकि, लालकिला स्वयं उसके द्वारा बनाया साबित हो सके। लेकिन सच सामने आ ही जाता है। *** साक्ष-परीक्षा:◆◆◆◆◆◆●●●●●●●●● इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि तारीखे फिरोजशाही के पृष्ट संख्या 160 (ग्रन्थ 3) में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल ( लाल प्रासाद/महल ) की ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया। सिर्फ इतना ही नहीं अकबरनामा में इस बात के वर्णन हैं कि महाराज अनंगपाल ने ही एक भव्य और आलिशान दिल्ली का निर्माण करवाया था। शाहजहाँ से 250 वर्ष पूर्व ही 1398 ईस्वी में एक अन्य जेहादी तैमूरलंग ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया हुआ है (जो कि शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है)। यहाँ तक कि लाल किला के एक खास महल मे सुअर (वराह) के मुँह वाले चार नल अभी भी लगे हुए हैं। इस्लाम मे सुअर हराम है। इनका यहां क्या काम ? वराह विष्णु अवतार का प्रतीक चिन्ह है सनातन के प्रमाण? ऐसे किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है क्योंकि राजपूत राजा गजो (हाथियों) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे जबकि इस्लाम जीवित प्राणी के मूर्ति का विरोध करता है। *** लाल किले का सच:◆◆◆◆◆◆●●●●●●●●●● यही नहीं लाल किला के दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से एक कुंड भी बना हुआ है। जिसके फर्श पर हिंदुओं के पूज्य कमल पुष्प अंकित है। साथ ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि केसर कुंड एक हिंदू शब्दावली है। जो कि हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होती रही है। उल्लेखनीय तथ्य ये है कि मुस्लिमों के प्रिय गुंबद या मीनार का इस महल में कोई अस्तित्व तक नही है लाल किला के दीवानेखास और दीवानेआम मे। *** इतना ही नहीं दीवानेखास के ही निकट राजा की न्याय तुला अंकित है जो ब्राह्मणों द्वारा उपदेशित राजपूत राजाओ की न्याय तुला चित्र से प्रेरणा लेकर न्याय करना हमारे इतिहास मे प्रसिद्द है। दीवाने ख़ास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 ईस्वी के अंबर के भीतरी महल (आमेर/पुराना जयपुर) से मिलती है जो कि राजपूताना शैली मे बना हुई है। आज भी लाल किला से कुछ ही गज की दूरी पर बने हुए देवालय हैं जिनमे से एक लाल जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकर मंदिर हैं और दोनो ही गैर मुस्लिम है जो कि शाहजहाँ से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं के बनवाए हुए है। शाहजहाँ या एक भी इस्लामी शिलालेख मे आखिर लाल किला का वर्णन क्यों नही मिलता है ? इतिहास में कहा गया, दिल्ली शाहजहाँ ने बसाई। किन्तु लालकिले के आसपास के घरों की निर्माण शैली राजपूताना में है। ये कैसे सम्भव है कि शाहजहाँ ने सिर्फ लालकिला मुगल शैली में बनाया और बाकी नगर हिन्दू शैली में ? वास्तविकता ये है कि लाल किला और दिल्ली दोनो ही हिन्दू राजा अनंगपाल ने बनाया। 1060 ईसवी के आसपास। ***◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◇◆◆◆◆◆◆◆◆◆ “गर फ़िरदौस बरुरुए ज़मीं अस्त, हमीं अस्ता, हमीं अस्ता, हमीं अस्ता” – अर्थात इस धरती पे अगर कहीं स्वर्ग है तो यही है, यही है, यही है। इस अनाम शिलालेख के आधार पर लाल किला को शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया करार दिया गया, जबकि पद्मावती के उल्लेख करते हुए शिलालेख को नकारकर पद्मावती को काल्पनिक बता दिया गया। किसी अनाम शिलालेख के आधार पर कभी भी किसी को किसी भवन का निर्माणकर्ता नहीं बताया जा सकता और ना ही ऐसे शिलालेख किसी के निर्माणकर्ता होने का सबूत ही देते हैं। लालकिले को एक हिन्दू प्रसाद साबित करने के लिए आज भी हजारों साक्ष्य मौजूद हैं। यहाँ तक कि लाल किला से सम्बंधित बहुत सारे साक्ष्य पृथ्वीराज रासो से ही मिलते है। ***◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◇◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ सरांस यही है कि लाल किले का निर्माण शाहजहाँ के द्वारा नहीं किया गया था बल्कि शाहजहाँ ने इस पूर्व महल में हेर फेर करके उसे अपना नाम देने कि कोशिश भर की थी। सत्य को अधिक दिनों तक छिपाया नही जा सकता, यह उक्ति यहाँ बखूबी लागु होती है। स्रोत- प्रसिद्ध इतिहासकार पी. ऐन. ओक की किताब "इतिहास की भयंकर भूले से"... चित्र:- गूगल से प्राप्त... 👇👇👇👇👇
भारतीय संविधान - दिवस के 70 वर्ष ! (Nation First) आम आदमी पार्टी - दिवस के 07 वर्ष ! (Aam Aadmi Must) ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (26/11/1949) संविधान से देश की एकता व देशवासियों के अधिकार व कर्तव्य की रक्षा करता है ! (26/11/2012) आम आदमी को अपने अधिकारों को दिलाने के लिए व अन्य पार्टियों को अपने कर्तव्यों का बोध कराने के लिए "AAP पार्टी" की स्थापना ! CA. Dinesh Sanadhya - 26/11/2019 www.dineshapna.blogspot.com
Sunday, 24 November 2019
★ नाथद्वारा "मन्दिर मण्डल" के साथ धोखा ? ★ ★ "बोर्ड मेम्बरों" ने वफादारी से काम किया ? ★ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ ● क्यो नहीं नव निर्माण मे जमीन व धन का उपयोग आमजन के फायदे के लिए हुआ ? ● क्यो नहीं बृजवासियों के लिए कोई नये रोजगार के अवसर बढाये ? ● क्यो नहीं नाथद्वारा मे दुकानों की संख्या बढा कर रोजगार के अवसर बढायें ? ● क्यो नहीं आम वैष्णवों के लिए रहने, दर्शन व प्रसाद की सुलभ व्यवस्था की ? CA. Dinesh Sanadhya - 24.11.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2865147246838590&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का सामाजिक अंकेक्षण ! श्रीकृष्ण का भीष्म पितामह से संवाद ! https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2864459026907412&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★★★★आओ ! जागो ! आवाज़ उठाओ !★★★★ ★★ श्रीजी अपने है ! नाथद्वारा अपना है ! ★★ ■जो "सहमत" हो, वह "shreeji 24365@gmail.com" पर ! https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2864294673590514&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★★ आम जनता की नजर से ! ★★ आओ ! वल्लभ विलास, नाथद्वारा को देखे ! समझे ! क्योंकि जमीन व पैसा हमारे श्रीजी बावा का है ! हम बृजवासियों व मेवाड़ वासियों की जिम्मेदारी है ! आओ ! कुछ पल हमारे प्रभु के लिए भी निकाले ! CA. Dinesh Sanadhya - 01.11.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2811423028877679&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★★ आम जनता की नजर से ! ★★ आओ ! वल्लभ विलास, नाथद्वारा को देखे ! समझे ! क्योंकि जमीन व पैसा हमारे श्रीजी बावा का है ! हम बृजवासियों व मेवाड़ वासियों की जिम्मेदारी है ! आओ ! कुछ पल हमारे प्रभु के लिए भी निकाले ! CA. Dinesh Sanadhya - 01.11.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2811423028877679&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★★★★श्रीजी के लिए, कुछ करें !★★★★ ◆मन्दिर मण्डल की जमीन का उपयोग आम जनहित मे उपयोग करने के स्थान पर लापरवाही कर जिम्मेदार लोग नुकसान पहुंचा रहे है ! ◆आम जनता की समस्या पार्किंग व दुकानों से रोजगार की ओर किसी का ध्यान नहीं है ! जबकि मन्दिर की जमीन व पैसों से इसका समाधान हो सकता था ! ◆क्यों नहीं, वल्लभ विलास, नाथद्वारा का सामाजिक अंकेक्षण हो ! ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ■जो "असहमत" हो, केवल वह ही "Comment" करें ! ■जो "सहमत" हो, वे "shreeji 24365@gmail.com" पर मेल करें ! CA. Dinesh Sanadhya - 02.11.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2813240675362581&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★★ आम जनता की नजर से ! ★★ आओ ! वल्लभ विलास, नाथद्वारा को देखे ! समझे ! क्योंकि जमीन व पैसा हमारे श्रीजी बावा का है ! हम बृजवासियों व मेवाड़ वासियों की जिम्मेदारी है ! आओ ! कुछ पल हमारे प्रभु के लिए भी निकाले ! CA. Dinesh Sanadhya - 01.11.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2811423028877679&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● सामाजिक अंकेक्षण के लिए आवेदन आमंत्रित है - योग्यता के आधार पर "अंकेक्षण टीम" मे चयन किया जायेगा! ★ shreeji24365@gmail.com ★24/10 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★अन्नकूट की सभी "आम व खास" को शुभकामनाएं ★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆आज नाथद्वारा के श्रीजी मन्दिर मे अन्नकूट व भील भाईयों के द्वारा अन्नकूट लूट का विशेष महत्व है ! ◆आज हमारे भील भाई हमारे लिए VIP है ! ◆शेष ● 364 दिन "खास आदमी" VIP बनकर आनंद ले रहे है तो आज क्यों नहीं ? ● 1 दिन के VIP को भी आनंद लेने दे ! ◆श्रीनाथजी के दरबार मे सभी समान है किन्तु श्रीनाथजी के व्यक्तियो के द्वारा यह असमानता क्यों की जा रही है ? ◆हमें मिलकर श्रीनाथजी की भावना के अनुरूप ही काम करना चाहिए ! CA. Dinesh Sanadhya - 28.10.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2802375523115763&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★अन्नकूट की सभी "आम व खास" को शुभकामनाएं ★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆आज नाथद्वारा के श्रीजी मन्दिर मे अन्नकूट व भील भाईयों के द्वारा अन्नकूट लूट का विशेष महत्व है ! ◆आज हमारे भील भाई हमारे लिए VIP है ! ◆शेष ● 364 दिन "खास आदमी" VIP बनकर आनंद ले रहे है तो आज क्यों नहीं ? ● 1 दिन के VIP को भी आनंद लेने दे ! ◆श्रीनाथजी के दरबार मे सभी समान है किन्तु श्रीनाथजी के व्यक्तियो के द्वारा यह असमानता क्यों की जा रही है ? ◆हमें मिलकर श्रीनाथजी की भावना के अनुरूप ही काम करना चाहिए ! CA. Dinesh Sanadhya - 28.10.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2802275509792431&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★★★★नाथद्वारा मंदिर मंडल का सामाजिक अंकेक्षण क्यों आवश्यक ?★★★★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ●श्रीनाथजी ब्रजवासियों के सखा है तथा गोस्वामी परिवार श्रीनाथजी के सेवक व पुजारी हैं ! ●नाथद्वारा मंदिर मंडल का गठन मंदिर की संपत्तियों की सुरक्षा, मंदिर व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित व आमजन तथा वैष्णवो के हित में संचालित करने के लिए किया गया ! ●मंदिर मंडल का संचालन बोर्ड मेंबर्स व मुख्य निष्पादन अधिकारी के मार्फत होता है ! ●पहले मंदिर की "सेवा" व "सुरक्षा" ब्रजवासियों व गोस्वामी परिवार के हाथों में थी तथा बाहरी सुरक्षा मेवाड़ व महाराणा जी के हाथों में थी ! ●किन्तु वर्तमान में केवल "सेवा" ही ब्रजवासियों व गोस्वामी परिवार के पास है तथा "सुरक्षा" मंदिर मंडल, बोर्ड मेंबर्स व मुख्य निष्पादन अधिकारी के हाथों में है ! ●पिछले कुछ वर्षों से बोर्ड मेंबर्स अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभाने के कारण मंदिर मंडल की "संपत्ति व धन" का सदुपयोग नहीं हो रहा है ? बोर्ड मेंबर्स मंदिर मंडल की संपत्ति की "सुरक्षा करने के स्थान पर दोनों हाथों से लूटा रहे" हैं ? ●यह संपूर्ण संपत्ति श्रीनाथजी, मंदिर व हम सभी ब्रजवासियों की है तथा इसमें वैष्णवो व नगर वासियों का भी महत्वपूर्ण योगदान है ! ●इसके साथ ही मंदिर मंडल की स्थापना का "मुख्य उद्देश्य" संपत्तियों की सुरक्षा व वैष्णव की सुविधाओं का ध्यान रखना है ! ●अतः सार्वजनिक धन का उपयोग मंदिर व वैष्णव के हितार्थ व आमजन की उपयोगिता हेतु सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक अंकेक्षण किया जाना आवश्यक है ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ■आज तक मंदिर मंडल की ज्यादातर धर्मशाला व कोटेजो का निर्माण वैष्णवो के द्वारा किया जा रहा है, जिसके निर्माण का पूरा खर्च वैष्णवो के द्वारा वहन किया जाता है तथा उसकी संपूर्ण आय या 11 महीने की आय मंदिर मंडल को प्राप्त होती है , किंतु वल्लभ विलास के निर्माण में ऐसा नहीं हुआ है ? क्यों ?●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● (1) वल्लभ विलास मे दानदाताओं के कोटेजो को तोड़कर पुन: कोटेज निर्माण क्यों किया गया ? (2) उक्त निर्माण में मंदिर मंडल के द्वारा अनावश्यक व अत्यधिक धन खर्च क्यों किया गया ? (3) वल्लभ विलास का निर्माण क्या पूर्ण गुणवत्तापूर्ण रूप से हुआ है ? (4) वल्लभ विलास से मंदिर मंडल को आय होना तो दूर रखरखाव भी महंगा पड़ रहा है ? क्यों ? (5) इसमें अंडर ग्राउंड पार्किंग बनाकर वैष्णवो के लिए पार्किंग की समस्या का समाधान किया जा सकता था ! (6) इसमें ग्राउण्ड पर दुकानों का निर्माण कर रोजगार के अवसर व मंदिर की आए बढ़ाई जा सकती थी ! (7) इसमें जमीन व धन का आम जनहित में सदुपयोग नहीं किया गया ? (8) जिन बड़े दानदाताओं व अन्य ने दान की घोषणा की थी उसका क्या हुआ ? (9) वल्लभ विलास भाग 1 व 2 की क्या जनहित में उपयोगिता है ? ■ इसके अलावा मंदिर मंडल द्वारा अन्य विकास कार्य किए गए हैं, उनका भी जनहित में सामाजिक अंकेक्षण किया जाना आवश्यक है ! ■निष्कर्ष:- जब मंदिर मंडल में "धन" आम जनता व वैष्णव के द्वारा दिया जाता है, तो उसका "उपयोग" भी आमजन के हित में सुनिश्चित होना चाहिए ! अतः सामाजिक अंकेक्षण आवश्यक है ! ★★■■ अपनी महत्वपूर्ण विचार/सुझाव shreeji24365@gmail.com पर ही दे ! ■■★★ CA. Dinesh Sanadhya - 23.10.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2793851540634828&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★★★★नाथद्वारा मंदिर मंडल का सामाजिक अंकेक्षण क्यों आवश्यक ?★★★★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ●श्रीनाथजी ब्रजवासियों के सखा है तथा गोस्वामी परिवार श्रीनाथजी के सेवक व पुजारी हैं ! ●नाथद्वारा मंदिर मंडल का गठन मंदिर की संपत्तियों की सुरक्षा, मंदिर व्यवस्थाओं को सुव्यवस्थित व आमजन तथा वैष्णवो के हित में संचालित करने के लिए किया गया ! ●मंदिर मंडल का संचालन बोर्ड मेंबर्स व मुख्य निष्पादन अधिकारी के मार्फत होता है ! ●पहले मंदिर की "सेवा" व "सुरक्षा" ब्रजवासियों व गोस्वामी परिवार के हाथों में थी तथा बाहरी सुरक्षा मेवाड़ व महाराणा जी के हाथों में थी ! ●किन्तु वर्तमान में केवल "सेवा" ही ब्रजवासियों व गोस्वामी परिवार के पास है तथा "सुरक्षा" मंदिर मंडल, बोर्ड मेंबर्स व मुख्य निष्पादन अधिकारी के हाथों में है ! ●पिछले कुछ वर्षों से बोर्ड मेंबर्स अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से नहीं निभाने के कारण मंदिर मंडल की "संपत्ति व धन" का सदुपयोग नहीं हो रहा है ? बोर्ड मेंबर्स मंदिर मंडल की संपत्ति की "सुरक्षा करने के स्थान पर दोनों हाथों से लूटा रहे" हैं ? ●यह संपूर्ण संपत्ति श्रीनाथजी, मंदिर व हम सभी ब्रजवासियों की है तथा इसमें वैष्णवो व नगर वासियों का भी महत्वपूर्ण योगदान है ! ●इसके साथ ही मंदिर मंडल की स्थापना का "मुख्य उद्देश्य" संपत्तियों की सुरक्षा व वैष्णव की सुविधाओं का ध्यान रखना है ! ●अतः सार्वजनिक धन का उपयोग मंदिर व वैष्णव के हितार्थ व आमजन की उपयोगिता हेतु सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक अंकेक्षण किया जाना आवश्यक है ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ■आज तक मंदिर मंडल की ज्यादातर धर्मशाला व कोटेजो का निर्माण वैष्णवो के द्वारा किया जा रहा है, जिसके निर्माण का पूरा खर्च वैष्णवो के द्वारा वहन किया जाता है तथा उसकी संपूर्ण आय या 11 महीने की आय मंदिर मंडल को प्राप्त होती है , किंतु वल्लभ विलास के निर्माण में ऐसा नहीं हुआ है ? क्यों ?●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● (1) वल्लभ विलास मे दानदाताओं के कोटेजो को तोड़कर पुन: कोटेज निर्माण क्यों किया गया ? (2) उक्त निर्माण में मंदिर मंडल के द्वारा अनावश्यक व अत्यधिक धन खर्च क्यों किया गया ? (3) वल्लभ विलास का निर्माण क्या पूर्ण गुणवत्तापूर्ण रूप से हुआ है ? (4) वल्लभ विलास से मंदिर मंडल को आय होना तो दूर रखरखाव भी महंगा पड़ रहा है ? क्यों ? (5) इसमें अंडर ग्राउंड पार्किंग बनाकर वैष्णवो के लिए पार्किंग की समस्या का समाधान किया जा सकता था ! (6) इसमें ग्राउण्ड पर दुकानों का निर्माण कर रोजगार के अवसर व मंदिर की आए बढ़ाई जा सकती थी ! (7) इसमें जमीन व धन का आम जनहित में सदुपयोग नहीं किया गया ? (8) जिन बड़े दानदाताओं व अन्य ने दान की घोषणा की थी उसका क्या हुआ ? (9) वल्लभ विलास भाग 1 व 2 की क्या जनहित में उपयोगिता है ? ■ इसके अलावा मंदिर मंडल द्वारा अन्य विकास कार्य किए गए हैं, उनका भी जनहित में सामाजिक अंकेक्षण किया जाना आवश्यक है ! ■निष्कर्ष:- जब मंदिर मंडल में "धन" आम जनता व वैष्णव के द्वारा दिया जाता है, तो उसका "उपयोग" भी आमजन के हित में सुनिश्चित होना चाहिए ! अतः सामाजिक अंकेक्षण आवश्यक है ! ★★■■ अपनी महत्वपूर्ण विचार/सुझाव shreeji24365@gmail.com पर ही दे ! ■■★★ CA. Dinesh Sanadhya - 23.10.2019 www.dineshapna.blogspot.com https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2791113954241920&id=100000300273580 ●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★निवेदन★ नाथद्वारा मन्दिरमण्डल से सम्बन्धित अपने विचार/सुझावWhatsapp/Facebookपर पोस्ट न करें,केवल shreeji24365@gmail.com पर भेजे !
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