Saturday, 27 February 2021

मन्दिर मण्डल के समझदार पूर्ण निर्णय के चर्चे ! करोड़ों की जमीन के नुकसान, पर मौन सभी ! कोरोनाकाल मे कर्मचारियों के वेतन से कटौती ! ★नाथद्वारा मन्दिर की लालबाग स्थित जमीन नगरपालिका के द्वारा गलत तरीकों से लूट ली किन्तु मन्दिर मण्डल चुप रहा ! तथा मन्दिर को करोड़ों रुपयो का नुकसान दिया ! ★दूसरी ओर कोरोनाकाल मे श्रीनाथजी मन्दिर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने का बहाना करके कर्मचारियों के वेतन मे कटौती करके मन्दिर व श्रीनाथजी के हितैषी होने का नाटक करना, कहाँ तक सही है ? अब मन्दिर मण्डल वेतन कटौती बन्द करके समझदारी बता रहा है ! तो लालबाग स्थित जमीन नगरपालिका से वापस कब लेगा ?..???? सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #27/02/2021 #dineshapna





 

तम्बाकू निषेध दिवस 28 फरवरी मनाने का नाटक क्यों ? तम्बाकू बिक्री बन्द करने से पूर्व उत्पादन बन्द क्यों नहीं ? एक दिन दिवस मनाने के स्थान पर 365 दिन क्यों नही ? तम्बाकू से सरकार (टैक्स से) व कुछ आदमी (मुनाफा से) किन्तु ज्यादातर आम आदमी को (स्वास्थ्य/धन से नुकसान) हो रहा है ! इसलिए आज स्वयं "तम्बाकू निषेध दिवस" मनाने के जगह "तम्बाकू त्याग दिवस" मनाने के साथ संकल्प ले ! "तम्बाकू त्याग दिवस" की ◆शुरुआत "स्वयं" से करें ! ◆शुरुआत "नाथद्वारा" से करें ! ◆शुरुआत "उपयोग" त्याग से करें ! ◆शुरुआत "उत्पादन" त्याग से करें ! 【विशेष :-नाथद्वारा उत्पादक व उपभोक्ता दोनों है! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #28/02/2021 #dineshapna







 

राष्ट्रीय संगोष्ठी व अधिवेशन , राजसमन्द मे 26/02/2021 को *"पुष्टिमार्गीय विरासत एवं संस्कृति"* विषय पर सीए. दिनेश सनाढ्य ने अपने विचार रखे । ★★"जीवन्त पुष्टि मार्ग" से "ज्ञान पुष्टि मार्ग" ★★ ■श्रीवल्लभाचार्य जी का "ज्ञान पुष्टि मार्ग" (भक्ति मार्ग) सन् 1506 से (514 वर्षों से) V/S ■बृजवासियों का "जीवन्त पुष्टि मार्ग" (प्रेम मार्ग) सन् 1409 से (611 वर्षों से) (5132 वर्ष पूर्व भी) ■श्रीवल्लभाचार्य जी के अनुसार पुष्टिमार्ग :- (सन् 1506 से ......514 वर्षों से) तीन 【3】 महत्त्वपूर्ण बिन्दु :- (१) भक्त स्वयं अपने आराध्य के समक्ष "आत्मसमर्पण" करता है ! (२) भगवान के "अनुग्रह" से भक्ति उत्पन्न होती है , उसे पुष्टि भक्ति कहते है ! (३) ऐसा भक्त भगवान के "स्वरूप दर्शन" के अतिरिक्त और अन्य किसी वस्तु के लिए प्रार्थना नहीं करता है ! ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● पुष्टि मार्ग = 【आत्मसमर्पण, अनुग्रह, स्वरूप दर्शन 】 ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● श्रीवल्लभाचार्य जी ने पुष्टि मार्ग को जो ज्ञान रुप मे आम जन व वैष्णवों के लिए सरल भक्ति मार्ग के रूप मे बताया गया, उसका मूल भावना बृजवासीयो से ली गई । क्योंकि बृजवासी आज से 5132 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण के मानव रुप मे अवतार के समय से जीया था । उस समय बृजवासियों ने श्रीकृष्ण के समक्ष ◆"आत्मसमर्पण" किया, तब उन्हें श्रीकृष्ण का ◆"अनुग्रह" प्राप्त हुआ था । उस समय बृजवासियों ने श्रीकृष्ण के ◆"स्वरूप दर्शन" के अतिरिक्त कोई प्रार्थना या ईच्छा नहीं की । ●जब बृजवासियों ने हजारों वर्षों तक श्रीकृष्ण से निस्वार्थ प्रेम किया व प्रतिफल मे कुछ भी नहीं माँगा गया तो श्रीकृष्ण ने पुनः बृजवासियों के लिए "प्रतिमा" रुप मे सन् 1409 मे अवतार लिया ! इसका मूल कारण बृजवासियों का निस्वार्थ "प्रेम मार्ग" ही है । ●इस अवतार मे श्रीकृष्ण को श्रीनाथजी के नाम से जाना गया । बृजवासियों के प्रेम मार्ग (जीवन्त पुष्टि मार्ग) को जन जन तक पहुंचाने के लिए श्रीनाथजी ने श्रीवल्लभाचार्य जी को आज्ञा दी की बृजवासियों के प्रेम मार्ग (जीवन्त पुष्टि मार्ग) को शब्दों व ज्ञान रुप मे परिभाषित करें, जो आगे चलकर "पुष्टि मार्ग" कहलाया । ■बृजवासियों के अनुसार निस्वार्थ प्रेम मार्ग (जीवन्त पुष्टि मार्ग) :- (सन् 1409 से .........611 वर्षों से) (१) भक्त स्वयं अपने आराध्य के समक्ष "आत्मसमर्पण" करता है ! 【【जब भक्त (बृजवासी) को प्रथम बार आराध्य की ऊध्र्व भुजा के दर्शन होते ही "आत्मसमर्पण" किया, इससे भी पूर्व भक्त (बृजवासी) की गाय ने भी आत्मसमर्पण अपने दूध का किया ! उसके बाद जैसे ही बृजवासियों ने स्वतः "आत्मसमर्पण" किया !】】 (२) भगवान के "अनुग्रह" से भक्ति उत्पन्न होती है , उसे पुष्टि भक्ति कहते है ! 【【उसके बाद "भगवान श्रीकृष्ण ने अनुग्रह" किया, तो बृजवासियों मे भक्ति उत्पन्न हुई जो अनवरत रुप से 97 वर्षों तक (श्रीवल्लभाचार्य जी के जतिपुरा पधारने के पूर्व तक) जारी थी, तथा जो आजतक (611 वर्षो तक) विद्दमान है व आगे भी रहेगा !】】 (३) ऐसा भक्त भगवान के "स्वरूप दर्शन" के अतिरिक्त और अन्य किसी वस्तु के लिए प्रार्थना नहीं करता है ! 【【 बृजवासी श्रीनाथजी के प्राकृट्य सन् 1409 से सन् 1506 श्रीवल्लभाचार्य जी के पधारने से पूर्व 97 वर्ष तक केवल "स्वरूप दर्शन" के अतिरिक्त और अन्य किसी वस्तु के लिए प्रार्थना नहीं की !】】https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4105129336173702&id=100000300273580































 

नाथद्वारा मन्दिर की लूटी जमीन, नगरपालिका वापस दे । नगरपालिका नाथद्वारा द्वारा बस स्टेण्ड लाल बाग पर जनहित के लिये मन्दिर मंडल से किराये ली गई जमीन को जमीन को गैर क़ानूनी तरीके से स्विस चेलेन्ज पद्धति के माध्यम से मिराज डवलपर्स को आवंटन की , जो वापस मन्दिर को दिलाने के लिए एक पत्र संयोजक अपना राजसमंद सीए. दिनेश सनाढ्य के द्वारा जिला कलेक्टर को दिया गया ! नाथद्वारा मन्दिर मण्ड़ल द्वारा वर्ष 23अप्रैल1988 को जनता (दर्शनार्थियों) के आवागमन मन्दिर हित के लिये यात्रीगण को परेशानी न हो इसके लिए नगर पालिका नाथद्वारा को जमीन किराया पर बस स्टेण्ड निर्माण के लिये दी । उकत जमीन खसरा संख्या :- 1585 -- 22539 .38 , 1625 -- 03403 .12 , 1627 --19057 .50 वर्गफीट के लिये 2000 प्रति वर्ष अनुबंध के पेरा 4 में दी गई । मन्दिर निष्पादन अधिकारी द्वारा दिनांक 2 जुलाई 2004 व् 21 अक्टूंबर 2008 के पत्र में किराया मांग पत्र से पुष्टी होती उस समय के तत्कालीन आयुक्त महोदय द्वारा 13672/- रूपये का चेक भी दिया गया । तत पश्चात उक्त मन्दिर की जमीन 27 दिसंबर 2016 को वाणिज्य प्रयोजनार्थ षड्यंत्र पूर्वक नाथद्वारा सौंदर्यकरण के नाम मिराज डवलपर्स को स्विस चेलेन्ज प्रस्ताव के तहत समझौते की उक्त आरजी में से खसरा नंबर 1627 के15 बिस्वा में से 13 बिस्वा 1 .5 बिस्वांसी (17798 वर्गफीट) का एक मात्र स्वामित्व बना दिया । जो नगरपालिका व मन्दिरमंडल के अधिकारों में ही नहीं है तथा जो सर्वोच्च न्यायालय के जमीनी हक फेसले के विरूद्ध है । नगर पालिका नाथद्धारा व मन्दिर मंडल किसी भी प्रकार से मंदिरो की जमीन का भू रूपान्तरण भी नहीं कर सकता है । दिनेश सनाढ्य ने कलेक्टर से अनुरोध किया कि जिला राजस्व अधिकारी होने पर सुचना पर आपका दायित्व बनता है कि जमीन हस्तांतरण पर रोक लगा जमीन मन्दिर के नाम करवा गलत करने वाले अधिकारियो जिम्मेदार जनप्रतिनिधियो पर मुक़दमा दर्ज करावे । नाथद्वारा पालिका अपने स्वामित्व की जमीन को ही स्विस चेलेन्ज पद्धति पर दे न की मंदिर की भूमि को । अपना राजसमंद ने कहा कि पत्र प्राप्ति के 10 दिनों में उक्त भूमि मंदिर के नाम दर्ज करावे व उक्त जमीन पर अन्य गतिविधियों पर रोक लगावे ।