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Friday, 26 February 2021
नाथद्वारा मन्दिर की लूटी जमीन, नगरपालिका वापस दे । नगरपालिका नाथद्वारा द्वारा बस स्टेण्ड लाल बाग पर जनहित के लिये मन्दिर मंडल से किराये ली गई जमीन को जमीन को गैर क़ानूनी तरीके से स्विस चेलेन्ज पद्धति के माध्यम से मिराज डवलपर्स को आवंटन की , जो वापस मन्दिर को दिलाने के लिए एक पत्र संयोजक अपना राजसमंद सीए. दिनेश सनाढ्य के द्वारा जिला कलेक्टर को दिया गया ! नाथद्वारा मन्दिर मण्ड़ल द्वारा वर्ष 23अप्रैल1988 को जनता (दर्शनार्थियों) के आवागमन मन्दिर हित के लिये यात्रीगण को परेशानी न हो इसके लिए नगर पालिका नाथद्वारा को जमीन किराया पर बस स्टेण्ड निर्माण के लिये दी । उकत जमीन खसरा संख्या :- 1585 -- 22539 .38 , 1625 -- 03403 .12 , 1627 --19057 .50 वर्गफीट के लिये 2000 प्रति वर्ष अनुबंध के पेरा 4 में दी गई । मन्दिर निष्पादन अधिकारी द्वारा दिनांक 2 जुलाई 2004 व् 21 अक्टूंबर 2008 के पत्र में किराया मांग पत्र से पुष्टी होती उस समय के तत्कालीन आयुक्त महोदय द्वारा 13672/- रूपये का चेक भी दिया गया । तत पश्चात उक्त मन्दिर की जमीन 27 दिसंबर 2016 को वाणिज्य प्रयोजनार्थ षड्यंत्र पूर्वक नाथद्वारा सौंदर्यकरण के नाम मिराज डवलपर्स को स्विस चेलेन्ज प्रस्ताव के तहत समझौते की उक्त आरजी में से खसरा नंबर 1627 के15 बिस्वा में से 13 बिस्वा 1 .5 बिस्वांसी (17798 वर्गफीट) का एक मात्र स्वामित्व बना दिया । जो नगरपालिका व मन्दिरमंडल के अधिकारों में ही नहीं है तथा जो सर्वोच्च न्यायालय के जमीनी हक फेसले के विरूद्ध है । नगर पालिका नाथद्धारा व मन्दिर मंडल किसी भी प्रकार से मंदिरो की जमीन का भू रूपान्तरण भी नहीं कर सकता है । दिनेश सनाढ्य ने कलेक्टर से अनुरोध किया कि जिला राजस्व अधिकारी होने पर सुचना पर आपका दायित्व बनता है कि जमीन हस्तांतरण पर रोक लगा जमीन मन्दिर के नाम करवा गलत करने वाले अधिकारियो जिम्मेदार जनप्रतिनिधियो पर मुक़दमा दर्ज करावे । नाथद्वारा पालिका अपने स्वामित्व की जमीन को ही स्विस चेलेन्ज पद्धति पर दे न की मंदिर की भूमि को । अपना राजसमंद ने कहा कि पत्र प्राप्ति के 10 दिनों में उक्त भूमि मंदिर के नाम दर्ज करावे व उक्त जमीन पर अन्य गतिविधियों पर रोक लगावे ।
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