★नेता खुशहाल और अफसर निहाल !★ ★हजूर बेमिसाल और जनता फटेहाल !★ जैसा पूरे राजसमन्द मे चल रहा है, उसी तरह से श्रीजी की नगरी नाथद्वारा मे पिछले 6 माह से मनमानी व लूट चल रही है, और कोई सुनने वाला नही है ! 【श्रीनाथजी की सात (७) ध्वजा व जनता के सात (७) प्रश्न !】 (१) सभी ऑनलाइन क्लासेज चला रहे है, जैसे कोरोना इन्हें ही हो जाएगा ! नेता जी जयपुर से ऑनलाइन क्लास लेकर, नाथद्धारा का विकास करवा रहे है, हजूर मुम्बई से ऑनलाइन मंदिर चला रहे हैं, और अफसर ऑफलाइन नाथद्वारा की व आम जनता की मिट्टी पलीत कर रहे हैं ! और व्यापारियों को बोल रहे कि तेरे बाप की दुकान है क्या ? यह दुकान तो श्रीनाथजी जी की है, चल खाली कर ! अब आप ही देख लो, ये भाषा किस अफसर की हो सकती है ? जो अपने आप को सब का बाप समझ रहा है ! (२) नाथद्वारा की जनता को दर्शन करवाएगा, तो कोरोना फैल जाएगा और स्वयं अपने परिवार को रोज दर्शन करवा रहे है, और इधर जयपुर से विकास की गंगा ऑनलाइन होते हुए नाथद्धारा नगर पालिका मे सब सत्ताधारियों के पाप धोते हुए नाथद्वारा की सड़कों पर विकास की गंगा बह रही है और यहाँ की जनता दुःख आनन्द (दुखानन्द) से सरोबोर हो रही है ! (३) नाथद्वारा मे करोड़ो के प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहे हैं, भूमिगत विधुत लाईनो से क्या नाथद्वारा के व्यापारों का मुनाफ़ा सौ गुना बढ़ जाएगा ? या नाथद्वारा की जनता को तार (बिजली/टेलीफोन) नजर नहीं आयेंगे, तो क्या जनता को करोड़ों का फायदा या आनंद कैसे मिलेगा ? (४) एक सड़क को पाँच बार खोदने से मजदूरों को लेबर ज्यादा मिलेगी, जिससे उन्हें रोजगार की कमी महसूस नही होगी ! क्या यह रोजगार देने का एक नया व नायाब तरीका है ? और क्या इससे अफसरों और इंजीनियरो को महान कार्य का अनुभव प्राप्त होगा ? जो शायद उन्हे अपने शैक्षणिक काल मे नही मिला ! (५) अब एक ओर नया झुनझुना दिया जा रहा है कि अपना फार्म भरिए, फोटो और आधार कार्ड लगाइये और आप को दर्शन कराए जाएंगे ! अब जनता पूछती है कि कितने मनोरथियो से फार्म भरवाए गये ? यदि मनोरथीयो के फार्म नहीं भराये गये तो, क्या इन पर राज्य सरकार की कोरोना गाईड लाईन लागू नहीं होती है ? या मन्दिर अधिकारी यह गारंटी जारी कर सकता है कि मनोरथीयो को कोरोना नहीं हो सकता है ? (६) श्रीमानों का पैसा बोलता है भाई ! जब बिना धन के दुनियाँ नहीं चल सकती है तो क्या बिना धन के धर्म भी नही चलता है ? ये साबित कर दिया है, इन श्रीमानों ने जो गलत है ! क्योंकि धर्म के लिए धन लेना व देना गलत नहीं है, परन्तु इस तरह धर्म के नाम पर धन गलत व छुपा कर लेना गलत हैं ! (७) अब क्या नाथद्धारा मे सभी व्यापार मंदिर ही करेगा ? क्योकि सब पैसा मंदिर को ही चाहिए ! होटले भी यही चला लेंगे, तस्वीरे भी यही बेचेंगे, मुकुट श्रृंगार भी यही बेचेंगे, रेस्टोरेंट भी यही चलायेंगे, वस्त्र भी यही बेचेंगे ! तो यहाँ के व्यापारी और जनता क्या करेंगी ? क्या व्यापारी व जनता चुप बैठकर, मन्दिर के बाहर भजन करेगी ? एक बृजवासी - - दिनेश सनाढ्य 11/10/2020 #dineshapna
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