★नाथद्वारा मन्दिर के "मठाधीश" किस दिशा मे चले ?★ ★जो अपनो के "अन्तिम दर्शन" का सम्मान न करें !★ ★जो अपनो का "अन्तिम संस्कार" भी न कर सकें !★ ●व्यक्ति किसी के "अन्तिम दर्शन" के समय दुश्मन भी अपनी दुश्मनी को छोड़ कर दिवंगत व्यक्ति को सम्मान देता है किन्तु यहाँ पूर्व तिलकायत की पत्नी को अपने घर (मोती महल) मे आने से रोकना "सनातन धर्म" के अनुसार सबसे निकृष्ट कृत्य है ! ●मोती महल नाथद्वारा मन्दिर (श्रीनाथजी) की सम्पत्ति है, न कि वर्तमान "स्वघोषित तिलकायत" का निजी मकान ! यह भवन (मोती महल) को तिलकायत (मुख्य पुजारी) व उनके परिवार के लिए मन्दिर ने नि:शुल्क आवास हेतु दे रखा है ! ●चूंकि "श्रीमती महालक्ष्मी बहुजी" पूर्व तिलकायत की पत्नी है इसलिए श्रीनाथजी मन्दिर ने इनको मोतीमहल आवास हेतु दे रखा है ! इस कारण वर्तमान स्वघोषित तिलकायत इनको (पार्थिव शरीर को) मोतीमहल मे आने से रोकना गलत है ! ●जो पुष्टिमार्ग के प्रधान अपने बड़े भाई की पत्नी (भाभीजी) का अन्तिम समय मे भी सम्मान नहीं कर सकता है वह वैष्णवों व समाज को क्या धर्म की शिक्षा / ज्ञान देगा ? ●सनातन धर्म मे 16 संस्कारों मे सबसे महत्वपूर्ण, श्रेष्ठ व पूण्य का "अन्तिम संस्कार" है । यह कार्य उसका पुत्र, भाई, भतीजा या परिवार वाले करते है । इस समय दुष्ट से दुष्ट व्यक्ति भी अपनी दुष्टता छोड़कर यह पुण्य कार्य करता है । यह "शास्त्रों व लोक व्यवहार" का मत है । वर्तमान स्वघोषित तिलकायत ने उक्त पुण्य कार्य न करके पुष्टिमार्ग के वैष्णवों को क्या सन्देश दिया ? ■हम इसलिए कह रहे है कि आप हमारे श्रीनाथजी मन्दिर के प्रधान पुजारी बनकर बैठे हो, हम बृजवासियों को श्रीनाथजी से दूर करके स्वघोषित तिलकायत बने बैठे हो और हमारे मन्दिर व पुष्टिमार्ग की छवि धूमिल कर रहे हो ! इससे भी ज्यादा अपने कर्मचारियों के माध्यम से दिखावे की "श्रृद्धांजलि सभा" कराकर नाटक कर रहे हो ! जो गलत है !■ ★जैसे श्रीनाथजी ने आज्ञा की, वैसा लिख दिया !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक_बृजवासी #03/05/2021 #dineshapna
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