★★रामकथा 05/10/2022★★ ★★कलयुग की महिमा (७) ★★ श्रीरामचरितमानस में कलि महिमा का वर्णन :- (१९)सुनु खगेस कलि कपट हठ दंभ द्वेष पाषंड। मान मोह मारादि मद ब्यापि रहे ब्रह्मंड॥101 क॥ भावार्थ:-हे पक्षीराज गरुड़जी! सुनिए कलियुग में कपट, हठ (दुराग्रह), दम्भ, द्वेष, पाखंड, मान, मोह और काम आदि (अर्थात् काम, क्रोध और लोभ) और मद ब्रह्माण्डभर में व्याप्त हो गए (छा गए)॥101 (क)॥ (२०)तामस धर्म करिहिं नर जप तप ब्रत मख दान। देव न बरषहिं धरनी बए न जामहिं धान॥101 ख॥ भावार्थ:-मनुष्य जप, तप, यज्ञ, व्रत और दान आदि धर्म तामसी भाव से करने लगे। देवता (इंद्र) पृथ्वी पर जल नहीं बरसाते और बोया हुआ अन्न उगता नहीं॥101 (ख)॥ (२१) नर पीड़ित रोग न भोग कहीं। अभिमान बिरोध अकारनहीं॥ लघु जीवन संबदु पंच दसा। कलपांत न नास गुमानु असा॥2॥ भावार्थ:-मनुष्य रोगों से पीड़ित हैं, भोग (सुख) कहीं नहीं है। बिना ही कारण अभिमान और विरोध करते हैं। दस-पाँच वर्ष का थोड़ा सा जीवन है, परंतु घमंड ऐसा है मानो कल्पांत (प्रलय) होने पर भी उनका नाश नहीं होगा॥2॥ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(205) #05/10/22 #dineshapna
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