★नाथद्वारा का विकास करें, जनता हेतु व्यवधान नहीं !★ ★विकास आमजन हितार्थ हो, खासजन हितार्थ नहीं !★ ★साहित्य के बाधक है, जनसेवा / शिक्षा के दुश्मन है !★ (१)महाराजश्री व श्रीनाथजी मन्दिर ने 80 वर्ष पूर्व नगरवासियों के पुस्तकालय व वाचनालय के लिए साहित्य मण्डल को मोतीमहल के खुरेँ पर भवन किराये पर उपलब्ध कराया व साहित्यिक गतिविधियों के लिए जमीन विक्रय करके, शिक्षा के क्षैत्र मे अतुलनीय कार्य किया ! जिसके लिए धन्यवाद ! (२)किन्तु सरकार के हस्तक्षेप के बाद साहित्य के बाधक व जनसेवा / शिक्षा के दुश्मनों ने "मन्दिर विकास के नाम पर" अनुचित दबाव बनाकर, मोतीमहल के खुरेँ पर स्थित भवन को खाली कराकर, अन्य अनुपयोगी भवन को दिया, जिससेे आमजन को परेशानी हो रही है, तो क्या यह नगरवासियों के साथ अन्याय नहीं है ? (३)इससे भी आगे, सरकार के हस्तक्षेप के बाद साहित्य के बाधक व जनसेवा / शिक्षा के दुश्मनों ने एकमात्र साहित्यिक संस्था को खत्म करने के लिए महाराजश्री व श्रीनाथजी मन्दिर के द्वारा विक्रय की गई जमीन को हड़पने का असफल प्रयास कर रहे है, तो क्या यह अन्याय नहीं है ? (४)पुष्टिमार्ग, बृजभाषा व हिन्दी के क्षैत्र मे अविश्वसनीय व "राष्ट्रीय स्तर की संस्था" है "साहित्य मण्डल" ! इसको नाथद्वारा का "नालंदा का पुस्तकालय" कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ! (५)जैसे नालंदा के पुस्तकालय को नष्ट किया गया ! क्या 'साहित्य के बाधक व जनसेवा / शिक्षा के दुश्मनों" के द्वारा इस तरह की कार्यवाही नहीं की जा रही है ? (६)इसके विपरीत, मन्दिर के अधिकारी व नगरपालिका ने मिलकर लालबाग बस स्टैण्ड की जमीन किराए पर देकर, उस जमीन को बेच दी, तो भी मन्दिर प्रशासन चुप क्यों ? इसका सामाजिक अंकेक्षण होना चाहिए ! (७)सरकारी अधिकारियों की लापरवाही से नाथद्वारा मन्दिर की जमीनो पर अतिक्रमण हो रहा है ! मन्दिर की हजारों बीघा जमीन सरकार / नेता लूट रहे है ! तो भी CEO चुप क्यों ? जबकि मन्दिर से लाखो रुपये वेतन ले रहे है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिंदुस्तानी #(242) #06/11/22 #dineshapna
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