◆साहित्य से सेवा - साहित्य से सुधार◆ साहित्य मण्डल के प्रधानमंत्री श्याम प्रकाश देवपुरा का सम्मान ! साहित्य ऐसा हो जिससे सेवा हो, सेवा ऐसी हो जिससे समाज मे सुधार हो । यह सुधार पहले स्वयं मे हो उसके बाद समाज मे हो । इसके लिए साहित्य लिखने के साथ स्वयं के द्वारा वास्तविक धरातल मे सकारात्मक कार्य या सुधार भी होना चाहिए । भगवती प्रसाद देवपुरा ने हिन्दी बचाने के लिए लिखा तो उसके लिए उनने पहले स्वयं हिन्दी को अपनाया उसके बाद हिन्दी को अपनाने के लिए वास्तविक धरातल मे जीवन भर कार्य भी किया । आज उनकी विरासत को (साहित्य से सेवा) उनके पुत्र श्याम प्रकाश देवपुरा आगे बढा रहे है । अपना ट्रस्ट संस्थापक अध्यक्ष सीए. दिनेश सनाढ्य व श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान अध्यक्ष रविनन्दन चारण ने अपनी संस्थान की ओर से भी श्याम प्रकाश देवपुरा का सम्मान किया । आज भगवती प्रसाद देवपुरा की पुण्यतिथि है । आज हमें देवपुरा जी को हमारी सच्ची श्रृद्धाजंलि यह है कि हम साहित्य लिखने के साथ उसे आत्मसात करने का संकल्प ले । उसे हम भी पालन करे व अन्य को भी पालन कराने के लिए प्रयास / कर्म करें । यह ही साहित्य सृजन का मुख्य उद्देश्य हो और इसी उद्देश्य को आगे बढाने के लिए ही अपना ट्रस्ट ने श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान का गठन किया है । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिंदुस्तानी #(249) #06/01/23 #dineshapna
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