★रामनवमी मनाई व मायड़ भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने हेतु ज्ञापन !★ राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए क्योंकि बच्चो की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होती है तो बच्चो का सर्वांगीण विकास शीघ्रता से होता है इसके लिए आज श्रीहरि साहित्य सेवा संस्थान द्वारा जो ज्ञापन दिया गया है उस पर विचार विमर्श करके आगे विधानसभा में कार्रवाई करने का प्रयास किया जाएगा । यह विचार राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी ने श्रीहरि साहित्य सेवा संस्थान के राम जन्मोत्सव व मायड़ भाषा के कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा था । राम नवमी के अवसर पर अपना ट्रस्ट के अध्यक्ष सीए. दिनेश सनाढ्य ने कहा कि हम श्रीराम की मर्यादा की बात करते हैं किंतु उनके धनुष को भूल जाते हैं तथा श्रीकृष्ण की मुरली को याद रखते हैं किंतु सुदर्शन चक्र को भूल जाते हैं । इसके लिए हमें मर्यादा व मुरली के साथ में धनुष व सुदर्शन चक्र को भी याद रखना है । आज कल दोनों धनुष / सुदर्शन चक्र का स्वागत कानून / संविधान के रूप से जागरूक होकर उसका उपयोग किया जाना चाहिए । हमे अन्याय / अनिति को सहन करने के स्थान पर उसका विरोध करना चाहिए । तभी हम श्रीराम के जन्मोत्सव व श्री कृष्ण के उपदेश को सार्थक कर पाएंगे । श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष रविनन्दन सिंह चारण ने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि के हाथों से एक बैनर का विमोचन करवाया जिसमें भ्रूण हत्या, दहेज प्रथा, नशा आदि बुराईयाँ पर प्रहार करते हुए स्वच्छ, सुंदर व आदर्श समाज की स्थापना कर सकें तथा हमारी संस्था के माध्यम से पोस्टर के साथ कविता के रूप में भी लोगों तक पहुंचे व समाज मे सुधार हो । आज के समारोह में विशिष्ट अतिथि डॉ. लक्ष्मी नारायण आमेटा व मायड़ भाषा के पुरोधा पीरदान चारण थे । आज के सम्मान समारोह के स्वागत भाषण मे श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष रविनंदन चारण ने कहा कि आज हम रामनवमी के पर अवसर पर सभी को राम के पद चिन्हों पर चलने का आह्वान करते हैं तथा राजस्थान दिवस पर राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए पुरजोर कोशिश करते हैं । आज के मायड़ भाषा के कवि सम्मेलन का संचालन पूरन जी शर्मा ने किया । सरस्वती वंदना, श्रीराम के चरित्र पर, महाराणा प्रताप व पद्मनी आदि पर कई कवियों ने मायड़ भाषा पर कविता पाठ किया । कवि नरेंद्र सिंह रावल ने सरस्वती वंदना मया कविता सुणवा ने वेगा आवाजों । विजय जी जयवर्धने घणी हाथरी दुनिया है मत वे बाबा चूक । जीतू पालीवाल जा सु प्यारों लागे मारो राजस्थान रै । छगन प्रजापत ने था राजस्थानी मे चुटकुला । ज्योत्सना जी पोखरना ने सभ्यता के मायने हैं क्या जानते हैं । संपत जी सुरीला ने जयवन्ता का जाया है । लेखराज मीणा 'मुराड़या' ने म्हारा प्यारा धोरा रे देश थारी गजब कहाणी है........ क्या सब सहन कर लेते अगर तुम राम होते तो......... वीणा वैष्णव ने वक्त आ गया जागो हिंदू । कवि नरेंद्र चंचल ने राम तुम्हारी राम कथा सब सुनते हैं.......... सुखदेव चारण ने हलधर की पीड़ा अक्सर बढ़ जाती है मोहन कुमावत ने अज हासा मारी धरती रुपाली । आज रामनवमी व राजस्थान दिवस पर साहित्य, सेवा, शिक्षा व चिकित्सा क्षैत्र मे उल्लेखनीय कार्य करने वाले 24 व्यक्तियों का सम्मान दिप्ती माहेश्वरी, सीए. दिनेश सनाढ्य, डाँ. लक्ष्मी नारायण आमेटा व रविनन्दन चारण के हाथों से किया । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(292) #31/03/23 #dineshapna
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