★आत्मज्ञान की हो, गंगा की तरह पवित्रता★ श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष रवि नंदन चारण व अपना ट्रस्ट, राजसमंद के संस्थापक अध्यक्ष दिनेश सनाढ्य के द्वारा संत रूपलाल पिता रामलाल सेरसिया का संस्थान की तरफ से सम्मान किया गया, साथ ही लेखक संत रूपलाल सेरसिया के द्वारा लिखित पुस्तक "आत्मज्ञान की बहती गंगा" का विमोचन किया गया । इस आत्मज्ञान की बहती गंगा के लेखक ने बताया कि इस पुस्तक को लिखने का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को आत्मज्ञान करने के रास्ते व जीवन मूल्य की पहचान करके कैसे व्यक्ति अपने जीवन को सफल कर सकता है । एक व्यक्ति के जीवन का मुख्य उद्देश्य आत्मा से परमात्मा तक की यात्रा को सुलभ कैसे बनाई जा सके ? उसका समावेश किया गया है इस पुस्तक में गीता, रामायण, शिवजी, चारों धाम व 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से बताया गया तथा अपने आराध्य को याद करने का एकमात्र साधन भजन है इसलिए भजन का भी संकलन इस पुस्तक में किया गया । इस प्रकार इस पुस्तक को पढ़ने के बाद व्यक्ति को आत्म ज्ञान होकर, जनहित के कार्य करने की प्रेरणा मिलती है जिससे व्यक्ति स्वतंत्र रूप से निर्णय करने की शक्ति प्राप्त होती है तथा व्यक्ति अपने जीवन सुखमय जीते हुए, आध्यात्मिक यात्रा सुखद रूप से कर पाए यही लेखक संत रूपलाल का उद्देश्य है । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(15) #21/05/23 #dineshapna
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