★★★★ धर्मो रक्षति रक्षितः ★★★★ ("धर्म की रक्षा करने पर, रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है।") (दूसरे शब्दों में - "रक्षित धर्म", रक्षक की रक्षा करता है"।) (१) नाथद्वारा मे "सात" अधर्म है :- (i) श्रीनाथजी मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण (ii) श्रीनाथजी मन्दिर की परम्पराओं को तोड़ना (iii) श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की लूट (iv) श्रीनाथजी के धन का अपव्यय (v) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की अवमानना (vi) पुष्टि मार्ग की पालना नहीं (vii) बृजवासियों के अधिकारो का हनन ! अतः धर्म की रक्षा करने के लिए उक्त "सात" अधर्म को समाप्त करना होगा ! (२) धर्म की रक्षा करने के लिए "चार" कार्य करने होंगे :- (i) मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मु्क्त कराना ! (ii) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की पालना ! (iii) श्रीवल्लभाचार्य जी के पुष्टिमार्ग की सभी के द्वारा पालना ! (iv) बृजवासियों को उनके अधिकार पूर्ण रूप से दिलाना ! (३) धर्म की रक्षा "दो" व्यक्ति कर सकते है :- (i) बृजवासी ! (ii) मठाधीश ! (४) धर्म की रक्षा हेतु "दो" कार्य करने होगे :- (i) बृजवासी अपने अधिकार निस्वार्थ भाव से ले ! (ii) मठाधीश अपना स्वार्थ भाव को छोड़कर समर्पण करें ! (५) धर्म की रक्षा की शुरुआत "एक बृजवासी" ने कर दी है ! अब श्रीनाथजी के "सखा" व श्रीनाथजी के "सेवक" ! दोनों को एक साथ आगे आना होगा ! क्योंकि धर्मयुद्ध का शंखनाद हो चुका है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(77) #12/09/23 #dineshapna
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