★अन्नकूट व अहंकार मर्दन दिवस पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【प्रकृति पूजा व इन्द्र के अहंकार मर्दन कर आमजनता को सन्देश !】 (१) इन्द्र देवता ने अपने कार्य (वर्षा कराने) के बदले अपनी पूजा कराने से अहंकार हो गया था जबकि वर्षा तो गोवर्धन पर्वत व उन पर उगे पेड़ों (प्रकृति) के कारण होती है ! इसलिए श्रीकृष्ण ने आमजनता को "व्यक्ति पूजा" के स्थान पर "प्रकृति पूजा" का सन्देश दिया ! (२) अन्नकूट पर्व का अर्थ है "अन्न" यानी चावल और "कूट" यानी ढेर ! इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के अन्न और भोजन के ढेर से सजाया जाता है और उनकी (श्रीकृष्ण व गोवर्धन) की पूजा की जाती है ! (३) वर्तमान मे भी कुछ नेता / अधिकारी / सक्षम लोगों को इन्द्र जैसा अहंकार हो रहा है कि हम व हमारे कार्यों से ही आमजनता का जीवन यापन है, इसलिए आमजनता उनकी "पूछ या पूजा" करें, जो गलत है ! यह ही उनका अहंकार / लूट / भ्रष्टाचार है ! (४) जबकि हकीकत यह है कि आमजनता के लिए जो भी कार्य किये जाते है, वह सभी धन आमजनता ही देती है ! नेता / अधिकारी / सक्षम लोग केवल आमजनता के कार्यों को करते है और उसके बदले मे पारिश्रमिक लेते है ! इसके बावजूद उक्त लोग पारिश्रमिक के अलावा आमजनता से झूठ / भ्रष्टाचार / लूट करके अतिरिक्त धन (भ्रष्टाचार) करके अपनी पूजा करा रहे है ! यह उक्त कार्य "इन्द्र जैसा अहंकार" करने जैसा है ! आमजनता समझे कि अब इनके अहंकार का मर्दन करने के लिए श्रीकृष्ण का इन्तजार करने के स्थान पर आमजनता को स्वयं गोवर्धन पर्वत को उठाना होगा अर्थात् "विरोध की आवाज" व "कानून की किताब" को उठाना होगा ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(195) #01/11/24 #dineshapna
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