★ *कानून से भी बढ़ा है वक्त* ★ (अजमेर की झील मे बने *"सात वन्डर"* !) (नाथूवास तालाब मे बने *"नौ बंगले"* !) *सात आश्चर्यों* के किस्से सुनते, पर *नौ बंगलों* का सपना कब चुनते? धन और दौलत से क्या होगा, जन का हक कब सच्चा होगा? जल और झील तो हमने बचाए, पर प्रकृति का आँगन कब मुस्काए? हरियाली का संदेश कब फैलेगा, प्रदूषण का अंधेरा कब छंटेगा? *अजमेर की झील* ने दी पुकार, *नाथूवास तालाब* का कब होगा उद्धार? धरती के आँचल को कब सजाएँगे, सूखते जलस्रोतों को कब बचाएँगे? *जल की बूँद* तो हमने थाम ली, पर *जीवन में मिलावट* क्यों आम रही? सत्य, ईमान का दीप कब जलेगा, निर्मल अन्न ही थाली में कब मिलेगा? कानून से भी बढ़ा है वक्त का सवाल, जवाब चाहिए हम सबको तत्काल। बदलाव का बीज मन में बोना होगा, भारत को सच्चा हिन्दुस्तान बनाना होगा। सीए दिनेश चन्द्र सनाढ्य #एक हिन्दुस्तानी (42) #14/09/25 #dineshapna
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