Thursday, 28 November 2024

★सनातन धर्म को कुछ विशेष गुण और सिद्धांत से इसे अनूठा, बहुआयामी और सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं !★ (१) सनातन धर्म शाश्वत और सार्वभौमिक हैं ! यह प्रकृति और मानव अस्तित्व के अनन्त सत्य पर आधारित है ! यह न केवल मनुष्यों, बल्कि सभी प्राणियों और प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना विकसित करता है। सनातन धर्म में आध्यात्मिकता और विज्ञान का समन्वय है ! वेदों और उपनिषदों में वर्णित कई सिद्धांत, जैसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति, पंचतत्त्व, और चिकित्सा विज्ञान, आधुनिक विज्ञान से मेल खाते हैं ! सनातन धर्म व्यक्तिगत "आत्मा" और "परमात्मा" के बीच संबंध को समझने पर जोर देता है ! यह मोक्ष (आत्मा का परमात्मा से मिलन) को जीवन का अंतिम लक्ष्य मानता है ! (२) सनातन में "सर्व धर्म समभाव" का सिद्धांत है, जो सभी धर्मों और मतों को सत्य का विभिन्न रूप मानता है ! इसमें "एकं सत् विप्राः बहुधा वदन्ति" (सत्य एक है, किंतु विद्वान इसे अलग-अलग रूपों में वर्णित करते हैं) का दर्शन है! सनातन धर्म में प्रकृति सूर्य, वायु, जल, अग्नि, और पृथ्वी को पंचतत्व के रूप में माना जाता है, जिनसे सृष्टि का निर्माण हुआ है ! सनातन धर्म में मानव जीवन के चार मुख्य उद्देश्य है ●धर्म (नैतिकता और कर्तव्य) ●अर्थ (आर्थिक संपन्नता) ●काम (सांसारिक सुख) ●मोक्ष (आध्यात्मिक मुक्ति) यह संतुलित और पूर्ण जीवन जीने का मार्ग दिखाता है ! (३) सनातन ज्ञान का स्रोत है ! इसमें वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथ न केवल धार्मिक बल्कि जीवन के हर पहलू पर गहन ज्ञान प्रदान करते हैं ! भागवत गीता जैसी पुस्तकें जीवन के जटिल प्रश्नों के उत्तर सरल और व्यावहारिक रूप से देती हैं ! सनातन धर्म में कोई अनिवार्य नियम या एकरूपता नहीं है ! यह व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत प्रवृत्ति और क्षमता के अनुसार धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है ! यह धर्म लचीला है और आधुनिकता के साथ संतुलन बनाए रखने में सक्षम है ! (४) सनातन धर्म न केवल एक धर्म है, बल्कि जीवन जीने की एक शैली और दर्शन है ! इसकी व्यापकता, वैज्ञानिकता, और मानवता के प्रति प्रेम इसे विशेष बनाते हैं ! यह धर्म मानव जीवन को न केवल आध्यात्मिक ऊँचाई पर पहुँचाता है, बल्कि उसे प्रकृति और समाज के प्रति जिम्मेदार भी बनाता है ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(207) #28/11/24 #dineshapna


 

Saturday, 23 November 2024

★सनातन मे शास्त्र व शस्त्र दोनों का समन्वय व अद्वितीय महत्त्व है !★ 【दोनों ही मानव जीवन, समाज व धर्म की रक्षा के लिए आवश्यक !】 (१) "शास्त्र" शास्त्र का अर्थ है कि ज्ञान और धर्म के नियम ! यह धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक जीवन जीने के मार्गदर्शक है ! इसमें ●धार्मिक मार्गदर्शन, ●ज्ञान का स्त्रोत, ●नैतिकता व ●मानव विकास के बारे मे विस्तार से बताया गया है ! (२) "शस्त्र" का अर्थ है कि हथियार ! इसका उपयोग धर्म, न्याय और सत्य की रक्षा के लिए किया जाता है ! इसमे ●धर्म की रक्षा, ●न्याय की स्थापना, ●रक्षा व आत्मरक्षा का माध्यम है ! (३) सनातन मे "शास्त्र व शस्त्र दोनों" का समन्वय है इसलिए हमारे सभी देवता व भगवान शास्त्र के साथ शस्त्र भी धारण करते है ! "शास्त्र" ज्ञान देता है और बताता है कि शस्त्र का उपयोग कब और कैसे करना है ! "शस्त्र" संरक्षण करता है और बताता है कि शास्त्र की मर्यादा और ज्ञान को सुरक्षित रखने के लिए शस्त्र की आवश्यकता होती है ! (४) भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए "शास्त्र और शस्त्र" दोनों का प्रयोग किया ! सनातन धर्म में "शास्त्र" हमें जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं, वहीं "शस्त्र" उस मार्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं ! दोनों मिलकर धर्म, न्याय और सत्य की रक्षा करते हैं, जो एक संतुलित और समृद्ध समाज का निर्माण करते हैं ! 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(206) #23/11/24 #dineshapna


 

Friday, 22 November 2024

★सनातन व संविधान समानांतर है ! संविधान के अनुरूप ही कानून बने !★ 【"संविधान अनुरूप कानून बने" अभियान की शुरुआत"】 (१) भारतीय संविधान के अनुसार भारत एक "धर्म निरपेक्ष" देश है तो कानून किसी एक धर्म के विरुद्ध व दूसरे धर्म के पक्ष मे नहीं बनना चाहिए ! किन्तु भारत मे संविधान के विरुद्ध कानून है जो ●हिन्दू विरोधी 30 काले कानून बनाये गये, अतः ऐसे कानूनों को तुरन्त निरस्त किया जाये ! और इसके विपरीत ●विशेष धर्म / सम्प्रदाय के पक्ष मे एक तरफा विशेष कानून बनाये गये है, जो गलत है ! अतः उन कानूनों को भी तुरन्त निरस्त किया जाये ! (२) भारतीय संविधान में "समानता का अधिकार" (Right to Equality) एक मौलिक अधिकार है, जिसे संविधान के भाग III में अनुच्छेद 14 से 18 के तहत शामिल किया गया है ! अतः संविधान के अनुरूप ही सभी कानून व नियम होने चाहिए ! किन्तु हिन्दुओं के विरुद्ध 30 काले कानून बना रखे है जो असंवैधानिक है, तो उन कानूनों को तुरन्त निरस्त किया जाये ! (३) भारतीयों को "समानता" के अधिकार से वंचित करने वाले व्यक्तियों / नेताओं / पार्टियों / सरकारों को चिन्हित करके उन्हें आम जनता के सामने "संविधान के दुश्मन" के रूप मे प्रमाणित किया जाये ! न्यायालय उक्त चिन्हित करने का कार्य स्व संज्ञान से 2024 मे करें व 2025 मे ऐसे कानूनों / नियमों को सरकार निरस्त करें ! उसके बाद ही हम सभी विभिन्न धर्मों (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई व अन्य) के मानने वाले प्रेम व भाईचारे के साथ "एक भारतीय" बन कर रह सकेंगे ! (४) आम जनता संविधान विरुद्ध कानून बनाने वाले व्यक्तियों / नेताओं / पार्टियों / सरकारों का खुलकर विरोध करे, बहिष्कार करें व उन्हें वोट भी नहीं दे ! हकीकत मे जो संविधान व हिन्दुओं के विरुद्ध है, वह किसी काम का नहीं है ! संविधान के अनुरूप ही कानून बनाने के लिए आन्दोलन करें ! 【हिन्दू राष्ट्र बनाने से पूर्व सभी संविधानिक भारतीय बने !】 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(205) #22/11/24 #dineshapna


 

Thursday, 21 November 2024

★सनातन का मूल है "एकता" ! किन्तु "कुछ सनातनी" है एकता के दुश्मन !★ 【एकता मे कमी का कारण है ●स्वयं ●दूसरे 】 (१) "कुछ सनातनी" मे एकता की कमी है ! यदि वह "सक्षम लोग" (राजा / धन के ठेकेदार / धर्म के ठेकेदार) है जो इतना अन्याय करते है कि पिडित सनातनी मजबूरी मे अन्य व्यक्ति / अन्य धर्म के साथ चला जाता है ! इसके अतिरिक्त "सक्षम लोग" लोभ / लालच / अंहकार के कारण अपनो के ही दुश्मन बन जाते है ! (२) "कुछ सनातनी" मे एकता की कमी है ! यदि वह "आम लोग" (प्रजा / असक्षम) है तो डर से या लालच से अन्य व्यक्ति / अन्य धर्म के साथ चले जाते है ! (३) वर्तमान मे भारत मे जो भी समस्या या लडाई हो रही है उसके पिछे "कुछ सनातनी" ही है जो 200 वर्ष या 1000 वर्ष पूर्व धन या डर से अपना धर्म परिवर्तन किया था ! यदि वह इस तथ्य को समझ जाये व एकता के कार्य करने लग जाये तो सभी समस्याओं का अन्त हो सकता है ! उदाहरण है - इण्डोनेशिया ! (४) आजकल भी "कुछ सनातनी" जो सक्षम या आम लोग है, वह भी 1000 वर्ष पुरानी गलती (एकता की कमी) कर रहे है ! वह यदि अपने 1000 वर्ष पुराने पूर्वजों को याद करके उनकी गलतियों को दोहराये नहीं ! जैसे आजकल "सेकुलर" बनकर सनातन का विरोध करने व अधर्म का साथ देने की गलती कर रहे हैं ! अतः वह पद / धन के लोभ - लालच मे नहीं आये व "कुछ" पुनः "शेष" मे मिलकर "कुल सनातनी" बन जाये तो सभी समस्याओं का अन्त हो जायेगा ! इसके लिए अपनी "पूजा पद्धति" बदलना आवश्यक नहीं है ! जैसे इण्डोनेशिया वाले कर रहे है ! [अतः हमे केवल सत्य व सनातन को आत्मसात करते हुए लोभ, लालच, मोह, अंहकार व धोखा को छोड़ना होगा !] 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(204) #21/11/24 #dineshapna


 

Monday, 18 November 2024

★सनातन के दुश्मन / खतरा है "कुछ सनातनी" से ही !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) "कुछ" सनातनीयो ने "तलवार" के डर से अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म को ग्रहण किया ! आज कल यह "कुछ सनातनी" ही हमारे सबसे बड़े दुश्मन है,जो गलत हैं ! (२) "कुछ" सनातनीयो ने "धन / पैसो" के लोभ से अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म को ग्रहण किया ! आज कल यह "कुछ सनातनी" ही हमारे सबसे बड़े दुश्मन है,जो गलत हैं ! (३) "कुछ" सनातनीयो को धोखा देकर / गलत इतिहास बताकर / अन्धविश्वासी बनाकर / गुरुकुल समाप्त करके / जातियों मे बाँटकर व आपस मे गलतफहमी पैदा करके हमारे ही दुश्मन बनाये व हमें भ्रमित भी कर रहे है, जो गलत हैं ! (४) "कुछ" सनातनीयो ने गद्दारी की / हिन्दू विरोधी कानून बनाये व अन्याय सहन करने के कारण सनातन धर्म को कमजोर करने का असफल प्रयास किया व कर रहे है, जो गलत है ! अब हम "शेष" सनातनीयो को इतिहास से शिक्षा लेकर, अपनी गलतियों को सुधारने के साथ, हमें एकजुट होने की आवश्यकता है ! 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(203) #18/11/24 #dineshapna


 

Sunday, 17 November 2024

★सनातन मे एकता, विश्वबन्धुत्व, शान्ति व सुखी जीवन के लिए कार्य !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) सनातन मे "एकता व विश्वबंधुत्व" के लिए सभी व्यक्तियों के अपने अपने विचार / मान्यताओं का सम्मान किया, उसके लिए 33 कोटि / प्रकार के देवताओ व सभी वनस्पतियों व जीव जन्तुओं को देवताओं के वाहन / काम के अनुसार सम्मान दिया गया ! उसके साथ ही धर्म /सम्प्रदाय/जाति से ऊपर उठकर विश्व कल्याण की उद्देश्य से कार्य किया ! इससे सनातन सदा से व प्राचीन धर्म के साथ सर्वश्रेष्ठ धर्म है ! (२) सनातन धर्म जानता है कि यदि हमे "शान्ति व सुखी जीवन" जीना है तो पूरे विश्व के व्यक्तियो / धर्मो / सम्प्रदायों के बीच मे समरसता व प्रेम होना चाहिए तथा इसके लिए ही सनातन विश्वबंधुत्व व विश्व शान्ति की बात करता है ! (३) सनातन मे सभी तथ्य सत्य, सही व वैज्ञानिक है किन्तु उन्हें विश्लेषन करके नहीं बताने से अज्ञानी लोग उसे अन्धविश्वास मानने लगे ! सनातन मे वर्ण व्यवस्था काम करने के आधार पर थी किन्तु बाद मे उसे जाति व्यवस्था मे बदलकर अलगाव पैदा कर दिया गया ! मुगलों व अंग्रेजों ने हमे गुलाम बनाने के लिए हमारी एकता व संस्कृति को नष्ट करने के लिए भ्रम फैलाये व गुरुकुलों को नष्ट किया ! अफसोस कि हम उनके चक्कर मे आकर, हम स्वयं ही सनातन के दुश्मन बन गये ! (४) आजादी के बाद भी काले अंग्रेजों ने भी हमारे इतिहास, शिक्षा पद्वति व संस्कृति को नष्ट करना चालू रखा और हम फिर भी चुप रह रहे है, जो गलत है ! अभी भी हम सनातन के विरोधियों को वोट देकर हमारे ही दुश्मन बढ़ा रहे है, जो गलत है ! 【बँटोगे तो कटोगे !】 【श्रीकृष्ण बनोगे तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(202) #17/11/24 #dineshapna


 

Wednesday, 13 November 2024

★सनातन को "अधुरा नहीं", पूरा पढे ! केवल पढे ही नहीं, उसे "आत्मसात" भी करें !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) श्रीराम की "मर्यादाओं" को याद रखते है, तो उनके "धनुष" को भी भूले नहीं ! (२) श्रीकृष्ण की "मुरली" को याद रखते है तो उनके "सुदर्शन चक्र" को भी भूले नहीं ! (३) "अहिंसा परमो धर्मः" ! को अधुरा नहीं पढे, "धर्म हिंसा तथैव च:" ! को भी पढे व पूरे कथन को आत्मसात भी करें ! (अर्थात् :- अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है !) (४) "धर्मो रक्षति रक्षितः" को पढने के साथ उसके अनुसार कर्म भी करें तथा उसे आत्मसात भी करें ! (अर्थात् "धर्म की रक्षा" करने पर, वह (धर्म) रक्षा करने वाले की रक्षा करता है ! दूसरे शब्दों में :- "रक्षित धर्म" रक्षक की रक्षा करता है !) ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(201) #13/11/24 #dineshapna


 

Tuesday, 12 November 2024

★सनातन मे चारों युगों मे अच्छे व बुरे लोग कहाँ कहाँ रहते थे !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) "सतयुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "अलग अलग लोक" मे रहते थे ! 【देवता इन्द्र स्वर्ग लोक व राक्षस बलि पाताल लोक मे !】 (२) "त्रेतायुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "एक ही लोक" मे रहते थे ! 【श्रीराम व रावण पृथ्वी लोक मे !】 (३) "द्वापरयुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "एक ही परिवार" मे रहते थे ! 【युधिष्ठिर व दुर्योधन एक ही परिवार मे !】 (४) कलयुग मे अच्छे लोग व बुरे लोग एक ही व्यक्ति मे रहते है ! 【देश को स्व घोषित आजादी दिलाने वाले व कुछ नेता एक ही व्यक्ति मे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(200) #12/11/24 #dineshapna


 

Sunday, 10 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 [श्रीकृष्ण बने ! जनहित के लिए एक बने !] (१) आम जनता भारत के लोकतंत्र मे "राजा" होता है, किन्तु उसे "बन्धुआ मजदूर" बना रखा है ! उसे केवल "वोट व नोट" देने वाला बना रखा है ! उसे नेताओं को "वोट" देने, अधिकारियों को "नोट" देने व सक्षम लोगों के "नोट व श्रम" देने वाली मशीन बना रखा है ! इसके बावजूद उसे अपना कार्य करवाने के लिए नेताओं व अधिकारियों के सामने "भीख" माँगनी पडती है क्योंकि काम तो सक्षम लोग / नेता / अधिकारी के ही कार्य होते है ! उसे न्याय के लिए उक्त व्यक्तियो के साथ न्यायालय के चक्कर लगाने पड़ते है ! (२) इसके विपरीत "कुछ नेता / अधिकारी / सक्षम लोग" आम जनता व सरकारी धन / सम्पत्तियों को लूटते व लूटाते है व भ्रष्टाचार करते है ! इसके साथ ही धन व पद के प्रभाव से न्याय को भी प्रभावित करके आम जनता के साथ अन्याय करते है ! (३) अतः आम जनता को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने की जरूरत है ! एक रहने के साथ अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की आवश्यकता है ! (४) इसके लिए प्रत्येक गाँव / वाडँ स्तर पर संगठन बनाकर समस्याओं / अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की जरूरत है व स्वयं को "श्रीकृष्ण" बनने की जरूरत है ! ★आम जनता को जाति, समाज, धर्म व राजनैतिक पार्टीयो से ऊपर उठकर •जनहित को सर्वोपरि मानते हुए •एकता के साथ कार्य करना होगा !★ ■इसके लिए मै तैयार हूँ, आपका क्या निर्णय है ?■ ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(199) #10/11/24 #dineshapna






 

Saturday, 9 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) सक्षम लोग (धन से, पद से, नेताओं के सम्बंध से, व्यापार से) सक्षम बनते है ! यह आम जनता के द्वारा धन / वोट / टैक्स देने के कारण व अन्याय सहन करके चुप रहने के कारण ऐसा सम्भव होता है ! (२) धन से सक्षम बनने के लिए कुछ लोग व्यापार मे बैंक से लोन लेते है तो कुछ लोग बिक्री से कमाई करते है, भ्रष्टाचार करते है, टैक्स चोरी करते है, सरकारी सम्पत्ति लूटते है, मिलावट करते है, कानून विरुद्ध कार्य करते है व आदि ! इन सभी के पिछे धन व सम्पत्ति का योगदान तो केवल आम जनता का ही होता है ! (३) आम जनता वोट देकर नेताओं को पद देते है किन्तु कुछ नेता धन लूटने के लिए अपने आस पास के कुछ व्यक्तियों को रखते है ! ऐसी स्थिति मे उक्त कुछ व्यक्तियों का उद्देश्य धन कमाना है जो आम जनता के हक को हड़प के "सक्षम लोग" बन जाते है और आम जनता को लूटते है ! (४) अतः कुछ सक्षम लोग आम जनता से धन / वोट लेकर नेताओं / अधिकारियों के साथ मिलकर आम जनता को ही लूटते है ! कुछ सक्षम लोग एकजुट होकर आम जनता के असंगठित होने व चुप्पी का फायदा उठाकर लूटते व लूटाते है ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(198) #09/11/24 #dineshapna


 

Wednesday, 6 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) आम जनता नोट (टैक्स) देती है उस टैक्स के धन से ही "अधिकारियों" को वेतन मिलता है जिससे उनका घर खर्च चलता है ! इसके साथ ही अधिकारियों को नौकरी मिलने के साथ "जनहित" के कार्य करने की सपथ दिलाई जाती है किन्तु हकीकत मे कुछ अधिकारी "जनहित" के स्थान पर "स्वहित" या नेताओं के हित या सक्षम लोगों के हित के कार्य करते है ! जनहित के कार्य केवल दिखावा मात्र के लिए करते है ! (२) "कुछ अधिकारी" स्वहित / नेताओं के हित / सक्षम लोगों के हित के कार्य 80% करते है, और आम जनता के हित के कार्य केवल 20% ही करते है ! जबकि आम जनता कुल आबादी की 99% है और नोट (टैक्स) के रुप मे 80% से ज्यादा धन देती है, इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष टैक्स शामिल है ! (३) आम जनता को यह बताया जाता है कि सरकारी टैक्स भुगतान मे 50% से ज्यादा हिस्सेदारी "सक्षम लोग" (कारपोरेट / बडे व्यापारीयो) की है जो पूर्णतः गलत है ! क्योंकि भारत मे टैक्स भुगतान मे 90% योगदान अप्रत्यक्ष टैक्स व 10% प्रत्यक्ष टैक्स का होता है ! और यह भी प्रमाणित है कि अप्रत्यक्ष टैक्स (GST) का अन्तिम भुगतान उपभोक्ता (ग्राहक) के द्वारा ही किया जाता है और अन्तिम उपभोक्ता आम जनता ही है जो 99% है, तो इस प्रकार पूरे देश का अप्रत्यक्ष टैक्स (GST) का हकीकत मे भुगतान "आम जनता" ही करती है ! केवल प्रत्यक्ष टैक्स (आयकर) का भुगतान ही सक्षम लोगों के द्वारा किया जाता है ! इसके अतिरिक्त "सक्षम लोग" (कारपोरेट / बडे व्यापारी) अपने व्यापार के लिए धन की व्यवस्था भी "कम्पनी शेयर या बैंक से लोन या सब्सिडी" लेकर ही करते है, और इसमे भी 80% धन आम जनता का ही होता है ! (४) अतः सरकारी अधिकारियों को अब यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि जो वेतन आपको मिलता है उसमे 99% धन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आम जनता का ही है ! तो काम भी प्रमुखता व प्राथमिकता से "आम जनता" का ही करना चाहिए ! जिस दिन "आम जनता" को उक्त तथ्य समझ आ जायेगा तब भारत जैसे लोकतंत्र मे आम जनता "राजा" बन जायेगी ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(197) #06/11/24 #dineshapna


 

Tuesday, 5 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) आम जनता वोट देकर जनप्रतिनिधि (नेता) चुनती है कि वह "जनहित" के लिए कार्य करे ! किन्तु हकीकत मे "कुछ नेता" ●"स्वहित" के लिए, ●सक्षम लोगों के लिए, व ●अधिकारियों के लिए ही कार्य करते है क्योंकि इनसे प्राप्त धन व शक्ति से ही चुनाव जीतते है ! इसके विपरीत आम जनता के लिए केवल दिखावे के कार्य करते है जिससे वह अगली बार पुनः वोट ले सके ! कुछ नेता आम जनता से वोट लेकर सक्षम लोगों के लिए कार्य करके धन व सम्पत्ति लूटाते है ! इसके साथ ही स्वयं के लिए धन व सम्पत्ति अधिकारियों के माध्यम से लूट का भ्रष्टाचार करते है ! (२) "कुछ नेता" वोट के लिए "विशेष धर्म / सम्प्रदाय" को खुश करने के लिए संविधान विरुद्ध कानून बनाते है ! उनको आश्रय देकर वोट लेते है और आम जनता के हितों के विपरीत कार्य करते है ! (३) "कुछ नेता" सरकारी संसाधनों (जमीन, खनिज, धन) को लूटने के साथ, अधिकारियों व सक्षम लोगों को लूटाते भी है जिससे उनसे धन (चन्दा) या वोट ले सके ! इस प्रकार आम जनता से "वोट व नोट (टैक्स)" लेकर आम जनता के साथ अन्याय करते है ! (४) "कुछ नेता" जो "◆देश को बाँटकर, आजादी दिलाने वाली पार्टी ◆देश को जोडकर, सनातन को बचाने वाली पार्टी ◆खास को छोड़कर, आम आदमी के लिए काम करने वाली पार्टी ◆सत्ता के लिए, देशहित के विरुद्व कार्य करने वाली पार्टीयो मे है ! अर्थात् सभी राजनैतिक पार्टियों मे ऐसे "कुछ नेता" होते ही है ! "शेष नेता" उक्त पार्टियों मे अच्छे व देश व देशवासियों के हित के कार्य कर रहे है ! इसी कारण व न्यायपालिका के कारण थोड़ा बहुत आम जनता के कार्य हो रहे है ! ●अतः प्रत्येक पार्टी मे से "शेष नेताओं" को जोडकर कार्य करें तो देश व देशवासियों का भला हो सकता है !● ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(196) #05/11/24 #dineshapna