★एक स्कूल की आत्मव्यथा, स्वयं की जुबानी★ (५) मै चूने व पत्थर से बना "विद्या मन्दिर" हूँ और वैज्ञानिक कहते है कि चूने की उम्र 1000 वर्ष होती है, किन्तु आज के अवैज्ञानिक इन्जीनियर ने मेरी उम्र 100 वर्ष मानते हुए, मुझे जर्जर व जानलेवा बिल्डिंग बताया है ! जो सर्वथा गलत है ! (६) मैंने 100 वर्षों मे करीब 1 लाख बच्चों को पढ़ने के लिए आश्रय दिया, किन्तु आज मुझे आश्रय/सुरक्षा की जरूरत है, तो 1 लाख मे से 1 भी बच्चा आगे नहीं आ रहा है ! (७) मैंने कई नेताओ, उद्योगपतिओ, व्यापारीओ, विद्वानो, वकीलो, अधिकारियों को आश्रय/सहयोग दिया, किन्तु आज मुझे जरूरत है तो कोई साथ देने वाला नहीं है ! (८) मै चूने व पत्थर से बना हूँ तो आज भी खड़ा हूँ, किन्तु कुछ पत्थर दिल नेता व उद्योगपति मेरे चूना लगाने आ रहे है अर्थात् मुझे समय से पहले नष्ट करना चाहते है ! मैने अभी अपना 10% जीवन ही जीया है, अभी 900 वर्ष और शेष है ! महाभारत मे जैसे अभिमन्यु को सभी ने धोखे से घेरकर मारा था, वैसा ही आज कर रहे है ! 【मै श्रीगोवर्धन उच्च माध्यमिक विद्यालय, नाथद्वारा हूँ ! मुझे कोई "कौरवो" से बचाओ !】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी (29) #23/01/22 #dineshapna
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