★एक स्कूल की आत्मव्यथा, स्वयं की जुबानी★ (१) मै 100 वर्षों बाद, आज भी सुदृढ़ व मजबूत हूँ, किन्तु मुझे जर्जर व जानलेवा बिल्डिंग बताया जा रहा है ! (२) मैंने 100 वर्षों से कई व्यक्तियो को ज्ञान, धन व बुद्धि से सक्षम बनाया, आज वह ही मुझे मारने आ रहे है ! (३) मैंने 100 वर्षों से कई व्यक्तियो को सक्षम बनाया, किन्तु मुझे सुरक्षा की जरूरत है तो वह चुप है ! (४) मुझे 100 वर्ष पूर्व श्रीनाथजी मन्दिर ने ब्च्चों को विद्या देने के लिए "विद्या के मन्दिर" बनाया व शिक्षा विभाग (सरकार) को दिया, किन्तु आज मुझे "धन की दुकान" (शापिंग माँल) बनाकर, देने या बेचने जा रहे है और मेरे यहाँ से पढ़ें बच्चे, आज मेरे साथ हो रहे अन्याय या "चिरहरण" होते देखकर भी चुप है ! ऐसा चिरहरण महाभारत काल मे भी हुआ था ! 【मै श्रीगोवर्धन उच्च माध्यमिक विद्यालय, नाथद्वारा हूँ ! मुझे कोई तो मेरे लाल "चिरहरण" से बचाओ !】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी (28) #22/01/22 #dineshapna
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