Tuesday, 31 December 2024

★2025 का स्वागत ! & 2024 की विदाई !★ नववर्ष 2025 का स्वागत पंच तथ्यों से करें :- ◆ सबसे पहले भारत के सभी सनातनी जात पात व सम्प्रदाय /धर्मों मे बँटने के स्थान पर "एकजुट" हो ! इसके बाद "भूतपूर्व सनातनी" (500 वर्ष व उससे ज्यादा वर्षों पूर्व परिवर्तित सनातनी) "एकजुट" होकर अपने पूर्वजों की मजबूरी को समझते हुए, उनका सम्मान करे और पुनः सनातन धर्म को आत्मसात करें और वर्तमान सनातनियों का साथ दे ! ◆ भूतपूर्व व वर्तमान सनातनी सभी मिलकर सनातन को "आत्मसात" करें, भले ही भूतपूर्व सनातनी अपनी पूजा पद्वति (इस्लाम / ईसाई) नहीं बदले ! ◆ रोजगार के अवसर सरकार बढ़ाये व "आम आदमी ईमानदारी से" नौकरी / व्यापार करें तथा "देशहित व देशप्रेम" को सर्वोपरि समझते हुए कार्य करे ! ◆ "मूल संविधान" की पालना करें व असंवैधानिक / विरोधाभासी संशोधनों को हटाने मे सहयोग करें ! इसके साथ ही "शुद्ध संविधान" अर्थात् संविधान की प्रस्तावना व एकता व समानता की मूल भावनाओं को ध्यान मे रखते हुए मूल संविधान के "कुछ विरोधाभासी प्रावधानों" को हटाकर, "मूल" संविधान को "शुद्ध" संविधान बनाये ! ◆ सनातन धर्म मे ऐसे प्रावधान है जिससे न केवल भारत मे ही "शान्ति" स्थापित हो सकती है, बल्कि पूरे विश्व मे शान्ति स्थापित हो सकती है ! इसके अलावा सनातन धर्म भारत के संविधान के किसी भी प्रावधानों के विरोधाभास मे नहीं है ! अतः यदि भारत को "हिन्दू राष्ट्र" बनाया जाये, तो यह हमें विश्व गुरु बनने मे सहायक होगा ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(221) #01/01/25 #dineshapna


 

Saturday, 28 December 2024

★केवल यह ही नहीं करें, किन्तु इससे पहले यह भी करें !★ (१) हम बात करते है कि "नशा मुक्ति" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ सभी प्रकार के नशे (भाँग, शराब, तम्बाकू, अफीम) की बिक्री / व्यापार / टैक्स से आय मे सक्रिय भागीदारी सरकार की है और दिखाने के लिए प्रशासन / सरकार नशामुक्ति अभियान चलाकर जनता को गुमराह करती है ! ◆ क्या कारण है कि सरकार को मालूम है कि नशे के कारण आम जनता बीमार हो रही है व वाहन दुर्घटना हो रही है और इसके लिए चिकित्सा हेतु सरकार को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे है तो भी सरकार नशे पर पूर्ण पाबन्दी नहीं लगा रही है ! ◆ "वर्तमान मे" सरकार नशे को बेचकर या टैक्स से जितना पैसा कमा नहीं रही है उससे ज्यादा चिकित्सा व अन्य इसके दुष्परिणामो पर खर्च कर रही है ! ◆ "भविष्य मे" क्या सरकार नशे के नाम पर दोहरी चाल चलना बन्द करके पूर्ण रुप से नशे को बन्द करेगी ? (२) हम बात करते है कि "भ्रष्टाचार मुक्ति" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हमें देश को भ्रष्टाचार मुक्त करना है तो इसकी जड़ तक पहुँच कर, "भ्रष्टाचार की जड़" को ही समाप्त करना होगा ! ◆ क्या कारण है कि भ्रष्टाचार को समाप्त करने का प्रयास प्रशासन, सरकार व कुछ समाज सेवी लोग कर रहे है तो भी "भ्रष्टाचार समाप्त" नहीं हो रहा है ! ◆ "वर्तमान मे" हम भ्रष्टाचार को समाप्त करने की बात तो करते है व भ्रष्टाचार निरोधक विभाग भी बना रखा है व इसके लिए कानून भी है तो भी भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिल रही है ! ◆ "भविष्य मे" हम हकीकत मे भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहते है तो सर्वप्रथम भ्रष्टाचार हटाने की शुरुआत ऊपर (बड़े नेताओ व अधिकारियों) से नीचे (कर्मचारियों व आम जनता) की ओर करनी चाहिए तथा इसके साथ ही आम जनता को चुनाव मे पैसा / मुफ्त की रैवड़ी बाँटने वालों को नकारना चाहिए ! (३) हम बात करते है कि "शिक्षा" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हमे शिक्षा को "सेवा के स्थान पर व्यापार" बनाने वालों को रोकना होगा व नैतिकता, धार्मिकता व रोजगार उन्मुख शिक्षा को बढ़ाना चाहिए ! ◆ क्या कारण है कि सरकार "करोड़ों रुपए शिक्षा" पर खर्च करने के बाद भी देश मे शिक्षा का स्तर ऊपर नहीं उठ पा रहा है ? ◆ "वर्तमान मे सरकारी शिक्षा संस्थानों की उपेक्षा की जा रही है और प्राईवेट शिक्षा संस्थानों के द्वारा लूट मचा रखी है ! ◆ "भविष्य मे" हमे शिक्षा को सेवा के रूप मे लागू करना होगा ! जिसके लिए सरकारी शिक्षा संस्थानों का स्तर ऊँचा करके निशुल्क व्यवस्था करनी होंगी व प्राईवेट शिक्षा संस्थानों पर नियंत्रण करके इसे व्यापार बनाने से रोकना होगा ! (४) हम बात करते है कि "रोजगार" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ क्या सरकार के द्वारा आम जनता को सरकारी नौकरी देना ही रोजगार देने का मापदंड है ? ◆ क्या कारण है कि आम जनता को सरकार रोजगार देने मे असफल हो रही है ? ◆ "वर्तमान मे" सरकार सभी को सरकारी नौकरी नहीं दे सक रही है व प्राईवेट नौकरी पर नियंत्रण नहीं है व छोटे व्यापारियों को पनपने नहीं दे रहे है, तो रोजगार कैसे मिले ! ◆ "भविष्य मे" सरकार को छोटे व्यापारियों को सुविधाएं देकर, व्यापार मे मिलावट व धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना चाहिए ! प्राईवेट नौकरियों को प्रोत्साहन देकर तथा सरकारी नौकरियों को परिणाम परक बनाकर, आम जनता के लिए रोजगार के चहुंमुखी अवसर प्रदान करने चाहिए ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(219) #24/12/24 #dineshapna


 

Sunday, 22 December 2024

★केवल यह ही नहीं करें, किन्तु इससे पहले यह भी करें !★ (१) हम बात करते है कि "अपने अपने घर्म" को मानने की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ सभी धर्मों को संविधान व कानून के द्वारा "समान अधिकार व छूट" मिलनी चाहिए ! ◆ क्या कारण है कि "हिन्दू धर्म के साथ भेदभाव" कर रखा है ! ◆ "वर्तमान मे" हमे हिन्दू धर्म के साथ संविधान व कानून के भेदभाव को हटाने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए जिससे अन्य धर्मों के साथ मनमुटाव व अनावश्यक लडाई झगड़ा नहीं हो ! ◆ "भविष्य मे" हमे हिन्दू - मुसलमानों को मिलकर आवाज उठानी चाहिए कि दोनों धर्मों के लिए समान कानून हो व देश मे पूर्ण धर्मनिरपेक्षता लागू हो ! (२) हम बात करते है कि "मन्दिर निर्माण व सुरक्षा" की तो यह कार्य आपसी प्रेम व सद्भाव से हो ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हमें मन्दिरों के निर्माण के साथ उसकी सुरक्षा की कार्य योजना व उसके लिए कार्य भी करना चाहिए ! ◆ क्या कारण है कि "हमारे मन्दिरों को तोड़कर मस्जिद बनाई गई ? इसके लिए हमें आपस मे लड़ना नहीं चाहिए, उसके विपरीत हमें प्रेम व समझदारी से उसका समाधान निकालना चाहिए ! ◆ "वर्तमान मे" हमें यह सोचना चाहिए कि पुराने मन्दिरों को मुगलों व आतताईयों ने तोड़ा था, जो आज नहीं है ! अभी संघर्ष "सनातनियों व कन्वटेड सनातनियों (भूतपूर्व सनातनी)" के बीच मे है तो समाधान भी दोनों को ही मिलकर निकालना चाहिए ! ◆ "भविष्य मे" हम "सनातनियों व कन्वटेड सनातनियों (भूतपूर्व सनातनी)" को मिलकर यह निर्णय लेना चाहिए कि पुराने सभी मन्दिर हिन्दुओं को लौटा दे किन्तु इसके पूर्व उसके एवज मे हिन्दू नई मस्जिद बनाकर दे ! (३) हम बात करते है कि "समाज सेवा" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हम "समाज सेवा से ज्यादा स्व सेवा" करने का कार्य नहीं करे तथा ऐसा करने वालों की सच्चाई समाज के सामने लाने का कार्य करके "सच्ची समाज सेवा" करें ! ◆ क्या कारण है कि "करोड़ों रुपए समाज सेवा" पर खर्च करने के बाद भी समाज का व्यक्ति ऊपर नहीं उठ पा रहा है ? ◆ "वर्तमान मे" हम ज्यादातर समाज सेवा उस धन से कर रहे है जो हमने समाज से ही लूटा / वसूला गया ! ◆ "भविष्य मे" हम ज्यादातर लोग समाज से अत्यधिक धन लूटे / वसूले नहीं, तो कम मात्रा मे समाज सेवा करने से ही काम आसानी से चल जायेगा ! (४) हम बात करते है कि "देश सेवा" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ क्या हम देश सेवा के नाम पर हम "स्व सेवा / कुर्सी सेवा" कर रहे है ? ◆ क्या कारण है कि "देश सेवा" हम सभी राजनैतिक दल व पूँजीपति कर रहे है तो भी हमारे देशवासी खुश व समृद्ध नहीं हो पा रहे है और देश भी सुरक्षित नहीं रह पा रहा है ? ◆ "वर्तमान मे" हम सभी राजनैतिक दल एकजुट होकर देशहित मे कार्य नहीं करने के कारण एक दल "देशसेवा" कर रहा है तो दूसरा दल "विपरीत देशसेवा" करके टाँग खिच रहा है, इस कारण "परिणाम शून्य" आ रहा है ! ◆ "भविष्य मे" हमे "देशसेवा व देशहित" को परिभाषित करने के साथ हम सभी (पक्ष - विपक्ष दलों तथा अमीर - गरीब लोगों) को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है ! इससे थोड़ी-सी देश सेवा करना भी पर्याप्त होगा ! देशसेवा व समाजसेवा के चार उदाहरण जैसे - ●देश सुरक्षा, ●सरकारी सम्पत्तियों की सुरक्षा तथा ●कम व पारदर्शी मुनाफे के साथ व्यापार, ●मिलावट नहीं करना ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(218) #22/12/24 #dineshapna


 

Saturday, 21 December 2024

★केवल यह ही नहीं करें, किन्तु इससे पहले यह भी करें !★ (१) हम बात करते है कि आम जनता को "स्वास्थ्य सुविधाएं" सुलभ व किफायती दर पर मिलने की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ खाद्य पदार्थों मे "मिलावट" को कैसे रोका जाये ? ◆ क्या कारण है कि "दवाओं की कीमत व ईलाज की फीस अत्यधिक" (लागत से कई सौ गुणा तक) क्यों है ? ◆ "वर्तमान मे" हम सस्ता, सुलभ व गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए क्या कर रहे है ? ◆ "भविष्य मे" हमे कुछ दवाई माफियाओं / ईलाज के नाम पर लूट को रोकने के लिए क्या करना होगा ? (२) हम बात करते है कि "अतिक्रमण" को रोककर आम जनता को राहत प्रदान की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ सरकार वन, सरकारी जमीन, सड़क व जनता की जमीनो से अतिक्रमण को "क्यों नहीं रोक पा रही" है ? ◆ क्या कारण है कि "सरकारी अधिकारी अतिक्रमण" रोकने के स्थान पर चुप्पी बनाये हुए है ? ◆ "वर्तमान मे" हम अतिक्रमण को हटाने के लिए क्या कर रहे है ? ◆ "भविष्य मे" हम अतिक्रमण हटाने के लिए अधिकारियों व कानून का उपयोग करने के लिए क्या करना होगा ? (३) हम बात करते है कि "पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हम "पर्यावरण को नुकसान" पहुँचाने वालों को रोकने के लिए क्या कर रहे है ? ◆ क्या कारण है कि "सरकार करोड़ों रुपए पेड़ लगाने" पर खर्च करने के बाद भी धरातल पर उक्त पेड़ लगे हुए नजर नहीं आ रहे है ? ◆ "वर्तमान मे" हम पेड़ काटने पर, उन्हीं से पेड़ लगवाने का कानून होने के बावजूद हम उनसे पेड़ क्यो नहीं लगवा पा रहे है ? ◆ "भविष्य मे" हम पर्यावरण बचाने व प्रदूषण को रोकने के लिए आम जनता, सरकार व कानून को क्या करना होगा ? (४) हम बात करते है कि "जल संरक्षण" की ! किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हम नदियों, तालाबों मे हो रहे जल प्रदूषण को क्यों नहीं रोक पा रहे है ? ◆ क्या कारण है कि "जल स्त्रोतों" पर हो रहे अतिक्रमणों को रोकने के स्थान पर, हम व सरकारी अधिकारी उसे नष्ट क्यों कर रहे है ? ◆ "वर्तमान मे" हम जल प्रदूषण रोकने व जल स्त्रोतों को बचाने के लिए क्या कर रहे है ? ◆ "भविष्य मे" हमे जल संरक्षण के लिए आम जनता, सरकार व कानून को क्या करना होगा ? ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(217) #21/12/24 #dineshapna


 

Friday, 20 December 2024

★केवल यह ही नहीं करें, किन्तु इससे पहले यह भी करें !★ (१) हम बात करते है कि हमे "आजादी" कैसे मिली ? किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हम गुलाम "कैसे हुए" ? ◆ क्या कारण है कि हम धन व बल से सक्षम होते हुए भी गुलाम रहे ? ◆ "वर्तमान मे" हम गुलामी से मुक्ति के लिए क्या कर रहे है ? ◆ "भविष्य मे" गुलाम नहीं हो, इसके लिए क्या करना होगा ? (२) हम बात करते है कि हमारा "सनातन का इतिहास व गौरव" क्या था ? किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हमारे सनातन व सनातनियों का क्षैत्र / महत्ता "कम क्यों हो रही" है ? ◆ क्या कारण है कि सनातनियों का ही "धर्म परिवर्तन" हो रहे है ? ◆ "वर्तमान मे" हम सनातन की रक्षा के लिए क्या कर रहे है ? ◆ "भविष्य मे" हमे सनातन मे एकता व रक्षार्थ लिए क्या करना होगा ? (३) हम बात करते है कि हमारे "संविधान की महानता" क्या है ? किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हमारे संविधान मे अनावश्यक संशोधन "क्यों हो रही" है ? ◆ क्या कारण है कि "संविधान के विरुद्ध कुछ कानून" बनाये गये ? ◆ "वर्तमान मे" हम संविधान विरुद्ध कुछ कानूनो को हटाने के लिए क्या कर रहे है ? ◆ "भविष्य मे" हम संविधान के विरुद्ध प्रावधानों को हटाने के लिए क्या करना होगा ? (४) हम बात करते है कि "हमारे महापुरुषो व धर्म गुरुओ के आदर्श" क्या थे ? किन्तु हमे इससे पहले यह बात करनी चाहिए कि ◆ हम "महापुरुषों व धर्म गुरुओ को आत्मसात" क्यों नहीं कर रहे है ? ◆ क्या कारण है कि "महापुरुषों व धर्म गुरुओ के बताये "आदर्श मार्ग के विपरीत कार्य" कर रहे है ? ◆ "वर्तमान मे" हम महापुरुषो व धर्म गुरुओ जैसे बनने के लिए क्या कर रहे है ? ◆ "भविष्य मे" हम एकता, शक्तिशाली, ईमानदार व परोपकारी बनने लिए क्या करना होगा ? ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(216) #20/12/24 #dineshapna



 

Wednesday, 18 December 2024

★कड़वा है, परन्तु सच है !★ ■ भारत व भारतीयों की सभी समस्याओं की जड़ है - "मूल संविधान मे गलत / पक्षपात पूर्ण संशोधन" ! ■ (१) कांग्रेस के शासन काल मे करीब 70 से अधिक बार संविधान संशोधन किये ! इसमें कई ऐसे संशोधन किये जो "संविधान की मूल भावनाओं" व व्यक्ति के "समानता व स्वतंत्रता" के विरुद्ध है ! इस पक्षपात पूर्ण "संविधान संशोधन" के कारण हिन्दू - मुस्लिम की एकता को तोड़ने का कुकृत्य किया गया, जो क्षमा योग्य नहीं है ! (२) कांग्रेस के शासन काल मे "हिन्दू - मुस्लिम की एकता" को तोड़ने के लिए कई "काले कानून" बनाये, जो हिन्दुओं व मूल संविधान के विरुद्ध है ! ऐसे कृत्य करने वाले "मानवता के दुश्मन" है ! (३) मूल संविधान मे गलत / पक्षपात पूर्ण संशोधन के लिए जिम्मेदार कुछ हिन्दू (शान्ति व एकता के दुश्मन) व कुछ राजनैतिक पार्टियां है ! अतः कुछ विशेष धर्म वालों को खुश करने के लिए यह कार्य किया गया, जिससे उनकी "राजनैतिक कुर्सी" कायम रह सके ! (४) इसका समाधान यह है कि "वर्तमान सनातनी" व "भूतपूर्व सनातनी" (कन्वटेड मुसलमान) अपने अतीत को याद रखते हुए, सनातन को बचाने के लिए "एकजुटता" कायम रखते हुए "स्वार्थी राजनैतिक पार्टियों" को वोट नहीं दे व उनका विरोध सभी 365 दिन करे ! 【2024 के सनातनी व 1526 के बाद के (कन्वटेड मुस्लिम) सनातनी एकजुट हो !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(215) #18/12/24 #dineshapna



 

Monday, 16 December 2024

★कड़वा है, परन्तु सच है !★ ■ I.N.D.I.A. गठबंधन ही INDIA के विरोध मे संविधान विरुद्ध कार्य कर रहा है ! ■ (१) कांग्रेस ही बोल रही है कि संविधान खतरे मे है, किन्तु हकीकत मे कांग्रेस ने ही संविधान की मूल भावनाओं के विरुद्ध "संविधान संशोधन" किये, "संविधान विरुद्ध कानून" बनाये ! और अब "उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे" वाला कार्य कर रही हो ! (२) कांग्रेस से टूटे कांग्रेस के अंशों (तूणमूल / राष्ट्रवादी / अन्य) ने मिलकर I.N.D.I.A. गठबंधन बनाया, जो कांग्रेस की मूल भावनाओं के अनुरूप संविधान विरुद्ध कार्य (एक समुदाय विशेष के पक्ष मे) करके संविधान का अपमान कर रहे है ! (३) 2012 मे बनी पार्टी (आप) ने भी सत्ता सुख के लिए "आम आदमी" की बातेँ करके संविधान विरुद्ध कार्य (एक समुदाय विशेष के पक्ष मे) करके संविधान का अपमान कर रहे है ! (४) I.N.D.I.A. गठबंधन की इतनी पार्टियों को संविधान विरुद्ध कार्य करते हुए देखकर "मुस्लिम लीग" भी पीछे क्यों रहे ? इसलिए वह भी "हिन्दुओं के विरोध मे" खुलकर बोलकर संविधान विरुद्ध कार्य कर रही है, जो गलत है ! 【I.N.D.I.A. गठबंधन क्या संविधान विरुद्ध कार्य करके "हिन्दू - मुस्लिम एकता" व "संविधान के लिए खतरा" है ?】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(214) #17/12/24 #dineshapna








 

Sunday, 8 December 2024

★कड़वा है, परन्तु सच है !★ 【धर्म रक्षा = धर्म संरक्षण + अधर्म का नाश】 (१) लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने "सेवा कार्य" को ही धर्म माना और जनहित के कई कार्य किये ! हमें भी नाथद्वारा मन्दिर को "सरकारी नियंत्रण से मुक्ति" दिलाकर "सेवा कार्य" करना चाहिए और यह सेवा ही हमारा धर्म है ! (२) नाथद्वारा मे हुई विशाल धर्म सभा के मंचस्थ अतिथियों का धन्यवाद ! उनसे निवेदन है कि नाथद्वारा मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण होने से नगरपालिका मन्दिर की "जमीन लूट" रही है, अतः मन्दिर की लूटी हुई जमीन पुनः मन्दिर को दिलाने का प्रयास किया जाना चाहिए ! (३) नाथद्वारा मे हुई विशाल धर्म सभा के मंचस्थ अतिथियों का धन्यवाद ! उनसे निवेदन है कि नाथद्वारा मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण होने से मन्दिर के "धन को लूटा / दुरुपयोग" किया जा रहा है ! इस मन्दिर के धन की लूट / दुरुपयोग को तुरन्त रोका जाना चाहिए ! (४) नाथद्वारा मन्दिर को "सरकारी नियंत्रण से मुक्ति" का अभियान एक बृजवासी के द्वारा शुरू किया व जनता का भी समर्थन मिल रहा है ! नाथद्वारा मे हुई विशाल धर्म सभा के मंचस्थ अतिथियों से धर्म रक्षार्थ सहयोग की अपेक्षा है ! 【नाथद्वारा मे मन्दिर के धन व जमीन की लूट / दुरुपयोग ही "अधर्म" है ! अतः नाथद्वारा मन्दिर "सरकारी नियंत्रण से मुक्त" हो !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(213) #09/12/24 #dineshapna






 

★कड़वा है, परन्तु सच है !★ 【संविधान को हाथ मे लेने के साथ, उसे पढ़ें व समझे !】 (१) आप संविधान को हाथ मे लेकर जनता को बताने के साथ यह पढ़कर भी बताये कि इसमे हिन्दुओं व सनातन के विरुद्ध कौन कौन से संविधानिक प्रावधान है ? (२) आप व आपका परिवार अपने आपको हिन्दू / सनातनी बता रहा है तो यह बताये कि आपके परिवार ने कितने व कौन कौनसे संविधान विरुद्ध व हिन्दुओं के खिलाफ कानून बनाये ? (३) संविधान को बचाने के लिए आप बाते कर रहे है तो कृपया इसे पढ़कर यह बताये की आपके परिवार ने इसमें जो परिवर्तन किये, उससे हिन्दुओं व सनातनियों को कितना नुकसान हुआ है ? (४) आपके परिवार / कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना मे "धर्मनिरपेक्षता" शब्द जोड़ा है, अच्छी बात है ! तब क्या "धर्मनिरपेक्षता" के विरुद्ध बने संविधानिक प्रावधानों व कानूनों को क्यों नहीं हटाये ? ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(212) #08/12/24 #dineshapna




 

Thursday, 5 December 2024

★सक्षम, समृद्ध व वैज्ञानिक सनातन धर्म होने के बावजूद ऐसी दुर्दशा कुछ सनातनियों व विधर्मियों के कारण !★ (१) सर्वप्रथम कुछ सनातनियों के द्वारा गलत बनाये गये ◆संविधान की मूल भावनाओं के विपरीत संविधानिक प्रावधानों को बदले ! ◆संविधान विरुद्ध 30 काले कानून जो सनातन (हिन्दू) विरोधी है, उन्हें बदले ! ◆हिन्दू मन्दिरों को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करावे ! (२) कुछ सनातनियों के द्वारा पैदा किये ◆जातिवाद के जहर व भेदभाव को समाप्त करे ! ◆"सक्षम लोग" (राजा/नेता/मठाधीश/धर्म के ठेकेदार) व "आम जनता" सनातन के लिए एकजुट रहे, भाईचारा रखे व अन्य किसी के साथ मिलकर सनातन को नुकसान नहीं पहुँचाये ! क्योंकि इसकी मूल जड़ "सक्षम लोगों" के द्वारा किया जा रहा "अनीति व अन्याय" ही है ! (३) वर्तमान सभी सनातनी मिलकर इन "कन्वर्टेड मुसलमान" व "कन्वर्टेड ईसाई" को अपने पूर्वजों की ओर लोटाकर उन्हें मन व कर्म से पुनः सनातन (प्रेम/दया/भाईचारा/परोपकार/विश्व बन्धुत्व) की ओर लौटाये ! इसके लिए सामाजिक, राजनैतिक व संवैधानिक स्तर पर शीघ्र व ठोस कार्य हो ! (i) भारत में "कन्वर्टेड मुसलमान" है :- ●कुल मुसलमान : 22 करोड़ (2024 अनुमान) ●कन्वर्टेड मुसलमान : 17.60 - 19.80 करोड़ (80 - 90%) (ii) भारत में "कन्वर्टेड ईसाई" है :- ●कुल ईसाई : 3 करोड़ (2024 अनुमान) ●कन्वर्टेड ईसाई : 2.40 - 2.70 करोड़ (80 - 90%) (४) हम सनातनियों ने ही सनातन धर्म को नुकसान पहुँचाया है तो उसे सुधारने की जिम्मेदारी भी हमारी है ! इसके लिए हम प्रत्येक सनातनियों को व्यक्तिगत व सामुहिक स्तर पर आज से ही ●कार्य करने की आवश्यकता है और जो भी सनातन के लिए कार्य कर रहा है उसे ●सहयोग करना होगा ! हम से अलग हुए ●कन्वटेड को उनके पूर्वजों से मिलाना होगा ! हमें किसी भी स्थिति मे ●एकजुट रहना होगा व सनातन को ही सर्वश्रेष्ठ मानते हुए कार्य करना होगा ! 【★【मैने सनातन के लिए "नाथद्वारा मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति" का कार्य शुरू कर दिया है, आपका सहयोग अपेक्षित है !】★】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(211) #05/12/24 #dineshapna


 

Wednesday, 4 December 2024

★सक्षम, समृद्ध व वैज्ञानिक सनातन धर्म होने के बावजूद संविधानिक प्रावधान व कानून इसके विरुद्ध क्यों ?★ (१) लोकतंत्र मे बहुमत से निर्णय होते है तो भी बहुसंख्यकों के विरुद्ध "संविधानिक प्रावधान" बनाये गये ! ◆संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है, किन्तु सनातनीयो (हिन्दुओं) को नहीं ! ◆संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 के तहत धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी शैक्षणिक संस्थाएं स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने का अधिकार है, किन्तु बहुसंख्यकों (हिन्दुओं) को नहीं ! ◆भारतीय संविधान की प्रस्तावना में "धर्मनिरपेक्ष" (Secular) शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से जोड़ा गया था, जो बहुसंख्यकों (हिन्दुओं) के विरुद्ध ! (२) भारतीय संविधान के तहत सभी कानूनों को संविधान के साथ संगत होना चाहिए, लेकिन समय-समय पर "कुछ कानूनों" को संविधान के मूल सिद्धांतों जैसे समानता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ माना जाता है। जो सनातनियों (हिन्दुओं) के विरुद्ध है ! ◆हिन्दू धार्मिक ट्रस्ट और चैरिटेबल एन्ड रिलीफ एक्ट (HR&CE Act) 1951 ◆मध्य प्रदेश सार्वजनिक धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम, 1951 (Madhya Pradesh Public Trust Act, 1951) ◆राजस्थान पब्लिक ट्रस्ट एक्ट, 1959 (Rajasthan Public Trust Act, 1959) ◆राजस्थान देवस्थान नियम, 1973 (Rajasthan Devasthan Rules, 1973) ◆"प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991" ◆वक्फ अधिनियम, 1954 (Waqf Act, 1954) व बाद में संशोधित कर वक्फ अधिनियम, 1995 ◆नाथद्वारा मन्दिर मण्डल एक्ट, 1959 ◆तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1959 (Tamil Nadu Hindu Religious and Charitable Endowments Act, 1959) ◆मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरिया कानून), 1937 ◆कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 (Karnataka Hindu Religious Institutions and Charitable Endowments Act, 1997) ◆श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद अधिनियम, 2019 ◆उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, 2019 (Uttarakhand Char Dham Devasthanam Management Act, 2019) ◆श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड अधिनियम, 1986 (Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board Act, 1986) ◆आंध्र प्रदेश धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1987 (Andhra Pradesh Charitable and Hindu Religious Institutions and Endowments Act, 1987) ◆श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड अधिनियम, 2000 (३) सनातन धर्म का केन्द्र है हिंदू मंदिर ! इसलिए उन पर विशेष कानून बनाकर "सरकारी नियंत्रण" किया गया, जबकि अन्य धर्मों (जैसे मस्जिदों और चर्चों) के धार्मिक स्थलों पर यह नियंत्रण नहीं है ! जो अनुच्छेद 14 (समानता) और अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है ! हिन्दू मन्दिरों पर सरकारी नियंत्रण होने से ◆आय का दुरुपयोग ! ◆जमीन व सम्पत्तियों की लूट ! ◆प्रबंधन में धार्मिक समुदाय की भागीदारी मे कमी ! ◆पारदर्शिता की कमी व भ्रष्टाचार मे वृद्धि ! (४) सनातन धर्म के विरुद्ध संविधानिक प्रावधान व कानून बनाने के लिए "जिम्मेदार" है - ◆डर या लालच से बदले सनातनी ! ◆सक्षम व स्वार्थी सनातनी ! ◆सेकुलर व डरपोक सनातनी ! ◆कुछ मठाधीश व धर्म के ठेकेदार ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(210) #04/12/24 #dineshapna


 

Tuesday, 3 December 2024

★सक्षम, समृद्ध व वैज्ञानिक सनातन धर्म होने के बावजूद सनातन से धर्म परिवर्तन क्यों ?★ (१) सनातन धर्म में ●जाति व्यवस्था का कठोर रूप से पालन, भेदभाव और छुआछूत ने समाज के निचले तबके को हतोत्साहित किया ! कई बार इन वर्गों को समानता और सम्मान पाने के लिए अन्य धर्मों की ओर आकर्षित होना पड़ा, जैसे बौद्ध धर्म, इस्लाम और ईसाई धर्म ! ●आर्थिक और शैक्षिक असमानता के कारण गरीब और अशिक्षित वर्ग को अन्य धर्मों ने आर्थिक सहायता, शिक्षा और चिकित्सा सुविधा देकर अपनी ओर खींचा ! सनातन धर्म के अनुयायी कई बार इन वर्गों की मदद करने में असमर्थ रहे ! ●सनातन धर्म मे अपने रूढ़िवादी विचारों को सुधारने में देरी की, जैसे कि महिलाओं और दलितों के प्रति भेदभाव ! (२) धर्मगुरुओं और नेतृत्व की कमी के कारण ●सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में समय पर नेतृत्व और सुधार का अभाव रहा ! धर्म को अधिक समावेशी बनाने की कोशिशें देर से शुरू हुईं। ●अज्ञानता और आध्यात्मिक ज्ञान का अभाव के कारण सनातन धर्म के गूढ़ सिद्धांतों और वेदों-उपनिषदों की शिक्षा को जन-जन तक नहीं पहुँचाया गया ! इसके विपरीत, अन्य धर्मों ने सरल और सुलभ तरीके से अपने सिद्धांतों का प्रचार किया ! (३) धार्मिक कट्टरता और आक्रामक धर्मांतरण के कारण ऐतिहासिक रूप से, (★धन से, ★बल से व ★धोखे से) इस्लामी आक्रमणों और ब्रिटिश शासन के दौरान जबरन धर्म परिवर्तन के कई उदाहरण मिलते हैं ! मिशनरियों द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के माध्यम से ईसाई धर्म का प्रचार भी धर्मांतरण का बड़ा कारण बना ! (४) सनातन से धर्म परिवर्तन रोकने के लिए (★आम जनता को व ★नेतृत्वकर्ताओ को) ●जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव समाप्त करना ! ●समाज के कमजोर वर्गों की सेवा और उन्हें समान अधिकार देना ! ●धर्मगुरुओ के नेतृत्व को सक्रिय और प्रगतिशील बनाना ! ●सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को सरल भाषा में प्रचारित करना ! ●आध्यात्मिकता और विज्ञान के बीच संतुलन बनाकर युवाओं को धर्म से जोड़ना ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(209) #03/12/24 #dineshapna


 

Monday, 2 December 2024

★सनातन धर्म सक्षम, समृद्ध व वैज्ञानिक होने के बावजूद हम गुलाम क्यों रहे ?★ (१) कुछ सनातनी लोगों (आम / जनता) की गलतियों, कमजोरियों और परिस्थितियों के कारण हम गुलाम रहे ! ★आंतरिक विघटन - जाति-व्यवस्था का कठोर रूप, भेदभाव, और समाज में एकता की कमी ने हमें कमजोर किया ! ★सामूहिक उदासीनता - धर्म के गहन सिद्धांतों को समझने और उनका पालन करने के बजाय, कई लोगों ने केवल रूढ़ियों का पालन किया ! (२) कुछ सनातनी लोगों (खास / राजा) की गलतियों के कारण हम गुलाम रहे ! ★सामरिक दुर्बलता - सनातन धर्म के अनुयायी आत्मज्ञान और आध्यात्मिकता पर अधिक ध्यान केंद्रित करते रहे, जबकि कई बार सैन्य और राजनीतिक कौशल में पिछड़ गए ! हमारे पास महान योद्धा और राजा तो थे, लेकिन कई बार रणनीतिक एकता की कमी रही ! ★बाहरी आक्रमण - अरब, तुर्क, मुगल, और ब्रिटिश जैसे आक्रमणकारियों ने हमारी कमजोरियों का लाभ उठाया ! उन्होंने न केवल हमारे भौतिक संसाधनों को लूटा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को भी नुकसान पहुंचाया ! ★विदेशी षड्यंत्र और धोखा - बाहरी शक्तियों ने हमारे समाज को विभाजित करने के लिए षड्यंत्र रचे और उनकी ‘फूट डालो और राज करो’ नीति ने हमें और कमजोर किया ! (३) सनातन धर्म की कमजोरी नहीं है, बल्कि इसे सही रूप से समझने और लागू करने की आवश्यकता है ! ■ एकता और समरसता बढ़ानी होगी ! ■ आधुनिक विज्ञान और सैन्य कौशल में पारंगत होना होगा ! (४) सनातन धर्म अपनाने के साथ आत्मसात भी करे ! ■ धर्म के गहन और वैज्ञानिक पक्ष को समझकर रूढ़ियों से बचना होगा ! ■ संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हुए उनमें समयानुकूल सुधार करना होगा ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(208) #02/12/24 #dineshapna


 

Thursday, 28 November 2024

★सनातन धर्म को कुछ विशेष गुण और सिद्धांत से इसे अनूठा, बहुआयामी और सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं !★ (१) सनातन धर्म शाश्वत और सार्वभौमिक हैं ! यह प्रकृति और मानव अस्तित्व के अनन्त सत्य पर आधारित है ! यह न केवल मनुष्यों, बल्कि सभी प्राणियों और प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना विकसित करता है। सनातन धर्म में आध्यात्मिकता और विज्ञान का समन्वय है ! वेदों और उपनिषदों में वर्णित कई सिद्धांत, जैसे ब्रह्मांड की उत्पत्ति, पंचतत्त्व, और चिकित्सा विज्ञान, आधुनिक विज्ञान से मेल खाते हैं ! सनातन धर्म व्यक्तिगत "आत्मा" और "परमात्मा" के बीच संबंध को समझने पर जोर देता है ! यह मोक्ष (आत्मा का परमात्मा से मिलन) को जीवन का अंतिम लक्ष्य मानता है ! (२) सनातन में "सर्व धर्म समभाव" का सिद्धांत है, जो सभी धर्मों और मतों को सत्य का विभिन्न रूप मानता है ! इसमें "एकं सत् विप्राः बहुधा वदन्ति" (सत्य एक है, किंतु विद्वान इसे अलग-अलग रूपों में वर्णित करते हैं) का दर्शन है! सनातन धर्म में प्रकृति सूर्य, वायु, जल, अग्नि, और पृथ्वी को पंचतत्व के रूप में माना जाता है, जिनसे सृष्टि का निर्माण हुआ है ! सनातन धर्म में मानव जीवन के चार मुख्य उद्देश्य है ●धर्म (नैतिकता और कर्तव्य) ●अर्थ (आर्थिक संपन्नता) ●काम (सांसारिक सुख) ●मोक्ष (आध्यात्मिक मुक्ति) यह संतुलित और पूर्ण जीवन जीने का मार्ग दिखाता है ! (३) सनातन ज्ञान का स्रोत है ! इसमें वेद, उपनिषद, गीता, महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथ न केवल धार्मिक बल्कि जीवन के हर पहलू पर गहन ज्ञान प्रदान करते हैं ! भागवत गीता जैसी पुस्तकें जीवन के जटिल प्रश्नों के उत्तर सरल और व्यावहारिक रूप से देती हैं ! सनातन धर्म में कोई अनिवार्य नियम या एकरूपता नहीं है ! यह व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत प्रवृत्ति और क्षमता के अनुसार धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता देता है ! यह धर्म लचीला है और आधुनिकता के साथ संतुलन बनाए रखने में सक्षम है ! (४) सनातन धर्म न केवल एक धर्म है, बल्कि जीवन जीने की एक शैली और दर्शन है ! इसकी व्यापकता, वैज्ञानिकता, और मानवता के प्रति प्रेम इसे विशेष बनाते हैं ! यह धर्म मानव जीवन को न केवल आध्यात्मिक ऊँचाई पर पहुँचाता है, बल्कि उसे प्रकृति और समाज के प्रति जिम्मेदार भी बनाता है ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(207) #28/11/24 #dineshapna


 

Saturday, 23 November 2024

★सनातन मे शास्त्र व शस्त्र दोनों का समन्वय व अद्वितीय महत्त्व है !★ 【दोनों ही मानव जीवन, समाज व धर्म की रक्षा के लिए आवश्यक !】 (१) "शास्त्र" शास्त्र का अर्थ है कि ज्ञान और धर्म के नियम ! यह धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक जीवन जीने के मार्गदर्शक है ! इसमें ●धार्मिक मार्गदर्शन, ●ज्ञान का स्त्रोत, ●नैतिकता व ●मानव विकास के बारे मे विस्तार से बताया गया है ! (२) "शस्त्र" का अर्थ है कि हथियार ! इसका उपयोग धर्म, न्याय और सत्य की रक्षा के लिए किया जाता है ! इसमे ●धर्म की रक्षा, ●न्याय की स्थापना, ●रक्षा व आत्मरक्षा का माध्यम है ! (३) सनातन मे "शास्त्र व शस्त्र दोनों" का समन्वय है इसलिए हमारे सभी देवता व भगवान शास्त्र के साथ शस्त्र भी धारण करते है ! "शास्त्र" ज्ञान देता है और बताता है कि शस्त्र का उपयोग कब और कैसे करना है ! "शस्त्र" संरक्षण करता है और बताता है कि शास्त्र की मर्यादा और ज्ञान को सुरक्षित रखने के लिए शस्त्र की आवश्यकता होती है ! (४) भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए "शास्त्र और शस्त्र" दोनों का प्रयोग किया ! सनातन धर्म में "शास्त्र" हमें जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं, वहीं "शस्त्र" उस मार्ग की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं ! दोनों मिलकर धर्म, न्याय और सत्य की रक्षा करते हैं, जो एक संतुलित और समृद्ध समाज का निर्माण करते हैं ! 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(206) #23/11/24 #dineshapna


 

Friday, 22 November 2024

★सनातन व संविधान समानांतर है ! संविधान के अनुरूप ही कानून बने !★ 【"संविधान अनुरूप कानून बने" अभियान की शुरुआत"】 (१) भारतीय संविधान के अनुसार भारत एक "धर्म निरपेक्ष" देश है तो कानून किसी एक धर्म के विरुद्ध व दूसरे धर्म के पक्ष मे नहीं बनना चाहिए ! किन्तु भारत मे संविधान के विरुद्ध कानून है जो ●हिन्दू विरोधी 30 काले कानून बनाये गये, अतः ऐसे कानूनों को तुरन्त निरस्त किया जाये ! और इसके विपरीत ●विशेष धर्म / सम्प्रदाय के पक्ष मे एक तरफा विशेष कानून बनाये गये है, जो गलत है ! अतः उन कानूनों को भी तुरन्त निरस्त किया जाये ! (२) भारतीय संविधान में "समानता का अधिकार" (Right to Equality) एक मौलिक अधिकार है, जिसे संविधान के भाग III में अनुच्छेद 14 से 18 के तहत शामिल किया गया है ! अतः संविधान के अनुरूप ही सभी कानून व नियम होने चाहिए ! किन्तु हिन्दुओं के विरुद्ध 30 काले कानून बना रखे है जो असंवैधानिक है, तो उन कानूनों को तुरन्त निरस्त किया जाये ! (३) भारतीयों को "समानता" के अधिकार से वंचित करने वाले व्यक्तियों / नेताओं / पार्टियों / सरकारों को चिन्हित करके उन्हें आम जनता के सामने "संविधान के दुश्मन" के रूप मे प्रमाणित किया जाये ! न्यायालय उक्त चिन्हित करने का कार्य स्व संज्ञान से 2024 मे करें व 2025 मे ऐसे कानूनों / नियमों को सरकार निरस्त करें ! उसके बाद ही हम सभी विभिन्न धर्मों (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई व अन्य) के मानने वाले प्रेम व भाईचारे के साथ "एक भारतीय" बन कर रह सकेंगे ! (४) आम जनता संविधान विरुद्ध कानून बनाने वाले व्यक्तियों / नेताओं / पार्टियों / सरकारों का खुलकर विरोध करे, बहिष्कार करें व उन्हें वोट भी नहीं दे ! हकीकत मे जो संविधान व हिन्दुओं के विरुद्ध है, वह किसी काम का नहीं है ! संविधान के अनुरूप ही कानून बनाने के लिए आन्दोलन करें ! 【हिन्दू राष्ट्र बनाने से पूर्व सभी संविधानिक भारतीय बने !】 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(205) #22/11/24 #dineshapna


 

Thursday, 21 November 2024

★सनातन का मूल है "एकता" ! किन्तु "कुछ सनातनी" है एकता के दुश्मन !★ 【एकता मे कमी का कारण है ●स्वयं ●दूसरे 】 (१) "कुछ सनातनी" मे एकता की कमी है ! यदि वह "सक्षम लोग" (राजा / धन के ठेकेदार / धर्म के ठेकेदार) है जो इतना अन्याय करते है कि पिडित सनातनी मजबूरी मे अन्य व्यक्ति / अन्य धर्म के साथ चला जाता है ! इसके अतिरिक्त "सक्षम लोग" लोभ / लालच / अंहकार के कारण अपनो के ही दुश्मन बन जाते है ! (२) "कुछ सनातनी" मे एकता की कमी है ! यदि वह "आम लोग" (प्रजा / असक्षम) है तो डर से या लालच से अन्य व्यक्ति / अन्य धर्म के साथ चले जाते है ! (३) वर्तमान मे भारत मे जो भी समस्या या लडाई हो रही है उसके पिछे "कुछ सनातनी" ही है जो 200 वर्ष या 1000 वर्ष पूर्व धन या डर से अपना धर्म परिवर्तन किया था ! यदि वह इस तथ्य को समझ जाये व एकता के कार्य करने लग जाये तो सभी समस्याओं का अन्त हो सकता है ! उदाहरण है - इण्डोनेशिया ! (४) आजकल भी "कुछ सनातनी" जो सक्षम या आम लोग है, वह भी 1000 वर्ष पुरानी गलती (एकता की कमी) कर रहे है ! वह यदि अपने 1000 वर्ष पुराने पूर्वजों को याद करके उनकी गलतियों को दोहराये नहीं ! जैसे आजकल "सेकुलर" बनकर सनातन का विरोध करने व अधर्म का साथ देने की गलती कर रहे हैं ! अतः वह पद / धन के लोभ - लालच मे नहीं आये व "कुछ" पुनः "शेष" मे मिलकर "कुल सनातनी" बन जाये तो सभी समस्याओं का अन्त हो जायेगा ! इसके लिए अपनी "पूजा पद्धति" बदलना आवश्यक नहीं है ! जैसे इण्डोनेशिया वाले कर रहे है ! [अतः हमे केवल सत्य व सनातन को आत्मसात करते हुए लोभ, लालच, मोह, अंहकार व धोखा को छोड़ना होगा !] 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(204) #21/11/24 #dineshapna


 

Monday, 18 November 2024

★सनातन के दुश्मन / खतरा है "कुछ सनातनी" से ही !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) "कुछ" सनातनीयो ने "तलवार" के डर से अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म को ग्रहण किया ! आज कल यह "कुछ सनातनी" ही हमारे सबसे बड़े दुश्मन है,जो गलत हैं ! (२) "कुछ" सनातनीयो ने "धन / पैसो" के लोभ से अपना धर्म छोड़कर अन्य धर्म को ग्रहण किया ! आज कल यह "कुछ सनातनी" ही हमारे सबसे बड़े दुश्मन है,जो गलत हैं ! (३) "कुछ" सनातनीयो को धोखा देकर / गलत इतिहास बताकर / अन्धविश्वासी बनाकर / गुरुकुल समाप्त करके / जातियों मे बाँटकर व आपस मे गलतफहमी पैदा करके हमारे ही दुश्मन बनाये व हमें भ्रमित भी कर रहे है, जो गलत हैं ! (४) "कुछ" सनातनीयो ने गद्दारी की / हिन्दू विरोधी कानून बनाये व अन्याय सहन करने के कारण सनातन धर्म को कमजोर करने का असफल प्रयास किया व कर रहे है, जो गलत है ! अब हम "शेष" सनातनीयो को इतिहास से शिक्षा लेकर, अपनी गलतियों को सुधारने के साथ, हमें एकजुट होने की आवश्यकता है ! 【श्रीकृष्ण बनोगे, तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(203) #18/11/24 #dineshapna


 

Sunday, 17 November 2024

★सनातन मे एकता, विश्वबन्धुत्व, शान्ति व सुखी जीवन के लिए कार्य !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) सनातन मे "एकता व विश्वबंधुत्व" के लिए सभी व्यक्तियों के अपने अपने विचार / मान्यताओं का सम्मान किया, उसके लिए 33 कोटि / प्रकार के देवताओ व सभी वनस्पतियों व जीव जन्तुओं को देवताओं के वाहन / काम के अनुसार सम्मान दिया गया ! उसके साथ ही धर्म /सम्प्रदाय/जाति से ऊपर उठकर विश्व कल्याण की उद्देश्य से कार्य किया ! इससे सनातन सदा से व प्राचीन धर्म के साथ सर्वश्रेष्ठ धर्म है ! (२) सनातन धर्म जानता है कि यदि हमे "शान्ति व सुखी जीवन" जीना है तो पूरे विश्व के व्यक्तियो / धर्मो / सम्प्रदायों के बीच मे समरसता व प्रेम होना चाहिए तथा इसके लिए ही सनातन विश्वबंधुत्व व विश्व शान्ति की बात करता है ! (३) सनातन मे सभी तथ्य सत्य, सही व वैज्ञानिक है किन्तु उन्हें विश्लेषन करके नहीं बताने से अज्ञानी लोग उसे अन्धविश्वास मानने लगे ! सनातन मे वर्ण व्यवस्था काम करने के आधार पर थी किन्तु बाद मे उसे जाति व्यवस्था मे बदलकर अलगाव पैदा कर दिया गया ! मुगलों व अंग्रेजों ने हमे गुलाम बनाने के लिए हमारी एकता व संस्कृति को नष्ट करने के लिए भ्रम फैलाये व गुरुकुलों को नष्ट किया ! अफसोस कि हम उनके चक्कर मे आकर, हम स्वयं ही सनातन के दुश्मन बन गये ! (४) आजादी के बाद भी काले अंग्रेजों ने भी हमारे इतिहास, शिक्षा पद्वति व संस्कृति को नष्ट करना चालू रखा और हम फिर भी चुप रह रहे है, जो गलत है ! अभी भी हम सनातन के विरोधियों को वोट देकर हमारे ही दुश्मन बढ़ा रहे है, जो गलत है ! 【बँटोगे तो कटोगे !】 【श्रीकृष्ण बनोगे तो आनन्द मे रहोगे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(202) #17/11/24 #dineshapna


 

Wednesday, 13 November 2024

★सनातन को "अधुरा नहीं", पूरा पढे ! केवल पढे ही नहीं, उसे "आत्मसात" भी करें !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) श्रीराम की "मर्यादाओं" को याद रखते है, तो उनके "धनुष" को भी भूले नहीं ! (२) श्रीकृष्ण की "मुरली" को याद रखते है तो उनके "सुदर्शन चक्र" को भी भूले नहीं ! (३) "अहिंसा परमो धर्मः" ! को अधुरा नहीं पढे, "धर्म हिंसा तथैव च:" ! को भी पढे व पूरे कथन को आत्मसात भी करें ! (अर्थात् :- अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है !) (४) "धर्मो रक्षति रक्षितः" को पढने के साथ उसके अनुसार कर्म भी करें तथा उसे आत्मसात भी करें ! (अर्थात् "धर्म की रक्षा" करने पर, वह (धर्म) रक्षा करने वाले की रक्षा करता है ! दूसरे शब्दों में :- "रक्षित धर्म" रक्षक की रक्षा करता है !) ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(201) #13/11/24 #dineshapna


 

Tuesday, 12 November 2024

★सनातन मे चारों युगों मे अच्छे व बुरे लोग कहाँ कहाँ रहते थे !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) "सतयुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "अलग अलग लोक" मे रहते थे ! 【देवता इन्द्र स्वर्ग लोक व राक्षस बलि पाताल लोक मे !】 (२) "त्रेतायुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "एक ही लोक" मे रहते थे ! 【श्रीराम व रावण पृथ्वी लोक मे !】 (३) "द्वापरयुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "एक ही परिवार" मे रहते थे ! 【युधिष्ठिर व दुर्योधन एक ही परिवार मे !】 (४) कलयुग मे अच्छे लोग व बुरे लोग एक ही व्यक्ति मे रहते है ! 【देश को स्व घोषित आजादी दिलाने वाले व कुछ नेता एक ही व्यक्ति मे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(200) #12/11/24 #dineshapna


 

Sunday, 10 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 [श्रीकृष्ण बने ! जनहित के लिए एक बने !] (१) आम जनता भारत के लोकतंत्र मे "राजा" होता है, किन्तु उसे "बन्धुआ मजदूर" बना रखा है ! उसे केवल "वोट व नोट" देने वाला बना रखा है ! उसे नेताओं को "वोट" देने, अधिकारियों को "नोट" देने व सक्षम लोगों के "नोट व श्रम" देने वाली मशीन बना रखा है ! इसके बावजूद उसे अपना कार्य करवाने के लिए नेताओं व अधिकारियों के सामने "भीख" माँगनी पडती है क्योंकि काम तो सक्षम लोग / नेता / अधिकारी के ही कार्य होते है ! उसे न्याय के लिए उक्त व्यक्तियो के साथ न्यायालय के चक्कर लगाने पड़ते है ! (२) इसके विपरीत "कुछ नेता / अधिकारी / सक्षम लोग" आम जनता व सरकारी धन / सम्पत्तियों को लूटते व लूटाते है व भ्रष्टाचार करते है ! इसके साथ ही धन व पद के प्रभाव से न्याय को भी प्रभावित करके आम जनता के साथ अन्याय करते है ! (३) अतः आम जनता को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने की जरूरत है ! एक रहने के साथ अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की आवश्यकता है ! (४) इसके लिए प्रत्येक गाँव / वाडँ स्तर पर संगठन बनाकर समस्याओं / अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की जरूरत है व स्वयं को "श्रीकृष्ण" बनने की जरूरत है ! ★आम जनता को जाति, समाज, धर्म व राजनैतिक पार्टीयो से ऊपर उठकर •जनहित को सर्वोपरि मानते हुए •एकता के साथ कार्य करना होगा !★ ■इसके लिए मै तैयार हूँ, आपका क्या निर्णय है ?■ ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(199) #10/11/24 #dineshapna






 

Saturday, 9 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) सक्षम लोग (धन से, पद से, नेताओं के सम्बंध से, व्यापार से) सक्षम बनते है ! यह आम जनता के द्वारा धन / वोट / टैक्स देने के कारण व अन्याय सहन करके चुप रहने के कारण ऐसा सम्भव होता है ! (२) धन से सक्षम बनने के लिए कुछ लोग व्यापार मे बैंक से लोन लेते है तो कुछ लोग बिक्री से कमाई करते है, भ्रष्टाचार करते है, टैक्स चोरी करते है, सरकारी सम्पत्ति लूटते है, मिलावट करते है, कानून विरुद्ध कार्य करते है व आदि ! इन सभी के पिछे धन व सम्पत्ति का योगदान तो केवल आम जनता का ही होता है ! (३) आम जनता वोट देकर नेताओं को पद देते है किन्तु कुछ नेता धन लूटने के लिए अपने आस पास के कुछ व्यक्तियों को रखते है ! ऐसी स्थिति मे उक्त कुछ व्यक्तियों का उद्देश्य धन कमाना है जो आम जनता के हक को हड़प के "सक्षम लोग" बन जाते है और आम जनता को लूटते है ! (४) अतः कुछ सक्षम लोग आम जनता से धन / वोट लेकर नेताओं / अधिकारियों के साथ मिलकर आम जनता को ही लूटते है ! कुछ सक्षम लोग एकजुट होकर आम जनता के असंगठित होने व चुप्पी का फायदा उठाकर लूटते व लूटाते है ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(198) #09/11/24 #dineshapna


 

Wednesday, 6 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) आम जनता नोट (टैक्स) देती है उस टैक्स के धन से ही "अधिकारियों" को वेतन मिलता है जिससे उनका घर खर्च चलता है ! इसके साथ ही अधिकारियों को नौकरी मिलने के साथ "जनहित" के कार्य करने की सपथ दिलाई जाती है किन्तु हकीकत मे कुछ अधिकारी "जनहित" के स्थान पर "स्वहित" या नेताओं के हित या सक्षम लोगों के हित के कार्य करते है ! जनहित के कार्य केवल दिखावा मात्र के लिए करते है ! (२) "कुछ अधिकारी" स्वहित / नेताओं के हित / सक्षम लोगों के हित के कार्य 80% करते है, और आम जनता के हित के कार्य केवल 20% ही करते है ! जबकि आम जनता कुल आबादी की 99% है और नोट (टैक्स) के रुप मे 80% से ज्यादा धन देती है, इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष टैक्स शामिल है ! (३) आम जनता को यह बताया जाता है कि सरकारी टैक्स भुगतान मे 50% से ज्यादा हिस्सेदारी "सक्षम लोग" (कारपोरेट / बडे व्यापारीयो) की है जो पूर्णतः गलत है ! क्योंकि भारत मे टैक्स भुगतान मे 90% योगदान अप्रत्यक्ष टैक्स व 10% प्रत्यक्ष टैक्स का होता है ! और यह भी प्रमाणित है कि अप्रत्यक्ष टैक्स (GST) का अन्तिम भुगतान उपभोक्ता (ग्राहक) के द्वारा ही किया जाता है और अन्तिम उपभोक्ता आम जनता ही है जो 99% है, तो इस प्रकार पूरे देश का अप्रत्यक्ष टैक्स (GST) का हकीकत मे भुगतान "आम जनता" ही करती है ! केवल प्रत्यक्ष टैक्स (आयकर) का भुगतान ही सक्षम लोगों के द्वारा किया जाता है ! इसके अतिरिक्त "सक्षम लोग" (कारपोरेट / बडे व्यापारी) अपने व्यापार के लिए धन की व्यवस्था भी "कम्पनी शेयर या बैंक से लोन या सब्सिडी" लेकर ही करते है, और इसमे भी 80% धन आम जनता का ही होता है ! (४) अतः सरकारी अधिकारियों को अब यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि जो वेतन आपको मिलता है उसमे 99% धन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आम जनता का ही है ! तो काम भी प्रमुखता व प्राथमिकता से "आम जनता" का ही करना चाहिए ! जिस दिन "आम जनता" को उक्त तथ्य समझ आ जायेगा तब भारत जैसे लोकतंत्र मे आम जनता "राजा" बन जायेगी ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(197) #06/11/24 #dineshapna


 

Tuesday, 5 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) आम जनता वोट देकर जनप्रतिनिधि (नेता) चुनती है कि वह "जनहित" के लिए कार्य करे ! किन्तु हकीकत मे "कुछ नेता" ●"स्वहित" के लिए, ●सक्षम लोगों के लिए, व ●अधिकारियों के लिए ही कार्य करते है क्योंकि इनसे प्राप्त धन व शक्ति से ही चुनाव जीतते है ! इसके विपरीत आम जनता के लिए केवल दिखावे के कार्य करते है जिससे वह अगली बार पुनः वोट ले सके ! कुछ नेता आम जनता से वोट लेकर सक्षम लोगों के लिए कार्य करके धन व सम्पत्ति लूटाते है ! इसके साथ ही स्वयं के लिए धन व सम्पत्ति अधिकारियों के माध्यम से लूट का भ्रष्टाचार करते है ! (२) "कुछ नेता" वोट के लिए "विशेष धर्म / सम्प्रदाय" को खुश करने के लिए संविधान विरुद्ध कानून बनाते है ! उनको आश्रय देकर वोट लेते है और आम जनता के हितों के विपरीत कार्य करते है ! (३) "कुछ नेता" सरकारी संसाधनों (जमीन, खनिज, धन) को लूटने के साथ, अधिकारियों व सक्षम लोगों को लूटाते भी है जिससे उनसे धन (चन्दा) या वोट ले सके ! इस प्रकार आम जनता से "वोट व नोट (टैक्स)" लेकर आम जनता के साथ अन्याय करते है ! (४) "कुछ नेता" जो "◆देश को बाँटकर, आजादी दिलाने वाली पार्टी ◆देश को जोडकर, सनातन को बचाने वाली पार्टी ◆खास को छोड़कर, आम आदमी के लिए काम करने वाली पार्टी ◆सत्ता के लिए, देशहित के विरुद्व कार्य करने वाली पार्टीयो मे है ! अर्थात् सभी राजनैतिक पार्टियों मे ऐसे "कुछ नेता" होते ही है ! "शेष नेता" उक्त पार्टियों मे अच्छे व देश व देशवासियों के हित के कार्य कर रहे है ! इसी कारण व न्यायपालिका के कारण थोड़ा बहुत आम जनता के कार्य हो रहे है ! ●अतः प्रत्येक पार्टी मे से "शेष नेताओं" को जोडकर कार्य करें तो देश व देशवासियों का भला हो सकता है !● ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(196) #05/11/24 #dineshapna


 

Thursday, 31 October 2024

★अन्नकूट व अहंकार मर्दन दिवस पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【प्रकृति पूजा व इन्द्र के अहंकार मर्दन कर आमजनता को सन्देश !】 (१) इन्द्र देवता ने अपने कार्य (वर्षा कराने) के बदले अपनी पूजा कराने से अहंकार हो गया था जबकि वर्षा तो गोवर्धन पर्वत व उन पर उगे पेड़ों (प्रकृति) के कारण होती है ! इसलिए श्रीकृष्ण ने आमजनता को "व्यक्ति पूजा" के स्थान पर "प्रकृति पूजा" का सन्देश दिया ! (२) अन्नकूट पर्व का अर्थ है "अन्न" यानी चावल और "कूट" यानी ढेर ! इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के अन्न और भोजन के ढेर से सजाया जाता है और उनकी (श्रीकृष्ण व गोवर्धन) की पूजा की जाती है ! (३) वर्तमान मे भी कुछ नेता / अधिकारी / सक्षम लोगों को इन्द्र जैसा अहंकार हो रहा है कि हम व हमारे कार्यों से ही आमजनता का जीवन यापन है, इसलिए आमजनता उनकी "पूछ या पूजा" करें, जो गलत है ! यह ही उनका अहंकार / लूट / भ्रष्टाचार है ! (४) जबकि हकीकत यह है कि आमजनता के लिए जो भी कार्य किये जाते है, वह सभी धन आमजनता ही देती है ! नेता / अधिकारी / सक्षम लोग केवल आमजनता के कार्यों को करते है और उसके बदले मे पारिश्रमिक लेते है ! इसके बावजूद उक्त लोग पारिश्रमिक के अलावा आमजनता से झूठ / भ्रष्टाचार / लूट करके अतिरिक्त धन (भ्रष्टाचार) करके अपनी पूजा करा रहे है ! यह उक्त कार्य "इन्द्र जैसा अहंकार" करने जैसा है ! आमजनता समझे कि अब इनके अहंकार का मर्दन करने के लिए श्रीकृष्ण का इन्तजार करने के स्थान पर आमजनता को स्वयं गोवर्धन पर्वत को उठाना होगा अर्थात् "विरोध की आवाज" व "कानून की किताब" को उठाना होगा ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(195) #01/11/24 #dineshapna


 

★दीपावली व राष्ट्रीय एकता दिवस पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【भगवान श्रीराम के "विजयोत्सव" के साथ राष्ट्रीय "एकता दिवस" पर एकजुट हो !】 (१) ◆भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास व लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने की खुशी मे मनाया जाता है ! ◆भगवान श्रीविष्णु के नरसिंह अवतार व ◆श्रीलक्ष्मी माता के जन्मदिन के रूप मे मनाया जाता है ! (२) दीपावली का मतलब है 'दीपों की पंक्ति' और इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है ! इसके साथ ही यह त्यौहार एकता का सन्देश भी देता है ! अनेक दीपक के पंक्तिबध्द होकर "एकता" से प्रकाश पूँन्ज ! सभी व्यक्ति सामूहिकता के साथ मनाकर "एकता" का सन्देश देते है ! (३) इस 2024 मे सुखद अवसर है कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्रता के बाद भारत की 562 रियासतों का एकीकरण कर एक सशक्त और अखंड भारत की नींव रखी थी। उनके इसी योगदान से 31 अक्टूबर को उनके जन्मदिन को "राष्ट्रीय एकता दिवस" के रूप में मनाकर लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना है ! (४) अतः 2024 की दीपावली पर ◆भगवान श्रीराम के आगमन ◆भगवान श्रीविष्णु के नरसिंह अवतार ◆श्रीलक्ष्मी माता के जन्मदिन ◆सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन ! को ●आध्यात्मिक एकता, ●सांस्कृतिक एकता, ●आर्थिक एकता ●राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप मे मनाने के साथ हम स्वयं भी शेष 364 दिन सभी सनातनी एकजुट रहे ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(194) #31/10/24 #dineshapna


 

Wednesday, 30 October 2024

★रुप चतुर्दशी व नरक चतुर्दशी पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【भगवान वामन व श्रीकृष्ण की पूजा करने के साथ भगवान के किये कार्यो को स्वयं करे !】 (१) "सतयुग" में भक्त प्रहलाद के पौत्र हुए थे दैत्यराज बलि ! राजा बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया तो सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के पास मदद मांगने पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवमाता अदिति के यहां "वामन" अवतार लेकर देवताओं को भय मुक्त किया ! (★रुप चतुर्दशी को दिये जलाये !) (२) "द्वापरयुग" मे भगवान "श्री कृष्ण" ने अत्याचारी, दुराचारी व दु्र्दांत असुर "नरकासुर" का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कराके उन्हें सम्मान प्रदान किया था ! (★नरक चतुर्दशी को दिये जलाये !) (३) "कलयुग" मे हम सतयुग व द्वापरयुग से आजतक हम दिये जला कर श्री विष्णु के दोनो अवतारो "वामन" व "श्रीकृष्ण" की पूजा करके यह बताया जा रहा है कि ●दैत्यराज "बलि" से मुक्ति दिलाकर "देवताओं को भय मुक्त किया व ●दुराचारी दु्र्दांत असुर "नरकासुर" मे 16100 कन्याओं को भय मुक्त किया ! इसलिए हम "कलयुग" मे "वामन भगवान" व "श्रीकृष्ण भगवान" की पूजा करने के साथ उनके चरित्र को भी आत्मसात करे ! अधर्म /अनीति करने वालों को नाश करने के लिए श्री विष्णु के अवतार लेने का इन्तजार करने के स्थान पर स्वयं आगे आकर "कानून का हथियार" उठाकर अधर्म /अनीति करने वालों का नाश करें ! (★भगवान वामन व श्रीकृष्ण ने अधर्म /अनीति का नाश किया !) (४) "कलयुग" मे व्यक्ति को क्या करना है ? उसका सन्देश "द्वापरयुग" मे ही "महाभारत" मे अर्जुन को गीता का उपदेश देकर स्पष्ट कर दिया कि अधर्म / अनीति का नाश तुम स्वयं को ही करना है, भगवान श्रीकृष्ण तो केवल मार्गदर्शक व सारथी मात्र है ! इसके साथ यह भी सन्देश दिया कि अधर्म / अनीति पर चलने वाला भले ही आपका भाई, पितामह, सगे- सम्बन्धी व गुरु भी क्यों न हो ? आपको अधर्म / अनीति करने वालों से युद्ध करना है ! यह तुम्हारा कर्म है, उसे बिना फल / परिणाम की ईच्छा रखें करना है ! (★स्वयं ही अधर्म /अनीति का नाश करे !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(193) #30/10/24 #dineshapna


 

Tuesday, 29 October 2024

★धनतेरस व आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【●धन के साथ आरोग्य मिले ! ●इसके लिए "मिलावट" करना छोड़े ! ●प्रार्थना /पूजा के साथ स्वयं अपने मे बदलाव करें !】 (१) सनातन धर्म मे "धन" व "आरोग्य" दोनो ही देवी व देवता की पूजा इसलिए की जाती है कि व्यक्ति को जीवन मे धन व आरोग्य दोनों की एक साथ आवश्यकता है ! केवल धन ही कमाते रहेंगे और स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेगे, तो वह धन भी किसी काम का नहीं रहेगा ! (२) किन्तु वर्तमान मे व्यक्ति केवल "धन" कमाने की अन्धी दौड़ मे लगा हुआ है कि वह स्वास्थ्य का भी ध्यान नहीं रखता है तो ऐसा धन किस काम का ! व्यक्ति तो इससे भी नीचे गिर गया है कि "मिलावट" खाद्य पदार्थों, दवाइयों व अन्य सभी मे करके दूसरों का भी स्वास्थ्य खराब कर रहा है ! इस प्रकार "धन" कमाने मे स्वयं का व "मिलावट" करके दूसरों का स्वास्थ्य खराब करके धन कमा रहा है, तो ऐसा "धन" किस काम का है ? (३) इससे भी ज्यादा वर्तमान मे "मिलावट" दो प्रकार से कर रहा है :- ◆ खाद्य पदार्थों मे मिलावट से "शारिरिक स्वास्थ्य" खराब कर रहा है ! ◆ व्यवहार मे मिलावट से "मानसिक स्वास्थ्य" खराब कर रहा है ! इस प्रकार दोनों (शारिरिक व मानसिक) तरह से व दोनों (स्वयं व दूसरे व्यक्तियो) का शरीर का स्वास्थ्य खराब करके धन कमा रहे है, जो गलत है ! (४) अतः आज धनतेरस व आरोग्य दिवस पर भगवान धन्वंतरि जयंती पर हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि व धन सहित स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करने के साथ स्वयं "मिलावट" नहीं करने का संकल्प ले ! ऐसा करने पर ही हमें "धन" व "आरोग्य" दोनों मिलेंगे ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(192) #29/10/24 #dineshapna


 

Monday, 28 October 2024

★सत्य (सही) को सत्य (सही) व झूठ (गलत) को झूठ (गलत) कहे !★ 【सनातन धर्म (पूरी दुनिया के लिए) व भारतीय संविधान (केवल देश के लिए) है !"】 (१) "सनातन धर्म" एक सुखी, आदर्श व सह अस्तित्व के साथ जीवन जीने की पद्वति है ! "जीयो और जीने दो" का उद्देश्य है ! इसमें प्रेम, शान्ति, सहयोग व सह अस्तित्व के लिए अपने धर्म के साथ दूसरे धर्म / प्रकृति / पशु पक्षियों का भी सम्मान किया जाता है इसलिए "वसुदेव कुटुम्ब" व "सर्वे भवन्तु सुखिनः" का सन्देश व सिद्धांत है ! अतः "सनातन धर्म" पूरी दुनिया के लिए व हित मे मान्य व स्वीकार्य है ! (२) इसके विपरीत "अन्य मजहब / सम्प्रदाय" की मान्यता का क्षेत्र सीमित है ! जैसे :- इस्लाम भी प्रेम, शान्ति, सहयोग व भाईचारा की बात तो करते है किन्तु वह सभी केवल अपने इस्लाम मजहब के लोगों तक ही सीमित है और अन्य धर्म / मजहब / सम्प्रदाय के लोगों से नफरत के साथ उन्हें समाप्त करने की बात करते है जो गलत है ! क्योंकि इस्लाम के अनुसार अल्लाह एक है तो उन्होंने ही हिन्दू व अन्य मजहब के लोगों को जन्म दिया है तो उनसे नफरत व उन्हें मिटाने की बात करना गलत होकर अल्लाह के कार्य मे रुकावट डालना है !इसलिए इस्लाम की मान्यता सीमित होने के साथ भारतीय संविधान के भी विपरीत है ! जैसेकि "नींबू मे यदि बीज नहीं होता तो नींबू अमृत हो जाता" ! उसी प्रकार इस्लाम मे से "अन्य धर्मों से नफरत" नामक "एक बीज" नहीं हो तो यह इस्लाम भी "अमृत के समान सर्वजनहिताय" हो सकता है ! (३) भारतीय संविधान भी बहुत अच्छा है किन्तु उसमें भी "एक बीज" यह है कि जनप्रतिनिधियों / नेताओं ने "संविधान के विपरीत कानून" बना रखे है, जो गलत है ! यदि उक्त बीज को हटा दिया जाये तो "भारतीय संविधान व उनके कानून" भी "अमृत के समान सर्वजनहिताय" हो सकते है ! (४) "सनातन धर्म", "इस्लाम" व "भारतीय संविधान" मे उक्त "एक असमानता" (एक बीज) के अलावा अन्य मुख्य ग्यारह (11) समानताएं है ! जैसे :- 【"सनातन धर्म" मे ●एक सर्वशक्तिमान ईश्वर, ●धर्म कर्तव्य, ●कर्म, ●आत्मा, ●जन्म मरण का चक्र, ●वेद व शास्त्र, ●योग, ●भक्ति, ●उपासना, ●दान, ●परोपकार आदि है !】 【"इस्लाम" मे ●एक सर्वशक्तिमान अल्लाह (तौहीद), ●धर्म पैगम्बर मे विश्वास (नबूवत), ●कर्म (अल्लाह के बताये कार्य), ●आत्मा (पुनर्जीवित किया जाना), ●परलोक मे विश्वास (आख़िरत) ●ईश्वरीय ग्रंथ (कुरआन), ●योग(अल्लाह के समक्ष अर्ज), ●प्रार्थना (नमाज़), ●उपवास (रोज़ा), ●दान (ज़कात), ●तीर्थयात्रा (हज) आदि है !】 【"भारतीय संविधान" मे ●एक सर्वशक्तिमान संविधान, ●संविधान प्रदत्त कर्तव्य, ●सभी के अधिकार व कार्य, ●संविधान देश की आत्मा, ●संविधानिक संस्थाओं का कानूनी चक्र, ●कानून व नियम, ●संविधान की रक्षा व समीक्षा के लिए न्यायालय, ●प्रत्येक नागरिक को पालन करना आवश्यक, ●संविधान / कानून मे नवीन या परिवर्तन की कानूनी प्रक्रिया, ●कानून की पालना व कार्य के लिए न्यायालय व कार्यपालिका , ●जनहित मे जनप्रतिनिधियों के द्वारा कानून बनाना व परिवर्तन करना आदि है !】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(191) #28/10/24 #dineshapna