Wednesday, 17 September 2025

★ *भारत क्यों बना पराधीन?* ★ राज्य-राज्य में *बंटा हुआ* भारत, एकता का दीप न जल सक *स्वार्थ-लाभ* की अंधी दौड़ में, भाई-भाई संग चल न सका। साम्राज्य भीतर कलह थी भारी, *विश्वासघात* का खेल चला, *संगठित शत्रु* बाहर से आए, धरती का वैभव सब लुटा। सैन्य-पद्धति रही *पुरानी*, वे *तोप-तलवार* संग आए, हम जूझते रहे परंपरा में, वे नई तकनीक अपनाए। *जाति, संप्रदाय, भाषा* के बंधन, समाज को कर गए कमजोर, *राष्ट्र-भावना* जब नहीं जागी, दुश्मन पा गए हर एक दौर। *“सोने की चिड़िया”* कहलाने वाली, समृद्धि का बना था जाल, *लालच में* आकर आक्रांताओं ने, भारत को कर दिया कंगाल। सीए दिनेश चन्द्र सनाढ्य #एक हिन्दुस्तानी (44) #17/09/25 #dineshapna





 

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