Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Sunday, 28 September 2025
★ *ब्रज लोकगीत की गूँज* ★ (१) आज संगम है *कला और संस्कृति का*, साहित्य की धरा पर लोक गान की शक्ति का। *ब्रजभूमि की स्मृति* यहाँ जीवंत हुई, रसधारा में हर मन प्रफुल्लित हुई। (२) *लंगुरिया की तान*, भजनों की मिठास, लोकध्वनि में छुपा है जीवन का विश्वास। *पक्षियों की बोली*, पशुओं की पुकार, धरती पर उतरा मानो संगीत का संसार। (३) दीपक की लौ संग *नाचे परंपरा पुरानी*, तरकस, *चाय नृत्य से सजी रंग महफ़िल सुहानी*। स्वर और वाद्य में *गूँजे ब्रज का इतिहास*, *कृष्ण की बांसुरी का अमर हो* उल्लास। (४) *ओमप्रकाश, बृजवासी, पुष्पेंद्र* की झंकार, अजीत-विवेक संग रचा अनुपम श्रृंगार। जन-जन तक पहुँचे यह अमूल्य निधि, *संस्कृति की थाती* रहे सदा अडिग। (५) *साहित्य-मंडल का मंच* बने गवाह, धरोहर की रक्षा का सब लें प्रण यहाँ। आओ मिलकर संकल्प करें यही, *लोकगीत-लोकनृत्य अमर रहें* सदा सभी। सीए दिनेश चन्द्र सनाढ्य #एक हिन्दुस्तानी (50) #29/09/25 #dineshapna
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