Wednesday 10 April 2024

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) जीवन का एकमात्र सह अस्तित्व के लिए आवश्यक तत्व है - "सेवा" (२) उस "सेवा" को प्राप्त करने हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है : - "तत्व" व "शब्द" ! अर्थात् एक सेवा भौतिक पदार्थ "तत्व" (अन्न, भोजन, पानी, आश्रय) देकर की जाती है, दूसरी सेवा बोलकर "शब्द" (विद्या, ज्ञान, विचार, आध्यात्मिक ज्ञान) के माध्यम से की जाती है ! (३) उस "सेवा" के तीन मुख्य कदम है : - "योग" , "भक्ति" व "ज्ञान" ! अर्थात् सेवा करने हेतु हमें "योग" (व्यक्तियों को व्यक्तिगत / मानसिक रुप से) जोड़ना होगा ! सेवा के लिए जनता जनार्दन / भगवान की "भक्ति" करनी होंगी ! अध्यात्मिक व सांसारिक सेवा करने के लिए हमें "ज्ञान" का उपयोग करना होगा ! (४) उस "सेवा" के लिए चार आवश्यक कार्य करने है : - "दान" , "कर्म" , "विचार" व "अधिकार" ! अर्थात् यदि हमारे पास धन / सम्पत्ति है तो "दान" देकर सेवा कर सकते है ! हम कर्म करके, विचारों का प्रसारण करके तथा जनता को उनके अधिकार दिलाकर सेवा का कार्य कर सकते है ! (५) उस "सेवा" के पाँच मुख्य केन्द्र है : - "अन्न" , "आश्रय" , "स्वास्थ्य" , "विद्या" व "आध्यात्मिक" ! अर्थात् हम अन्नक्षेत्र खोलकर, आश्रय स्थल बनाकर, स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन करके, विद्यालय खोलकर व आध्यात्मिक केन्द्र का संचालन करके जनता की सेवा का कार्य कर सकते है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(149) #10/04/24 #dineshapna










 

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