Friday 12 April 2024

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) जीवन का एकमात्र सुख व सफलता प्राप्त करने का स्त्रोत है - "स्वास्थ्य" (२) उस "स्वास्थ्य" को प्राप्त करने हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है : - "स्वयं" व "प्रकृति" ! अर्थात् स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए स्वयं को ही प्रयास करना होगा ! स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए हमें प्रकृति के अनुरूप ही जीवन जीना होगा व प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का ही ज्यादातर उपयोग करना चाहिए ! (३) उस "स्वास्थ्य" के तीन मुख्य कदम है : - "योग" , "नियम" व "आयुर्वेद" ! अर्थात् हमें स्वस्थ रहने के लिए योग, नियम व आयुर्वेद का उपयोग करना चाहिए ! (४) उस "स्वास्थ्य" के लिए चार आवश्यक कार्य है : - "आचरण" , "विचार" , "खानपान" व "वातावरण" ! अर्थात् हमें स्वस्थ्य रहने के लिए आचरण व विचार शुद्व रखने होगे तथा पौष्टिक खानपान के साथ अच्छा वातावरण भी रखना होगा ! (५) उस "स्वास्थ्य" के पाँच मुख्य चिकित्सा पद्वति है : - "स्पर्श" , "भोजन" , "एलोपैथिक" , "प्राकृतिक" व "आध्यात्मिक" ! अर्थात् हमे स्वस्थ रहने के लिए दैनिक जीवन मे व्यवस्थित कार्य हेतु स्पर्श व भोजन चिकित्सा पद्वति अपनानी होगी ! उसके बावजूद यदि बीमार होने पर शीघ्र स्वास्थ्य हेतु ऐलोपैथिक पद्वति अपनानी होगी ! किन्तु स्थाई रुप से, जड़ से व बिना साईड इफेक्ट के स्वास्थ्य लाभ लेने हेतु प्राकृतिक व आध्यात्मिक चिकित्सा पद्वति अपनानी होगी ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(151) #12/04/24 #dineshapna


 

No comments:

Post a Comment