Monday 1 June 2020

★बृजवासी व वल्लभ-कुल दोनों श्रीनाथजी की दो आँखें है व दोनों एक समान है !★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● (१)बृजवासी श्रीनाथजी के प्राकृट्य सन् 1409 से 611 वर्षो से सेवा कर रहे है "प्रेम" से व वल्लभ कुल सन् 1506 से 514 वर्षों से पूजा कर रहे है "ज्ञान" से ! (२)श्रीकृष्ण ने गीता के सन्देश मे कहा कि "ज्ञान योग" से "भक्ति योग'' श्रेष्ठ है ! अतः श्रीकृष्ण ने "प्रेम" को प्राथमिकता दी ! उन्होंने ग्वाल बाल, गोपीयों के "प्रेम" को अक्रूर जी के "ज्ञान" को हारते देखा है ! अर्थात् श्रीनाथजी भी वल्लभ कुल से ज्यादा बृजवासियों को प्राथमिकता देते है ! (३)किन्तु श्रीनाथजी ने "वल्लभाचार्य जी के प्रेम" के कारण उनके ज्ञान व "बृजवासियो के प्रेम" को समान रुप से स्वीकार किया ! (४)बाद मे, वर्तमान वल्लभ कुल "सेवा मे स्वार्थ" / "सेवा मे सम्पत्ति" / "सेवा मे स्वामित्व" को ज्यादा महत्त्व दे रहे है, इस कारण वल्लभ कुल ने "श्रीजी व उनकी सम्पत्तियों" पर अपना एकमात्र आधिपत्य बना लिया है ! ●●जबकि श्रीवल्लभाचार्य जी के आज्ञानुसार श्रीजी पर सबसे पहला अधिकार "बृजवासियों के प्रेम" का ही है ! (५)बृजवासी श्रीनाथजी से केवल प्रेम करते है तथा श्रीनाथजी भी बृजवासियों से प्रेम करते है ! दोनों के बीच मे "केवल प्रेम" है, किन्तु कुछ दशकों से दोनों के प्रेम के बीच "स्वार्थ व अन्याय" आ गया है, जो श्रीनाथजी को पसन्द नहीं है ! (६)इसलिए श्रीनाथजी ने "98 दिन का लाँकडाऊन" के माध्यम से यह स्पष्ट सन्देश दिया कि श्रीनाथजी की सेवा "प्रेम करने वाले बृजवासी" ही करने के अधिकारी है ! जो माया व लक्ष्मी की लालसा रखते है, उन्हें श्रीनाथजी अपने से दूर "माया नगरी" मे ही रखा ! (७)अतः समझदार को संकेत ही काफी है ! ●●अभी भी समझ जाये व बृजवासियों को श्रीवल्लभाचार्य जी जैसे "समान अधिकार" दे ! ★★जयश्रीकृष्ण★★ CA. Dinesh Sanadhya - 01/06/2020 www.dineshapna.blogspot.com






















































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