Sunday 21 June 2020

★१★सूर्यग्रहण V/S बोर्ड अधिक्रमण★१★ ★२★योग दिवस V/S मन्दिर मण्डल योग★२★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ■■◆◆◆◆◆◆◇◇◇◇१◇◇◇◇◆◆◆◆◆◆■■ ●●● सूर्य व पृथ्वी के बीच ●●● {चन्द्रमा} आने पर "सूर्यग्रहण" ! ●●● श्रीनाथजी व बृजवासियों के बीच ●●● {टेम्पल बोर्ड - सम्पूर्ण} आने पर "अधिक्रमण" ! 【सूर्यग्रहण व बोर्ड अधिक्रमण की व्याख्या】 ◆सूर्यग्रहण वर्ष मे 2 से 7 बार आता है ! किन्तु नाथद्वारा मन्दिर मे बृजवासीयो के अधिकारो पर अधिक्रमण करने हेतु बोर्ड मैम्बर्स अपनी ज्यादती वर्ष मे 365 दिन करते है, क्योंकि उन्होंने शुरुआत ही बृजवासियों के अधिकारो के अतिक्रमण से की ! ◆सूर्यग्रहण के कारण कुछ मिनटों के लिए पृथ्वी को सूर्य से विमुख होना पडता है ! किन्तु नाथद्वारा मन्दिर मण्डल के गठन 1959 से बोर्ड सदस्यों के चयन की अपरम्परागत पद्वति के कारण बृजवासियों को श्रीनाथजी से धिरे धिरे 365 दिन श्रीनाथजी से विमुख करने का प्रयत्न किया जा रहा है ! ◆सूर्यग्रहण प्रकृति के नियमों से संचालित होने के कारण करोड़ों वर्षो से कोई स्थाई व अन्यायपूर्ण नुकसान नहीं हो रहा है ! किन्तु नाथद्वारा मन्दिर मण्डल मे प्रकृति नियम के स्थान पर विधी नियम से बनाने के कारण , उसमें दोष पैदा हो जाते है या दोष पैदा कर दिये जाते है ! जैसे ना.म.म. सदस्यों का चयन महाराजश्री व सरकार के हाथ मे होने से उन्होंने अपने चहेते या लाभदायक व्यक्तियों का चयन किया तथा बृजवासियों को कोई स्थान नहीं दिया ! जबकि श्रीनाथजी की 611 वर्षो से निस्वार्थ सेवा करने वाले व श्रीवल्लभाचार्य जी से भी 97 वर्ष पूर्व से एकमात्र श्रीनाथजी की सेवा करने वाले बृजवासियों को बोर्ड मैम्बर्स नहीं बनाना प्राकृतिक नियम व परम्पराओं के विपरीत है ! ■■◆◆◆◆◆◆◇◇◇◇२◇◇◇◇◆◆◆◆◆◆■■ ●●●योग से ●तन, ●मन और ●आत्मा स्वस्थ्य होता है ! इससे बाहरी रोग व दोष दूर होते है, जिससे व्यक्ति व उसका जीवन सुखी व सम्पन्न होता है ! ●●●मन्दिर मण्डल योग के लिए ●बृजवासी, ●वल्लभ कुल और ●भगवती वैष्णव से ही व्यवस्था व सम्पत्ति रक्षा हो सकती है, इसलिए तीनो का योग हो, सभी का साथ व सम्मान हो ! 【योग दिवस व मन्दिर मण्डल योग की व्याख्या】 ◆योग मे तन स्वस्थ्य रखने के लिए आसन व व्यायाम करना चाहिए ! उसी प्रकार बृजवासियों को अपने अधिकारों को स्मरण कर अपने श्रीनाथजी से निस्वार्थ प्रेम की शक्ति जागृत करनी होगी ! उनको अपने पूर्वजों के त्याग व बलिदान को याद कर, उसके लिए तैयार होना होगा ! बृजवासियों ने मुगलों, होल्कर व अन्य आक्रमणकारियों से रक्षा की है तो अब बृजवासियों को स्वघोषित वैष्णवों, नेताओं व अन्य बदनीयत व स्वार्थी व्यक्तियों से रक्षा करनी होगी ! ◆योग मे मन को स्वस्थ्य रखने के लिए प्राणायाम करना चाहिए ! उसी प्रकार श्रीवल्लभाचार्य जी ने जैसे त्याग व समर्पण किया व बृजवासियों व भगवती वैष्णवों का सम्मान किया, उसी अनुसार वर्तमान वल्लभ कुल को आचरण करना चाहिए ! वर्तमान वल्लभ कुल प्रतिकूल आचरण कर रहा है ! जैसे मन अशुद्ध होने पर उसकी शुद्वि के लिए प्राणायाम किया जाता है ! उसी प्रकार वर्तमान वल्लभ कुल के श्वास को नियंत्रित कर प्राणायाम कराने की आवश्यकता है ! ◆योग मे आत्मा स्वस्थ्य रखने के लिए ध्यान व समाधि का अभ्यास करना चाहिए ! उसी प्रकार पुष्टि मार्ग मे वैष्णव आत्मा है ! किन्तु वर्तमान मे बोर्ड सदस्यों मे अत्यधिक मात्रा मे स्वघोषित वैष्णव है, जबकि 100 % केवल भगवती वैष्णव ही होने चाहिए ! जब बोर्ड सदस्यों मे भगवती वैष्णव व बृजवासी होगे, तभी मन्दिर की व्यवस्था मे सुधार व सम्पत्तियों की रक्षा सम्भव होगी ! ----------------------------------------------------------------------- ●इस प्रकार से ही मन्दिर मण्डल को स्वस्थ्य करने हेतु "मन्दिर मण्डल योग" से ही मन्दिर व्यवस्था मे सुधार होगा, तभी आज का "योग दिवस" मनाने की मन्दिर मण्डल के सन्दर्भ मे सार्थकता होगी ! ●वर्तमान मे यह जिम्मेदारी "बृजवासी" की है, क्योंकि वह ही श्रीकृष्ण के 'सखा है व निस्वार्थ प्रेम" करते है ! ----------------------------------------------------------------------- दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी - 21/06/2020 #सूर्यग्रहण #अन्तर्राष्ट्रीय_योग_दिवस #dineshapna






No comments:

Post a Comment