Monday 25 March 2019

आओ ! देखे ! जाने ! समझे ! ●●●●●●●●●●●●●●●●●● हमारे गौरव "पन्नाधाय पेरानोमा" कमेरी, राजसमन्द देखने का सौभाग्य मिला व जीवन धन्य हुआ ! ◆हम भी "बेटे" का नही, तो कम से कम "समय" निकालकर "बलिदान" को देखे जरूर ! •••••••••••••••••••••••••••••••••• ★पन्नाधाय कौन थी :- पन्ना धाय राणा सांगा के पुत्र राणा उदयसिंह की धाय माँ थीं। पन्ना धाय किसी राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं।वह गुर्जर परिवार से थी! अपना सर्वस्व स्वामी को अर्पण करने वाली वीरांगना पन्ना धाय का ससुराल कमेरी गाँव जिला-राजसमंद राजस्थान में गुर्जर परिवार में था। राणा साँगा के पुत्र उदयसिंह को माँ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना 'धाय माँ' कहलाई थी। पन्ना का पुत्र चन्दन और राजकुमार उदयसिंह साथ-साथ बड़े हुए थे। उदयसिंह को पन्ना ने अपने पुत्र के समान पाला था। पन्नाधाय ने उदयसिंह की माँ रानी कर्णावती के सामूहिक आत्म बलिदान द्वारा स्वर्गारोहण पर बालक की परवरिश करने का दायित्व संभाला था। पन्ना ने पूरी लगन से बालक की परवरिश और सुरक्षा की। पन्ना चित्तौड़ के कुम्भा महल में रहती थी। ★पुत्र का बलिदान :- चित्तौड़ (राजस्थान) का शासक, दासी का पुत्र बनवीर बनना चाहता था। उसने राणा के वंशजों को एक-एक कर मार डाला। बनवीर एक रात महाराजा विक्रमादित्य की हत्या करके उदयसिंह को मारने के लिए उसके महल की ओर चल पड़ा। एक विश्वस्त सेवक द्वारा पन्ना धाय को इसकी पूर्व सूचना मिल गई। पन्ना राजवंश और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग थी व उदयसिंह को बचाना चाहती थी। उसने उदयसिंह को एक बांस की टोकरी में सुलाकर उसे झूठी पत्तलों से ढककर एक विश्वास पात्र सेवक के साथ महल से बाहर भेज दिया। बनवीर को धोखा देने के उद्देश्य से अपने पुत्र चंदन को उदयसिंह के पलंग पर सुला दिया। बनवीर रक्तरंजित तलवार लिए उदयसिंह के कक्ष में आया और उसके बारे में पूछा। पन्ना ने उदयसिंह के पलंग की ओर संकेत किया जिस पर उसका पुत्र चंदन सोया था। बनवीर ने पन्ना के पुत्र को उदयसिंह समझकर मार डाला। पन्ना अपनी आँखों के सामने अपने पुत्र के वध को अविचलित रूप से देखती रही। बनवीर को पता न लगे इसलिए वह आंसू भी नहीं बहा पाई। बनवीर के जाने के बाद अपने मृत पुत्र की लाश को चूमकर राजकुमार को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए निकल पड़ी। स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना धन्य हैं! जिसने अपने कर्तव्य-पूर्ति में अपनी आँखों के तारे पुत्र चंदन का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया। ■■■■◆◆◆◆◆■■■■■ यह ही पन्नाधाय के त्याग व बलिदान की भूमि "मेवाड़" है ! ■■■■★★★★★■■■■ CA. Dinesh Sanadhya www.dineshapna.blogspot.in 24.03.2019













































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