Sunday 21 April 2024

★ आओ ! सनातन धर्म को समझे ! आत्मसात करें ! ★ ★ सनातन धर्म शाश्वत क्यों है ? ★ (१) सनातन धर्म शाश्वत है क्योंकि यह ●"प्रकृति"● से जुड़ा हुआ है और प्रकृति मे सजीव व निर्जीव / पेड़ - पौधे / पशु - पक्षी सभी सम्मलित है जो अपने स्थाई नियम (सन्तुलन व पूरक) के कारण प्रकृति अपने आप मे शाश्वत है ! प्रकृति (पदार्थ) केवल अपना रुप बदलती रहती है, कभी नष्ट नहीं होती है ! इसी के अनुरूप "सनातन धर्म" है जिससे यह शाश्वत है ! (२) सनातन धर्म शाश्वत है क्योंकि यह ●"सह - अस्तित्व"● के सिद्वांत पर आधारित है ! जिसमें यदि हमे अपना जीवन सुख व शान्तिमय बनाना है तो हमें स्वयं को जीने के साथ दूसरों को भी जीने देना चाहिए ! हम स्वयं जीये व प्रकृति (सजीव व निर्जीव) के साथ जीये ! (३) सनातन धर्म शाश्वत है क्योंकि वह ●"स्वयं मे परिवर्तन"● करने के सिद्वांत पर आधारित है ! यदि हम स्वयं का जीवन जीने के लिए दूसरे को बदलने की कोशिश करेंगे तो यह कठिन / असंभव कार्य होगा ! जबकि स्वयं को बदलना सरल कार्य होगा ! इसके लिए स्वयं मे परिवर्तन करने हेतु हमें सद्गुणों (आस्था, दया, सत्य, क्षमा) को अत्मसात करना होगा ! जिससे अपना व दूसरों का जीवन सुखमय बनेगा ! (४) सनातन धर्म शाश्वत है क्योंकि वह ●"आस्था व प्रेम"● के मूल सिद्धांत पर आधारित है ! इसमे एक सर्वशक्तिमान ईश्वर के अंश सभी देवता / सभी जीव / सभी इन्सान / प्रकृति व पंच तत्व है ! इनके प्रति हमे आस्था रखते हुए इनसे प्रेम करना है ! यदि हम उक्त सभी से आस्था के साथ प्रेम करेंगे तो हमारा जीवन सुखमय होगा ! अतः ऐसे आस्था मय प्रेम के कारण सनातन धर्म कभी नष्ट नहीं हो सकता है ! इसलिए सनातन धर्म शाश्वत है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(155) #21/04/24 #dineshapna



 

Saturday 20 April 2024

★ आओ ! सनातन धर्म को समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) "सनातन" का अर्थ है - 'शाश्वत' या 'सदा बना रहने वाला', अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त ! वैदिक काल से "सनातन धर्म" चला आ रहा है ! यह दुनिया का सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप मे जाना जाता है ! (२) हिंदू धर्म को सनातन धर्म के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ है "सही जीवन जीने का प्राचीन तरीका" ! हिंदू धर्म सभी स्थापित विश्वास प्रणालियों में सबसे पुराना और सबसे जटिल है ! हिंदू धर्म का कोई ज्ञात पैगंबर या एकल संस्थापक नहीं है ! (३) सनातन धर्म में "चार" नियम है, जिसे धारण करना ही धर्म कहलाता है ! पहला - आस्था (ईश्वर है) दूसरा - दया (सब जीवों में समान भाव) तीसरा - सत्य (कर्म से, वचन से और आचरण से शुद्ध होना) चौथा - क्षमा (अन्य को गलती पर माफ करना) ! (४) सनातन धर्म का मूल "वेद" हैं ! सर्वशक्तिमान ईश्वर के स्वयंभू ग्रंथ हैं ! जिनका लेखक कोई नहीं है, बल्कि वह ईश्वर से ईश्वर की अभिव्यक्ति हैं ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(154) #20/04/24 #dineshapna


 

Wednesday 17 April 2024

★ राम नवमी की शुभकामनाएँ ! ★ (१) श्रीराम की मर्यादा तो याद रह गई, किन्तु उनके धनुष को भूल गये ! (२) श्रीराम मन्दिर को सुन्दर तो बना दिया, किन्तु उसकी सुरक्षा को भूल गये ! (३) श्रीराम के रामराज्य की सुखद यादें तो याद रह गई, किन्तु उनके त्याग व परेशानियों को भूल गये ! (४) श्रीराम के चरित्र का चित्रण तो करते है, किन्तु उनके चरित्र को आत्मसात करना भूल गये ! *मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के जन्मोत्सव राम नवमी के पावन अवसर पर आपको व परिवार जनों को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ !* सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(153) #17/04/24 #dineshapna



 

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) जीवन का एकमात्र महत्वपूर्ण ईच्छा है - "सफलता" (२) उस "सफलता" को प्राप्त करने हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है : - "विचार" व "प्रयास" ! अर्थात् सर्वप्रथम हमे विचार लक्ष्य निर्धारण करते हुए कार्ययोजना बनानी होगी ! उसके बाद हमे लक्ष्य प्राप्त करने हेतु 100% शक्ति के साथ प्रयास करना होगा ! (३) उस "सफलता" के तीन मुख्य कदम है : - "लक्ष्य" , "नियम" व "तप" ! अर्थात् पहला कदम सफलता हेतु लक्ष्य निर्धारित करके नियमों की पालना करते हुए, तप करना है ! (४) उस "सफलता" के लिए चार आवश्यक कार्य है : - "प्रेम" , "प्रसन्नता" , "स्वीकार" व "त्याग" ! अर्थात् सभी से प्रेम करते हुए स्वयं को प्रसन्नचित रहना है ! उसके बाद हमे सभी व्यक्तियों / परिस्थितियों को स्वीकार करने के साथ त्याग भी करना होगा ! (५) उस "सफलता" के पाँच मुख्य सूत्र है : - "एकाग्रता" , "निरन्तरता" , "आत्मविश्वास" , "सहयोग" व "संस्कार" ! अर्थात् सफलता का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एकाग्रता रखते हुए, अपने प्रयासों मे निरन्तरता कायम रखनी होगी ! हमें स्वयं को आत्मविश्वास रखते हुए सभी का सहयोग लेना व अपने संस्कारों पर कायम रखते हुए सफलता प्राप्त करनी है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(152) #13/04/24 #dineshapna







 

Friday 12 April 2024

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) जीवन का एकमात्र सुख व सफलता प्राप्त करने का स्त्रोत है - "स्वास्थ्य" (२) उस "स्वास्थ्य" को प्राप्त करने हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है : - "स्वयं" व "प्रकृति" ! अर्थात् स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए स्वयं को ही प्रयास करना होगा ! स्वास्थ्य बनाये रखने के लिए हमें प्रकृति के अनुरूप ही जीवन जीना होगा व प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं का ही ज्यादातर उपयोग करना चाहिए ! (३) उस "स्वास्थ्य" के तीन मुख्य कदम है : - "योग" , "नियम" व "आयुर्वेद" ! अर्थात् हमें स्वस्थ रहने के लिए योग, नियम व आयुर्वेद का उपयोग करना चाहिए ! (४) उस "स्वास्थ्य" के लिए चार आवश्यक कार्य है : - "आचरण" , "विचार" , "खानपान" व "वातावरण" ! अर्थात् हमें स्वस्थ्य रहने के लिए आचरण व विचार शुद्व रखने होगे तथा पौष्टिक खानपान के साथ अच्छा वातावरण भी रखना होगा ! (५) उस "स्वास्थ्य" के पाँच मुख्य चिकित्सा पद्वति है : - "स्पर्श" , "भोजन" , "एलोपैथिक" , "प्राकृतिक" व "आध्यात्मिक" ! अर्थात् हमे स्वस्थ रहने के लिए दैनिक जीवन मे व्यवस्थित कार्य हेतु स्पर्श व भोजन चिकित्सा पद्वति अपनानी होगी ! उसके बावजूद यदि बीमार होने पर शीघ्र स्वास्थ्य हेतु ऐलोपैथिक पद्वति अपनानी होगी ! किन्तु स्थाई रुप से, जड़ से व बिना साईड इफेक्ट के स्वास्थ्य लाभ लेने हेतु प्राकृतिक व आध्यात्मिक चिकित्सा पद्वति अपनानी होगी ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(151) #12/04/24 #dineshapna


 

Wednesday 10 April 2024

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) जीवन का एकमात्र सह अस्तित्व के लिए आवश्यक तत्व है - "सेवा" (२) उस "सेवा" को प्राप्त करने हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है : - "तत्व" व "शब्द" ! अर्थात् एक सेवा भौतिक पदार्थ "तत्व" (अन्न, भोजन, पानी, आश्रय) देकर की जाती है, दूसरी सेवा बोलकर "शब्द" (विद्या, ज्ञान, विचार, आध्यात्मिक ज्ञान) के माध्यम से की जाती है ! (३) उस "सेवा" के तीन मुख्य कदम है : - "योग" , "भक्ति" व "ज्ञान" ! अर्थात् सेवा करने हेतु हमें "योग" (व्यक्तियों को व्यक्तिगत / मानसिक रुप से) जोड़ना होगा ! सेवा के लिए जनता जनार्दन / भगवान की "भक्ति" करनी होंगी ! अध्यात्मिक व सांसारिक सेवा करने के लिए हमें "ज्ञान" का उपयोग करना होगा ! (४) उस "सेवा" के लिए चार आवश्यक कार्य करने है : - "दान" , "कर्म" , "विचार" व "अधिकार" ! अर्थात् यदि हमारे पास धन / सम्पत्ति है तो "दान" देकर सेवा कर सकते है ! हम कर्म करके, विचारों का प्रसारण करके तथा जनता को उनके अधिकार दिलाकर सेवा का कार्य कर सकते है ! (५) उस "सेवा" के पाँच मुख्य केन्द्र है : - "अन्न" , "आश्रय" , "स्वास्थ्य" , "विद्या" व "आध्यात्मिक" ! अर्थात् हम अन्नक्षेत्र खोलकर, आश्रय स्थल बनाकर, स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन करके, विद्यालय खोलकर व आध्यात्मिक केन्द्र का संचालन करके जनता की सेवा का कार्य कर सकते है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(149) #10/04/24 #dineshapna










 

Monday 8 April 2024

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) जीवन का एक मात्र, महत्वपूर्ण व अन्तिम उद्देश्य आनन्द को प्राप्त करने के दो स्तम्भों मे से एक स्तम्भ है - "शक्ति" (२) उस "शक्ति" को प्राप्त करने हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है : - "अर्थ" व "अध्यात्म" ! अर्थात् बिना "अर्थ" के कोई भी शक्ति प्राप्त नहीं की जा सकती है ! जहाँ "अर्थ" की सीमाएं समाप्त हो जाती है, वहाँ "अध्यात्म" से शक्ति प्राप्त की जा सकती है ! (३) उस "शक्ति" को प्राप्त करने हेतु तीन मुख्य कदम चलने है : - "कर्म" , "भक्ति" व "ज्ञान" ! अर्थात् शक्ति प्राप्त करने हेतु हमें "कर्म" करना होगा तथा अध्यात्मिक शक्ति के लिए हमें "भक्ति" व "ज्ञान" का उपयोग करना होगा ! (४) उस "शक्ति" को प्राप्त करने हेतु चार आवश्यक कार्य करने है : - "लक्ष्य" , "परिश्रम" , "समर्पण" व "समाधि" ! अर्थात् हमे लक्ष्य निर्धारित करके परिश्रम करना होगा ! इसके साथ ही हमें ज्यादा शक्ति प्राप्त करने के लिए समर्पण से समाधि तक के कार्य करना होगा ! (५) उस "शक्ति" को प्राप्त करने के लिए पाँच मुख्य सूत्र है : - "स्वीकार" , "परिवर्तन" , "सन्तुलन" , "आत्मविश्वास" व "संगठन" ! अर्थात् हम किसी तथ्य को स्वीकार करने के साथ परिवर्तन के लिए तैयार है तो आसानी से शक्ति प्राप्त कर सकते है ! हमें संतुलित कार्य आत्मविश्वास के साथ संगठित होकर करना होगा ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(147) #08/04/24 #dineshapna


 

Friday 5 April 2024

★ LIFE MANAGEMENT ★ "जीवन प्रबन्धन" के 15 शब्दों के बाद अब 26 अंग्रेजी अक्षरों की ABC ...... से ...... XYZ तक ! A :- Accept the life as it is. B :- Balance the all works and situations of life. C :- Change in thoughts, speach and work for better life. D :- Do for others. E :- Equal the things for progress in life. F :- Fight for rights and serve to others. G :- God is One and at every where in the word. H :- Happyness from inside and have no cost. I :- I am something ; I do everything. J :- Joy is way & aim of life K :- Key factors of life is SELF & POWER. L :- Love is way of victory on enemy to almighty good. M :- Money is something but not everything. N :- Nothing is impossiable in life. O :- Opposite of life is not death. P :- Purity is our First right. Q :- Quit from bad One and accept the good One. R :- Respect the others views, acts and develop the forgiveness. S :- Soluation of any problem is in the roots of the problem. T :- Try, true and trust are diamonds of success in life. U :- Use of easily available things for better life. V :- Voice is First step to victory. W :- Word & work should be same for success in life. X :- Xerox never comes up with any thing original. Y : - Yes or no saying is best and shortcut way of success. Z : - Zero have ultimate value in life. सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(145) #05/04/24 #dineshapna






 

Wednesday 3 April 2024

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) जीवन का एक मात्र, महत्वपूर्ण व अन्तिम उद्देश्य "आनन्द" की प्राप्ति करना है ! (२) उस "आनन्द" को प्राप्त करने हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है : - "स्वयं" व "शक्ति" ! (३) उस "आनन्द" को प्राप्त करने हेतु तीन मुख्य कदम चलने है : - "संयम" , "समय" व "सत्य" ! (४) उस "आनन्द" को प्राप्त करने हेतु चार आवश्यक कार्य करने है : - "सद् विचार" , "सत्कर्म" , "सेवा" व "सत्संग" ! (५) उस "आनन्द" को प्राप्त करने मे आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु पाँच मुख्य सूत्र है : - "सजगता" , "सकारात्मकता" , "सन्तुलन" , "संगठन" व "संस्कार" ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(144) #03/04/24 #dineshapna






 

Tuesday 2 April 2024

★ आओ ! "जीवन प्रबंधन" को जाने ! समझे ! आत्मसात करें ! ★ (१) "जीवन प्रबंधन" मे व्यक्ति का एक मात्र, महत्त्वपूर्ण व अन्तिम उद्देश्य है - "आनंद" ! (२) उक्त "आनंद" का अर्थ दो दृष्टिकोण से अलग - अलग इस प्रकार है :- (i) "सांसारिक" दृष्टि मे "आनंद" का मतलब है - धन / सम्पत्ति / पद / प्रतिष्ठा प्राप्त करना है ! (ii) "आध्यात्मिक" दृष्टि मे आनंद का मतलब है - मोक्ष / ईश्वर की प्राप्ति करना है ! (३) जीवन मे एक मात्र, महत्वपूर्ण व अन्तिम उद्देश्य "आनंद" को प्राप्ति हेतु दो आधारभूत स्तम्भ है - "स्वयं" व "शक्ति" ! (४) "आनंद" को प्राप्त करना है तो "स्वयं" को ही प्रयास करना होगा तथा उसके लिए हमें "शक्ति" की आवश्यकता होगी ! (५) "आनंद" प्राप्ति हेतु "स्वयं" को निम्न छ: कार्य करने होगे - संयम, सत्कर्म, सद् विचार, सजगता, सकारात्मकता व सन्तुलन ! "शक्ति" की प्राप्ति निम्न छ: प्रकार से होगी - समय, सत्य, सेवा, सत्संग, संगठन व संस्कार ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(143) #02/04/24 #dineshapna