Tuesday 29 June 2021

★ Save Hindu Temples ★ मद्रास उच्च न्यायालय ने गांधी-नेहरू की सेक्कुलर विरासत की काली करतूतों को समाप्त करनेवाला महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया है.... विगत ७२ वर्षों में मस्ज़िदों तथा चर्चों की सम्पत्ति पर कोई नियन्त्रण न रखनेवाले सेक्कुलर शासकों ने जब चाहे तब "सार्वजनिक हित/उपयोग" के नाम पर हिन्दू मन्दिरों की हज़ारों एकड़ भूमि तथा करोड़ों-अरबों रुपयों पर कब्ज़ा किया था.... परन्तु अब मद्रास उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि किसी भी हिन्दू मन्दिर की सम्पत्ति पर "सार्वजनिक हित/उपयोग" का तर्क प्रभावी नहीं होगा तथा उन मन्दिरों की भूमि का न तो सरकार के द्वारा अधिग्रहण किया जा सकेगा, न अन्य किसी के द्वारा अतिक्रमण किया जा सकेगा और न ही ऐसी सम्पत्ति को बेचा या हस्तान्तरित किया जा सकेगा...! साथ ही यह स्पष्ट किया कि हिन्दु मन्दिरों की दान की आय का उपयोग केवल उसी मन्दिर के या अन्य किसी प्राचीन हिन्दु मन्दिर के रखरखाव तथा पूजाविधि में ही किया जाये...! फिर भी ऐसा धन बचता है तो उसका उपयोग संस्कृत एवं वेदविद्या से सम्बन्धित शिक्षा संस्थानों के लिये ही किया जा सकेगा, अन्य धर्मों के संस्थानों पर नहीं...! तामिलनाडु के प्राचीन हिन्दु मन्दिरों की लगभग ४७ हज़ार एकड़ "लापता" भूमि का भी उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से हिसाब माँगा है...! https://www.livelaw.in/top-stories/temple-lands-funds-madras-high-court-hrce-dept-ancient-monouments-175450 अपने २२५ पृष्ठों के विस्तृत निर्णय में मद्रास उच्च न्यायालय ने प्राचीन हिन्दु मन्दिरों की सुरक्षा एवं रखरखाव के विषय में ७५ निर्देश बिन्दुवार दिये हैं....! https://www.livelaw.in/pdf_upload/madras-high-court-temple-preservation-case-order-394737.pdf संयोग की ही बात है कि उच्च न्यायालय की ओर से स्वत: संज्ञान लेते हुए (suo moto) दावा दाखिल करनेवाले तत्कालीन न्यायाधीश संजय कृष्ण कौल वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश हैं...! देश के प्रधान उच्च न्यायालयों में से एक होने के कारण मद्रास उच्च न्यायालय का यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा निरस्त न होने की स्थिति में देश के सभी राज्यों में प्रभावी माना जा सकता है... और तदनुसार कर्नाटक सरकार ने प्रशंसनीय निर्णय लिया है कि राज्य के हिन्दु मन्दिरों की सम्पत्ति का अन्य धर्मों की संस्थाओं पर व्यय नहीं किया जायेगा...! https://www.livelaw.in/top-stories/temple-lands-funds-madras-high-court-hrce-dept-ancient-monouments-175450 https://www.thehindu.com/news/national/tamil-nadu/what-happened-to-47000-acres-of-missing-temple-land-hc-asks-tn-government/article34765670.ece



 

Monday 28 June 2021

★नाथद्वारा जनता के 5 यक्ष प्रश्न !★ (१)एलिवेटेड पुल के नीचे की जमीन NHAI की है तो नगरपालिका का उस पर कोई अधिकार नहीं है, तो दो वर्षों तक ठेला गाड़ी वालों से किराया कैसे व क्यों लिया ? (२)आईकोनिक गेट के बदले नगरपालिका ने पहले भी जमीन भामाशाह को दी थी, तो इस ऐलिवेटेड पुल के नीचे 2 करोड़ के सौन्दर्यीकरण के लिए कौनसी जमीन दी जायेगी ? (३)नाथद्वारा मे विकास व सौन्दर्यीकरण के बदले जमीन ही देने का नियम है, तो हम आम जनता द्वारा 2 करोड़ रु. देकर सौन्दर्यीकरण करने को तैयार है, तो हमे आप कौनसी जमीन दे रहे है ? (४)सैकड़ों को बेरोजगार करके, केवल एक व्यक्ति को रोजगार देने का मतलब विकास है, तो लोकतंत्र मे इस विकास को क्या कहेगे ? (५)आईकोनिक गेट के पास सौन्दर्यीकरण करने का लाभ केवल गेट स्वयं या पुल से गुजरने वालों को ही है, गाडँन की दिवारे ऊँची होने से आम जनता को कोई फायदा नहीं है और उल्टा पहले 50 व्यक्तियों को रोजगार मिलता था, अब इस कारण बेरोजगार हुए, तो अब क्या वैसा ही विकास होगा ? नाथद्वारा मे "विकास" जमीन के बदले ही भामाशाह कर रहे है, तो सरकार/नेताओ की क्या जरूरत है ? 【★विकास की ★नई परिभाषा】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #29/06/2021 #dineshapna



 

Sunday 27 June 2021

★नाथद्वारा मन्दिर के रखवाले !★ ★अब सोये नहीं, जाग जाये ! !★ नाथद्वारा मन्दिर की जमीन के रखवाले (बोर्ड मैम्बर्स, महाराजश्री व सरकारी अधिकारी) सही तरह से सम्भाल नहीं पाने के कारण मन्दिर की ऐतिहासिक ईमारतों को तोड़कर, पुनः पुरानी शैली से कार्य हो रहा है ! जबकि पुरानी, ऐतिहासिक व मजबूत ईमारतों को तोड़कर, पुनः निर्माण से धन का दुरुपयोग, ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान व बिना पार्किंग निर्माण से नुकसान हो रहा है ! (१)जब मजबूत दो मंजिला बड़ा बाजार स्कूल को तोड़कर, पुनः वैसी ही स्कूल बनाना था ! तो क्या यह मन्दिर के धन की बबार्दी नहीं है ? (२)जब वल्लभ विलास का मेन मार्केट मे निर्माण किया किन्तु समुचित पार्किंग व दुकानों के मार्केट का निर्माण नहीं किया गया ! तो क्या यह धन व जमीन की बबार्दी नहीं है ? (३)जब एक तरफ नगार खाने व प्रीतम पोल गेट का नवनिर्माण पुरानी मेवाड़ शैली से किया जा रहा है तो दूसरी तरफ क्यो पुरानी बड़ा बाजार व हाई स्कूल जैसी पुरानी, मजबूत व ऐतिहासिक धरोहर को तोड़ा जा रहा है ? तो क्या यह दोनों तरफ से धन की बबार्दी नही है ? (४)जब लक्ष्मी विलास धर्मशाला का नवनिर्माण भी बिना पार्किंग के किया जा रहा है, जबकि सेवा वालों व मन्दिर आने वालों को सुरक्षित व सुविधाजनक पार्किंग देने की जिम्मेदारी मन्दिर की ही है ! तो क्या यह नियम विरुद्ध निर्माण होकर धन की बबार्दी नहीं है ? सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी # 28/06/2021 #dineshapna







 

Saturday 26 June 2021

★नाथद्वारा मन्दिर के रखवाले !★ ★अब सोये नहीं, जाग जाये ! !★ नाथद्वारा मन्दिर की जमीन के रखवाले (बोर्ड मैम्बर्स, महाराजश्री व सरकारी अधिकारी) सही तरह से सम्भाल नहीं पाने के कारण मन्दिर की जमीनो पर अतिक्रमण, अवैध बेचान व हथियाने का कार्य हो रहा है ! जब श्रीनाथजी (नाबालिग बालक) मन्दिर की जमीन किसी भी प्रकार से बेची नहीं जा सकती है तो अतिक्रमण करने वालो या अवैध हस्तांतरण करने वालों से DLC दर या बाजार दर से किराया वसूल करना चाहिए तथा प्रति दो वर्ष मे किराया वृद्धि करनी चाहिए ! (१)जब मद्रास हाईकोर्ट मन्दिर की जमीन पर अतिक्रमण करने वालो से किराया वसूल सकती है तो राजस्थान हाईकोर्ट क्यों नहीं ? (२)जब सरकार के नियंत्रण मे मन्दिर बोर्ड है तो सरकार भी ऐसा कानून क्यों नहीं बना सकती है ? (३)जब बोर्ड मैम्बर्स व महाराजश्री अपनी जमीनो पर अतिक्रमण नहीं होने देते है तो मन्दिर की जमीनो पर अतिक्रमण क्यों होने दे रहे है ? (४)जब सरकारी अधिकारी लाखो रुपये वेतन लेते है तो अपनी जिम्मेदारी जमीन सुरक्षा करके क्यों नहीं निभा रहे है ? सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी # 27/06/2021 #dineshapna








 

Friday 25 June 2021

आवाज उठाने की ताकत नहीं है, तो आवाज उठाने वालों की ताकत बनो ! ◆वर्ना आने वाली नस्लें गूंगी हो जाएंगी.... ----- हिन्दुओं जयश्रीराम ! ◆सरकार मन्दिर को अपने नियंत्रण मे लेकर लूट रही है, क्योंकि जिम्मेदार मूक दर्शक है .... ------ बृजवासियों जयश्रीकृष्ण ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी - एक बृजवासी #25/06/2021 #dineshapna #shreenathji



 

नाथद्वारा जनता के 5 यक्ष प्रश्न ? (१)यदि दिल्ली, भीलवाड़ा जाने वाली बसो को न.पा. की लालबाग स्थित जमीन पर ही स्थानांतरित करना है तो पहले बने हुए लालबाग बस स्टैण्ड की जमीन को बेचकर, बस स्टैण्ड निर्माण मे करोड़ों रु. बबार्द क्यों किये ? (२)ऐलिवेटेड पुल के निचे की जमीन NHAI की है तो न.पा. उसका कैसे व किस उद्देश्य से उपयोग करेगी ? (३)जब माडल बस स्टैण्ड मे बसो के लिए ही पर्याप्त स्थान उपलब्ध नहीं है, तो सभी ओटो के लिए पर्याप्त स्थान कैसे उपलब्ध होगा ? (४)वर्तमान बस स्टैण्ड पर आईकॉन गेट के नाम पर जमीन बबार्द की जा सकती है तो यहाँ रोजगार के लिए प्राप्त सुविधाओं को क्यों हटाया जा रहा है ? (५)फुटकर सब्जी विक्रेताओं को थोक सब्जी विक्रेताओं के साथ स्थानांतरित करने पर आम जनता को फुटकर सब्जी खरीदने मे कैसे सुविधा होगी ? सीए. दिनेश सनाढ्य - जिलाध्यक्ष आम आदमी पार्टी, राजसमन्द - 25/06/2021 #dineshapna



 

Sunday 20 June 2021

★"योग दिवस" पर {5} योग करके स्वयं को निरोगी बनाये ! ★"चुनौती दिवस" पर {5} चुनौतीयो का सामना करके श्रीनाथजी मन्दिर को भी निरोगी बनाये ! 【(१)मन्दिर पर बढ़ता सरकारी नियंत्रण ! (२)मन्दिर की जमीन व धन का दुरुपयोग !(३)वल्लभाचार्यजी के सिद्धांतों की पालना नहीं ! (४)पुष्टिमार्ग की परम्पराओं की पालना नहीं ! (५)श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की पालना नहीं !】 ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● नाथद्वारा श्रीनाथजी मन्दिर की 5 चुनौतियाँ :- (१)मन्दिर पर बढ़ता सरकारी नियंत्रण ! (i)सरकारी अधिकारियों के वेतन व अन्य खर्च बढ़ने के बावजूद कोई फायदा नहीं ! क्योंकि सम्पदा व कृषि अधिकारी होने के बावजूद सम्पत्तियों का नुकसान व कृषि आय मे कोई वृद्धि नहीं ! (ii)सरकारी अधिकारी ज्यादातर समय सरकार का या सरकार के हित का कार्य करते है ! (iii)सरकारी हस्तक्षेप होने से मन्दिर को व्यापार बनाने की ओर अग्रसर हो रहे है ! जिससें धार्मिक आस्था व भावनाओं की कमी हो रही है ! (iv)समर्पित कर्मचारियों के स्थान पर ठेका पद्धति से कार्य होने के कारण बृजवासियों को रोजगार से वंचित होना पड़ रहा है ! (v)सरकारी हस्तक्षेप होने से भ्रष्टाचार, धार्मिक आस्थाओं के विपरीत कार्य, धन का दुरुपयोग, परम्पराओं को तोड़ना, नेताओं का अनावश्यक दखल व पारम्परिक कला / संस्कृति के ह्रास आदि की संम्भावनाएँ बढ़ेगी ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (२)मन्दिर की जमीन व धन का दुरुपयोग ! (i)मन्दिर की कई जमीन हाथ से निकल गई, इसका कारण बोर्ड सदस्यो की लापरवाही व महाराज श्री की नासमझी है ! जैसे भीलवाड़ा की जमीन, लालबाग बस स्टैण्ड की जमीन इत्यादि ऐसे कई जमीने है जिसका नुकसान मन्दिर को हुआ है व हो रहा है ! (ii)आय देने वाले पायगा काँटेज को तोड़कर केवल खर्चा बढ़ाने वाला वल्लभ विलास का निर्माण करना ! क्या धन व जमीन का दुरुपयोग नहीं है ? (iii)मन्दिर के होटल, धर्मशाला, दुकानों व अन्य निर्माणो मे पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं करना ! क्या जमीन व धन का दुरुपयोग नहीं है ! (iv)बड़ा बाजार जैसी मजबूत दो मंजिला स्कूल को तोड़कर, पुनः दो मंजिला स्कूल बनाना ! क्या धन का दुरुपयोग नहीं है ! (v)अनावश्यक निर्माण, अधिकारियों के वेतन, अत्यधिक अंकेक्षण फीस व हिसाब किताब के नाम पर खाना पूर्ति, बगीचे/जमीनों पर प्रभावी नियंत्रण/सदुपयोग नहीं होने से ! क्या धन/जमीन का दुरुपयोग नहीं हो रहा है ? ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (३)वल्लभाचार्यजी के सिद्धांतों की पालना नहीं ! (i)श्रीवल्लभाचार्य जी अपना सर्वश्व "श्रीनाथजी को समर्पण" करने व सेवा करने की आज्ञा दी, किन्तु आजकल स्वयं के साथ श्रीनाथजी का भी "स्वयं को अर्पण" करके सेवा कर रहे है ! (ii)श्रीवल्लभाचार्य जी ने कहा कि श्रीनाथजी "लौकिक कार्य की तरह" की गई सेवा अंगीकार नहीं करते है, भगवद् सेवा "भक्त का भाव" ही एकमात्र साधन है, किन्तु आजकल लौकिक कार्य की तरह ही सेवा कार्य हो रहा है ! (iii)श्रीवल्लभाचार्य जी ने "धर्म के लिए" तीन बार पृथ्वी परिक्रमा की, किन्तु आजकल "धन के लिए" मायानगरी की ही परिक्रमा करने के साथ स्थाई निवास भी बना लिया है ! (iv)श्रीवल्लभाचार्य जी ने केवल एक धोती मे ही अपना जीवन "श्रीनाथजी व जनकल्याण" के लिए अर्पण किया, किन्तु आजकल उन्हें धोती भर के धन "स्वयं के लिए" चाहिए ! (v)श्रीवल्लभाचार्य जी की अन्तिम शिक्षा जो उनके पुत्रों व वैष्णवो को दी, वह शिक्षा तो ग्रहण करनी चाहिए कि "जब तुम प्रभु से बहिँमुख हो जावोगे तब कलिकाल के प्रभाव मे रहने वाले तुम्हारे देह, मन इत्यादि निश्चित रुप से तुम्हारा नाश कर देगे," ऐसा मेरा मंतव्य है । ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (४)पुष्टिमार्ग की परम्पराओं की पालना नहीं ! (i)नाथद्वारा मन्दिर की निजसेवा ब्राह्मण धर्म का पालन करने वालों के द्वारा करने की परम्परा है, जो ब्रह्मसंबंध, जनेऊ, चोटी, तिलक, सात्विक, श्रृद्धा व समर्पण भाव रखे ! किन्तु वर्तमान मे मन्दिर मे ऐसा नहीं हो रहा है ! (ii)नाथद्वारा मन्दिर मे प्रसाद निर्माण पारम्परिक तरीकों से नहीं हो रहा है जैसे - लकड़ी की भट्टी, खरास वाली आटाचक्की व अन्य का पारम्परिक प्रयोग से ! जबकि जगन्नाथपुरी मन्दिर मे आज भी उसी परम्परागत तरीको से प्रसाद बनता भी है व बँटता भी है ! (iii)श्रीनाथजी की निजसेवा की परम्परा प्रथम रुप से बृजवासियों की थी किन्तु वर्तमान मे उसके विपरीत अन्य व्यक्तियों को निज सेवा का कार्य दिया गया ! (iv)श्रीनाथजी मन्दिर मे श्रीकृष्ण भण्डार का अधिकारी बृजवासी बनने की परम्परा व अधिकार है किन्तु वर्तमान मे अन्य व्यक्ति को बना दिया, जो गलत है ! (v)श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीनाथजी की सेवक / पुजारी के रुप मे सेवा करने की परम्परा थी तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी वल्लभ के वंशजों को "मुख्य पुजारी" ही माना है, किन्तु वर्तमान मे अपने आपको महाराजश्री / मठाधीश बना लिया है तथा श्रीनाथजी व उनकी सम्पत्तियों के भी मालिक बन रहे है, जो गलत है ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ (५)श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की पालना नहीं ! (i)श्रीनाथजी की "साक्षात् आज्ञा" मनुष्य के बनाये किसी भी विधान/नियम/कानून व वल्लभ कुल की आज्ञा से ऊपर है ! अतः उसका अक्षरश: पालन होना चाहिए तथा उसमे परिवर्तन या उसके विपरीत कोई भी आज्ञा मान्य नहीं है ! (ii)श्रीनाथजी ने सबसे पहले सन् 1478 (वि.सं.१५३५) को श्रीसद्दू पाण्डे जी (सनाढ्य) को "दूध भोग व निजसेवा" की "साक्षात् आज्ञा" दी ! (iii)श्रीनाथजी ने उसके बाद धर्मदास बृजवासी व अन्य बृजवासियों को "गाय दान, खेलने, सुरक्षा व अन्य सेवा कार्य" करने की "साक्षात् आज्ञा" दी ! (iv)श्रीनाथजी ने सन् 1492 (वि.सं.१५४९) "स्वप्न आज्ञा" श्रीवल्लभाचार्य जी को दी कि श्रीगिरिराज पधारकर "सेवा प्रकार" प्रकट करे ! तदुपरान्त श्रीवल्लभाचार्य जी सन् 1506 (वि.सं.१५६३) श्रीसद्दू पाण्डे जी के घर पधारे, तब दूसरे दिन श्रीसद्दू पाण्डे जी व बृजवासियों ने श्रीनाथजी से उनका मिलन कराया ! (v)इस प्रकार श्रीनाथजी ने "साक्षात् आज्ञा" दी कि बृजवासी "सखा भाव से सेवा" व श्री वल्लभ "सेवक भाव से सेवा" करें ! किन्तु श्रीवल्लभाचार्य जी के बाद उनके वंशजों ने "सेवक भाव से सेवा" करने के स्थान पर "स्वामी भाव से सेवा" करने लगे और इस कारण वल्लभ कुल द्वारा बृजवासी से "सखा भाव से सेवा" लेने के स्थान पर उनसे "नौकर भाव से सेवा" लेने लगे, जो गलत व अन्यायपूर्ण है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #16-17-18-19-20 and 21/06/2021 #dineshapna


















 

Saturday 19 June 2021

नाथद्वारा श्रीनाथजी मन्दिर की 5 चुनौतीयाँ :- (५)श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की पालना नहीं ! (i)श्रीनाथजी की "साक्षात् आज्ञा" मनुष्य के बनाये किसी भी विधान/नियम/कानून व वल्लभ कुल की आज्ञा से ऊपर है ! अतः उसका अक्षरश: पालन होना चाहिए तथा उसमे परिवर्तन या उसके विपरीत कोई भी आज्ञा मान्य नहीं है ! (ii)श्रीनाथजी ने सबसे पहले सन् 1478 (वि.सं.१५३५) को श्रीसद्दू पाण्डे जी (सनाढ्य) को "दूध भोग व निजसेवा" की "साक्षात् आज्ञा" दी ! (iii)श्रीनाथजी ने उसके बाद धर्मदास बृजवासी व अन्य बृजवासियों को "गाय दान, खेलने, सुरक्षा व अन्य सेवा कार्य" करने की "साक्षात् आज्ञा" दी ! (iv)श्रीनाथजी ने सन् 1492 (वि.सं.१५४९) "स्वप्न आज्ञा" श्रीवल्लभाचार्य जी को दी कि श्रीगिरिराज पधारकर "सेवा प्रकार" प्रकट करे ! तदुपरान्त श्रीवल्लभाचार्य जी सन् 1506 (वि.सं.१५६३) श्रीसद्दू पाण्डे जी के घर पधारे, तब दूसरे दिन श्रीसद्दू पाण्डे जी व बृजवासियों ने श्रीनाथजी से उनका मिलन कराया ! (v)इस प्रकार श्रीनाथजी ने "साक्षात् आज्ञा" दी कि बृजवासी "सखा भाव से सेवा" व श्री वल्लभ "सेवक भाव से सेवा" करें ! किन्तु श्रीवल्लभाचार्य जी के बाद उनके वंशजों ने "सेवक भाव से सेवा" करने के स्थान पर "स्वामी भाव से सेवा" करने लगे और इस कारण वल्लभ कुल द्वारा बृजवासी से "सखा भाव से सेवा" लेने के स्थान पर उनसे "नौकर भाव से सेवा" लेने लगे, जो गलत व अन्यायपूर्ण है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #20/06/2021 #dineshapna







 

Friday 18 June 2021

नाथद्वारा श्रीनाथजी मन्दिर की 5 चुनौतीयाँ :- (४)पुष्टिमार्ग की परम्पराओं की पालना नहीं ! (i)नाथद्वारा मन्दिर की निजसेवा ब्राह्मण धर्म का पालन करने वालों के द्वारा करने की परम्परा है, जो ब्रह्मसंबंध, जनेऊ, चोटी, तिलक, सात्विक, श्रृद्धा व समर्पण भाव रखे ! किन्तु वर्तमान मे मन्दिर मे ऐसा नहीं हो रहा है ! (ii)नाथद्वारा मन्दिर मे प्रसाद निर्माण पारम्परिक तरीकों से नहीं हो रहा है जैसे - लकड़ी की भट्टी, खरास वाली आटाचक्की व अन्य का पारम्परिक प्रयोग से ! जबकि जगन्नाथपुरी मन्दिर मे आज भी उसी परम्परागत तरीको से प्रसाद बनता भी है व बँटता भी है ! (iii)श्रीनाथजी की निजसेवा की परम्परा प्रथम रुप से बृजवासियों की थी किन्तु वर्तमान मे उसके विपरीत अन्य व्यक्तियों को निज सेवा का कार्य दिया गया ! (iv)श्रीनाथजी मन्दिर मे श्रीकृष्ण भण्डार का अधिकारी बृजवासी बनने की परम्परा व अधिकार है किन्तु वर्तमान मे अन्य व्यक्ति को बना दिया, जो गलत है ! (v)श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीनाथजी की सेवक / पुजारी के रुप मे सेवा करने की परम्परा थी तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी वल्लभ के वंशजों को "मुख्य पुजारी" ही माना है, किन्तु वर्तमान मे अपने आपको महाराजश्री / मठाधीश बना लिया है तथा श्रीनाथजी व उनकी सम्पत्तियों के भी मालिक बन रहे है, जो गलत है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #19/06/2021 #dineshapna













 

★प्रभुजी का "प्रेममार्ग" ही महाप्रभुजी का "पुष्टिमार्ग"★ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) ने आज से 5132 वर्ष पूर्व बृज मे अवतार लिया तब बृजवासियों ने निस्वार्थ प्रेम व समर्पण के द्वारा श्रीकृष्ण से अनुग्रह मे "प्रेम भक्ति" प्राप्त की तथा श्रीकृष्ण ने बृजवासियों के साथ मित्रवत व्यवहार किया ! ◆सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) के द्वारा बृजवासियों को "मित्र बनाने" के कारण व श्रीकृष्ण के कृष्णावतार की लीला पूर्ण करने के बाद भी बृजवासियों को श्रीकृष्ण ने "अनुग्रह" मे "निस्वार्थ प्रेम भक्ति" दी ! ◆बृजवासी को सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) द्वारा "मित्र" बनाने के कारण उनके समकक्ष बृजवासी को प्रभुजी श्रीकृष्ण ने बनाये ! ◆बृजवासी 5132 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण से निस्वार्थ प्रेम को उनके लीला समाप्ति के बाद भी प्रतिमा रुप मे 4521 वर्ष बाद तक भी निरन्तर प्रेम करते रहे ! इसी "निस्वार्थ प्रेम" के कारण सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) को अपने मित्र बृजवासियों के लिए 611 वर्ष पूर्व पुनः प्रतिमा रुप मे उसी बृज मे साक्षात् प्रकट हुए ! श्रीकृष्ण व बृजवासी दोनों आपस मे मित्र होने के कारण एक "सर्वशक्तिमान प्रभु" तो दूसरा "प्रभुजी" कहलाये ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ◆बृजवासियों के "निस्वार्थ प्रेम" व "आत्मसमर्पण" के कारण श्रीकृष्ण ने "अनुग्रह" करके उन्हें प्रेम भक्ति दी तथा बृजवासीयो ने भी 5132 वर्षो से केवल "स्वरूप दर्शन" के अलावा अन्य कोई प्रार्थना नहीं की ! 【आत्मसमर्पण + अनुग्रह + स्वरूप दर्शन】 यही "प्रेममार्ग" आगे चलकर "पुष्टिमार्ग" कहलाया ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ◆बृजवासियों ने 4521 वर्ष तक श्रीकृष्ण के साथ एकीकार होकर जो दर्शन व प्रेममार्ग पर चले ! उसको ज्ञान व शब्द रुप मे प्रस्तुत करने के लिए श्रीनाथजी (श्रीकृष्ण) ने महाप्रभुजी को 514 वर्ष पूर्व आज्ञा कर बृज मे बुलाया ! ◆महाप्रभुजी ने श्रीनाथजी (श्रीकृष्ण) की आज्ञानुसार प्रभुजी (बृजवासी) के प्रेममार्ग को ज्ञान व शब्दों मे "पुष्टिमार्ग" के रुप मे वैष्णवजनों के समक्ष रखा ! ◆प्रभुजी (बृजवासियों) के "प्रेममार्ग" व महाप्रभुजी (वल्लभाचार्य जी) के "पुष्टिमार्ग" समान है ! सर्वशक्तिमान प्रभु (श्रीकृष्ण) की आज्ञानुसार ही वल्लभाचार्य जी ने प्रेम मार्ग को पुष्टि मार्ग रुप मे जनकल्याण हेतु परिभाषित किया ! केवल अन्तर यह है कि "प्रेममार्ग" को बृजवासियों ने "वास्तिवकता मे जीया" है व "पुष्टिमार्ग" को वल्लभाचार्य जी ने संसार के जनकल्याण हेतु "ज्ञान व शब्दों मे" प्रकट किया है जिससे श्रीकृष्ण भक्ति का फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगो को मिल सके ! दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी - 18/06/2020 हल्दीघाटी युद्ध - महाराणा प्रताप - 18/06/1576 ●●●● 444 वर्ष ●●●● #dineshapna





 

Thursday 17 June 2021

नाथद्वारा श्रीनाथजी मन्दिर की 5 चुनौतीयाँ :- (३)वल्लभाचार्यजी के सिद्धांतों की पालना नहीं ! (i)श्रीवल्लभाचार्य जी अपना सर्वश्व "श्रीनाथजी को समर्पण" करने व सेवा करने की आज्ञा दी, किन्तु आजकल स्वयं के साथ श्रीनाथजी का भी "स्वयं को अर्पण" करके सेवा कर रहे है ! (ii)श्रीवल्लभाचार्य जी ने कहा कि श्रीनाथजी "लौकिक कार्य की तरह" की गई सेवा अंगीकार नहीं करते है, भगवद् सेवा "भक्त का भाव" ही एकमात्र साधन है, किन्तु आजकल लौकिक कार्य की तरह ही सेवा कार्य हो रहा है ! (iii)श्रीवल्लभाचार्य जी ने "धर्म के लिए" तीन बार पृथ्वी परिक्रमा की, किन्तु आजकल "धन के लिए" मायानगरी की ही परिक्रमा करने के साथ स्थाई निवास भी बना लिया है ! (iv)श्रीवल्लभाचार्य जी ने केवल एक धोती मे ही अपना जीवन "श्रीनाथजी व जनकल्याण" के लिए अर्पण किया, किन्तु आजकल उन्हें धोती भर के धन "स्वयं के लिए" चाहिए ! (v)श्रीवल्लभाचार्य जी की अन्तिम शिक्षा जो उनके पुत्रों व वैष्णवो को दी, वह शिक्षा तो ग्रहण करनी चाहिए कि "जब तुम प्रभु से बहिँमुख हो जावोगे तब कलिकाल के प्रभाव मे रहने वाले तुम्हारे देह, मन इत्यादि निश्चित रुप से तुम्हारा नाश कर देगे," ऐसा मेरा मंतव्य है । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #18/06/2021 #dineshapna