Wednesday 27 September 2023

★नाथद्वारा मन्दिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त क्यों नहीं हो ?★ ★मन्दिर बचाने के लिए मै "धर्म युद्व" क्यों कर रहा हूँ ?★ (१) हम श्रीनाथजी ( श्रीकृष्ण ) की सेवा करते है तो हमें उनकी शिक्षा / उपदेश को भी आत्मसात करना होगा ! यदि हम ऐसा नहीं करते है तो हमारी सेवा अधुरी रहती है ! हमें धर्म की रक्षाथँ अपने गुरु, पितामह, भाईयो, परिजनो व मित्रो से भी युद्ध करना पडे तो हमें करना होगा ! अतः श्रीनाथजी की परम्पराओं के साथ खिलवाड़ करने वालों, उनकी सम्पत्तियों, जमीनों व धन को लूटने / लूटाने वालों के विरुद्ध "धर्म युद्ध" करना होगा, जिसका शंखनाद मेरे द्वारा किया जा चुका है ! (२) उत्सव काल :- (सन् 1409 से 1506) (97 वर्ष) इस काल मे श्रीनाथजी का प्राकृट्य व उनकी सेवा बृजवासियों के द्वारा की जाती थी ! कोई सम्पत्तियों, जमीन व धन की किसी भी प्रकार से लूट नहीं थी, केवल सभी ओर "समर्पण" भाव होने के कारण उत्सव सा माहौल था ! (३) अमृत काल :- (सन् 1506 से 1876) (370 वर्ष) इस काल मे श्रीनाथजी, ब्रजवासी व श्रीवल्लभाचार्य जी व उनके वंशजो के बीच एक दूसरे के प्रति "समर्पण" भाव था ! इसमे सेवा पद्वति, पुष्टि मार्ग, अष्ठ आयामी सेवा मे राग ,भोग व श्रृंगार आदि स्थापित होने से चारों ओर अमृत सा माहौल था ! (४) संक्रमण काल :- (सन् 1876 से 1959) (83 वर्ष) इस काल मे श्रीनाथजी, बृजवासी व वल्लभ कुल व वैष्णव थे ! इस काल मे वल्लभ कुल के "महाराजश्री से मठाधीश" बन गये ! उन्हें यह गलत फहमी हो गई कि श्रीनाथजी व उनकी सम्पूर्ण सम्पत्ति उनकी निजी सम्पत्ति है ! इसमे "समर्पण" को "स्व अर्पण" समझने लग गये ! (५) धनकूट काल :- (सन् 1959 से 2023) (64 वर्ष) इस काल मे श्रीनाथजी, बृजवासी, वल्लभ कुल, वैष्णव के साथ बोडँ मैम्बर्स व सरकारी अधिकारी भी शामिल हो गये ! इसमे मठाधीश व सरकारी अधिकारियों ने मिलकर बृजवासियों को "सखा से बन्धुआ मजदूर" बना दिया ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(81) #27/09/23 #dineshapna





 

Tuesday 26 September 2023

नाथद्वारा मन्दिर सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो ! ◆क्यों हो ? ◆ कौन करेगा ? ◆कैसे होगा ? (१) क्योंकि सन् 1959 से सरकार ने नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का गठन किया, जिसमे सरकार द्वरा बोर्ड मैम्बर्स की नियुक्ति, जिला कलेक्टर स्थाई बोर्ड मैम्बर, मुख्य निष्पादन अधिकारी, सम्पदा अधिकारी व अन्य अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है ! केवल अध्यक्ष महाराज श्री स्थाई है , शेष सभी की नियुक्ति सरकार द्वारा होती है, जो गलत है ! (२) क्योंकि नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का गठन का मुख्य उद्देश्य श्रीनाथजी की जमीन, सम्पदा व धन की सुरक्षा व सदुपयोग करना है , किन्तु सरकारी अधिकारी व बोर्ड मैम्बर्स जमीन, सम्पदा व धन की सुरक्षा करने मे असफल रहे व रह रहे है, जो गलत है ! उसके कुछ उदाहरण - लालबाग बस स्टैण्ड, लावटी पेट्रोल पम्प, बड़े मगरे के आसपास व भीलवाड़ा की जमीन है ! (३) मठाधीश बोर्ड मे अकेले रहने के कारण उनको दबाव मे काम करना पड़ रहा है, जिससे अन्य सक्षम व्यक्ति / नेता / सरकारी अधिकारी श्रीनाथजी की जमीन लूट / लूटा रहे है और मन्दिर मण्डल लूट / लूटाने मे सहयोग कर रहे है , जो गलत है ! (४) मठाधीश से एक बहुत बड़ी गलती हो गई, कि जो बृजवासी 550 वर्षो (सन् 1409 - सन् 1559) से समर्पित भाव से सेवा व सुरक्षा कर रहे थे व है ! मठाधीश के द्वारा बृजवासियों के त्याग व बलिदान को भुलाया गया और उन्होंने सरकार व सरकारी अधिकारियों पर विश्वास किया ! जिसका परिणाम अब आप के सामने है ! (५) अब भी समय है कि मठाधीश अपनी गलतियों को सुधार सकते है ! ●उसके लिए बृजवासियों / उदयपुर महाराणा / कोठारिया व अन्य ठिकानों व स्थानीय व्यक्तियों को बोडँ मे शामिल करे ! ●इसके साथ सामाजिक अंकेक्षण की स्वीकृति दे , तब ही सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(80) #26/09/23 #dineshapna


 

Saturday 23 September 2023

★क्या इस म्यूजियम मे श्रीनाथजी के प्राकृट्य का सत्य बताया जायेगा ?★ ★क्या श्रीनाथजी के नाम पर 13.43 करोड़ रुपयों का सही उपयोग होगा ?★ (१) क्या श्रीनाथजी का प्राकृट्य व बृजवासियों के (सन् 1409 से 1506) 97 वर्ष का इतिहास / "सत्य व तथ्य" बताये जायेंगे ? (२) क्या श्रीनाथजी की "साक्षात् आज्ञा" / स्वप्न आज्ञा / "जीवन्त पुष्टिमार्ग" / ज्ञान पुष्टिमार्ग के बारे मे "सत्य व तथ्य" बताया जायेगा ? (३) "श्रीनाथजी / श्रीवल्लभाचार्य जी" / श्रीगुसांईजी / अष्ट सखा /अन्य (सन् 1506 से 1876 तक) 370 वर्षों के बारे मे बताया गया, जो सही है ! किन्तु "प्राकृट्य / बृजवासी" (सन् 1409 से 1506) 97 वर्षो तथा (सन् 1876 से 2023 तक) 147 वर्षों के दौरान श्रीनाथजी के "सेवक से मठाधीश" बनने का सफ़र तथा "सखा से बन्धुआ मजदूर" बनाने के सफ़र क्यों नहीं बताया गया ? 【370 + 97 + 147 = 614 वर्षो के इतिहास का "सत्य व तथ्य"】 (४) नाथद्वारा मन्दिर पर सन् 1959 से "सरकारी नियंत्रण" तथा उस दौरान जमीन की लूट / सम्पत्तियों मे अनियमितताएँ / धन का दुरुपयोग के बारे मे विस्तार से "सत्य व तथ्य" को क्यों नहीं बताया गया ? सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(79) #23/09/23 #dineshapna






 

Sunday 17 September 2023

★संविधान की रक्षा हो ! संविधान के अनुरूप ही कानून बने !★ (१) चुनाव आने वाले है :- कोई वादे करें ! तो कोई संकल्प ले ! तो कोई गारन्टी दे ! किन्तु आम हिन्दुस्तानी को चाहिए संविधान के रक्षा ! (२) देश संविधान से चलता है ! संविधान को लागू करने के लिए कानून बनाये जाते है ! किन्तु कभी भी कानून संविधान के विरुद्ध नहीं बनाया जा सकता है ! (३) भारत ही एक ऐसा देश है जिसमे कुछ कानून संविधान के विरुद्ध बनाये जाते है और लागू भी किये जाते है ! किन्तु आम हिन्दुस्तानी चुप रहते है ! जो गलत है ! (४) अब देखना है कि एक पार्टी ने संविधान विरुद्ध 30 काले कानून बनाये ! दूसरी पार्टी इन संविधान विरुद्ध 30 काले कानूनो पर चुप है ! क्या अब तीसरी पार्टी संविधान विरुद्ध 30 काले कानूनो को हटाने की गारन्टी लेगी ? (५) यदि यह कार्य कोई पार्टी "वादा/संकल्प/गारन्टी" नहीं लेती है तो इस कार्य को "आम हिन्दुस्तानी" ही कर सकता है ! इसके लिए "एक आम हिन्दुस्तानी" शपथ लेता है कि केवल 100 आम हिन्दुस्तानी साथ दे तो संविधान की रक्षा करते हुए हिन्दू विरोधी उक्त 30 काले कानूनों को हटवा सकते है ! प्रभु श्रीनाथजी हमें शक्ति प्रदान करे ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक आम हिन्दुस्तानी #(78) #17/09/23 #dineshapna


 

Wednesday 13 September 2023

★ एक बृजवासी के 12 यक्ष प्रश्न ? ★ ★ इन प्रश्नों का उत्तर कौन देगा ?★ (१) श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस कब व इसका गूढ़ सत्य क्या ? (२) श्रीनाथजी व बृजवासियों के ( सन् 1409 से 1506 ) 97 वर्ष का इतिहास क्या ? (३) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा व स्वप्न आज्ञा की पालना क्यों नहीं ? (४) जीवन्त पुष्टिमार्ग व ज्ञान पुष्टिमार्ग क्या ? (५) श्रीनाथजी का रथ व सिंहाड़ के प्रथम स्थान की उपेक्षा क्यों ? (६) श्रीनाथजी के "सेवक से मठाधीश" बनने का सफ़र (सन् 1876 से 2023 तक) की हकीकत क्या ? (७) श्रीनाथजी के "सखा से बन्धुआ मजदूर" बनाने के सफ़र की हकीकत क्या ? (८) नाथद्वारा मन्दिर पर सन् 1959 से सरकारी नियंत्रण क्यों ? (९) श्रीनाथजी की सम्पत्ति / जमीन / धन की लूट क्यों व कब तक ? (१०) श्रीनाथजी व पुष्टिमार्ग की परम्पराओं व भावनाओं को क्यों तोड़ा जा रहा है ? (११) श्रीनाथजी मन्दिर का नियंत्रण असक्षम हाथो मे क्यों ? (१२) श्रीनाथजी मन्दिर की जमीन व धन का दुरुपयोग क्यो व कब तक ? ★★★★★★★(२)★★★★★★★ ★ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ ! ★ ★ श्रीकृष्ण के चरित्र (प्रेम व धर्म) को आत्मसात करे ! ★ (१) श्रीकृष्ण के "प्रेम" का प्रतीक है बाँसुरी ! ( हम सभी से प्रेम करें जिससे राग, द्वेष, लोभ, लालच, अंहकार, झूठ व फरेब सभी का नाश होगा तथा शान्ति व प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा ! ) (२) श्रीकृष्ण के "धर्म" रक्षा का प्रतीक है सुदर्शन चक्र ! (हम सभी को धर्म की रक्षा करनी चाहिए जिससे सभी मे कर्तव्य बोध हो तथा समाज मे से झूठ, चोरी, अन्याय, लूट, गरीबी, असमानता, द्वेष व अन्य सभी बुराइयों का नाश होकर सभी सुख व शान्ति के साथ जीये व हम सभी की प्रगति हो ! ) 【श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाये ?】【श्रीनाथजी के मन्दिर की रक्षा कैसे करे ?】 (i) श्रीकृष्ण के केवल दो सन्देशों का अनुसरण करते हुए, हम नाथद्वारा मन्दिर मे धर्म को बचाने के लिए निम्न 12 यक्ष प्रश्नों का उत्तर जिम्मेदार व्यक्तियों से प्राप्त करें ! (ii) यदि आज हम निम्न 12 यक्ष प्रश्नों का उत्तर नहीं लेते है तो भविष्य मे यह प्रश्न ही एक बड़ा विकराल रुप ले लेगा, जिसको हमारे द्वारा रोकना असंभव हो जायेगा तथा धर्म का नाश होगा ! यह बात श्रीवल्लभाचार्य जी व भविष्यवक्ताओं ने भी कहा है ! (iii) यदि हम निम्न 12 यक्ष प्रश्नों का उत्तर नहीं लेते है तो अधर्म का नाश करने व धर्म की स्थापना करने के लिए श्रीकृष्ण को अवतार लेना होगा ! अतः हम क्यों अपने श्रीकृष्ण को कष्ट दे ! (iv) यदि अपने श्रीकृष्ण को कष्ट देना नहीं चाहते हो तो स्वयं को "सुदर्शन चक्र" को उठाना होगा व श्रीकृष्ण के चरित्र को आत्मसात करना होगा ! कलयुग का "सुदर्शन चक्र" (कानून व संगठित आवाज) है ! (v) आओ ! हम सभी मिलकर निम्न 12 यक्ष प्रश्नो का उत्तर जानने के लिए "संगठित आवाज" उठाये व धर्म की रक्षा करने हेतु एक कदम चले ! ★ एक बृजवासी के 12 यक्ष प्रश्न ? ★ (१) श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस कब व इसका गूढ़ सत्य क्या है ? (२) श्रीनाथजी व बृजवासियों के ( सन् 1409 से 1506 ) 97 वर्ष का इतिहास क्या है ? (३) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा व स्वप्न आज्ञा की पालना क्यों नहीं हो रही है ? (४) जीवन्त पुष्टिमार्ग व ज्ञान पुष्टिमार्ग क्या है ? (५) श्रीनाथजी का रथ व सिंहाड़ के प्रथम बार रुकने के स्थान की उपेक्षा क्यों हो रही है ? (६) श्रीनाथजी के "सेवक से मठाधीश" बनने का सफ़र (सन् 1876 से 2023 तक) की हकीकत क्या है ? (७) श्रीनाथजी के "सखा से बन्धुआ मजदूर" बनाने के सफ़र की हकीकत क्या है ? (८) नाथद्वारा मन्दिर पर सन् 1959 से सरकारी नियंत्रण क्यों किया गया ? (९) श्रीनाथजी की सम्पत्ति / जमीन / धन की लूट व लूटाना क्यों व कब तक होता रहेगा ? (१०) श्रीनाथजी व पुष्टिमार्ग की परम्पराओं व भावनाओं को क्यों तोड़ा जा रहा है ? (११) श्रीनाथजी मन्दिर का नियंत्रण असक्षम हाथो मे क्यों है ? (१२) श्रीनाथजी मन्दिर की जमीन व धन का दुरुपयोग क्यो व कब तक होता रहेगा ? ★★★★★★★(३)★★★★★★★ "वृषभ" के संरक्षण की पहल हेतु धन्यवाद ! किन्तु इसके लिए नाम बदलना जरूरी नहीं ! (१) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब उस पर आपका स्वामित्व हो । बागोल गोशाला का स्वामित्व श्रीनाथजी के पास व सुरक्षा मन्दिर मण्डल के पास है । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (२) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब आप उस पर स्वयं निजी धन उसके लिए देते हो और स्वामित्व धारक से अनुमति भी ली हो । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (३) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब आपका उद्देश्य जनता को यह बताना हो कि इस पर केवल मेरा ही स्वामित्व व अधिकार है । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (४) बागोल गोशाला श्रीनाथजी की है, तो उसका नाम "लाल गोविंद वृषभ सदन" रखना गलत है ! यदि ऐसा कार्य (श्रीनाथजी की सम्पत्ति का नाम बदलना) शुरू हो जाता है, तो श्रीनाथजी के अन्य भवनों व मन्दिर का नाम भी भविष्य मे किसी "खास आदमी" के नाम पर हो जाये तो आश्चर्य नहीं होगा ! (५) मन्दिर की समस्त सम्पत्तियों का एक मात्र स्वामित्व श्रीनाथजी का है तथा उनकी सुरक्षा व सदुपयोग करने की जिम्मेदारी नाथद्वारा मन्दिर मण्डल की है ! अतः "स्वामित्व" व "नाम" बदलने का अधिकार किसी को भी नहीं है ! (६) मठाधीश श्रीनाथजी के सेवक है मालिक नहीं ! इनको केवल पूजा (सेवा) करने का अधिकार है ! अतः इनका श्रीनाथजी की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति समझना गलत है ! (७) "बृजवासी" श्रीनाथजी की सेवा व उनकी सम्पत्तियों की सुरक्षा सन् 1409 से कर रहे है, जबकि वल्लभकुल 97 वर्ष के बाद सन् 1506 से कर रहे है तथा सन् 1876 से मठाधीश श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की सुरक्षा करने मे असफल रहे है ! अतः बृजवासियों को श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की सुरक्षा हेतु आगे आना होगा ! ★★★★★★★(४)★★★★★★★ ★★★★ धर्मो रक्षति रक्षितः ★★★★ ("धर्म की रक्षा करने पर, रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है।") (दूसरे शब्दों में - "रक्षित धर्म", रक्षक की रक्षा करता है"।) (१) नाथद्वारा मे "सात" अधर्म है :- (i) श्रीनाथजी मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण (ii) श्रीनाथजी मन्दिर की परम्पराओं को तोड़ना (iii) श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की लूट (iv) श्रीनाथजी के धन का अपव्यय (v) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की अवमानना (vi) पुष्टि मार्ग की पालना नहीं (vii) बृजवासियों के अधिकारो का हनन ! अतः धर्म की रक्षा करने के लिए उक्त "सात" अधर्म को समाप्त करना होगा ! (२) धर्म की रक्षा करने के लिए "चार" कार्य करने होंगे :- (i) मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मु्क्त कराना ! (ii) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की पालना ! (iii) श्रीवल्लभाचार्य जी के पुष्टिमार्ग की सभी के द्वारा पालना ! (iv) बृजवासियों को उनके अधिकार पूर्ण रूप से दिलाना ! (३) धर्म की रक्षा "दो" व्यक्ति कर सकते है :- (i) बृजवासी ! (ii) मठाधीश ! (४) धर्म की रक्षा हेतु "दो" कार्य करने होगे :- (i) बृजवासी अपने अधिकार निस्वार्थ भाव से ले ! (ii) मठाधीश अपना स्वार्थ भाव को छोड़कर समर्पण करें ! (५) धर्म की रक्षा की शुरुआत "एक बृजवासी" ने कर दी है ! अब श्रीनाथजी के "सखा" व श्रीनाथजी के "सेवक" ! दोनों को एक साथ आगे आना होगा ! क्योंकि धर्मयुद्ध का शंखनाद हो चुका है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(73) (74) (76) (77) #12/09/23 #dineshapna










 

Tuesday 12 September 2023

★★★★ धर्मो रक्षति रक्षितः ★★★★ ("धर्म की रक्षा करने पर, रक्षा करने वाले की धर्म रक्षा करता है।") (दूसरे शब्दों में - "रक्षित धर्म", रक्षक की रक्षा करता है"।) (१) नाथद्वारा मे "सात" अधर्म है :- (i) श्रीनाथजी मन्दिर पर सरकारी नियंत्रण (ii) श्रीनाथजी मन्दिर की परम्पराओं को तोड़ना (iii) श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की लूट (iv) श्रीनाथजी के धन का अपव्यय (v) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की अवमानना (vi) पुष्टि मार्ग की पालना नहीं (vii) बृजवासियों के अधिकारो का हनन ! अतः धर्म की रक्षा करने के लिए उक्त "सात" अधर्म को समाप्त करना होगा ! (२) धर्म की रक्षा करने के लिए "चार" कार्य करने होंगे :- (i) मन्दिर को सरकारी नियंत्रण से मु्क्त कराना ! (ii) श्रीनाथजी की साक्षात् आज्ञा की पालना ! (iii) श्रीवल्लभाचार्य जी के पुष्टिमार्ग की सभी के द्वारा पालना ! (iv) बृजवासियों को उनके अधिकार पूर्ण रूप से दिलाना ! (३) धर्म की रक्षा "दो" व्यक्ति कर सकते है :- (i) बृजवासी ! (ii) मठाधीश ! (४) धर्म की रक्षा हेतु "दो" कार्य करने होगे :- (i) बृजवासी अपने अधिकार निस्वार्थ भाव से ले ! (ii) मठाधीश अपना स्वार्थ भाव को छोड़कर समर्पण करें ! (५) धर्म की रक्षा की शुरुआत "एक बृजवासी" ने कर दी है ! अब श्रीनाथजी के "सखा" व श्रीनाथजी के "सेवक" ! दोनों को एक साथ आगे आना होगा ! क्योंकि धर्मयुद्ध का शंखनाद हो चुका है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(77) #12/09/23 #dineshapna





 

Sunday 10 September 2023

"वृषभ" के संरक्षण की पहल हेतु धन्यवाद ! किन्तु इसके लिए नाम बदलना जरूरी नहीं ! (१) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब उस पर आपका स्वामित्व हो । बागोल गोशाला का स्वामित्व श्रीनाथजी के पास व सुरक्षा मन्दिर मण्डल के पास है । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (२) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब आप उस पर स्वयं निजी धन उसके लिए देते हो और स्वामित्व धारक से अनुमति भी ली हो । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (३) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब आपका उद्देश्य जनता को यह बताना हो कि इस पर केवल मेरा ही स्वामित्व व अधिकार है । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (४) बागोल गोशाला श्रीनाथजी की है, तो उसका नाम "लाल गोविंद वृषभ सदन" रखना गलत है ! यदि ऐसा कार्य (श्रीनाथजी की सम्पत्ति का नाम बदलना) शुरू हो जाता है, तो श्रीनाथजी के अन्य भवनों व मन्दिर का नाम भी भविष्य मे किसी "खास आदमी" के नाम पर हो जाये तो आश्चर्य नहीं होगा ! (५) मन्दिर की समस्त सम्पत्तियों का एक मात्र स्वामित्व श्रीनाथजी का है तथा उनकी सुरक्षा व सदुपयोग करने की जिम्मेदारी नाथद्वारा मन्दिर मण्डल की है ! अतः "स्वामित्व" व "नाम" बदलने का अधिकार किसी को भी नहीं है ! (६) मठाधीश श्रीनाथजी के सेवक है मालिक नहीं ! इनको केवल पूजा (सेवा) करने का अधिकार है ! अतः इनका श्रीनाथजी की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति समझना गलत है ! (७) "बृजवासी" श्रीनाथजी की सेवा व उनकी सम्पत्तियों की सुरक्षा सन् 1409 से कर रहे है, जबकि वल्लभकुल 97 वर्ष के बाद सन् 1506 से कर रहे है तथा सन् 1876 से मठाधीश श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की सुरक्षा करने मे असफल रहे है ! अतः बृजवासियों को श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की सुरक्षा हेतु आगे आना होगा ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(76) #10/09/23 #dineshapna





 

Friday 8 September 2023

★श्रीकृष्ण ही सर्वश्रेष्ठ गुरु है उनका अनुसरण करके शिक्षक दिवस व जन्माष्टमी मनाये - सनाढ्य★ श्रीकृष्ण सर्वश्रेष्ठ गुरु / शिक्षक है क्योंकि जो शिक्षा देना चाहते है उस शिक्षा को स्वयं अपने जीवन मे आत्मसात करने के बाद ही शिक्षा देते है ! इसका उदाहरण "गीता का उपदेश" है ! हमें भी इस "सत्य व तथ्य" को आत्मसात करना चाहिए ! हमे श्रीकृष्ण की बाँसुरी याद है तो सुदर्शन चक्र को भी नहीं भुलना चाहिए । हमें भी अन्याय व अधर्म के विरुद्ध चक्र चलाना चाहिए । यह विचार अध्यक्ष - अपना ट्रस्ट के सीए. दिनेश चंद्र सनाढ्य ने काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहे । श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान, राजसमंद के द्वारा " जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की बांसुरी व सुदर्शन चक्र" पर आधारित काव्य गोष्ठी रखी गई है ! मुख्य अतिथि शतायु साहित्यकार पीरदान चारण, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार चतुर कोठारी व पर्यावरण विद् डॉक्टर लक्ष्मी नारायण आमेटा थे । इस काव्य गोष्ठी में 14 व्यक्तियों का सम्मान किया गया । "काव्य प्रणेता केसर सिंह बाहरठ सम्मान" गोविंद सिंह बाहरठ को, दलपत सिंह चारण को, प्रहलाद सिंह चारण को व ब्रजराज सिंह चारण को दिया गया । "पुष्पा कुँवर आशियानी सम्मान" सुखदेव सिंह चारण को, नीतू बापना को व महिपाल सिंह चारण को दिया गया । साहित्य और काव्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने पर श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान द्वारा प्रशस्ति पत्र मुकेश शर्मा को, कल्पना सजवान को, हिम्मत सिंह राय को, गोविंद सनाढ्य को, डॉक्टर संपत लाल रेगर को, प्रमोद सनाढ्य को व गोविंद सिंह चौहान को देकर सम्मान किया गया । काव्य गोष्टी की शुरुआत रोशन लाल गर्ग द्वारा सरस्वती वंदना करके की । मुकेश शर्मा ने भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुए अपनी काव्य रचना सुनाई, रजनी पालीवाल ने मायड़ थारो पूत कठे ....... मोहनलाल गुर्जर ने राजसमंद झील पर .......... लेखराज मीणा ने विश्व को राह दिखने वाले जगतगुरु श्री कृष्ण पर...... तथा जरा फूलों से सजाओ गोकुल को मेरे कान्हा आने वाले हैं ........ तथा रामगोपाल आचार्य ने अलसाई संस्कृती में जान रहने दो, बस त्यौहार को तुम त्यौहार रहने दो....... रणजीतसिंह ने रक्षाबंधन पर कविता सुनाई । राजेंद्र सिंह चारण ने काव्य प्रणेता केसर सिंह जी बाहरठ के द्वारा राजसमंद में बनाए चारभुजा जी के 12 मंदिरों व 12 बावडियाँ व 12 - 12 बिघा जमीन की डोली मन्दिर संचालन हेतु दी । इसके संबंध में विस्तृत जानकारी दी तथा यह बताया कि किशोर नगर स्थित चारभुजा नाथ के मंदिर का निर्माण भी केसर सिंह जी द्वारा कराया गया तथा मंदिर के संचालन के लिए प्रत्येक मंदिर को 12 बीघा जमीन भी दी गई थी । आज हम जिस मंदिर में यह काव्य गोष्ठी कर रहे हैं वह मंदिर भी केसर सिंह जी द्वारा बनवाया गया । हमें खुशी है कि उनके वंशज गोविंद सिंह जी बाहरठ आज हमारे बीच उपस्थित हैं । प्रमोद सनाढ्य ने श्रीनाथजी और बृजवासियों पर छंद सुनते हुए बृजवासियों के सखा रूप को प्रस्तुत किया । चंद्रशेखर नारलाई ने राधे नाम ने सबको तारा, राधे नाम है सबसे प्यारा बोलो राधे राधे........ व गोपाल शर्मा ने यह रफ्तार नहीं रुकने दूंगा, मैं देश को नहीं झुकने दूंगा ......... नीतू बाफना ने भय के जो गर्भ से अभय अवतार हुआ, दुनिया में छाई देखो कैसी रोशनाई है......... पूरण शर्मा ने देशहित पूत आज काम आयो........ पीरदान चारण ने हम तो चाकर हैं वा चार हाथ वालों के......... रविनन्दन चारण ने आज मारे सोहन सूरज सोहन सूरज उगायो ........ यशवंत ने नजर भी लग गई ,उनकी बे नजरों से........हम बीमार हो गए ,अपनी ही नजरों से........ कुसुम कंवर राठौड़ ने, नरेंद्र चंचल ने, सूर्य प्रकाश दीक्षित ने राख में इश्क़ की चिंगारी खोजती होगी । ज़ख़्मी दिल की परते नोचती होगी .......... कमलेश जोशी ने, रामसहाय विजयवर्गीय ने , गोविंद सनाढ्य ने, चतुर कोठारी ने, कल्पना सजवान ने श्री कृष्ण, महाराणा प्रताप व प्रेम पर अपनी कविताएं सुनाएं । मंच संचालन पूरण शर्मा ने व धन्यवाद अध्यक्ष - श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान के रविनंदन सिंह चारण ने ज्ञापित किया । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(75) #09/09/23 #dineshapna