Saturday 31 December 2022

■ 2022 का पुनरावलोकन व 2023 का संकल्प ■ ■(सर्वे भवंतु सुखिनः) के लिए (निष्काम कर्मयोगी बने)■ ●2022● मे किये गये कार्यों का पुनरावलोकन :- (१)गोमती उदयपुर फोरलेन बनी मौत की फोरलेन, इसके लिए आम जनता के 41 प्रश्न ! (२)सरकारी जमीन, वन भूमि, नदी व तालाब को अतिक्रमण से मुक्ति हेतु प्रयास ! (३)पर्यावरण सुरक्षा व संवर्धन हेतु प्रयास ! (४)भूमि विकास बैंक, राजसमन्द मे फर्जी लोन व भ्रष्टाचार रोकने हेतु प्रयास ! (५)श्रीनाथजी मन्दिर मे जमीन व धन की लूट व अनियमितताओं को रोकने हेतु सामाजिक अंकेक्षण की मांग ! (६)श्रीनाथजी मन्दिर व पुष्टि मार्ग की परम्पराओं व सिद्धांतों के विरुद्ध हो रहे कार्यों को रोकने हेतु प्रयास ! (७)हिन्दू मन्दिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति हेतु प्रयास ! (८)भ्रष्टाचार को उजागर करने के साथ, उसकी मुक्ति हेतु प्रयास ! (९)सरकारी धन व जमीन की लूट व अनियमितताओं को रोकने हेतु सामाजिक अंकेक्षण की मांग ! (१०)नाथद्वारा नगरपालिका व राजसमन्द नगरपरिषद मे अतिक्रमण का आंतक व भ्रष्टाचार का भंवर ! ●2023● का संकल्प :- 2022 के प्रयास को 2023 मे पूर्ण करने हेतु श्रीनाथजी के आशीर्वाद के साथ कर्म करना ! ◆नया कोई संकल्प नहीं !◆ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिंदुस्तानी #(247) #31/12/22 #dineshapna


 

Tuesday 27 December 2022

साहित्य से सेवा साहित्य का सम्मान ■वरिष्ठ साहित्यकार एवं ज्योतिषाचार्य पंडित बिंदू लाल शर्मा का सम्मान ■ (ज्ञान व समर्पण की मिशाल) श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान राजसमंद द्वारा नगर के वरिष्ठ साहित्यकार एवं ज्योतिषाचार्य पंडित बिंदू लाल शर्मा कांकरोली का सम्मान किया गया । श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष रविनंदन चारण, संरक्षक व अपना ट्रस्ट के संस्थापक सीए. दिनेश सनाढ्य, बख्तावर सिंह चुंडावत प्रीतम, चंन्द्र शेखर शर्मा नारलाई, कमलअग्रवाल, धर्मेंद्र बंधु एवं जितेंद्र सनाढ्य अभिनंदन कार्यक्रम में उपस्थित रहे । बिंदू लाल शर्मा ने संस्थान के उज्जवल भविष्य की कामना की । उन्होंने बताया कि आजकल ऐसे साहित्य की जरूरत है जिससे हमारी पुरानी संस्कृति को कायम रखते हुए नये युग मे उसकी उपादेयता जनता को मालूम हो । जिससे आज के युग के नौजवानों को नई व सही दिशा मिले । अन्त मे जितेन्द्र सनाढ्य ने आभार व्यक्त किया। सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिंदुस्तानी #(245) #27/12/22 #dineshapna






















 

Friday 23 December 2022

■साहित्य से समाज सेवा - दिनेश सनाढ्य■ श्रीराम की मर्यादाओं का पालन करें तो उनके धनुष को भी याद रखे । श्रीकृष्ण की बांसुरी का वर्णन करे तो सुदर्शन चक्र को भी नहीं भूले । इसके लिए साहित्य सर्जन भी इसके अनुसार हो तथा उसको धरातल पर भी उतारे व जनता की सेवा करें । इसके लिए आज रविन्दन चारण की अध्यक्षता मे श्रीहरि साहित्य सेवा संस्थान का गठन करके काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कार्य व विचार सीए. दिनेश सनाढ्य ने रखें । इस श्रीहरि साहित्य सेवा संस्थान के गठन व काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता सीए. दिनेश सनाढ्य ने की व मुख्य अतिथि पुलिस अधिकारी डाँ. हनुमन्त सिह राजपुरोहित विशिष्ट अतिथि डाँ. आनंद श्रीवास्तव, समाज कल्याण अधिकारी जय प्रकाश चारण, डाँ. लक्ष्मी नारायण आमेटा, श्रीमती ज्योत्सना थे । इस अवसर पर 10 साहित्यकार, कवि, समाजसेवी को अपना ट्रस्ट व श्रीहरि साहित्य सेवा संस्थान की ओर से सम्मानित किया गया । सम्मानित गण आनंद श्रीवास्तव, राजेन्द्र सनाढ्य राजन, प्रेम कुमावत, पूरण शर्मा, योगेंद्र यश, राजेन्द्र सिंह चारण, कैलाश चन्द्र वैष्णव, श्रीमती ललिता शर्मा शशि थे । हे प्यारी भारत माँ तुझे हमे शिश झुकाते है तेरे पर बलि बलि जाते है 🙏 - राधेश्याम राणा ओ म्हारा सांवरिया गिरधारी, तुम नहीं रुठो चाहे रुठे दुनिया सारी... - बख्तावर सिंह चुंडावत प्रीतम बैठी अशोका पेड़ तले सीताजी झर झर रोई , रामजी थे क्यूं देर लगाई रे हिवडे़ रा साथी क्यूं बिसराई रे - लेखराज मीणा 'मुराड़या' आदरणीय मोहन जी गायत्री परिवार गीत की पंक्तियां बीड़ी मज़ा न देगी जर्दा मज़ा न देगा दिल तक पहुंचे बात मेरी,वो शब्द कहां से मैं लाऊं - वीणा वैष्णव रागिनी पन्नाधाय बलिदान गाथा बलिदान वेरियो लाडलो खेखाळ लोया रा वैग्या.... - ललिता शर्मा 'शशि' स्त्रियां परिवार को जोड़ती, रिश्तो को गहराई देती है, पत्नी सुदामा जी को द्वारिकाधीश से मिलने की दुहाई देती है, - रामगोपाल आचार्य रण में भेजो मुझको भी मैं तत्पर बैठा राणा जी, मुझको भी तो रण में जाकर अपना शौर्य दिखाना जी, - योगेन्द्र "यश" सच की आवाज उठाने में बुरा क्या है। घने अंधेरे में चिराग जलाने में बुरा क्या है। हो जाते तुझे मुतासिर मदभरा तेरा अंदाज है - डॉ. आनन्द श्रीवास्तव। नी खाऊं,तो क ई खाऊं, अबे भाटा खाऊं क ई। एलियन तो वणी ग्यों हूं, मंगल पे परो जाऊं क ई। - राजेन्द्र सनाढ्य राजन कोठारिया। इतनी सी बात कही और वो बुरा मान गए सीधी सच्ची ही कही पर वो बुरा मान गए - कुसुम अग्रवाल आज कल किसी के घर नहीं आते-जाते हैं लोग मुलाक़ातों से न जाने क्यों कतराते हैं लोग - कमल अग्रवाल संचालन कुसुम अग्रवाल ने किया व धन्यवाद रविनंदन चारण ने ज्ञापित किया ।