Monday 30 December 2019

■आजकल व 2019 की समाप्ति के पूर्व सन्देश ■ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ★भारत देश मे कुछ "देशभक्त" है, जो देश के लिए सही कर रहे है व खास लोगों (कारपोरेट) पर "विशेष अनुचित कृपा" बना रखी है ! किन्तु "आम देशवासियों व सरकारी कम्पनियों" (रोजगार, सुरक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था व सरकारी कम्पनियों का विक्रय, एयरपोर्ट/रेलवे मे निजीकरण) के साथ "न्याय नहीं" कर पा रहे है ! ★नाथद्वारा श्रीनाथजी मन्दिर मे कुछ "श्रीजी भक्त" है, जो श्रीजी की भक्ति सही कर रहे है व खास लोगों (बोर्ड मेम्बर्स, अधिकारी) पर "विशेष अनुचित कृपा" बना रखी है ! किन्तु "बृजवासियों व श्रीजी की सम्पत्तियों" (वल्लभ विलास, प्रसाद, दर्शनार्थियों को सुविधाएं, लालबाग बस स्टैंड आदी) के साथ "न्याय नहीं" कर पा रहे है ! ■■■■■ समाधान ■■■■■ #आम आदमी व #बृजवासी जागे व कानून की सहायता से उचित रास्ते से कार्य करे ! #कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती ! CA. Dinesh Sanadhya - 30/12/2019 www.dineshapna.blogspot.com


Wednesday 25 December 2019

👌 *धन की परिभाषा* 👌 👌जब कोई बेटा या बेटी ये कहे कि मेरे माँ बाप ही मेरे भगवान् है…. *ये है “धन”*👍 👌जब कोई माँ बाप अपने बच्चों के लिए ये कहे कि ये हमारे कलेजे की कोर हैं…. *ये है “धन”* 👍 👌शादी के 20 साल बाद भी अगर पति पत्नी एक दूसरे से कहें । I Love you… *ये है “धन”* 👍 👌कोई सास अपनी बहु के लिए कहे कि ये मेरी बहु नहीं बेटी है और कोई बहु अपनी सास के लिए कहे कि ये मेरी सास नहीं मेरी माँ है…… *ये है “धन”*👍 👌जिस घर में बड़ो को मान और छोटो को प्यार भरी नज़रो से देखा जाता है…… *ये है “धन”* 👍 👌जब कोई अतिथि कुछ दिन आपके घर रहने के पशचात् जाते समय दिल से कहे की आपका घर …घर नहीं मंदिर है…. *ये है “धन”*👍 ऐसी दुआ हैं मेरी कि आपको ऐसे *”परम धन”* की प्राप्ति हो। 😄”खुश रहिये ……..  सदा मुस्कराते रहो  आपका हर लम्हा मंगलदायक हो 🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹



🙏😋 *जीसोरो सौ करा देवे* 😋🙏 'गूंदपाक' सियाळे में, 'दही-छाछ' उँधाळे में, 'चीलड़ो' बरसात में, हेर 'डॉयफ्रूट' बारात में.... *जीसोरो सौ करा देवे* गलरको 'खीर' को, 'कोफ़्तो' पनीर को, रंग 'केसर फीणी' को, 'चूरमो' देसी चीणी को.... *जीसोरो सौ करा देवे* रोटी 'बाजरी' की, चटणी 'काचरी' की, 'बाटो' भोभर को, 'बड़ो मोठ" मोगर को... *जीसोरो सौ करा देवे* सबड़को 'राबड़ी' को, स्वाद 'गुलाबड़ी' को, साग 'काचर फळी' को, मिठास 'गुड़ की डळी को'... *जीसोरो सौ करा देवे* खुपरी 'मतीरा' की, खुशबु 'सीरा' की, अचार 'सांगरी केर' को, 'भुजियो' बीकानेर को... *जीसोरो सौ करा देवे* 'कचौरी' दाळ की, ''जळेबी' घाळ की, 'खीचड़ो' बाजरी मोठ को, मजो सावण की 'गोठ' को... *जीसोरो सौ करा देवे* 'दूध' घर की गाय को, सुरडको 'गर्म चाय' को, 'राजभोग' छेना को, शर्बत 'केरी पोदीना को... *जीसोरो सौ करा देवे* गप्पा "गुवाड़" की, शान "मारवाड़" की, मीठो पत्तो 'पान' को, खाणो 'राजस्थान' को... *जीसोरो सौ करा देवे* *जय राजस्थान* *जय भोले जय हिन्द*



राम भक्त ‘हनुमान’ जी से सीखें जीवन प्रबंधन के ये दस सूत्र!!!!! हनुमान जी को कलियुग में सबसे प्रमुख ‘देवता’ माना जाता है। रामायण के सुन्दर कांड और तुलसीदास की हनुमान चालीसा में बजरंगबली के चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। इसके अनुसार हनुमान जी का किरदार हर रूप में युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। हनुमान जी को कलियुग में सबसे असरदार भगवान माना गया है। हनुमान जी के बारे में तुलसीदास लिखते हैं ‘संकट कटे मिटे सब पीरा,जो सुमिरै हनुमत बल बीरा’। हमेशा अपने भक्तों को संकट से निवृत्त करने वाले हनुमान जी ‘स्किल्ड इंडिया’ के जमाने में युवाओं के परमप्रिय देवता होने के साथ ही उनके जीवन प्रबंधन गुरु की भी भूमिका निभाते हैं। आज हम आपको ‘बजरंगबली’ के उन 10 गुणों के बारे में बताएंगे, जो न केवल आपको ‘उद्दात’ बनाएंगे, बल्कि आपके प्रोफ्रेशनल जीवन के लिए भी काफी प्रेरक साबित होंगे। 1. संवाद कौशल : - सीता जी से हनुमान पहली बार रावण की ‘अशोक वाटिका’ में मिले, इस कारण सीता उन्हें नहीं पहचानती थीं। एक वानर से श्रीराम का समाचार सुन वे आशंकित भी हुईं, परन्तु हनुमान जी ने अपने ‘संवाद कौशल’ से उन्हें यह भरोसा दिला ही दिया की वे राम के ही दूत हैं। सुंदरकांड में इस प्रसंग को इस तरह व्यक्त किया गया हैः “कपि के वचन सप्रेम सुनि, उपजा मन बिस्वास । जाना मन क्रम बचन यह ,कृपासिंधु कर दास ।।” 2. विनम्रता : - समुद्र लांघते वक्त देवताओं ने ‘सुरसा’ को उनकी परीक्षा लेने के लिए भेजा। सुरसा ने मार्ग अवरुद्ध करने के लिए अपने शरीर का विस्तार करना शुरू कर दिया। प्रत्युत्तर में श्री हनुमान ने भी अपने आकार को उनका दोगुना कर दिया। “जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा, तासु दून कपि रूप देखावा।” इसके बाद उन्होंने स्वयं को लघु रूप में कर लिया, जिससे सुरसा प्रसन्न और संतुष्ट हो गईं। अर्थात केवल सामर्थ्य से ही जीत नहीं मिलती है, “विनम्रता” से समस्त कार्य सुगमतापूर्वक पूर्ण किए जा सकते हैं। 3. आदर्शों से कोई समझौता नहीं : - लंका में रावण के उपवन में हनुमान जी और मेघनाथ के मध्य हुए युद्ध में मेघनाथ ने ‘ब्रह्मास्त्र’ का प्रयोग किया। हनुमान जी चाहते, तो वे इसका तोड़ निकाल सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वह उसका महत्व कम नहीं करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने ब्रह्मास्त्र का तीव्र आघात सह लिया। हालांकि, यह प्राणघातक भी हो सकता था। यहां गुरु हनुमान हमें सिखाते हैं कि अपने उसूलों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए । तुलसीदास जी ने हनुमानजी की मानसिकता का सूक्ष्म चित्रण इस पर किया हैः “ब्रह्मा अस्त्र तेंहि साँधा, कपि मन कीन्ह विचार । जौ न ब्रहासर मानऊँ, महिमा मिटाई अपार । 4. बहुमुखी भूमिका में हनुमान : - हम अक्सर अपनी शक्ति और ज्ञान का प्रदर्शन करते रहते हैं, कई बार तो वहां भी जहां उसकी आवश्यकता भी नहीं होती। तुलसीदास जी हनुमान चालीसा में लिखते हैंः “सूक्ष्म रूप धरी सियंहि दिखावा, विकट रूप धरी लंक जरावा ।” सीता के सामने उन्होंने खुद को लघु रूप में रखा, क्योंकि यहां वह पुत्र की भूमिका में थे, परन्तु संहारक के रूप में वे राक्षसों के लिए काल बन गए। एक ही स्थान पर अपनी शक्ति का दो अलग-अलग तरीके से प्रयोग करना हनुमान जी से सीखा जा सकता है। 5. समस्या नहीं समाधान स्वरूप : - जिस वक़्त लक्ष्मण रण भूमि में मूर्छित हो गए, उनके प्राणों की रक्षा के लिए वे पूरे पहाड़ उठा लाए, क्योंकि वे संजीवनी बूटी नहीं पहचानते थे। हनुमान जी यहां हमें सिखाते हैं कि मनुष्य को शंका स्वरूप नहीं, वरन समाधान स्वरूप होना चाहिए। 6. भावनाओं का संतुलन : - लंका के दहन के पश्चात् जब वह दोबारा सीता जी का आशीष लेने पहुंचे, तो उन्होंने सीता जी से कहा कि वह चाहें तो उन्हें अभी ले चल सकते हैं, पर “मै रावण की तरह चोरी से नहीं ले जाऊंगा। रावण का वध करने के पश्चात ही यहां से प्रभु श्रीराम आदर सहित आपको ले जाएंगे।” रामभक्त हनुमान अपनी भावनाओं का संतुलन करना जानते थे, इसलिए उन्होंने सीता माता को उचित समय (एक महीने के भीतर) पर आकर ससम्मान वापिस ले जाने को आश्वस्त किया। 7. आत्ममुग्धता से कोसों दूर :- सीता जी का समाचार लेकर सकुशल वापस पहुंचे श्री हनुमान की हर तरफ प्रशंसा हुई, लेकिन उन्होंने अपने पराक्रम का कोई किस्सा प्रभु राम को नहीं सुनाया। यह हनुमान जी का बड़प्पन था,जिसमे वह अपने बल का सारा श्रेय प्रभु राम के आशीर्वाद को दे रहे थे। प्रभू श्रीराम के लंका यात्रा वृत्तांत पूछने पर हनुमान जी जो कहा उससे भगवान राम भी हनुमान जी के आत्ममुग्धताविहीन व्यक्तित्व के कायल हो गए। “ता कहूं प्रभु कछु अगम नहीं, जा पर तुम्ह अनुकूल । तव प्रभाव बड़वानलहि ,जारि सकइ खलु तूल ।। 8. नेतृत्व क्षमता : - समुद्र में पुल बनाते वक़्त अपेक्षित कमजोर और उच्चश्रृंखल वानर सेना से भी कार्य निकलवाना उनकी विशिष्ठ संगठनात्मक योग्यता का परिचायक है। राम-रावण युद्ध के समय उन्होंने पूरी वानरसेना का नेतृत्व संचालन प्रखरता से किया। 9. बौद्धिक कुशलता और वफादारी : - सुग्रीव और बाली के परस्पर संघर्ष के वक़्त प्रभु राम को बाली के वध के लिए राजी करना, क्योंकि एक सुग्रीव ही प्रभु राम की मदद कर सकते थे। इस तरह हनुमान जी ने सुग्रीव और प्रभू श्रीराम दोनों के कार्यों को अपने बुद्धि कौशल और चतुराई से सुगम बना दिया। यहां हनुमान जी की मित्र के प्रति ‘वफादारी’ और ‘आदर्श स्वामीभक्ति’ तारीफ के काबिल है। 10. समर्पण : - हनुमान जी एक आदर्श ब्रह्चारी थे। उनके ब्रह्मचर्य के समक्ष कामदेव भी नतमस्तक थे। यह सत्य है कि श्री हनुमान विवाहित थे, परन्तु उन्होंने यह विवाह एक विद्या की अनिवार्य शर्त को पूरा करने के लिए अपने गुरु भगवान् सूर्यदेव के आदेश पर किया था। श्री हनुमान के व्यक्तित्व का यह आयाम हमें ज्ञान के प्रति ‘समर्पण’ की शिक्षा देता है। इसी के बलबूते हनुमान जी ने अष्ट सिद्धियों और सभी नौ निधियों की प्राप्ति की। बड़ी विडंबना है कि दुनिया की सबसे बड़ी युवा शक्ति भारत के पास होने के बावजूद उचित जीवन प्रबंधन न होने के कारण हम युवाओं की क्षमता का समुचित दोहन नहीं कर पा रहे हैं। युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय श्री हनुमान निश्चित रूप से युवाओं के लिए सबसे बड़े आदर्श हैं, क्योंकि हनुमान जी का चरित्र अतुलित पराक्रम, ज्ञान और शक्ति के बाद भी अहंकार से विहीन था। आज हमें हनुमान जी की पूजा से अधिक उनके चरित्र को पूजकर उसे आत्मसात करने की आवश्यकता है, जिससे हम भारत को राष्ट्रवाद सरीखे उच्चतम नैतिक मूल्यों के साथ ‘कौशल युक्त’ भी बना सकें।


★★★ मनुस्मृति दहन ★★★ ★★ 754 वर्ष गुलामी के ★★ 25 दिसंबर 1927 जब लॉर्ड एडवर्ड इरविन भारत की वायसराय थी, तब डॉ अंबेडकर ने मनुस्मृति का दहन किया यह कहते हुए कि मनुस्मृति के कारण हम अछूत हुए इसलिए इस पुस्तक को मैं आग लगाता हूं ! इस सूची में देखकर बताएं ....................... किस शासक ने देश को मनुस्मृति से चलाया ? ठीक उसी प्रकार का झूठ जैसा हम कांग्रेसियों, वामपंथियों और बामसेफ द्वारा फैलाया गया झूठ आज देश में देख रहे हैं, अराजकता देख रहे हैं, नफरत देख रहे हैं ! ......…......…...... ★1★ गुलाम वंश 【97 वर्ष】 1=1193 मुहम्मद घोरी 2=1206 कुतुबुद्दीन ऐबक 3=1210 आराम शाह 4=1211 इल्तुतमिश 5=1236 रुकनुद्दीन फिरोज शाह 6=1236 रज़िया सुल्तान 7=1240 मुईज़ुद्दीन बहराम शाह 8=1242 अल्लाउदीन मसूद शाह 9=1246 नासिरुद्दीन महमूद 10=1266 गियासुदीन बल्बन 11=1286 कै खुशरो 12=1287 मुइज़ुदिन कैकुबाद 13=1290 शमुद्दीन कैमुर्स ●=1290 गुलाम वंश समाप्त् (शासन काल-97 वर्ष लगभग ) ★2★ खिलजी वंश 【30 वर्ष】 1=1290 जलालुदद्दीन फ़िरोज़ खिलजी 2=1296 अल्लाउदीन खिलजी 4=1316 सहाबुद्दीन उमर शाह 5=1316 कुतुबुद्दीन मुबारक शाह 6=1320 नासिरुदीन खुसरो शाह ●=1320 खिलजी वंश स्माप्त (शासन काल-30 वर्ष लगभग ) ★3★ तुगलक वंश 【94 वर्ष】 1=1320 गयासुद्दीन तुगलक प्रथम 2=1325 मुहम्मद बिन तुगलक दूसरा 3=1351 फ़िरोज़ शाह तुगलक 4=1388 गयासुद्दीन तुगलक दूसरा 5=1389 अबु बकर शाह 6=1389 मुहम्मद तुगलक तीसरा 7=1394 सिकंदर शाह पहला 8=1394 नासिरुदीन शाह दुसरा 9=1395 नसरत शाह 10=1399 नासिरुदीन महमद शाह दूसरा दुबारा सता पर 11=1413 दोलतशाह ●=1414 तुगलक वंश समाप्त (शासन काल-94वर्ष लगभग ) ★4★ सैय्यद वंश 【37 वर्ष 】 1=1414 खिज्र खान 2=1421 मुइज़ुदिन मुबारक शाह दूसरा 3=1434 मुहमद शाह चौथा 4=1445 अल्लाउदीन आलम शाह ●=1451 सईद वंश समाप्त (शासन काल-37वर्ष लगभग ) ★5★ लोदी वंश 【75 वर्ष 】 1=1451 बहलोल लोदी 2=1489 सिकंदर लोदी दूसरा 3=1517 इब्राहिम लोदी ●=1526 लोदी वंश समाप्त (शासन काल-75 वर्ष लगभग ) ★6★ मुगल वंश 【4 वर्ष 】 1=1526 ज़ाहिरुदीन बाबर 2=1530 हुमायूं ■■ 1530 से 1539 मुगल वंश मध्यांतर ■■ ★7★ सूरी वंश 【16 वर्ष 】 1=1539 शेर शाह सूरी 2=1545 इस्लाम शाह सूरी 3=1552 महमूद शाह सूरी 4=1553 इब्राहिम सूरी 5=1554 फिरहुज़् शाह सूरी 6=1554 मुबारक खान सूरी 7=1555 सिकंदर सूरी सूरी वंश समाप्त,(शासन काल-16 वर्ष लगभग ) ★8★ मुगल वंश पुनःप्रारंभ 【302 वर्ष 】 1=1555 हुमायू दुबारा गाद्दी पर 2=1556 जलालुदीन अकबर 3=1605 जहांगीर सलीम 4=1628 शाहजहाँ 5=1659 औरंगज़ेब 6=1707 शाह आलम पहला 7=1712 जहादर शाह 8=1713 फारूखशियर 9=1719 रईफुदु राजत 10=1719 रईफुद दौला 11=1719 नेकुशीयार 12=1719 महमूद शाह 13=1748 अहमद शाह 14=1754 आलमगीर 15=1759 शाह आलम 16=1806 अकबर शाह 17=1837 बहादुर शाह जफर ●=1857 मुगल वंश समाप्त (शासन काल-302 वर्ष लगभग ) ★9★ ब्रिटिश राज (वाइसरॉय) 【90 वर्ष 】 1=1858 लॉर्ड केनिंग 2=1862 लॉर्ड जेम्स ब्रूस एल्गिन 3=1864 लॉर्ड जहॉन लोरेन्श 4=1869 लॉर्ड रिचार्ड मेयो 5=1872 लॉर्ड नोर्थबुक 6=1876 लॉर्ड एडवर्ड लुटेनलॉर्ड 7=1880 लॉर्ड ज्योर्ज रिपन 8=1884 लॉर्ड डफरिन 9=1888 लॉर्ड हन्नी लैंसडोन 10=1894 लॉर्ड विक्टर ब्रूस एल्गिन 11=1899 लॉर्ड ज्योर्ज कर्झन 12=1905 लॉर्ड TV गिल्बर्ट मिन्टो 13=1910 लॉर्ड चार्ल्स हार्डिंज 14=1916 लॉर्ड फ्रेडरिक सेल्मसफोर्ड 15=1921 लॉर्ड रुक्स आईजेक रिडींग 16=1926 लॉर्ड एडवर्ड इरविन 17=1931 लॉर्ड फ्रिमेन वेलिंग्दन 18=1936 लॉर्ड एलेक्जंद लिन्लिथगो 19=1943 लॉर्ड आर्किबाल्ड वेवेल 20=1947 लॉर्ड माउन्टबेटन (ब्रिटिश राज समाप्त शासन काल 90 वर्ष लगभग) ★★【97+30+94+37+75+4+9+16+302+90 = 754 वर्ष "गुलामी के दिन" 】★★ 01=1947 जवाहरलाल नेहरू 02=1964 गुलजारीलाल नंदा 03=1964 लालबहादुर शास्त्री 04=1966 गुलजारीलाल नंदा 05=1966 इन्दिरा गांधी 06=1977 मोरारजी देसाई 07=1979 चरणसिंह 08=1980 इन्दिरा गांधी 09=1984 राजीव गांधी 10=1989 विश्वनाथ प्रतापसिंह 11=1990 चंद्रशेखर 12=1991 पी.वी.नरसिंह राव 13=1996 अटल बिहारी वाजपेयी 14=1996 ऐच.डी.देवगौड़ा 15=1997 आई.के.गुजराल 16=1998 अटल बिहारी वाजपेयी 17=2004 डॉ.मनमोहनसिंह 18=2014 से नरेन्द्र मोदी