Sunday 29 August 2021

★श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं !★ (श्रीकृष्ण से सीखें - ●निष्काम कर्म करें ! ●धर्म की रक्षा करें !) (5248 वें जन्मदिन की शुभकामनाओ के साथ जीवन मे "10" शुभ कर्म करें !) 1. संघर्ष ही जीवन है, उसको सहर्ष स्वीकार करें ! 2. रिश्तों से ही जीवन है, बिना रिश्तों के कुछ नहीं ! 3. स्वस्थ्य शरीर से ही विजय है, स्वास्थ्य का ध्यान रखें ! 4. हर परिस्थिति में मन शांत और दिमाग स्थिर रखे ! 5. व्यापक व सकारात्मक सोच के साथ निष्काम कर्म करे ! 6. धर्म के साथ रहे व धर्म की रक्षा करे, चाहे मार्ग कोई भी हो ! 7. नारी, मित्र, गुरु व बड़ों का सम्मान करें व कार्य करें ! 8. शांति ही श्रेष्ठ मार्ग है, किन्तु अधर्म के विरुद्ध युद्ध भी करें ! 9. लीडर बनें, किन्तु श्रेय लेने की होड़ से बचें ! 10. पढ़ाई व ज्ञान केवल किताबी ही ना हो, व्यावहारिक भी हो ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #30/08/2021 #dineshapna





 

Friday 27 August 2021

महाविद्यालय द्वारा अनावश्यक व अधिक फीस के विरोध मे - CYSS आम आदमी पार्टी जिला अध्यक्ष सीए दिनेश चंद्र सनाढ्य के नेतृत्व में " छात्र युवा संघर्ष समिति " (CYSS) राजसमंद के कार्यकर्ताओं ने आज जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल जी को ज्ञापन सौंपा गया ज्ञापन में बताया राजस्थान के सरकारी महाविद्यालय के छात्रो की फीस उनके स्तर से कई गुना ज्यादा की हुई है। जिसके प्रभाव से छात्रों को सरकारी महाविद्यालय होने के बावजूद भी आर्थिक कारणो का सामना करना पड़ रहा है, कोविड-19 के चलते भी विद्यार्थियों से खेल, विकास, लाइब्रेरी, छात्र यूनियन सहित कई तरह के मद से फीस वसूली की गई, परीक्षाएं नहीं हुई फिर भी शुल्क वसूला गया। महाविद्यालय के छात्रो से राजस्थान सरकार उचित रुप से ऐडमिशन फीस लेने के बजाय ज्यादा लेकर कालाबाजारी कर रही हैं। आम आदमी पार्टी राजस्थान की छात्र विंग छात्र युवा संघर्ष समिति (CYSS) इसका कड़ा विरोध करती है। तथा सही समय पर कार्यवाही ना होने पर पुरे राजस्थान में समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा आन्दोलन करने की चेतावनी दी । छात्र युवा संघर्ष समिति (CYSS) कि प्रदेश सोशल मीडिया इंचार्ज एवं उदयपुर संभाग प्रभारी जमना कुमारी कीर ने कहा है कि महाविद्यालय के विद्यार्थियों को कोविड-19 के चलते हुए कोई राहत नहीं दी गई। दो साल से महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय पूरी तरह से बंद है। कोरोना महामारी के कारण सभी के परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। सभी पर बहुत ही अधिक बोझ है। राजस्थान सरकार छात्रों के हित में उचित निर्णय जल्द से जल्द ले तथा सभी छात्र-छात्राओं का नामांकन शुल्क कम किया जाए । अन्यथा हजारों की संख्या में छात्र- छात्राएं यूनिवर्सिटी का घेराव करने के लिए बाध्य होंगे। सेठ रंगलाल कोठारी राजकीय महाविद्यालय पूर्व अध्यक्ष पद प्रत्याशी एवं उदयपुर संभाग यूथ अध्यक्ष पप्पू लाल कीर ने कहा है कि कोविड-19 के चलते हुए पिछले 2 साल से राजकीय महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं चली एवं परीक्षा भी नहीं हुई। इसके बावजूद भी छात्र- छात्रों से प्रवेश शुल्क एवं परीक्षा शुल्क आदि लिए गए। आफताब समदानी नाथद्वारा ने कहा है कि राजस्थान सरकार विद्यार्थियों के साथ अत्याचार कर रही है। पिछले 2 साल से पूर्ण रूप से महाविद्यालय बंद थे ।जिसके बावजूद भी छात्रों से अनेक प्रकार के शुल्क वसूले गए। एवं वर्तमान में सरकार ने कोई राहत नहीं दी। इस दौरान जिला अध्यक्ष दिनेश चंद्र सनाढ्य, अमित वर्मा, उदयपुर संभाग यूथ अध्यक्ष पप्पू लाल कीर, आफताब समदानी नाथद्वारा, रणवीर सिंह भाटी, आदि उपस्थित थे।







 

Thursday 26 August 2021

★हिन्दू धर्मनिष्ठ है, बहादुर है, शक्तिशाली है, वैभवशाली है, तो फिर भी गुलाम क्यों हुए ?★ ◆हिन्दू धर्मनिष्ठ है, किन्तु धर्म की 100% पालना नहीं करते है ! (अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च: के अधूरे श्लोक का अनुसरण करते है !) (हम भगवान को पूजते है किन्तु आत्मसात पूरा नहीं करते है !) (हम शास्त्र के साथ शस्त्र को धारण नहीं करते है !) ◆हिन्दू बहादुर है, किन्तु हमारे बीच गद्दारों की भी कमी नहीं है ! (दुश्मनों को हराते है, किन्तु गद्दारों से हार जाते है !) (बहादुर होने के कारण जितने के बावजूद दुश्मनों को माफ कर देते है, जिससे धोखा हो जाता है !) (बहादुर ज्यादा होने के कारण हम दुस्साहसी हो जाते है !) ◆हिन्दू शक्तिशाली है, किन्तु एकता की कमी है ! (एकता की कमी होने से हम अपनो के कारण ही दुश्मनों से हार जाते है !) (शक्तिशाली होने के साथ घमण्ड भी आ जाता है जो घातक होता है !) (हम आपस मे ही लड़ने के कारण दुश्मनों को मौका मिल जाता है !) ◆हिन्दू वैभवशाली है, किन्तु उनके रक्षण मे कमी है ! (हम वैभव बढ़ाने मे लगे रहते है किन्तु उस अनुपात मे रक्षक नही बढ़ाने के कारण हम लालची लोगों को आक्रमण करने का मौका देते है !) (हमारे मन्दिरो को लूटने का एक मुख्य कारण यह है कि हमारी रक्षा पंक्ति कमजोर है!) (मन्दिरो की रक्षा भगवान भरोसे छोड़ देते है, जो अनीति पूर्ण है !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #26/08/2021 #dineshapna





 

★हिन्दू अपने धर्म/ज्ञान को पूरा जाने व समझे, अधुरे ज्ञान का बहिष्कार करे !★ “अहिंसा परमो धर्मः , धर्म हिंसा तथैव च: ” (पूरा श्लोक महाभारत के अनुसार) (अर्थात् अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है !) ◆◆◆◆◆◆◆अधुरा ज्ञान◆◆◆◆◆◆◆◆ “अहिंसा परमो धर्म ” ............................ (अधुरा श्लोक व सन्देश महात्मा गांधी ने दिया) (अर्थात् अहिंसा मनुष्य का परम धर्म हैं !) अंग्रेजो ने 'फूट डालो राज करो ' नीति अपनाई । दो राजाओ या सामंतो को आपस मे लड़ा देते उनमे जो जीतता उसको वे स्वयं खत्म कर देते या दूसरे शक्तिशाली राजा से लड़ा देते । धीरे-धीरे उन्होंने लोगों को गुलाम बनाना शुरू किया । कुछ जागरूक लोगों ने उनका विरोध करना शुरू किया तो उन्हें महात्मा गांधी ने ये कह कर रोक दिया कि 'अहिंसा परमो धर्म:' अर्थात् अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है । हमे हिंसा नही करना चाहिए तथा ये भी समझाया कि 'अतिथि देवो भव ' अर्थात् अतिथि देव के समान होता है । परंतु एक बात समझ में नही आती कि महात्मा गांधी ने यह श्लोक अधूरा ही क्यों कहा ? उन्होंने आगे यह क्यूँ नही कहा कि "धर्म हिंसा तथैव च" अर्थात धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना भी धर्म है । ★ गांधी जी ने ये अधूरा श्लोक किस भाव से कहा ? ★ क्या वो अंग्रेजो की मदद करके इस देश को गुलाम बनाना चाहते थे ? यदि गुलाम बनाना चाहते थे तो उनके साथ कई महापुरुषों के नाम कुत्सित हो सकते है जिनमे पहला नाम रविन्द्र नाथ ठाकुर का होगा, क्योंकि उन्होंने ही सबसे पहले गांधी जी को महात्मा कहा । महात्मा अर्थात महान +आत्मा । महान है जो आत्मा । एक महात्मा पूरे विश्व के कल्याण की कामना करता है, परन्तु इन्होंने अपने ही देश के कल्याण के बारे में नही सोचा ! महात्मा का अर्थ जाने बिना किसी को महात्मा कह देना सर्वथा अनुचित है । यदि देश बचाना चाहते थे तो उन्हें पूरा श्लोक कह कर , लोगो को अधर्म के खिलाफ खड़े होकर लड़ने की सलाह देनी चाहिए थी क्योंकि अंग्रेज लोगो पर अन्याय और अत्याचार कर रहे थे । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #25/08/2021 #dineshapna




 

Tuesday 24 August 2021

हिन्दू अपने धर्म को जाने, समझे व आत्मसात करें ! ★★★★★★ धर्मो रक्षति रक्षितः ★★★★★★ (तुम धर्म की रक्षा करो, धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा !) अर्थात् "धर्म की रक्षा करो, तुम स्वतः रक्षित हो जाओगे" "धर्म" ही इस चराचर जगत एवं सम्पूर्ण जीवों के जीवन का मूल है | धर्म के बिना न इस सृष्टि की कल्पना की जा सकती है और न ही मानव जीवन की | धर्म के बिना ये विश्व श्रीहीन हो जायेगा | जिसमें न किसी प्राणशक्ति का वास होगा न किन्हीं पुण्यविचारों का | ★धर्म क्या है ?★ "हिन्दू धर्म" के अनुसार - (१) परोपकार पुण्य है दूसरों को कष्ट देना पाप है ! (२) स्त्री आदरणीय है ! (३) पर्यावरण की रक्षा हमारी उच्च प्राथमिकता है ! (४) हिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादी है ! (५) जीवमात्र की सेवा ही परमात्मा की सेवा है ! धर्म एक आधार है जिस पर मनुष्य के नैतिक एवं मानवीय गुण यथा दया, क्षमा, तप, त्याग, मनोबल, सत्यनिष्ठा, सुबुद्धि, शील, पराक्रम, नम्रता, कर्तव्यनिष्ठा, मर्यादा, सेवा, नैतिकता, विवेक, धैर्य इत्यादि पनपते हैं | धर्म की छत्रछाया में इन गुणों का सर्वांगीण विकास होता है | मनुष्य सिर्फ अपनी मानवाकृति के कारण मनुष्य नहीं कहलाता बल्कि अपने उपरोक्त गुणों से वास्तविक मनुष्य बनता है | मनुष्यों और पशुओं में अंतर शारीरिक नहीं है बल्कि पशुओं में ऊपर बताये गए मौलिक मानवीय गुणों में से कुछ का अभाव होता है| "हाँ" यहाँ ये भी कह देना आवश्यक है कि पशुओं में कुछ वो गुण जरूर होते हैं जो आजकल के मनुष्यों में नहीं होते | मौलिक मानवीय गुणों का सिर्फ होना ही आवश्यक नहीं है बल्कि उनकी निरंतर रक्षा भी होनी चाहिए | उपरोक्त वाक्यांश का पूरा श्लोक इस प्रकार है :- धर्म एव हतो हन्ति "धर्मो रक्षति रक्षितः" । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् । अर्थात् ‘‘जो पुरूष धर्म का नाश करता है, उसी का नाश धर्म कर देता है, और जो धर्म की रक्षा करता है, उसकी धर्म भी रक्षा करता है । इसलिए मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले, इस भय से धर्म का हनन अर्थात् त्याग कभी न करना चाहिए ।’’ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #24/08/2021 #dineshapna





 

Monday 23 August 2021

★हिन्दुओं अब तो "अ" से "अ,आ,इ,ई" सीखें !★ (अ)"अ" से अफगानिस्तान के इतिहास को जाने, समझे व शिक्षा ले ! (आ)"आ"ज से पूर्व सन् 1875 तक अफगानिस्तान भारत का हिस्सा था और वहाँ हिन्दू ही रहते थे ! (इ)"इ"स्लाम का आंतक व एकता नहीं होने से तलवार के डर से सलवार पहन ली ! (ई)"ई"स बार फिर सलवार पहनाने वाले ही पुन: उनकी सलवार फाड़ रहे है ! (उ)"उ"ल्टा जब कोई उनकी सलवार बचाने के लिए 20 साल तक धन व शक्ति खर्च कर रहे तो भी सलवार पहनाने वालो का ही गुणगान करते रहे ! (ऊ)"ऊ"ल्लू बनाने के कारण ही जब बचाव पक्ष चले गये तो वापस उनकी सलवार फाड़ने आ गये ! अब सलवार पकड़ कर भाग रहे है ! (ए)"ए"क बार फिर जिसका विरोध करते है उसी से सहायता माँग रहे है ! (ऐ)"ऐ"सी सलवार ही क्यों पहन रखी है ? अब भी नहीं समझे, एकता नहीं रखी, गलत का साथ दिया तो भगवान भी आपकी कोई सहायता नहीं कर सकता है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #23/08/2022 #dineshapna






 

Sunday 22 August 2021

Congress के Communal Violence Bill 2013 की सच्चाई आम आदमी के सामने रखे ! हिन्दू बहुसंख्यक भी उक्त बिल की सच्चाई व कांग्रेस की सच्चाई को समझे ! ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ कांग्रेस ने सोचा था कि भारत 2020- 22 तक इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा इसलिए 2011 से लेकर 2013 तक *कम्युनल वायलेंस लॉ* को कांग्रेस ने तीन बार लोकसभा में प्रस्तुत किया, परन्तु बीजेपी ने लोकसभा में इसका जोरदार विरोध किया जिस कारण यह हिन्दुओं को गुलाम बनाने वाला कानून पास नहीं हो सका,यदि कानून पास हो जाता तो हिंदू निश्चित रूप से गुलाम हो जाता l इसलिए पहले हीं गाँधी परिवार ने प्रियंका वाड्रा के बेटे का नाम रेहान रखा गया जो एक मुस्लिम नाम है कि कांग्रेस के लोग कह सके कि हमारा तो नेता रेहान है और यह मुस्लिम हैl यह रेहान वाड्रा कि जगह रेहान खान हों जाता फिर यह कांग्रेस पीढ़ी दर पीढ़ी राज्य करती रहती l क्या है यह कानून नीचे पढ़े Communal violence Law *हिंदुओ के लिए फांसी का फंदा तैयार करने को कांग्रेस किस तरह से तैयार थी। ** इस* *लेख को पूरा पढ़िए। इसे पढ़कर कांप उठेंगे। अफसोस ! मरते न जिन्दा रहते तड़प 2 कर जीते।* *बहन बेटिया आपके ही सामने हबस का शिकार अलग बनती।* 🙁 *"Communal violence bill"* कांग्रेस के लिये जान फूंकने वाले हिंदुओं सुनो मैं कांग्रेस का घोर विरोधी क्यों हूँ । "एंटोनी माइनो" की भयानक खतरनाक साजिश। जिसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जायेगा। अगर लागू हो गया होता तो मरना भी दूभर हो जाता। जीने की बात ही छोड़ो। तुम्हारे विनाश वाला बिल जिसे काँग्रेस ने दो बार संसद मे पेश किया। 2005 मे और फिर 2011 में । *कांग्रेस हिंदुओ के खिलाफ ऐसा बिल लेकर आई थी जिसको सुनकर आप कांप उठेंगे । परन्तु भाजपा के जबरदस्त विरोध के कारण वह पास नहीं करवा सकी ।* मुझे यकीन है कि *96% हिन्दुओ को तो अपने खिलाफ आये* इस बिल के बारे में कुछ पता भी नहीं होगा जिसमें शिक्षित हिंदू भी शामिल है *क्योंकि हिंदू सम्पत्ति जुटाने में लगा है उसको इन सब बातों को* जानने के लिए समय नहीं है । जबकि मुसलमान के *अनपढ़ भी इतने जागरूक है कि पाकिस्तान,* बांग्लादेश,अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये गए हिन्दू व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने वाले *CAA क़ानून के खिलाफ मुसलमान का बच्चा बच्चा उठ खड़ा हुआ ।* अगर काँग्रेस *दुबारा सत्ता में आई तो यह बिल फिर लेकर आएगी ।* *क्या है " *दंगा* *नियंत्रण कानून"** हिंदू समाज के लिए *फांसी* का फंदा, कुछ एक लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा, 2011 में इस बिल की रुप रेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे, इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे और सब वही थे जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है.. कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होने वाले दंगों को रोकेंगे। अब इस बिल में कई प्रावधानो पर जरा नजर डालिए :-- 📌 इस बिल में प्रावधान था कि दंगों के दौरान दर्ज अल्पसंख्यक से सम्बंधित किसी भी मामले में सुनवाई कोई हिंदू जज नहीं कर सकता था । 📌 अगर कोई अल्पसंख्यक सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था कि आपके पक्ष को सुने बिना आपको जेल में डालने का हक होगा और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा.. 📌 इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि कोई भी हिन्दू दंगों के दौरान हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ के लिये अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध केस दर्ज नहीं करवा सकता । 📌 इस बिल में प्रावधान किया गया था कि अगर कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति हिन्दू पर हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, हत्या का आरोप लगाता है तो कोर्ट में साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है केवल मुकदमा दर्ज करवा देना ही काफ़ी है । बल्कि कोर्ट में निर्दोष साबित होने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जिस पर आरोप लगाया गया है । 📌 इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए बहुसंख्यक को जिम्मेदार मानते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के नुकसान की भरपाई हिंदू से की जाए । जबकि बहुसंख्यक के नुकसान के लिए अल्पसंख्यक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था । 📌 अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे क्योंकि उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया यानि आपकी बहन बेटी को छेड़ने वाले किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ भी हम कुछ नहीं कर सकते थे। मतलब कि अगर कोई छेड़े तो छेड़ते रहने दो वर्ना वो आपके खिलाफ कुछ भी आरोप लगा देता….. आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक.. 📌 देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क हिन्दू पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती। और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे किसी ने भी शुरू किया हो.. 📌अगर दंगों वाले इलाके में किसी भी हिन्दू बच्ची या हिन्दू महिला का रेप होता तो उसे रेप ही नहीं माना जाता । बहुसंख्यक है हिन्दू इसलिए उसकी महिला का रेप रेप नहीं माना जायेगा और इतना ही नहीं कोई हिन्दू महिला बलात्कार की पीड़ित हो जाती और वो शिकायत करने जाती तो अल्पसंख्यक के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का केस उस पर अलग से डाला जाता.. 📌 इस एक्ट में एक और प्रस्ताव था जिसके तहत आपको पुलिस पकड़ कर ले जाती अगर आप पूछते की आपने अपराध क्या किया है तो पुलिस कहती की तुमने अल्पसंख्यक के खिलाफ अपराध किया है, तो आप पूछते की उस अल्पसंख्यक का नाम तो बताओ, तो पुलिस कहती – नहीं शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा.. 📌 कांग्रेस के दंगा नियंत्रण कानून में ये भी प्रावधान था की कोई भी इलाका हो बहुसंख्यको को अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से पहले वहां के अल्पसंख्यकों का NOC लेना जरुरी होता यानि उन्हें कार्यक्रम से कोई समस्या तो नहीं है । ऐसे हालात में अल्पसंख्यक बैठे बैठे जजिया कमाते क्यूंकि आपको कोई भी धार्मिक काम से पहले उनकी NOC लेनी होती, और वो आपसे पैसे की वसूली करते और आप शिकायत करते तो भेदभाव का केस आप पर और ऐसे हालात में जज भी अल्पसंख्यक.. 📌 और भी अनेको प्रावधान थे कांग्रेस के इस दंगा नियंत्रण कानून में जिसे अंग्रेजी में # Communal Violence Bill भी कहते है.. सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का सबसे पहले विरोध शुरू किया था और उन्होंने इस बिल के बारे में लोगों को जब बताया था तो 2012 में हिन्दू काँप उठे थे तभी से कांग्रेस के खिलाफ हिन्दुओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया था। सुब्रमण्यम स्वामी का पूरा लेक्चर इस "Communal Violence Bill" पर आज भी मौजूद है, 45 मिनट से ज्यादा का है। आप चाहे तो यू टयूब पर सर्च कर लें, और अच्छे से सुन लें.. अब इस के बाद भी जो हिन्दू कांग्रेस को support करता है वे जाने अनजाने अपने ही लोगो के लिए नरक का द्वार खोल रहे हो इसे जानो, *नोट* -- इस सन्देश को जरूर शेयर करो इस हिन्दू *विरोधी ओर राष्ट्रद्रोही कोंग्रेस को देश व जनता के सामने नंगा करदो।* इसे *आप नेट, यू ट्यूब,गूगल पर भी सर्च कर सकते हैं !!*





 

★रक्षाबंधन की शुभकामनाएं !★ यह रक्षा का बन्धन है जो बहन राखी बाँधकर भाई से प्रेम व रक्षा की कामना करती है ! 【बहन राखी (प्रेम, त्याग व समर्पण) बाँधती है और भाई "रक्षा" करता है ! एक रक्षक है तो दूसरा रक्षित है !】 अब रक्षाबंधन होता है (देश - हम, धर्म - हम, समाज - हम, पर्यावरण - हम के बीच) इसलिए राखी ●देश की रक्षा, ●धर्म की रक्षा ●समाज हितों की रक्षा ●पर्यावरण की रक्षा के लिए भी बाँधी जाने लगी है ! 【यहाँ देश, पर्यावरण, धर्म व समाज सभी हमारी रक्षा करने का कार्य करते है किन्तु क्या हम राखी बाँधने वाले अपना धर्म (प्रेम, त्याग व समर्पण) निभा रहे है ?】 ★क्या हम "देश" के लिए कुछ कर रहे है ? ★क्या हम "धर्म" के लिए कुछ कर रहे है ? ★क्या हम "समाज" के लिए कुछ कर रहे है ? ★क्या हम "पर्यावरण" के लिए कुछ कर रहे है ? यदि "हाँ" तो हम "सभी को" देश, धर्म, समाज व पर्यावरण के लिए करना चाहिए ! यदि "नहीं" तो "हम स्वयं" को देश, धर्म, समाज व पर्यावरण के लिए करना चाहिए ! 【कहने से पहले करना चाहिए !】 हम रक्षाबंधन पर देश, धर्म, समाज व पर्यावरण की रक्षार्थ कृत संकल्प लेते है, कोई भी अपने अधिकार रक्षार्थ सम्पर्क (लोक अधिकार मंच या अपना ट्रस्ट - 9414170270 पर) कर सकता है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #22/08/2021 #रक्षाबंधन #dineshapna


 

Saturday 21 August 2021

★साहित्य से सत्य को पहचाने !★साहित्य पढ़ें, समझे, अपनाये ! ★"किंकोडा तेरस" से श्रीनाथजी व बृजवासियों के सत्य तथ्य !★ (१)वि.सं. 1552 मे श्रीनाथजी बृजवासियों से सीधी बात करते थे, श्रीनाथजी साक्षात् आज्ञा के साथ बृजवासियों 【◆सदु पांडे, ◆माणिकचंद पांडे, ◆रामदासजी और ◆कुंभनदासजी】 से सखा जैसा व्यवहार करते थे । (२)वि.सं. 1563 मे श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीसद्दू पाण्डे के घर पधारे, तब दूसरे दिन श्रीसद्दू पाण्डे ने उनको श्रीनाथजी से मिलन कराया । 【11 वर्ष बाद】 (३)बृजवासी श्रीनाथजी के सखा पहले, बाद मे श्रीवल्लभाचार्य जी ने पुष्टि मार्ग की स्थापना की । (४)श्रीवल्लभाचार्य जी का श्रीनाथजी से प्रथम मिलन से पूर्व श्रीसद्दू पाण्डे व बृजवासी श्रीनाथजी के साथ वार्तालाप करते थे । ◆◆◆◆◆◆◆>>>>पुष्टि साहित्य से>>>>◆◆◆◆◆◆◆ व्रज - श्रावण शुक्ल त्रयोदशी ●किंकोडा तेरस, चतुरा नागा का प्रसंग● संवत १५५२ श्रावण सुद तेरस बुधवार के दिन श्रीनाथजी टोंड के घने पधारे थे उस प्रसंग का वर्णन निम्नलिखित है :- कुंभनदासजी श्रीनाथजी की सेवा में नित्य कीर्तन करके श्रीनाथजी को रिझाते थे । वे श्रीनाथजी को प्रिय थे । श्रीनाथजी उनको अपना सानुभाव जताते थे । वे साथ साथ खेलते रहते थे और बाते भी किया करते थे । थोड़े ही दिनों में एक यवन का उपद्रव इस विस्तार में शुरू हुआ । वह सभी गांवों को लूटमार कर के पश्चिम से आया । उसका पड़ाव श्री गिरिराजजी से लगभग सात किलोमीटर दूर पड़ा था । 【◆सदु पांडे, ◆माणिकचंद पांडे, ◆रामदासजी और ◆कुंभनदासजी】 चारों ने विचार किया की यह यवन बहुत दुष्ट है और भगवद धर्म का द्वेषी है । अब हमें क्या करना चाहिये ? 【यह चारों वैष्णव श्रीनाथजी के अंतरंग थे. उनके साथ श्रीनाथजी बाते किया करते थे.】 उन्होंने मंदिर में जाकर श्रीनाथजी को पूछा कि महाराज अब हम क्या करें ? धर्म का द्वेषी यवन लूटता चला आ रहा है । अब आप जो आज्ञा करें हम वेसा करेंगें । श्रीनाथजी ने आज्ञा करी कि हमें टोंड के घने में पधारने की इच्छा है । वहां हमें ले चलो । तब उन्होंने पूछा कि महाराज इस समय कौन सी सवारी पर चले ? तब श्रीनाथजी ने आज्ञा करी कि सदु पांडे के घर जो पाडा है उसे ले आओ । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #20/08/2021 #dineshapna






 

Friday 20 August 2021

★"किंकोडा तेरस" से श्रीनाथजी व बृजवासियों के कुछ अनछुए सत्य तथ्य !★ ★इन तथ्यों को आज समझना जरूरी व प्रासंगिक है ।★ (१)वि.सं. 1552 मे श्रीनाथजी बृजवासियों से सीधी बात करते थे, श्रीनाथजी साक्षात् आज्ञा के साथ बृजवासियों 【◆सदु पांडे, ◆माणिकचंद पांडे, ◆रामदासजी और ◆कुंभनदासजी】 से सखा जैसा व्यवहार करते थे । (२)वि.सं. 1563 मे श्रीवल्लभाचार्य जी श्रीसद्दू पाण्डे के घर पधारे, तब दूसरे दिन श्रीसद्दू पाण्डे ने उनको श्रीनाथजी से मिलन कराया । 【11 वर्ष बाद】 (३)बृजवासी श्रीनाथजी के सखा पहले, बाद मे श्रीवल्लभाचार्य जी ने पुष्टि मार्ग की स्थापना की । (४)श्रीवल्लभाचार्य जी का श्रीनाथजी से प्रथम मिलन से पूर्व श्रीसद्दू पाण्डे व बृजवासी श्रीनाथजी के साथ वार्तालाप करते थे । ◆◆◆◆◆◆◆>>>>>>>>>>>>>>>>◆◆◆◆◆◆◆ व्रज - श्रावण शुक्ल त्रयोदशी Friday, 20 August 2021 किंकोडा तेरस, चतुरा नागा का प्रसंग आज के दिन संवत १५५२ श्रावण सुद तेरस बुधवार के दिन श्रीनाथजी टोंड के घने पधारे थे उस प्रसंग का वर्णन निम्नलिखित है :- कुंभनदासजी श्रीनाथजी की सेवा में नित्य कीर्तन करके श्रीनाथजी को रिझाते थे. वे श्रीनाथजी को प्रिय थे. श्रीनाथजी उनको अपना सानुभाव जताते थे. वे साथ साथ खेलते रहते थे और बाते भी किया करते थे. थोड़े ही दिनों में एक यवन का उपद्रव इस विस्तार में शुरू हुआ. वह सभी गांवों को लूटमार कर के पश्चिम से आया. उसका पड़ाव श्री गिरिराजजी से लगभग सात किलोमीटर दूर पड़ा था. 【◆सदु पांडे, ◆माणिकचंद पांडे, ◆रामदासजी और ◆कुंभनदासजी】 चारों ने विचार किया की यह यवन बहुत दुष्ट है और भगवद धर्म का द्वेषी है. अब हमें क्या करना चाहिये ? 【यह चारों वैष्णव श्रीनाथजी के अंतरंग थे. उनके साथ श्रीनाथजी बाते किया करते थे.】 उन्होंने मंदिर में जाकर श्रीनाथजी को पूछा कि महाराज अब हम क्या करें ? धर्म का द्वेषी यवन लूटता चला आ रहा है. अब आप जो आज्ञा करें हम वेसा करेंगें. श्रीनाथजी ने आज्ञा करी कि हमें टोंड के घने में पधारने की इच्छा है वहां हमें ले चलो. तब उन्होंने पूछा कि महाराज इस समय कौन सी सवारी पर चले? तब श्रीनाथजी ने आज्ञा करी कि सदु पांडे के घर जो पाडा है उसे ले आओ. मैं उसके ऊपर चढ़कर चलुंगा. सदु पाण्डे उस पाड़ा को लेकर आये. श्रीनाथजी उस पाड़ा पर चढ़कर पधारें. श्रीनाथजी को एक तरफ से रामदासजी थांभ कर चल थे और दूसरी तरफ सदु पांडे थांभ कर चल रहे थे. कुंभनदास और माणिकचंद वे दोऊ आगे चलकर मार्ग बताते रहते थे. मार्ग में कांटें - गोखरू बहुत लग रहे थे. वस्त्र भी फट गये थे. टोंड के घने में एक चौतरा है और छोटा सा तालाब भी है. एक वर्तुलाकार चौक के पास आके रामदासजी और कुंभनदासजी ने श्रीनाथजी को पूछा कि आप कहाँ बिराजेंगे ? तब श्रीनाथजीने आज्ञा करी कि हम चौतरे पर बिराजेंगे. `श्रीनाथजी को पाड़े पर बिठाते समय जो गादी बिछायी थी उसी गादी को इस चौतरे पर बिछा दी गई और श्रीनाथजी को उस पर पधराये. चतुरा नागा नाम के एक विरक्त भगवद भक्त थे वे टोंड के घने में तपस्या किया करता थे. वे गिरिराजजी पर कभी अपना पैर तक नहीं रखते थे. मानों उस चतुरा नागा को ही दर्शन देनेके लिए ही श्रीनाथजी पाडा पर चढ़कर टोंड की इस झाड़ी में पधारें, चतुरा नागा ने श्रीनाथजी के दर्शन करके बड़ा उत्सव मनाया. बन मे से किंकोडा चुटकर इसकी सब्जी और आटे हलवा (सिरा) बनाकर श्रीनाथजी को भोग समर्पित किया. इसके बारे में दूसरा उल्लेख यह भी है कि श्रीनाथजी ने रामदासजीको आज्ञा करी कि तुम भोग धरकर दूर खड़े रहो. तब श्री रामदासजी और कुंभनदासजी सोचने लगे कि किसी व्रज भक्त के मनोरथ पूर्ण करने हेतु यह लीला हो रही है. रामदासजी ने थोड़ी सामग्री का भोग लगाया तब श्रीनाथजी ने कहा कि सभी सामग्री धर दो. श्री रामदासजी दो सेर आटा का सिरा बनाकर लाये थे उन्होंने भोग धर दिया. रामदासजी ने जताया कि अब हम इधर ठहरेंगें तो क्या करेंगें ? तो श्रीनाथजी ने कहा कि तुमको यहाँ रहना नहीं है. कुम्भनदास, सदु पांडे, माणिक पांडे और रामदासजी ये चारों जन झाड़ी की ओट के पास बैठे तब निकुंज के भीतर श्री स्वामिनीजी ने अपने हाथों से मनोरथ की सामग्री बनाकर श्रीनाथजी के पास पधारे और भोग धरे, श्रीनाथजी ने अपने मुख से कुंभनदास को आज्ञा करी कि कुंभनदास इस समय ऐसा कोई कीर्तन गा तो मेरा मन प्रसन्न होने पावे. मै सामग्री आरोंगु और तु कीर्तन गा. श्री कुम्भनदासने अपने मनमें सोचा कि प्रभुको कोई हास्य प्रसंग सुननेकी इच्छा है ऐसा लगता है. कुंभनदास आदि चारों वैष्णव भूखे भी थे और कांटें भी बहुत लगे थे इस लिये कुंभनदासने यह पद गाया : राग : सारंग “भावत है तोहि टॉडको घनो । कांटा लगे गोखरू टूटे फाट्यो है सब तन्यो ।।१।। सिंह कहां लोकड़ा को डर यह कहा बानक बन्यो । ‘कुम्भनदास’ तुम गोवर्धनधर वह कौन रांड ढेडनीको जन्यो ।।२।। यह पद सुनकर श्रीनाथजी एवं श्री स्वामिनीजी अति प्रसन्न हुए. सभी वैष्णव भी प्रसन्न हुए. बाद में माला के समय कुंभनदासजी ने यह पद गाया : बोलत श्याम मनोहर बैठे... राग : मालकौंश बोलत श्याम मनोहर बैठे, कमलखंड और कदम्बकी छैयां । कुसुमनि द्रुम अलि पीक गूंजत, कोकिला कल गावत तहियाँ ।। 1 ।। सूनत दूतिका के बचन माधुरी, भयो हुलास तन मन महियाँ । कुंभनदास ब्रज जुवति मिलन चलि, रसिक कुंवर गिरिधर पहियाँ ।। 2 ।। यह पद सुनकर श्रीनाथजी स्वयं अति प्रसन्न हुए. बाद में श्री स्वामिनीजी ने श्रीनाथजी को पूछा की आप यहाँ किस प्रकार से पधारें? श्रीनाथजी ने कहा कि सदु पांडे के घर जो पाडा था उस पर चढ़कर हम पधारें हैं. श्रीनाथजी के इस वचन सुनकर स्वामिनीजी ने उस पाडा की ओर दृष्टि करके कृपा करके बोले कि यह तो हमारे बाग़ की मालन है. वह हमारी अवज्ञा से पाडा बनी है पर आज आपकी सेवा करके उसके अपराध की निवृत्ति हो गई है. इसी तरह नाना प्रकारे केली करके टोंड के घने से श्री स्वामिनी जी बरसाना पधारें. बादमें श्रीनाथजी ने सभी को झाडी की ओट के पास बैठे थे उनको बुलाया और सदु पांडे को आज्ञा करी कि अब जा कर देखो कि उपद्रव कम हुआ ? सदु पांडे टोंड के घने से बाहर आये इतने मे ही समाचार आये कि यवन की फ़ौज तो वापिस चली गई है. यह समाचार सदु पांडे ने श्रीनाथजी को सुनाया और बिनती की कि यवन की फ़ौज तो भाग गई है तब श्रीनाथजी ने कहा कि अब हमें गिरिराज पर मंदिर में पधरायें. इसी प्रकार आज्ञा होते ही श्रीनाथजी को पाडे पर बैठा के श्री गिरिराज पर्वत पर मंदिर में पधराये. यह पाडा गिरिराज पर्वत से उतर कर देह छोड़कर पुन: लीला को प्राप्त हुआ. सभी ब्रजवासी मंदिर में श्रीनाथजी के दर्शन करके बहुत प्रसन्न हुए और बोले की धन्य है देवदमन ! जिनके प्रताप से यह उपद्रव मिट गया. इस तरह संवत १५५२ श्रावण सुदी तेरस को बुधवार के दिन चतुरा नागा का मनोरथ सिद्ध करके पुन: श्रीनाथजी गिरिराजजी पर पधारें. यह टोंड के घने में श्रीनाथजी की बैठक है जहाँ सुंदर मंदिर व बैठकजी बनाई गई है. यह पाडा दैवी जीव था. लीला में वो श्री वृषभानजी के बगीचा की मालन थी. नित्य फूलों की माला बनाकर श्री वृषभानजी के घर लाती थी. लीला में वृंदा उसका नाम था. एक दिन श्री स्वामिनी जी बगीचा में पधारें तब वृंदा के पास एक बेटी थी उसको वे खिलाती रही थी. उसने न तो उठकर स्वामिनी जी को दंडवत किये कि न तो कोई समाधान किया. फिर भी स्वामिनीजी ने उसको कुछ नहीं कहा. उसके बाद श्री स्वामिनीजी ने आज्ञा की के तुम श्री नंदरायजी के घर जाकर श्री ठाकोरजी को संकेत करके हमारे यहां पधारने के लिए कहो तो वृंदा ने कहा की अभी मुझे मालाजी सिद्ध करके श्री वृषभानजी को भेजनी है तो मैं नहीं जाऊँगी. ऐसा सुनकर श्री स्वामिनीजी ने कहा कि मैं जब आई तब उठकर सन्मान भी न किया और एक काम करने को कहा वो भी नहीं किया. इस प्रकार तुम यह बगीचा के लायक नहीं हो. तु यहाँ से भुतल पर पड़ और पाडा बन जा. इसी प्रकार का श्राप उसको दिया तब वह मालन श्री स्वामिनीजी के चरणारविन्दमें जा कर गीर पडी और बहुत स्तुति करने लगी और कहा कि आप मेरे पर कृपा करों जिससे मैं यहां फिर आ सकुं. तब स्वामिनीजी ने कृपा करके कहा की जब तेरे पर चढ़कर श्री ठाकुरजी बन में पधारेंगें तभी तेरा अंगीकार होगा. इसी प्रकार वह मालन सदु पांडे के घर में पाडा हुई और जब श्रीनाथजी उस पर बेठ कर वन में पधारे तब वो पुन: लीला को प्राप्त हुई. 🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺🌸🌺 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #20/08/2021 #dineshapna






 

★राजस्थान सरकार द्वारा वोट के लिए पक्षपात पूर्ण रवैया !★ ◆अल्पसंख्यक समुदाय के लिए लाई गई एमनेस्टी योजना में ऋणी अल्पसंख्यक को मार्च 2014 तक वितरण किए गए ऋणो को नहीं चुकाने वालों को बकाया मूलधन का 20 से 40 प्रतिशत जमा कराने पर शेष मूलधन , ब्याज ,पेनल ब्याज एमनेस्टी योजना के तहत माफ किया जा रहा है। ◆जबकि किसानों द्वारा लिए गए ऋण विगत 5 वर्षों से समय पर बारिश नहीं होने व बाजार मे फसलों की कीमत नहीं मिलने के कारण ऋण नहीं चुकाने पर मूल राशि से अधिक ब्याज राशि हो गई है । इसलिए हकीकत मे किसानों के लिए एमनेस्टी योजना लानी चाहिए । ★★★★★★★हकीकत मे★★★★★★★ राजस्थान के अधिकांश ऋणी किसानों को महंगाई, आर्थिक मंदी के साथ कोविड-19 की पीड़ा से पीड़ितों को राज्य सरकार की बड़ी सौगात मिलनी चाहिए किन्तु सरकार जरूरतमन्द किसानों को एमनेस्टी योजना लाने के स्थान पर केवल वोटो के लिए अल्पसंख्यको के लिए योजना लाना पक्षपात पूर्ण रवैया है जो गलत है। सीए. दिनेश सनाढ्य - एक आम आदमी #19/08/2021 #dineshapna


 

Thursday 19 August 2021

★शिव पुराण - १- (सात दिन)★ (★आनंद ले ! ★आत्मसात करें !) (26/07/2021 से 01/08/2021) (१)सावन के प्रधान देवता शिव है ! स्वयं विष पीकर, विश्व की भलाई करें ! (२)जीवन मे पूरा आनंद ले ! किन्तु अन्याय का नाश भी करे ! (३)अपनो के रक्षार्थ किसी से भी युद्ध करने को तैयार रहे ! आराध्य से सम्मान के साथ संघर्ष करें ! (४)कभी बुराई या नाइंसाफी बर्दाश्‍त न करें ! भौतिक चीजों के पीछे न भागे ! (५)नकारात्‍मक माहौल को हावी मत होने दें ! शांतचित्‍त होकर आगे बढ़ें ! (६)जुनून विनाश की ओर ले जाता है ! आत्‍मनियंत्रण सफलता की कुंजी ! (७)अपने घमंड को काबू में रखें ! हर चीज सिर्फ कुछ क्षण के लिए ! ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ शिव पुराण -२- (सात दिन) (★संकल्प करें ! ★कर्म करें !) (02/08/2021 से 08/08/2021) (१)अपनी पत्‍नी का सम्‍मान करें ! शिव से सीख सकते हैं नृत्‍यकला भी । (२)मृत्यु के सत्य को हमेशा याद रखें । प्रेम से दिया, सभी स्वीकार करें । (३)शिव देवता और असुर दोनों के प्रिय । शिव का विरोधाभासिक परिवार है, तो भी एकता । (४)मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना या सत्य का साथ देना और सबसे बड़ा अधर्म है असत्य बोलना या उसका साथ देना । मनुष्य को अपने हर काम का साक्षी यानी गवाह खुद ही बनना चाहिए, चाहे फिर वह अच्छा काम करे या बुरा । (५)सर्वमान्य और सर्वोचित निर्णय ठण्डे दिमाग से ही लिये जा सकते हैं । शिव ने कुरीतियों का बहिष्कार करने, दीन हीनों, सेवक दासों को प्रेम और आदर प्रदान करे । (६)मनुष्य को मन, वाणी और कर्मों से पाप करने की इच्छा नहीं करनी चाहिए । मनुष्य की तृष्णा यानि इच्छाओं से बड़ा कोई दुःख नहीं ! (७)श्रेष्ठ परिवार प्रमुख में सबसे पहला गुण हो कि वह अपने सुख से अधिक अपने आश्रितों के सुख की चिन्ता करे और इसके निमित्त त्याग करे । जिस परिवार में दिन रात कलह मची हो, ईर्ष्या, द्वेष, वैर, स्पर्धा का बोल बाला हो, वह परिवार नर्क बन जाता है । स्वर्ग वहाँ है जहाँ एकता, प्रेम और शांति हो । सीए. दिनेश सनाढ्य -19/08/2021 -dineshapna



 

एक उद्देश्य :: एक लक्ष्य एक_बृजवासी :: एक_हिन्दुस्तानी हिन्दू मन्दिरो को बचाये ! :: नाथद्वारा मन्दिर बचाये ! सत्य के साथ लड़ना ! :: सत्य के लिए लड़ना ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #18/08/2021 #पवित्रा_एकादशी #dineshapna