Monday 17 April 2023

★श्रीनाथजी का प्राकृट्य दिवस क्यों नहीं मनाया जाता है ?★ विक्रम संवत् 1535 वैशाख कृष्ण ११ को श्रीगिरिराज जी पर "श्रीनाथजी" के मुखारविन्द का प्राकृट्य हुआ ! जिसका उल्लेख "श्रीनाथजी की प्राकट्य वार्ता" (प्रकाशक - विद्या विभाग, मन्दिर मण्डल, नाथद्वारा । वि.सं. २०४३) के पेज नम्बर 3 पर अंकित है ! "श्रीनाथजी" का प्राकट्य के बाद दुग्ध पान व सेवा श्री सद्दू पाण्डे जी व बृजवासियों के द्वारा की गई । श्रीनाथजी के प्राकट्य के 28 वर्ष बाद श्रीवल्लभाचार्य जी आन्यौर / जतिपुरा पधारे । तदुपरान्त श्री सद्दू पाण्डे जी ने श्रीवल्लभाचार्य जी को श्रीनाथजी के दर्शन कराये । विक्रम संवत् 1535 वैशाख कृष्ण ११ को चम्पारण मे "श्रीवल्लभाचार्य जी" का प्राकृट्य हुआ ! जिसका उल्लेख "श्रीनाथजी की प्राकट्य वार्ता" (प्रकाशक - विद्या विभाग, मन्दिर मण्डल, नाथद्वारा । वि.सं. २०४३) के पेज नम्बर ६६ पर अंकित है ! यह देव संयोग है कि "श्रीनाथजी" का प्राकृट्य व "श्रीवल्लभाचार्य जी" का प्राकृट्य एक ही दिन हुआ । किन्तु यह मानवीय संयोग है कि "श्रीवल्लभाचार्य जी" का प्राकृट्य दिवस मनाया जाता है व "श्रीनाथजी" का प्राकृट्य दिवस नहीं मनाया जाता है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(7) #17/04/23 #dineshapna












 

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