Friday 16 June 2017

पिछले 60 वर्षो में लोगो ने बनास नदी का सम्पूर्ण वस्त्र हरण कर दिया हे केवल कफ़न का कपड़ा बचा हे ! अब हमे पुन: पेड़ लगा कर बनास नदी जो यमुना स्वरूपा हे उसे हम सभी मिलकर पेड़ के वस्त्र पहनाने के आवश्यकता हे ! बनास को नोच नोच कर जो रेती निकाली जा रही हे उसे भी रोकना होगा ! इसके लिए सभी सामाजिक सगठनो को एक जुट होने कि आवश्यकता हे ! इसके लिए "अपना भारत : अपना मंच " सगठन आज से बनाया जा रहा हे इस की सुरुवात अपना ट्रस्ट करता हे ! इसमें अन्य संगठन जुड़ कर मुद्दों पर एकजुट होकर काम करेंगे ! यह विचार दिनेश सनाढ्य लोक अधिकार मंच ने वयक्त किये ! आजकल विकास का मापदंड पैसा व् सत्ता हे जो मानव जीवन के हित में नही हे , हमे प्रकर्ति व् मानव को केंद्र में रख कर विकास का मापदंड रखना होगा तभी मानव जीवन बच सकता हे ! यह विचार घनश्याम प्रकर्ति मानव केंद्रित जन आंदोलन ने कहा ! रमेश सनाढ्य ने कहा की आज भी गावो में पानी , बिजली,शिक्षा , स्वस्थ बुनियादी सुविधाएं नही हे ! राम चंद्र पालीवाल ने कहा कि बनास कि किनारे समशान पर आने वाले एक साल में पेड़ लगाए जायेगे , इसके लिए नागरिक मंच बनाया जायेगा तथा लोक अधिकार मंच, अपना ट्रस्ट एवं अन्य संगठनों का सहयोग लिया जायेगा ! नदियों की सीमाओं की सुरक्षा उसी तरह होनी चाहीय जैसे देस की सीमाओं की होती हे ! यह प्रस्ताव अरविन्द मुखिया ने रखा जिसे सभी ने पास किया ! अम्बा संकर उपाधय ने सभी पदयात्री एवं अथेतयो का इकलाई से स्वागत किया ! मोहन जोशी ने सात दीवसीय पदयात्रा के पड़यात्रिओ , सहयोग करने वाले लोगो , सभी संगठनों को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया ! राजेंद्र रही,घनश्याम सनाढ्य , भेरूशंकर आदि उपस्थित थे !








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