Saturday 6 January 2018

★हिन्दी के सेनानी भगवती प्रसाद देवपुरा जी की चतुर्थ पुण्यतिथी पर अर्पित श्रृद्वा सुमन - 06.01.2018★ ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ ■“हिंदी” के साथ “हिन्द” भी गुलामी की ओर !■ ••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• ● हिंदी को हम ७० वर्षो में राष्ट्र भाषा नही बना सके क्योकि हम आज भी राजनेताओ , कॉर्पोरेट ,विदेशी मानसिकता ,एकजुट नही हो सकने की आदत के गुलाम है ! कहने को तो देश में लोकतंत्र है , किन्तु हकीकत में जनता के द्वारा राज तो है परन्तु न तो जनता का राज है व न जनता के लिए राज है ! ● हिंदी को उचित सम्मान दिलाने के लिए लड़ने वाले कई सेनानी है , कई लड़ रहे थे , कई अभी भी लड़ रहे है , उसमे से मेवाड़ का सतत , वीर, हिंदी सेनानी श्री भगवती प्रसाद जी देवपुरा थे, जिन्होने हिंदी की लिए लड़ाई शुरू की , उसे हमें अंतिम लक्ष्य व मुकाम तक पहुंचना है ! ● इसके लिए हमें एकजुट होने , विदेशी मानसिकता को छोड़ने , देश के कॉर्पोरेट का साथ लेकर विदेशी कॉर्पोरेट का सीमित बहिष्कार करने व राजनेताओ पर दबाव बनाने की आवश्यकता है ! हमें "प्रतिनिधि लोकतंत्र" की साथ "सहभागी लोकतंत्र" की स्थापना, आम जनता को "एकजुट होकर" करनी होगी ! ● यदि हम आज ऐसा नही कर पाए तो राजनेता “इंडस्ट्रियल कॉरिडोर” के माध्यम से "देश को गुलाम" बनाने की ओर बढ़ रहे है ! यदि राजनेता व कॉर्पोरेट सफल हो गए, तो " न हमारा देश स्वतंत्र रहेगा " व " न हमारी हिंदी स्वतंत्र रहेगी " ! CA. Dinesh Sanadhya = 06.01.2018 www.dineshapna.blogspot.in






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