Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Sunday 14 May 2023
★"देशप्रेम" पहले व आजकल का !★ पहले देश प्रेम कैसा था और अब कैसा हो गया है ! महाराणा प्रताप का देश प्रेम ऐसा था कि उन्होंने उसके लिए राजगद्दी तक छोड़ दी । जबकि आजकल के नेता राजगद्दी के लिए देशप्रेम को छोड़ देते है या देशप्रेम का दिखावा करते है । महाराणा प्रताप के समय आम जनता ने भी देश के खातिर संघर्ष किया किन्तु आजकल आम जनता कुछ चाँदी के टुकड़ो के लिए देश के विरुद्ध चलने वाले नेताओं को वोट देकर जिताते है । महाराणा प्रताप के समय व्यापारियों मे भामाशाह जैसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपना सर्वस्व धन दान कर दिया किन्तु आजकल व्यापारी देश का धन लूटकर विदेश भाग रहे है । महाराणा प्रताप के समय आदमी से भी ज्यादा देश प्रेम रामप्रसाद हाथी व चेतक घोड़े मे था जिसका मुकाबला आजकल कोई व्यक्ति भी नहीं कर सकता है । उस समय की जनता का देश प्रेम ऐसा था कि उन्होंने देश के खातिर अपना सामान्य जीवन त्याग कर महाराणा प्रताप के साथ मिलकर युद्ध में साथ दिया व धन पतियों का ऐसा देश प्रेमी का भामाशाह जैसे ने अपनी सभी संपत्ति को प्रताप को दान कर दी इसके साथ ही इंसानों से ज्यादा जानवरों में भी देश प्रेम था जिसके उदाहरण महाराणा प्रताप का हाथी रामप्रसाद व घोड़ा चेतक है जिसकी देशप्रेम स्वामीभक्ति की अनूठी मिसाल है जो दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलती है । यह था हमारे प्रथम स्वतंत्रता सेनानी महाराणा प्रताप का देश प्रेम और आज 2014 से देश प्रेम की नई परिभाषा एक दल द्वारा बताई जा रही है जिसमें धरातल पर कम दिखावे की ज्यादा है ।दूसरा 1947 से आजादी के समय से देश प्रेम एक दल का है जिसमें देश प्रेम कम स्वप्रेम या राजगद्दी प्रेम ज्यादा है जिसका परिणाम आम जनता भुगत रही है । तीसरा 2012 से एक पार्टी का देश प्रेम कि परिभाषा आम जनता के लिए प्रेम के रूप में बताई जा रही है किन्तु हकीकत यह है कि आजकल देशप्रेम कम नजर आ रहा है । अतः वर्तमान का देशप्रेम पिछले महाराणा प्रताप के समय के देशप्रेम के सामने कुछ भी नहीं है । इसलिए हम आज महाराणा प्रताप सच्चे देशप्रेम पर आधारित काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जिससे आम जनता के समक्ष सच्चे देशप्रेम को रखा जा सके । यह विचार सीए दिनेश सनाढ्य के द्वारा श्री हरि साहित्य सेवा संस्थान की "देशप्रेम व महाराणा प्रताप" काव्य गोष्टी की अध्यक्षता करते हुए कहे । इस समारोह के मुख्य अतिथि सर्किल इन्सपेक्टर कांकरोली डी.पी. दाधीच, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार व कवि पीरदान सिंह चारण, पी एम ओ डाँ. ललित पुरोहित, त्रिलोकी मोहन पुरोहित, डाँ. अमित चौधरी, कल्पना तैलंग उपस्थित थे । गोष्ठी का आगाज जय सिंह चारण द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। गोष्ठी में सुरेश शर्मा ने हल्दीघाटी युद्ध पर कविता प्रस्तुत की, रामगोपाल आचार्य ने मेवाड के इतिहास, राकेश्वर सैन ने मारवाडी ख्याल ,कमलेश जोशी,मदन डिडवानिया ने भजन,ज्योसना पोखरना ने गीत मर्यादा है, दाऊ पालीवाल ने भजन,चंद्रशेखर नारलोई ने महाराणा प्रताप पर, धर्मेन्द्र बंधु, भावना लोहार ने श्रृंगार पर मुक्तक ,रविनन्दन जी चारण व कई रचनाकारो ने अपनी रचनाओं से शमा बांध दिया। गोष्ठी का संचालन पूरण शर्मा ने किया । इसके साथ ही श्रीहरि साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष रविनन्दन सिंह चारण, अध्यक्ष अपना ट्रस्ट सीए. दिनेश सनाढ्य व मुख्य अतिथियो के द्वारा साहित्य, सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों का सम्मान किया गया । डाँ. राधेश्याम, सत्यनारायण गौड, राजेश तैलंग, त्रिलोकी मोहन पुरोहित, कल्पना तैलंग, राम गोपाल आचार्य, पूनम शर्मा, राजेंद्र सिंह चारण, रमेश सिंह चारण, जगदीश लड्ढा, प्रह्लाद राय मूंदड़ा, तेज राम कुमावत आदि । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(14) #14/05/23 #dineshapna
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment