Tuesday 12 November 2024

★सनातन मे चारों युगों मे अच्छे व बुरे लोग कहाँ कहाँ रहते थे !★ 【रोचक व आश्चर्य जनक तथ्य !】 (१) "सतयुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "अलग अलग लोक" मे रहते थे ! 【देवता इन्द्र स्वर्ग लोक व राक्षस बलि पाताल लोक मे !】 (२) "त्रेतायुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "एक ही लोक" मे रहते थे ! 【श्रीराम व रावण पृथ्वी लोक मे !】 (३) "द्वापरयुग" मे अच्छे लोग व बुरे लोग "एक ही परिवार" मे रहते थे ! 【युधिष्ठिर व दुर्योधन एक ही परिवार मे !】 (४) कलयुग मे अच्छे लोग व बुरे लोग एक ही व्यक्ति मे रहते है ! 【देश को स्व घोषित आजादी दिलाने वाले व कुछ नेता एक ही व्यक्ति मे !】 ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(200) #12/11/24 #dineshapna


 

Sunday 10 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 [श्रीकृष्ण बने ! जनहित के लिए एक बने !] (१) आम जनता भारत के लोकतंत्र मे "राजा" होता है, किन्तु उसे "बन्धुआ मजदूर" बना रखा है ! उसे केवल "वोट व नोट" देने वाला बना रखा है ! उसे नेताओं को "वोट" देने, अधिकारियों को "नोट" देने व सक्षम लोगों के "नोट व श्रम" देने वाली मशीन बना रखा है ! इसके बावजूद उसे अपना कार्य करवाने के लिए नेताओं व अधिकारियों के सामने "भीख" माँगनी पडती है क्योंकि काम तो सक्षम लोग / नेता / अधिकारी के ही कार्य होते है ! उसे न्याय के लिए उक्त व्यक्तियो के साथ न्यायालय के चक्कर लगाने पड़ते है ! (२) इसके विपरीत "कुछ नेता / अधिकारी / सक्षम लोग" आम जनता व सरकारी धन / सम्पत्तियों को लूटते व लूटाते है व भ्रष्टाचार करते है ! इसके साथ ही धन व पद के प्रभाव से न्याय को भी प्रभावित करके आम जनता के साथ अन्याय करते है ! (३) अतः आम जनता को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होने की जरूरत है ! एक रहने के साथ अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की आवश्यकता है ! (४) इसके लिए प्रत्येक गाँव / वाडँ स्तर पर संगठन बनाकर समस्याओं / अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की जरूरत है व स्वयं को "श्रीकृष्ण" बनने की जरूरत है ! ★आम जनता को जाति, समाज, धर्म व राजनैतिक पार्टीयो से ऊपर उठकर •जनहित को सर्वोपरि मानते हुए •एकता के साथ कार्य करना होगा !★ ■इसके लिए मै तैयार हूँ, आपका क्या निर्णय है ?■ ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(199) #10/11/24 #dineshapna






 

Saturday 9 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) सक्षम लोग (धन से, पद से, नेताओं के सम्बंध से, व्यापार से) सक्षम बनते है ! यह आम जनता के द्वारा धन / वोट / टैक्स देने के कारण व अन्याय सहन करके चुप रहने के कारण ऐसा सम्भव होता है ! (२) धन से सक्षम बनने के लिए कुछ लोग व्यापार मे बैंक से लोन लेते है तो कुछ लोग बिक्री से कमाई करते है, भ्रष्टाचार करते है, टैक्स चोरी करते है, सरकारी सम्पत्ति लूटते है, मिलावट करते है, कानून विरुद्ध कार्य करते है व आदि ! इन सभी के पिछे धन व सम्पत्ति का योगदान तो केवल आम जनता का ही होता है ! (३) आम जनता वोट देकर नेताओं को पद देते है किन्तु कुछ नेता धन लूटने के लिए अपने आस पास के कुछ व्यक्तियों को रखते है ! ऐसी स्थिति मे उक्त कुछ व्यक्तियों का उद्देश्य धन कमाना है जो आम जनता के हक को हड़प के "सक्षम लोग" बन जाते है और आम जनता को लूटते है ! (४) अतः कुछ सक्षम लोग आम जनता से धन / वोट लेकर नेताओं / अधिकारियों के साथ मिलकर आम जनता को ही लूटते है ! कुछ सक्षम लोग एकजुट होकर आम जनता के असंगठित होने व चुप्पी का फायदा उठाकर लूटते व लूटाते है ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(198) #09/11/24 #dineshapna


 

Wednesday 6 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) आम जनता नोट (टैक्स) देती है उस टैक्स के धन से ही "अधिकारियों" को वेतन मिलता है जिससे उनका घर खर्च चलता है ! इसके साथ ही अधिकारियों को नौकरी मिलने के साथ "जनहित" के कार्य करने की सपथ दिलाई जाती है किन्तु हकीकत मे कुछ अधिकारी "जनहित" के स्थान पर "स्वहित" या नेताओं के हित या सक्षम लोगों के हित के कार्य करते है ! जनहित के कार्य केवल दिखावा मात्र के लिए करते है ! (२) "कुछ अधिकारी" स्वहित / नेताओं के हित / सक्षम लोगों के हित के कार्य 80% करते है, और आम जनता के हित के कार्य केवल 20% ही करते है ! जबकि आम जनता कुल आबादी की 99% है और नोट (टैक्स) के रुप मे 80% से ज्यादा धन देती है, इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष टैक्स शामिल है ! (३) आम जनता को यह बताया जाता है कि सरकारी टैक्स भुगतान मे 50% से ज्यादा हिस्सेदारी "सक्षम लोग" (कारपोरेट / बडे व्यापारीयो) की है जो पूर्णतः गलत है ! क्योंकि भारत मे टैक्स भुगतान मे 90% योगदान अप्रत्यक्ष टैक्स व 10% प्रत्यक्ष टैक्स का होता है ! और यह भी प्रमाणित है कि अप्रत्यक्ष टैक्स (GST) का अन्तिम भुगतान उपभोक्ता (ग्राहक) के द्वारा ही किया जाता है और अन्तिम उपभोक्ता आम जनता ही है जो 99% है, तो इस प्रकार पूरे देश का अप्रत्यक्ष टैक्स (GST) का हकीकत मे भुगतान "आम जनता" ही करती है ! केवल प्रत्यक्ष टैक्स (आयकर) का भुगतान ही सक्षम लोगों के द्वारा किया जाता है ! इसके अतिरिक्त "सक्षम लोग" (कारपोरेट / बडे व्यापारी) अपने व्यापार के लिए धन की व्यवस्था भी "कम्पनी शेयर या बैंक से लोन या सब्सिडी" लेकर ही करते है, और इसमे भी 80% धन आम जनता का ही होता है ! (४) अतः सरकारी अधिकारियों को अब यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि जो वेतन आपको मिलता है उसमे 99% धन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से आम जनता का ही है ! तो काम भी प्रमुखता व प्राथमिकता से "आम जनता" का ही करना चाहिए ! जिस दिन "आम जनता" को उक्त तथ्य समझ आ जायेगा तब भारत जैसे लोकतंत्र मे आम जनता "राजा" बन जायेगी ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(197) #06/11/24 #dineshapna


 

Tuesday 5 November 2024

★आम जनता "वोट व नोट" देकर देती है - कार्य शक्ति ! "कुछ नेता व अधिकारी / सक्षम लोग" कार्य करते है - स्वयं के लिए !★ 【कुल (-) कुछ (=) शेष !】 【शेष (+) शेष (=) सर्वश्रेष्ठ !】 (१) आम जनता वोट देकर जनप्रतिनिधि (नेता) चुनती है कि वह "जनहित" के लिए कार्य करे ! किन्तु हकीकत मे "कुछ नेता" ●"स्वहित" के लिए, ●सक्षम लोगों के लिए, व ●अधिकारियों के लिए ही कार्य करते है क्योंकि इनसे प्राप्त धन व शक्ति से ही चुनाव जीतते है ! इसके विपरीत आम जनता के लिए केवल दिखावे के कार्य करते है जिससे वह अगली बार पुनः वोट ले सके ! कुछ नेता आम जनता से वोट लेकर सक्षम लोगों के लिए कार्य करके धन व सम्पत्ति लूटाते है ! इसके साथ ही स्वयं के लिए धन व सम्पत्ति अधिकारियों के माध्यम से लूट का भ्रष्टाचार करते है ! (२) "कुछ नेता" वोट के लिए "विशेष धर्म / सम्प्रदाय" को खुश करने के लिए संविधान विरुद्ध कानून बनाते है ! उनको आश्रय देकर वोट लेते है और आम जनता के हितों के विपरीत कार्य करते है ! (३) "कुछ नेता" सरकारी संसाधनों (जमीन, खनिज, धन) को लूटने के साथ, अधिकारियों व सक्षम लोगों को लूटाते भी है जिससे उनसे धन (चन्दा) या वोट ले सके ! इस प्रकार आम जनता से "वोट व नोट (टैक्स)" लेकर आम जनता के साथ अन्याय करते है ! (४) "कुछ नेता" जो "◆देश को बाँटकर, आजादी दिलाने वाली पार्टी ◆देश को जोडकर, सनातन को बचाने वाली पार्टी ◆खास को छोड़कर, आम आदमी के लिए काम करने वाली पार्टी ◆सत्ता के लिए, देशहित के विरुद्व कार्य करने वाली पार्टीयो मे है ! अर्थात् सभी राजनैतिक पार्टियों मे ऐसे "कुछ नेता" होते ही है ! "शेष नेता" उक्त पार्टियों मे अच्छे व देश व देशवासियों के हित के कार्य कर रहे है ! इसी कारण व न्यायपालिका के कारण थोड़ा बहुत आम जनता के कार्य हो रहे है ! ●अतः प्रत्येक पार्टी मे से "शेष नेताओं" को जोडकर कार्य करें तो देश व देशवासियों का भला हो सकता है !● ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(196) #05/11/24 #dineshapna