Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Thursday 31 October 2024
★अन्नकूट व अहंकार मर्दन दिवस पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【प्रकृति पूजा व इन्द्र के अहंकार मर्दन कर आमजनता को सन्देश !】 (१) इन्द्र देवता ने अपने कार्य (वर्षा कराने) के बदले अपनी पूजा कराने से अहंकार हो गया था जबकि वर्षा तो गोवर्धन पर्वत व उन पर उगे पेड़ों (प्रकृति) के कारण होती है ! इसलिए श्रीकृष्ण ने आमजनता को "व्यक्ति पूजा" के स्थान पर "प्रकृति पूजा" का सन्देश दिया ! (२) अन्नकूट पर्व का अर्थ है "अन्न" यानी चावल और "कूट" यानी ढेर ! इस पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के अन्न और भोजन के ढेर से सजाया जाता है और उनकी (श्रीकृष्ण व गोवर्धन) की पूजा की जाती है ! (३) वर्तमान मे भी कुछ नेता / अधिकारी / सक्षम लोगों को इन्द्र जैसा अहंकार हो रहा है कि हम व हमारे कार्यों से ही आमजनता का जीवन यापन है, इसलिए आमजनता उनकी "पूछ या पूजा" करें, जो गलत है ! यह ही उनका अहंकार / लूट / भ्रष्टाचार है ! (४) जबकि हकीकत यह है कि आमजनता के लिए जो भी कार्य किये जाते है, वह सभी धन आमजनता ही देती है ! नेता / अधिकारी / सक्षम लोग केवल आमजनता के कार्यों को करते है और उसके बदले मे पारिश्रमिक लेते है ! इसके बावजूद उक्त लोग पारिश्रमिक के अलावा आमजनता से झूठ / भ्रष्टाचार / लूट करके अतिरिक्त धन (भ्रष्टाचार) करके अपनी पूजा करा रहे है ! यह उक्त कार्य "इन्द्र जैसा अहंकार" करने जैसा है ! आमजनता समझे कि अब इनके अहंकार का मर्दन करने के लिए श्रीकृष्ण का इन्तजार करने के स्थान पर आमजनता को स्वयं गोवर्धन पर्वत को उठाना होगा अर्थात् "विरोध की आवाज" व "कानून की किताब" को उठाना होगा ! ★जयश्रीकृष्ण★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(195) #01/11/24 #dineshapna
★दीपावली व राष्ट्रीय एकता दिवस पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【भगवान श्रीराम के "विजयोत्सव" के साथ राष्ट्रीय "एकता दिवस" पर एकजुट हो !】 (१) ◆भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास व लंका विजय के बाद अयोध्या लौटने की खुशी मे मनाया जाता है ! ◆भगवान श्रीविष्णु के नरसिंह अवतार व ◆श्रीलक्ष्मी माता के जन्मदिन के रूप मे मनाया जाता है ! (२) दीपावली का मतलब है 'दीपों की पंक्ति' और इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है ! इसके साथ ही यह त्यौहार एकता का सन्देश भी देता है ! अनेक दीपक के पंक्तिबध्द होकर "एकता" से प्रकाश पूँन्ज ! सभी व्यक्ति सामूहिकता के साथ मनाकर "एकता" का सन्देश देते है ! (३) इस 2024 मे सुखद अवसर है कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने स्वतंत्रता के बाद भारत की 562 रियासतों का एकीकरण कर एक सशक्त और अखंड भारत की नींव रखी थी। उनके इसी योगदान से 31 अक्टूबर को उनके जन्मदिन को "राष्ट्रीय एकता दिवस" के रूप में मनाकर लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना है ! (४) अतः 2024 की दीपावली पर ◆भगवान श्रीराम के आगमन ◆भगवान श्रीविष्णु के नरसिंह अवतार ◆श्रीलक्ष्मी माता के जन्मदिन ◆सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन ! को ●आध्यात्मिक एकता, ●सांस्कृतिक एकता, ●आर्थिक एकता ●राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप मे मनाने के साथ हम स्वयं भी शेष 364 दिन सभी सनातनी एकजुट रहे ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(194) #31/10/24 #dineshapna
Wednesday 30 October 2024
★रुप चतुर्दशी व नरक चतुर्दशी पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【भगवान वामन व श्रीकृष्ण की पूजा करने के साथ भगवान के किये कार्यो को स्वयं करे !】 (१) "सतयुग" में भक्त प्रहलाद के पौत्र हुए थे दैत्यराज बलि ! राजा बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया तो सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के पास मदद मांगने पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवमाता अदिति के यहां "वामन" अवतार लेकर देवताओं को भय मुक्त किया ! (★रुप चतुर्दशी को दिये जलाये !) (२) "द्वापरयुग" मे भगवान "श्री कृष्ण" ने अत्याचारी, दुराचारी व दु्र्दांत असुर "नरकासुर" का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कराके उन्हें सम्मान प्रदान किया था ! (★नरक चतुर्दशी को दिये जलाये !) (३) "कलयुग" मे हम सतयुग व द्वापरयुग से आजतक हम दिये जला कर श्री विष्णु के दोनो अवतारो "वामन" व "श्रीकृष्ण" की पूजा करके यह बताया जा रहा है कि ●दैत्यराज "बलि" से मुक्ति दिलाकर "देवताओं को भय मुक्त किया व ●दुराचारी दु्र्दांत असुर "नरकासुर" मे 16100 कन्याओं को भय मुक्त किया ! इसलिए हम "कलयुग" मे "वामन भगवान" व "श्रीकृष्ण भगवान" की पूजा करने के साथ उनके चरित्र को भी आत्मसात करे ! अधर्म /अनीति करने वालों को नाश करने के लिए श्री विष्णु के अवतार लेने का इन्तजार करने के स्थान पर स्वयं आगे आकर "कानून का हथियार" उठाकर अधर्म /अनीति करने वालों का नाश करें ! (★भगवान वामन व श्रीकृष्ण ने अधर्म /अनीति का नाश किया !) (४) "कलयुग" मे व्यक्ति को क्या करना है ? उसका सन्देश "द्वापरयुग" मे ही "महाभारत" मे अर्जुन को गीता का उपदेश देकर स्पष्ट कर दिया कि अधर्म / अनीति का नाश तुम स्वयं को ही करना है, भगवान श्रीकृष्ण तो केवल मार्गदर्शक व सारथी मात्र है ! इसके साथ यह भी सन्देश दिया कि अधर्म / अनीति पर चलने वाला भले ही आपका भाई, पितामह, सगे- सम्बन्धी व गुरु भी क्यों न हो ? आपको अधर्म / अनीति करने वालों से युद्ध करना है ! यह तुम्हारा कर्म है, उसे बिना फल / परिणाम की ईच्छा रखें करना है ! (★स्वयं ही अधर्म /अनीति का नाश करे !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(193) #30/10/24 #dineshapna
Tuesday 29 October 2024
★धनतेरस व आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【●धन के साथ आरोग्य मिले ! ●इसके लिए "मिलावट" करना छोड़े ! ●प्रार्थना /पूजा के साथ स्वयं अपने मे बदलाव करें !】 (१) सनातन धर्म मे "धन" व "आरोग्य" दोनो ही देवी व देवता की पूजा इसलिए की जाती है कि व्यक्ति को जीवन मे धन व आरोग्य दोनों की एक साथ आवश्यकता है ! केवल धन ही कमाते रहेंगे और स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेगे, तो वह धन भी किसी काम का नहीं रहेगा ! (२) किन्तु वर्तमान मे व्यक्ति केवल "धन" कमाने की अन्धी दौड़ मे लगा हुआ है कि वह स्वास्थ्य का भी ध्यान नहीं रखता है तो ऐसा धन किस काम का ! व्यक्ति तो इससे भी नीचे गिर गया है कि "मिलावट" खाद्य पदार्थों, दवाइयों व अन्य सभी मे करके दूसरों का भी स्वास्थ्य खराब कर रहा है ! इस प्रकार "धन" कमाने मे स्वयं का व "मिलावट" करके दूसरों का स्वास्थ्य खराब करके धन कमा रहा है, तो ऐसा "धन" किस काम का है ? (३) इससे भी ज्यादा वर्तमान मे "मिलावट" दो प्रकार से कर रहा है :- ◆ खाद्य पदार्थों मे मिलावट से "शारिरिक स्वास्थ्य" खराब कर रहा है ! ◆ व्यवहार मे मिलावट से "मानसिक स्वास्थ्य" खराब कर रहा है ! इस प्रकार दोनों (शारिरिक व मानसिक) तरह से व दोनों (स्वयं व दूसरे व्यक्तियो) का शरीर का स्वास्थ्य खराब करके धन कमा रहे है, जो गलत है ! (४) अतः आज धनतेरस व आरोग्य दिवस पर भगवान धन्वंतरि जयंती पर हम सभी के जीवन में सुख, समृद्धि व धन सहित स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए भगवान से प्रार्थना करने के साथ स्वयं "मिलावट" नहीं करने का संकल्प ले ! ऐसा करने पर ही हमें "धन" व "आरोग्य" दोनों मिलेंगे ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(192) #29/10/24 #dineshapna
Monday 28 October 2024
★सत्य (सही) को सत्य (सही) व झूठ (गलत) को झूठ (गलत) कहे !★ 【सनातन धर्म (पूरी दुनिया के लिए) व भारतीय संविधान (केवल देश के लिए) है !"】 (१) "सनातन धर्म" एक सुखी, आदर्श व सह अस्तित्व के साथ जीवन जीने की पद्वति है ! "जीयो और जीने दो" का उद्देश्य है ! इसमें प्रेम, शान्ति, सहयोग व सह अस्तित्व के लिए अपने धर्म के साथ दूसरे धर्म / प्रकृति / पशु पक्षियों का भी सम्मान किया जाता है इसलिए "वसुदेव कुटुम्ब" व "सर्वे भवन्तु सुखिनः" का सन्देश व सिद्धांत है ! अतः "सनातन धर्म" पूरी दुनिया के लिए व हित मे मान्य व स्वीकार्य है ! (२) इसके विपरीत "अन्य मजहब / सम्प्रदाय" की मान्यता का क्षेत्र सीमित है ! जैसे :- इस्लाम भी प्रेम, शान्ति, सहयोग व भाईचारा की बात तो करते है किन्तु वह सभी केवल अपने इस्लाम मजहब के लोगों तक ही सीमित है और अन्य धर्म / मजहब / सम्प्रदाय के लोगों से नफरत के साथ उन्हें समाप्त करने की बात करते है जो गलत है ! क्योंकि इस्लाम के अनुसार अल्लाह एक है तो उन्होंने ही हिन्दू व अन्य मजहब के लोगों को जन्म दिया है तो उनसे नफरत व उन्हें मिटाने की बात करना गलत होकर अल्लाह के कार्य मे रुकावट डालना है !इसलिए इस्लाम की मान्यता सीमित होने के साथ भारतीय संविधान के भी विपरीत है ! जैसेकि "नींबू मे यदि बीज नहीं होता तो नींबू अमृत हो जाता" ! उसी प्रकार इस्लाम मे से "अन्य धर्मों से नफरत" नामक "एक बीज" नहीं हो तो यह इस्लाम भी "अमृत के समान सर्वजनहिताय" हो सकता है ! (३) भारतीय संविधान भी बहुत अच्छा है किन्तु उसमें भी "एक बीज" यह है कि जनप्रतिनिधियों / नेताओं ने "संविधान के विपरीत कानून" बना रखे है, जो गलत है ! यदि उक्त बीज को हटा दिया जाये तो "भारतीय संविधान व उनके कानून" भी "अमृत के समान सर्वजनहिताय" हो सकते है ! (४) "सनातन धर्म", "इस्लाम" व "भारतीय संविधान" मे उक्त "एक असमानता" (एक बीज) के अलावा अन्य मुख्य ग्यारह (11) समानताएं है ! जैसे :- 【"सनातन धर्म" मे ●एक सर्वशक्तिमान ईश्वर, ●धर्म कर्तव्य, ●कर्म, ●आत्मा, ●जन्म मरण का चक्र, ●वेद व शास्त्र, ●योग, ●भक्ति, ●उपासना, ●दान, ●परोपकार आदि है !】 【"इस्लाम" मे ●एक सर्वशक्तिमान अल्लाह (तौहीद), ●धर्म पैगम्बर मे विश्वास (नबूवत), ●कर्म (अल्लाह के बताये कार्य), ●आत्मा (पुनर्जीवित किया जाना), ●परलोक मे विश्वास (आख़िरत) ●ईश्वरीय ग्रंथ (कुरआन), ●योग(अल्लाह के समक्ष अर्ज), ●प्रार्थना (नमाज़), ●उपवास (रोज़ा), ●दान (ज़कात), ●तीर्थयात्रा (हज) आदि है !】 【"भारतीय संविधान" मे ●एक सर्वशक्तिमान संविधान, ●संविधान प्रदत्त कर्तव्य, ●सभी के अधिकार व कार्य, ●संविधान देश की आत्मा, ●संविधानिक संस्थाओं का कानूनी चक्र, ●कानून व नियम, ●संविधान की रक्षा व समीक्षा के लिए न्यायालय, ●प्रत्येक नागरिक को पालन करना आवश्यक, ●संविधान / कानून मे नवीन या परिवर्तन की कानूनी प्रक्रिया, ●कानून की पालना व कार्य के लिए न्यायालय व कार्यपालिका , ●जनहित मे जनप्रतिनिधियों के द्वारा कानून बनाना व परिवर्तन करना आदि है !】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(191) #28/10/24 #dineshapna
Saturday 26 October 2024
★सत्य (सही) को सत्य (सही) व झूठ (गलत) को झूठ (गलत) कहे !★ 【■श्रीकृष्ण बनोगे ! तो आनन्द मे रहोगे !■】 (१) "श्रीकृष्ण की सेवा/पूजा" करने के साथ "श्रीकृष्ण के चरित्र" को अपनाये ! (२) "अहिंसा परमो धर्मः ! धर्म हिंसा तथैव च: !" अर्थात् :- अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है ! (३) श्रीकृष्ण बने ! जैसे एक हाथ मे "मुरली" है, तो दूसरे हाथ मे "सुर्दशन चक्र" भी हो ! (४) श्रीकृष्ण की "गीता का पाठ" करे, तो "गीता को आत्मसात" भी करे ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(190) #26/10/24 #dineshapna
Sunday 20 October 2024
★सत्य (सही) को सत्य (सही) व झूठ (गलत) को झूठ (गलत) कहे !★ 【प्रेम, शान्ति, अहिंसा व भाईचारा कायम करने के लिए "चार" आवश्यक बिन्दु !】 (१) भारत मे ●"संविधान व कानून" सभी के लिए समान हो ! ●प्रत्येक कानून संविधान के अनुरूप हो ! ●कानून की पालना कठोरता व निष्पक्षता से हो ! ●न्याय सभी के लिए शीघ्र, सस्ता, सुलभ व पारदर्शी हो ! (२) भारत देश "संविधान" से चलता है तो "सनातन" से "देश व दुनिया" दोनों चल सकती है ! क्योंकि प्रेम, शान्ति, अहिंसा व भाईचारा की स्थापना केवल "सनातन" से ही संभव है ! (३) भारत मे "संविधान" लोगो के द्वारा बनाया गया है, तो उसमें सुधार व संशोधन की आवश्यकता हो सकती है ! किन्तु "सनातन" तो शास्वत व हजारों साल पुराना है, तो इसमें सुधार व संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है ! इसलिए भारत को "सनातन देश" बनाना चाहिए, जिससे देश व पूरी दुनिया मे प्रेम, शान्ति, अहिंसा व भाईचारा कायम हो सके ! (४) भारत को "सनातन देश" बनाने से देश मे प्रेम, शान्ति, अहिंसा व भाईचारा कायम होगा व सभी धर्मों व सम्प्रदायों का सम्मान होगा ! भ्रष्टाचार व साम्प्रदायिक हिंसा का अन्त होगा ! तब ही हम विश्व गुरु बनकर "वसुदेव कुटुम्ब" व "सर्वे भवन्तु सुखिनः" का सन्देश दुनिया को दे सकेंगे ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(189) #20/10/24 #dineshapna
Friday 18 October 2024
★सत्य (सही) को सत्य (सही) व झूठ (गलत) को झूठ (गलत) कहे !★ 【मेरा विचार, मेरा कर्म, मेरा लक्ष्य, मेरा "7" के प्रति समर्पण, मेरे लिए "7" गौण है !】 ●"मै" इसके ऊपर ●"परिवार" इसके ऊपर ●"हम" इसके ऊपर ●"देश" इसके ऊपर ●"सनातन" इसके ऊपर ●"मानवता" इसके ऊपर ●"श्रीकृष्ण" 【उक्त "7" के अलावा मेरे लिए •धन, •जमीन, •सम्पत्ति, •पद, •सम्मान, •प्रतिष्ठा व •पार्टी सभी गौण है !】 सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(188) #18/10/24 #dineshapna
Saturday 12 October 2024
★विजय दशमी (दशहरा) की हार्दिक शुभकामनाएँ !★ ★विजय दशमी मनाने के साथ उसे आत्मसात करें !★ (1)अधर्म पर धर्म की व असत्य पर सत्य की विजय श्रीराम जी के द्वारा करने की शुभकामनाएँ हम एक दूसरे को देते है ! (2) किन्तु हम श्रीराम बनने का प्रयत्न नहीं करते है ! हम धर्म / सत्य पर विजय करना तो दूर, इसके विपरीत हम स्वयं अधर्म / असत्य पर चलते है ! (3) इसके साथ ही हम अपने अन्दर के दस रावण (अधर्म, असत्य, अहंकार, लोभ, स्वार्थ, ईर्ष्या, घृणा, धोखा, भ्रष्ट आचरण, परस्त्री गमण) को मारने के स्थान पर हमने रावण को आत्मसात कर रखा है ! (4) यदि हम विजय दशमी (दशहरा) - 2024 को मन से मनाना चाहते है तो हम अपने अन्दर के रावण को मारे (जलाये) ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(187) #12/10/24 #dineshapna
Wednesday 2 October 2024
★गांधी जी (राष्ट्र के पिता) व शास्त्री जी (राष्ट्र के पुत्र) को जन्मदिन की शुभकामनाएं !★ (१) मोहनदास (मोहने वाले) करमचंद (कर्म करने वाले) गांधी जी (देश की सबसे बड़ी गादी - राष्ट्रपिता) व लाल (देश के लाल) बहादुर (समस्याओं से लड़ने वाले) शास्त्री जी (शास्त्र / संस्कार के अनुरूप) को उनके जन्मदिन की बधाईयाँ ! (२) गांधी जी ने बहुत अच्छे - अच्छे कार्य किये, उसके लिए आभार ! उनके छोटे से जीवन मे कुछ कार्य पूर्ण किये तो कुछ अधूरे रह गये ! उन अधूरे कार्यों (आमजन के हित के) को पूर्ण करने की जिम्मेदारी अब "आमजन" की है ! (३) गांधी जी ने जो कार्य "खासजन" (नेहरू जी / कांग्रेस / विशेष धर्म) के हित के लिए किये , किन्तु राष्ट्र / आमजन के हितो को कम महत्व दिया ! किन्तु "आमजन" का सहयोग पूरा लिया ! देश को आजादी दिलाई किन्तु देशवासियों को आजादी दिलाने का कार्य अधुरा रह गया ! (४) गांधी जी ने सत्य व अंहिसा का पाठ पढ़ाया (अहिंसा परमो परमो धर्मः !) जो अधुरा है ! पूरा पाठ (अहिंसा परमो परमो धर्मः ! धर्म हिंसा तथैव च: !) अर्थात् :- अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है, और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करना उस से भी श्रेष्ठ है !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(186) #02/10/24 #dineshapna
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