Wednesday, 30 October 2024

★रुप चतुर्दशी व नरक चतुर्दशी पर आप सभी को "हार्दिक" - "हार्दिक" शुभकामनाएं !★ 【भगवान वामन व श्रीकृष्ण की पूजा करने के साथ भगवान के किये कार्यो को स्वयं करे !】 (१) "सतयुग" में भक्त प्रहलाद के पौत्र हुए थे दैत्यराज बलि ! राजा बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया तो सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के पास मदद मांगने पहुंचे। भगवान विष्णु ने देवमाता अदिति के यहां "वामन" अवतार लेकर देवताओं को भय मुक्त किया ! (★रुप चतुर्दशी को दिये जलाये !) (२) "द्वापरयुग" मे भगवान "श्री कृष्ण" ने अत्याचारी, दुराचारी व दु्र्दांत असुर "नरकासुर" का वध किया था और सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कराके उन्हें सम्मान प्रदान किया था ! (★नरक चतुर्दशी को दिये जलाये !) (३) "कलयुग" मे हम सतयुग व द्वापरयुग से आजतक हम दिये जला कर श्री विष्णु के दोनो अवतारो "वामन" व "श्रीकृष्ण" की पूजा करके यह बताया जा रहा है कि ●दैत्यराज "बलि" से मुक्ति दिलाकर "देवताओं को भय मुक्त किया व ●दुराचारी दु्र्दांत असुर "नरकासुर" मे 16100 कन्याओं को भय मुक्त किया ! इसलिए हम "कलयुग" मे "वामन भगवान" व "श्रीकृष्ण भगवान" की पूजा करने के साथ उनके चरित्र को भी आत्मसात करे ! अधर्म /अनीति करने वालों को नाश करने के लिए श्री विष्णु के अवतार लेने का इन्तजार करने के स्थान पर स्वयं आगे आकर "कानून का हथियार" उठाकर अधर्म /अनीति करने वालों का नाश करें ! (★भगवान वामन व श्रीकृष्ण ने अधर्म /अनीति का नाश किया !) (४) "कलयुग" मे व्यक्ति को क्या करना है ? उसका सन्देश "द्वापरयुग" मे ही "महाभारत" मे अर्जुन को गीता का उपदेश देकर स्पष्ट कर दिया कि अधर्म / अनीति का नाश तुम स्वयं को ही करना है, भगवान श्रीकृष्ण तो केवल मार्गदर्शक व सारथी मात्र है ! इसके साथ यह भी सन्देश दिया कि अधर्म / अनीति पर चलने वाला भले ही आपका भाई, पितामह, सगे- सम्बन्धी व गुरु भी क्यों न हो ? आपको अधर्म / अनीति करने वालों से युद्ध करना है ! यह तुम्हारा कर्म है, उसे बिना फल / परिणाम की ईच्छा रखें करना है ! (★स्वयं ही अधर्म /अनीति का नाश करे !) सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(193) #30/10/24 #dineshapna


 

No comments:

Post a Comment