Tuesday 12 September 2017

कड़वी बात नाथद्वारा में "चऊमुखी विकास" के स्थान पर "चऊमुखी विनास" क्यों ? (1) अनियोजित व आमजन विरोधी विकास का मूल - + कुछ लोगो के स्वार्थ ! + अधूरी राजनेतिक इच्छा शक्ति ! + कथनी व करनी में फर्क ! + आमजन को नुकसान व खासजन को फायदा ! + आस्था पर चोट ! + अदूरदर्शितापूर्ण निर्णेय ! ( मूल कारक - कांग्रेस सरकार - बीजेपी सरकार - बोर्ड मेंबर - महाराजश्री ) (2) अभी तक कैसा हुआ नाथद्वारा का विकास ? + आमदनी कम, खर्च ज्यादा ! + आस्था पर चोट ! + जन विरोधी ! + रोजगार विरोधी ! + भस्टाचार के साथ ! + मंदिर के धन का अपव्यय ! ( मूल कारक - टेम्पल बोर्ड - मुख्य निस्पादन अधिकारी - अधिकारी - महाराजश्री ) ( विकास के स्थान - वल्लभ विलास - लाल बाग़ - गिरिराज परिक्रमा - मंदिर विस्तार ) (3) नाथद्वारा का विकास किस तरह होना चाहिए ? + पूर्ण पारदर्शिता के साथ योजना ! + धन आने के स्रोत के साथ खर्च की योजना ! + आमजन के सहभागिता के साथ योजना ! + योजना से सभी को फायदा हो ! (मूल कारक - नेता - सक्षम बोर्ड मेंबर - टेम्पल बोर्ड - महाराजश्री ) (4) विकास कैसे होना चाहिए ? और कौन करेगा ? + विकास की योजना में पूर्ण पारदर्शिता हो ! + आमजन के सहभागिता व जनता के समश्याओ के समाधान के साथ हो ! + विकास आर्थिक व जनहित में फायदेमंद हो ! + विकास मंदिर , ब्रजवासियो , वैष्णवों , नगरवासियो के हित हो, व उनके नुकसान के क्षतिपूर्ति के साथ हो ! ( मूल कारक - महाराजश्री को मंदिर वैष्णवों , नगरवासियो के हित में बोलना व काम करना चाहिए ! - कांग्रेस ,बीजेपी, व बोर्ड मेंबर को चुप बैठना चाहिए ! - आमजनता की सहभागिता सुनिश्चीत होनी चाहिए !) यदि आज महाप्रभुजी होते तो यह समस्या नही आती क्योकि महाप्रभुजी जनहित के निर्णेय ब्रजवासियो की सहमति व ठाकुरजी की आज्ञा से लेते थे ! किन्तु वर्तमान में महाराजश्री न ब्रजवासियो की सुनते है और न ही ठाकुरजी की आज्ञा लेते है! महाराजश्री केवल अपने मन की करते है या किसी के दबाव में काम करते है ! - CA. Dinesh Sanadhya – 11.09.2017 (11.09.1893)


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