Chartered Accountant,Social Activist,Political Analysist-AAP,Spritual Thinker,Founder of Life Management, From India, Since 1987.
Sunday 26 November 2017
★★इतिहास तो यह भी है !★★ अगर प्रेम कथा पर फिल्म बनानी है जिसमें राजस्थान हो, 1300 ईस्वी के आसपास की बात हो, राजपूत हों, अल्लाउद्दीन खिलजी हो, मेवाड़ के आसपास की ही भूमि हो तो.. एक कहानी मैं बतात हूँ भंसाली... सुन- मेवाड़ के पास ही जबालिपुर (वर्तमान जालौर) के सोनगरा चौहान शासक कान्हड़ देव के एक पुत्र था विरम देव, जो राजकुमार होने के साथ साथ कुश्ती का पहलवान भी था। विरमदेव बहुत ही शूरवीर योद्धा था। विरमदेव की शोहरत और व्यक्तित्व के बारे में सुनकर दिल्ली के तत्कालीन बादशाह अल्लाउद्दीन खिलजी की पुत्री शहजादी फिरोजा (सताई) का दिल विरमदेव पर आ गया और शहजादी ने किसी भी कीमत पर विरमदेव से शादी करने की जिद पकड़ ली और कहने लगी, “वर वरूं विरमदेव ना तो रहूंगी अकन कुँवारी” (शादी करुँगी तो विरमदेव से नहीं तो अक्षत कुँवारी रहूंगी)… बेटी की जिद, पूर्व में हुई अपनी हार का बदला लेने के लिए और अपना राजनैतिक फ़ायदा देखकर अल्लाउद्दीन खिलजी ने प्रणय प्रस्ताव भेजा लेकिन विरमदेव ने यह कहकर प्रस्ताव ठुकरा दिया- “मामो लाजे भाटियां, कुल लाजे चौहान, जे मैं परणु तुरकणी, तो पश्चिम उगे भान…” (अगर मैं तुरकणी से शादी करूँ तो मामा भाटी कुल और चौहान कुल लज्जित हो जाएंगे और ऐसा तभी होसकता है जब सूरज पश्चिम से उगे) इस जवाब से आगबबूला होकर अल्लाउद्दीन ने युद्ध का ऐलान कर दिया। कहते हैं कि एक वर्ष तक तुर्कों की सेना जालौर पर घेरा डाल कर बैठी रही फिर युद्ध हुआ और किले की राजपूतानियों ने जौहर किया। स्वयं विरमदेव ने 22 वर्ष की अल्पायु में ही केसरिया बाना पहन वीरगति पाई। तुर्की सेना विरमदेव का मस्तक दिल्ली ले गई और शहजादी के सामने रख दिया। कहते हैं कि शहजादी ने मस्तक से शादी की बात कही तो थाली में रखा मस्तक पलट गया, लेकिन शहजादी अडिग थी की शादी करुँगी तो विरमदेव से नहीं तो कुंवारी मर जाउंगी। अंततः शहजादी फिरोजा ने उनके मस्तक का अग्नि संस्कार कर ख़ुद अपनी माँ से आज्ञा प्राप्त कर यमुना नदी के जल में प्रविष्ट हो सती हो गई। कैसी है कहानी…? बनाओ फिल्म अगर हिम्मत है तो… नहीं तो ‘तोफा क़ुबूल’ करवाओ। और एक बात राजस्थान के बारे में याद रहनी चाहिए। जोहर री जागी आग अठै, रळ मिलग्या राग विराग अठै, तलवार उगी रण खेतां में, इतिहास मंडयोड़ा रेता में… बोस-डीके ये राजस्थान है, राजस्थान… जहां हाथ डालेगा जौहर और केसरिया की दास्तानें मिलेंगी… औकात होनी चाहिए सच दिखाने की।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment