Monday 27 November 2017

★★"सेन्सर बोडँ" की समीक्षा हो ! "फिल्म" का निर्णय "कानून के दायरे" मे हो !★★ ★भंसाली ने "फिल्म" पैसा देकर व "पसीना" बहाकर बनाई होगी ! लेकिन राजपूतो ने "इतिहास" प्राण देकर व "रक्त" बहाकर बनाया !! ★लोकतन्त्र मे "आम जनता" का राज व "बहुमत से" निर्णय होते है ! लेकिन भारत मे "नेता" ईमान बेचकर व "पैसा लेकर" निर्णय लेते है !! ★सेन्सर बोडँ को न "अश्लीलता" नजर आती है, और न ही "इतिहास की सत्यता" ! लेकिन सरकार को न "जनता की आवाज" सुनाई देती है, और न ही "संविधान की आत्मा" !! CA.Dinesh Sanadhya = 27.11.2017 www.dineshapna.blogspot.in









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