Sunday 5 November 2017

★झील पानी बचाना : "भाव"से नही "कर्म" से !★ ◆"ईश्वर" ने झील को "पानी दिया", किन्तु "पानी बचाने" की जिम्मेदारी "इन्सान" की है ! ◆इन्सान "पानी लाने" का श्रेय स्वयं ले रहा है, किन्तु "पानी बचाने" के लिए प्रार्थना करता है ईश्वर की ! ◆इन्सान स्वयं "काम उल्टे करता" है , क्योकि वह "काम नही दिखावा करता" है व दोष ईश्वर पर मंडता है !. ◆अब "पदयात्रा,प्रार्थना,भाव व संकल्प" लेने का समय नही है, कुछ करने का समय है, पानी के "अपव्यय को रोकने" का समय है ! ◆जो पानी अपव्यय के लिए "जिम्मेदार" है (सिचाई विभाग, प्रशासन व नेता) वह पानी अपव्यय रोकने की जगह केवल प्रार्थना व संकल्प कर केवल "दिखावा कर" रहे है ! ◆नेता "झील के किनारे विकास" के नाम पर करोड़ो रु. खर्च कर रहे है , किन्तु "झील का पानी" बचाने के लिए रुपये व समय नही है ! ◆झील संरक्षण के नाम पर विभाग,प्रशासन व नेता को समय नही, नियम व कानून की खुली अवहेलना, पानी का अपव्यय, कुछ दिखावटी समाजसेवीयो की मौन स्वीकृति, "किसानो के हिस्से का भविष्य के पानी का अपव्यय" ! ◆जरुरत है "श्रीकृष्ण" के "निष्काम कर्म" करने की ; विभाग,प्रशासन व नेताओ को !






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