Sunday 8 October 2017

★एक शब्द सन्देश - " अपना " - श्री कृष्ण सन्देश★ ■ "अपना" है , समाधान का मूल :-■ (१) सभी प्रकार की समस्याओ का हल है - "अपना" (२) सभी प्रकर के मतभेद का हल है - "अपना" (३) सभी धर्मो व जीव धर्म का मूल है - "अपना" (४) दुनिया में सर्वश्रेष्ठ बनने का मूल है - "अपना" ■"अपना" क्या है :-■ (१) "अपना" बनाने से शुरू होता है "प्रेम" ! प्रेम है, सभी धर्मो, शांति व "सुखो का सार" ! (२) "अपना" सभी को समझने से आती है "समानता" ! समान व्यवहार से स्थापित होता है "न्याय" ! (३) "अपना" समझकर व्यवहार करने से खत्म होती है "वैमनष्यता" ! वैमनष्यता ख़त्म होने से बढ़ती है "प्रेम व शांति" ! (४) "अपना" समझकर व्यवहार करने से बढ़ती है "एकता" ! एकता की शक्ति से होता है सभी "समस्याओ का समाधान" ! (५) "अपना" समझकर व्यवहार करे "स्वयं व दूसरे भी" ! तब अपनेआप समाप्त होगा, "अन्याय, अनीति, द्वेषता, लालच व अहंकार" ! (६) "अपना" सभी को समझने से, "दूसरा नही रहेगा" ! जब कोई दूसरा नही रहेगा तो अपनेआप समाप्त होगा, "अधर्म, हिंसा, ईर्ष्या, लोभ, भ्रस्ट्राचार व बेईमानी" ! ■"अपना" समझ गए, तो सबकुछ समझ गये :-■ (१) "अपना" समझे "सभी को" ! सभी के साथ व्यवहार करे "अपना समझकर" ! (२) "अपना" समझे "दोनों तरफ से" ! तभी एक दूसरे के बीच पनपेगा "अपनापन" ! (३) "अपना" समझे व कर्म करे "व्यापक व समग्ररूप से" ! तब दोनों ओर होगा "स्वयं" ! (४) "अपना" समझने से बढ़ता है "प्रेम" ≥ प्रेम से ख़त्म होती है "अन्याय व वैमनस्ता" ≥ अन्याय व वैमनस्ता ख़त्म होने से बढ़ती है "शांति" ≥ शांति से मिलता है "आनंद" ≥ आनंद ही है सभी सुखो का सार व अंतिम लक्ष्य "मोक्ष" ! CA. Dinesh Sanadhya “APNA” www.dineshapna.blogspot.in = 08.10.2017



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