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Sunday 10 September 2023
"वृषभ" के संरक्षण की पहल हेतु धन्यवाद ! किन्तु इसके लिए नाम बदलना जरूरी नहीं ! (१) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब उस पर आपका स्वामित्व हो । बागोल गोशाला का स्वामित्व श्रीनाथजी के पास व सुरक्षा मन्दिर मण्डल के पास है । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (२) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब आप उस पर स्वयं निजी धन उसके लिए देते हो और स्वामित्व धारक से अनुमति भी ली हो । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (३) किसी का नाम तब बदल सकते हो, जब आपका उद्देश्य जनता को यह बताना हो कि इस पर केवल मेरा ही स्वामित्व व अधिकार है । अतः नाम बदलना उचित नहीं है ! (४) बागोल गोशाला श्रीनाथजी की है, तो उसका नाम "लाल गोविंद वृषभ सदन" रखना गलत है ! यदि ऐसा कार्य (श्रीनाथजी की सम्पत्ति का नाम बदलना) शुरू हो जाता है, तो श्रीनाथजी के अन्य भवनों व मन्दिर का नाम भी भविष्य मे किसी "खास आदमी" के नाम पर हो जाये तो आश्चर्य नहीं होगा ! (५) मन्दिर की समस्त सम्पत्तियों का एक मात्र स्वामित्व श्रीनाथजी का है तथा उनकी सुरक्षा व सदुपयोग करने की जिम्मेदारी नाथद्वारा मन्दिर मण्डल की है ! अतः "स्वामित्व" व "नाम" बदलने का अधिकार किसी को भी नहीं है ! (६) मठाधीश श्रीनाथजी के सेवक है मालिक नहीं ! इनको केवल पूजा (सेवा) करने का अधिकार है ! अतः इनका श्रीनाथजी की सम्पत्ति को अपनी सम्पत्ति समझना गलत है ! (७) "बृजवासी" श्रीनाथजी की सेवा व उनकी सम्पत्तियों की सुरक्षा सन् 1409 से कर रहे है, जबकि वल्लभकुल 97 वर्ष के बाद सन् 1506 से कर रहे है तथा सन् 1876 से मठाधीश श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की सुरक्षा करने मे असफल रहे है ! अतः बृजवासियों को श्रीनाथजी की सम्पत्तियों की सुरक्षा हेतु आगे आना होगा ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(76) #10/09/23 #dineshapna
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