Thursday 29 August 2024

★एक मात्र अटल सत्य - मृत्यु !★ (१) "मृत्यु" के सत्य को हमेशा "याद रखना" चाहिए क्योंकि ऐसा करने से मन में क्रोध, लोभ, घृणा और दूसरे दुर्गुण नहीं जन्म लेते है ! (२) "मृत्यु" को "याद रखने" से भगवान की याद भी बनी रहती है ! (३) "मृत्यु" के बाद कोई भी व्यक्ति अपने साथ कुछ चीज नहीं ले जा सकता है ! इसीलिए हमें धर्म के अनुसार ही कर्म करना चाहिए ! मनुष्य के "कर्म" उसे मृत्यु के बाद भी संसार में जीवित रखते हैं। "धर्म और सद्कर्म" करने वाला व्यक्ति सदा याद किया जाता है। (४) 'मृत्यु' को "प्रतिदिन याद" रखने से "दुर्गुण" से दूर व "भगवान / धर्म / सद्कर्म" के पास रहते है ! इस अटल सत्य को प्रतिदिन कुछ नेताओं / कुछ अधिकारियों / कुछ मठाधीशों / कुछ सक्षम लोगों को याद रखना चाहिए ! जिससे उक्त व्यक्ति स्वार्थ / लोभ / लालच / बेईमानी को छोड़कर केवल आम जनता के हित मे ही कार्य करें ! ★मै तो 09/01/2049 को प्रतिदिन याद रखता हूँ !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(180) #29/08/24 #dineshapna


 

Wednesday 28 August 2024

★नन्द के घर आनंद भयो ; जय कन्हैया लाल की !★ ★जन्माष्टमी मनाने के साथ ; श्रीकृष्ण को आत्मसात करें !★ (१) •"नन्द के घर आनंद भयो"• - यदि आप चाहते है कि आपके घर मे भी आनन्द हो तो •"जय कन्हैया लाल की"• केवल बोलने से काम नहीं चलेगा ! इसके लिए आपको "नन्द बावा" बनना होगा व आपके घर मे "श्रीकृष्ण" को लाना होगा अर्थात् श्रीकृष्ण के गुणों को आत्मसात करना होगा ! (२) हम चाहते है कि हमारे घर मे भी आनन्द हो किन्तु हम अपने अन्दर "कंस" को बसाये बैठे है और हमारे आस पास भी "कंस" को बैठा रखा है या उसे संरक्षण दे रखा है ! हमारे आस पास अन्याय हो रहा है तो भी हम चुप है क्योंकि हम सोचते है कि दूसरे के साथ हो रहा है, हम क्यों चिन्ता करें ! जब कुछ समय बाद वहीं अन्याय हमारे साथ होता है तब हम कुछ नहीं कर पाते है और दूसरे भी हमारी मदद नहीं करते है ! इस प्रकार "हमारे घर आनन्द" नहीं आ सकता है ! इसके लिए हमें श्रीकृष्ण को आत्मसात करते हुए "अन्याय के विरुद्ध आवाज" उठानी होगी ! (३) हमारे घर के आनन्द को खत्म करने वाले "कंस" है ! आजकल के "कंस व उनके सखा" (कुछ नेता / कुछ अधिकारी / कुछ मठाधीश / कुछ सक्षम लोग) है ! यह कंस अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए हमारे धन / जमीन / सुविधाओं / धार्मिक भावनाओं के साथ लूट / छेडछाड / ठेस पहुंचाने का कार्य करते है ! इससें ही "हमारे घर का आनन्द" खत्म हो रहा है ! आज से 5252 वर्ष पूर्व "कंस" ने मथुरा, वृन्दावन व गोकुल की आम जनता को दु:खी कर रखा था ! श्रीकृष्ण ने उस अन्यायी का अन्त करके मथुरा, वृन्दावन व गोकुल की आम जनता को आनन्द दिलाया ! अतः हमें भी श्रीकृष्ण बनना होगा ! (४) हमारे नाथद्वारा मे आम जनता के लिए "कुछ विकास कार्य" हुए जो जनहित मे होना बताया गया किन्तु हकीकत मे "जनता के हित" मे होने के बजाय "सक्षम लोगों के हित" मे हुए और उल्टा जनता के धन व जमीन की बबार्दी होकर जनता को असुविधा व असुरक्षा देने वाला साबित हो रहा है जैसे :- ●फोरलेन, ●माँडल बस स्टैण्ड, ●आईकोनिक गेट, ●विश्व की सबसे बडी मूर्ति व ●मन्दिर द्वारा किये गये निर्माण कार्य आदि ! उक्त कार्य "श्रीकृष्ण" ने कराये या "कंस" ने ? उक्त कार्य "जनहित" मे है या स्वहित" मे ? इसका फैसला आम जनता करें ! ★नन्दोत्सव की शुभकामनाएं !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(179) #27/08/24 #dineshapna


 

Monday 26 August 2024

★श्रीकृष्ण का सखा कौन ? ; कंस का सखा कौन ? !★ ★जन्माष्टमी मनाने के साथ ; श्रीकृष्ण को आत्मसात करें !★ (१) आज जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण व कंस एक जगह" मिलते है - (श्रीकृष्ण का जन्म तथा कंस का कारागार व उनके पहरेदार)! श्रीकृष्ण तुरन्त ही अपने "जनहित" के रास्ते पर निकल जाते है और कंस उस "जनहित" के कार्यो को रोकने के लिए व अपने "स्वहित" के अनुचित कार्यो मे कोई व्यवधान न हो इसके लिए उसको रोकने हेतु कंस श्रीकृष्ण के पीछे पड़ जाते है और उनको मारने का असफल प्रयास करता है ! (२) आज के कंस व उनके सखा (कुछ नेता / कुछ अधिकारी / कुछ मठाधीश / कुछ सक्षम लोग) तथा श्रीकृष्ण व उनके सखा (आम जनता / बृजवासी / आम वैष्णव / सुदामा) है ! द्वापरयुग मे एक कंस था, तो उसके लिए एक श्रीकृष्ण ही पर्याप्त थे ! किन्तु आजकल लाखो कंस है तो उनके समक्ष सैकड़ों श्रीकृष्ण ही होने के कारण कंस का राज चल रहा है ! इसलिए कंस व उसके सखा का आतंक बना हुआ है ! अतः हमे सैकड़ों श्रीकृष्ण को मिलाकर कार्य करना होगा तथा श्रीकृष्ण के करोड़ों सखाओं का साथ भी लेना होगा ! इस प्रकार हम संगठित होकर ही लाखों कंसो से जीत सकते है ! (३) आजकल के कंस से सामना करना है तो सबसे पहले हम स्वयं को ही श्रीकृष्ण बनना होगा ! श्रीकृष्ण को पूर्ण रूप से आत्मसात करना होगा ! सत्य, न्याय व संविधान के अनुसार ही कार्य करते हुए अपने संगठन का विस्तार करना होगा ! निष्काम भाव से कर्म करते हुए धर्म की रक्षार्थ कार्य करना होगा, इसमे निजी स्वार्थ व रिश्तों से ऊपर उठकर कार्य करना होगा ! (४) मठाधीश ने अपने तुच्छ स्वार्थ के कारण श्रीनाथजी की सम्पत्तियों व धन को लूटा रहे है या लूट होते हुए मूक दर्शक बनकर देख रहे है, यह गलत होकर अन्याय है ! इसी तरह सक्षम लोग भी नाथद्वारा विकास के नाम पर श्रीनाथजी मन्दिर व नगरपालिका की जमीन को लूट रहे है ! कही - कही 0/- शून्य रुपये लगाकर करोड़ों रुपयो का दान देने का दिखावा कर रहे है ! कही करोड़ों रुपये की सरकार से जमीन सेवा कार्य हेतु लेकर, लाखों रुपये कमा रहे है ! इन सभी कार्यों को आम जनता कंस के द्वारा किये गये कार्य मानती है ! जो गलत होकर अन्याय है ! उक्त अन्याय को रोकने के लिए घर - घर मे श्रीकृष्ण के जन्म की जरूरत है ! ★श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं !★ सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(178) #26/08/24 #dineshapna


 

Sunday 25 August 2024

★जो श्रीकृष्ण का नहीं ; वह किसी काम का नहीं !★ ★जन्माष्टमी मनाने के साथ ; श्रीकृष्ण को आत्मसात करें !★ (१) कर्तव्य और धर्म :- भगवान कृष्ण परिणामों की परवाह किए बिना अपने कर्तव्य या धर्म का पालन करने के महत्व पर जोर देते हैं ! (२) भक्ति और विश्वास :- भगवान कृष्ण भक्ति और आस्था के प्रतीक हैं ! वे ईश्वर में अटूट भक्ति और आस्था को प्रोत्साहित करते हैं ! (३) नेतृत्व और निर्णय :- भगवान कृष्ण अर्जुन का मार्गदर्शन करके मूल्यवान नेतृत्व की शिक्षा देते हैं। वे एक महान नेता के गुणों का उदाहरण देते हैं : निर्णय लेना, रणनीतिक सोच और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में धैर्य बनाए रखना ! कृष्ण का नेतृत्व एक उदाहरण स्थापित करने, बुद्धिमानी से चुनाव करने और दबाव में शांत रहने के महत्व पर जोर देता है ! (४) दोस्ती और वफ़ादारी :- भगवान कृष्ण की अर्जुन और पांडवों के प्रति अटूट मित्रता और निष्ठा, सबसे कठिन परिस्थितियों में भी सच्ची मित्रता और समर्थन के मूल्यों का उदाहरण है ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(177) #25/08/24 #dineshapna





 

Thursday 22 August 2024

★"धनपति" को "धन" का तो "धर्मपति" को "धर्मपद" का अंहकार किन्तु हमें तो श्रीनाथजी का अभिमान !★ (१) "धनपति" जिनको बेईमानी / नशा विक्रय / टैक्स चोरी से धन कमाने का रास्ता मिल जाता है तो उनको अंहकार हो जाता है ! इस धन के अंहकार मे वह व्यक्ति आम आदमी / धर्म / परम्पराओं / नैतिकता आदि को भूलकर, उनका अपमान करने लग जाता है तथा इनका दुरुपयोग / धन कमाने मे उपयोग करने लग जाता है, जो गलत है ! वह दिखावे की समाज सेवा का ढ़ोग करता है ! समाज सेवा के लिए धन व जमीन हड़प कर / टैक्स चोरी करके / नशा बेचकर व्यवस्था करता है, जो गलत है ! ऐसा ही अंहकार रावण / कंस को भी हुआ था, जिसका अन्त करने के लिए भगवान को अवतार लेना पडा ! किन्तु उक्त "धनपति" को सुधारने के लिए श्रीनाथजी का एक बन्दा ही पर्याप्त है क्योंकि अब पाँच पाण्डव व श्रीकृष्ण भी साथ मे हैं ! (२) "धनपति" ने नाथद्वारा मे कई समाज सेवा व जनहित मे निर्माण कार्य किये, उसके लिए दिल से ◆धन्यवाद◆ ! अब केवल एक व अन्तिम जनहित का काम करें कि सभी विकास कार्यों की जमीन व धन कहाँ से आया है ? उसका श्वेत पत्र जारी करे व आमजनता (पत्रकारों के अतिरिक्त) के प्रश्नों का उत्तर देने की कृपा करें ! (३) "धर्मपति" (मठाधीश) धर्मपद / जमीन / गादी / वैष्णव भक्तो आदि से धन कमाने का रास्ता मिल जाता है तो उनको अंहकार हो जाता है ! धर्मपद व धन के अंहकार मे बृजवासी / पुष्टिमार्ग / परम्पराओं / नैतिकता आदि को भूलकर, उनका अपमान करने लग जाता है, जो गलत है ! ऐसा ही अंहकार रावण / कंस को भी हुआ था ! जिसका अन्त करने के लिए भगवान को अवतार लेना पडा, किन्तु उक्त "धर्मपति" को सुधारने के लिए श्रीनाथजी का एक बन्दा ही पर्याप्त है क्योंकि अब पाँच पाण्डव व श्रीकृष्ण भी साथ मे हैं ! (४) "धर्मपति" (मठाधीश) ने नाथद्वारा मन्दिर मे कुछ श्रीनाथजी की सेवा व जनहित मे निर्माण कार्य कराये, उसके लिए दिल से ◆धन्यवाद◆ ! अब केवल एक जनहित का काम करें कि मन्दिर की जमीन व धन के दुरुपयोग को रोके तथा उसकी निष्पक्ष जाँच ईमानदार व्यक्ति से करावे व जनता (एक बृजवासी) के प्रश्नों का उत्तर देने की कृपा करें ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी - एक बृजवासी #(175) #22/08/24 #dineshapna



 

Tuesday 20 August 2024

★ आओ ! समाज सेवी / दानवीर / धर्म प्रेमी बनना सीखें ! ★ ★ 0/- रु. खर्च करके 1000/- रु. दान देने वाले दानवीर बने ! ★ (१) नगरपालिका व सरकार से "स्विस चैलेंज पद्धति" से कार्य करें ! उस मे जन सेवा के निर्माण कार्य का प्रोजेक्ट दे और उस प्रोजेक्ट की धन राशि के बराबर कीमत की जमीन नगरपालिका व सरकार से ले ! इस प्रकार जनहित का निर्माण कार्य बिना रुपये खर्च के करके समाज सेवी / दानवीर बने ! (२) ए-जी, ओ-जी, लो-जी, सुनो जी, मैं हूँ मन-मौजी करता हूँ मैं जो, वो तुम भी करो जी । One-two का four, four-two का one My name is Lakhan सजनों का सजन, मेरा नाम है Lakhan Umm, दुनिया चकोरी, ये पैसा है चंदा । सूली पे लटका हर एक बंदा, सबके गले में ये माया का फंदा । सीखो, ओ, यारों, इनसे ये धंधा, इनसे ये धंधा । (३) नाथद्वारा मे आईकोनिक गेट 2.50 CR. व माँडल बस स्टैण्ड 11.50 CR. खर्च हुए ! इतना धन जनहित मे एक आदमी ही खर्च कर सकता है जो सबसे बडा स्वघोषित समाज सेवी / दानवीर / धर्म प्रेमी है । जो भी व्यक्ति हो, वह हमारी ओर से धन्यवाद का पात्र है । किन्तु इसमे छुपा हुआ "गुप्त राज" बताने के बाद नाथद्वारा का कोई भी आम आदमी भी इस तरह कुल 14.00 CR. रुपये खर्च कर सकता है ! (४) उक्त 14.00 CR. खर्च करने के एवज मे उक्त समाज सेवी / दानवीर / धर्म प्रेमी ने 14.00 CR. कीमत की दो जमीने (लालबाग बस स्टैण्ड की 17798 वर्गफीट व उपली ओडन की 98010 वर्गफीट) नगरपालिका व सरकार से ली ! अर्थात् स्वयं का 0/- रुपया खर्च हुआ ! क्या आप भी इस तकनीक का उपयोग करना चाहेंगे ? सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(174) #20/08/24 #dineshapna



 

Sunday 18 August 2024

★ आओ ! रक्षाबंधन मनाये ! ★ ★ रक्षाबंधन की शुभकामनाएं ! ★ (१) रक्षाबंधन पर सरकार बसों मे मुफ्त यात्रा, नाथद्वारा मे ओटो मे मुफ्त यात्रा की सुविधा दे सकते है तो बहनों को "विश्वास स्वरुपम्" के मुफ्त दर्शन / भ्रमण की सुविधा क्यों नहीं दे सकते है ? (२) प्रत्येक नाथद्वारावासीयों को "विश्वास स्वरुपम्" के मुफ्त दर्शन / भ्रमण की सुविधा मिलनी चाहिए क्योंकि जमीन "आम आदमी" की है अर्थात् नगरपालिका की है ! इसके साथ ही प्रत्येक नाथद्वारावासी आपके गलत निर्णय (आईकोनिक गेट) का परिणाम (आने जाने मे असुविधा) भुगत रहा है ! (३) राजसमन्द के सभी निवासियों को अपने - अपने "नेताओं व अधिकारियों" के रक्षासूत्र बाँधना चाहिए क्योंकि जनता की रक्षा इन "नेताओं व अधिकारियों" के मनमाने व गलत निर्णयो से हमारी रक्षा ये स्वयं ही कर सकते है और अन्य कोई नहीं कर सकता है ! जैसे :-- राजनगर व सनवाड़ के बीच फोरलेन का "बन्द ब्रिज" , अमानक डिवाईडर, नाथद्वारा मे ऐलिवेटर ब्रिज, मन्दिर मण्डल की लालबाग बस स्टैण्ड की जमीन, आईकोनिक गेट, शिवमूर्ति, माँडल बस स्टैण्ड, लावटी पेट्रोल पम्प की जमीन आदि ! (४) आम जनता के पास अपनी रक्षा का अंतिम विकल्प केवल "संविधान व संगठन" ही है ! इसलिए हमे "संविधान व संगठन (एक - दूसरे को)" रक्षासूत्र बाँधना चाहिए ! जिससे इन नेताओं / सक्षम लोगो / अधिकारियों से हमारी रक्षा हो पायेगी ! आओ ! रक्षासूत्र बाँधे व अपनी बहन से बँधवाये ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(173) #19/08/24 #dineshapna







 

★मिराज ग्रुप के 38 वें स्थापना दिवस की बधाइयाँ !★ (१) श्रीमान् मदनजी पालीवाल के मिराज ग्रुप के 38 वें स्थापना दिवस की बधाइयाँ ! क्योंकि आपने "तम्बाकू के व्यापार से शुरुआत" करके अन्य कई क्षैत्रों मै व्यापार करके जनता को रोजगार दिया ! आपने "समाज सेवा" मे - रामकथा, गरीब जनता को भोजन, कपड़े, आवास व शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण, रोजगार, धार्मिक, शिवमूर्ति, खेलकूद आदि अन्य कई कार्य किये ! इसके लिए आम जनता की ओर से आपका आभार व बधाईयाँ ! (२) आपने विज्ञापन के माध्यम से 38 वें स्थापना दिवस व आपके विभिन्न व्यापार के बारे मे बताया किन्तु "मूल तम्बाकू का व्यापार" लिखना भूल गये ! इससे आपने "तम्बाकू निषेध" दिवस मनाने का सन्देश दिया ! उसके लिए आपको धन्यवाद व बधाइयाँ ! (३) आपने विज्ञापन मे व्यापार तो बताये किन्तु समाज सेवा व धर्म से व्यापार कैसे किया जाता है, उसके बारे मे विस्तार से व मूल तथ्यों को बताना भूल गये ! जैसे - रामकथा, शिवमूर्ति, लालबाग बस स्टैण्ड से माँल बनाना, माँडल बस स्टैण्ड बनाने मे जमीन व धन सरकार से लेकर अपने नाम से सेवा कार्य करना, आईकोनिक गेट के लिए धन व जमीन सरकार से लेकर जनता व यातायात मे व्यवधान पैदा करके समाजसेवा करना ! इन सभी सेवा कार्यों के लिए बधाईयाँ ! (४) सरकार "टैक्स" के रूप मे धन लेकर उस धन का "उपयोग जनहित (जनसेवा)" के लिए उपयोग करती है ! किन्तु आपने सरकार के इस कार्य को स्वयं करके "सरकार की सेवा" कर रहे है ! इसके लिए आपने "टैक्स बचाकर" (टैक्स कम देकर) सरकार की परेशानियां कम करते हुए, उस "टैक्स के धन" को आप "समाज सेवा" मे खर्च कर रहे है ! आपने समाज सेवा के क्षैत्र को भी विस्तृत करते हुए - "आमजन मे स्वयं को भी जोडते" हुए जनसेवा का कार्य कर रहे है ! अतः "आप व आपका दिमाग" दोनों का पुनः आभार व बधाइयाँ ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(172) #18/08/24 #dineshapna





 

*देश को आजादी मिली किन्तु देशवासीयो को आजादी कब ?* *शहर हमारा मगर कब्जा किसी और का !* देश को 15 अगस्त को आजादी मिली थी जिसका जश्न हम सभी मना रहे हैं। वास्तविक रूप से आम आदमी को आजतक आजादी नहीं मिली । जब देश आजाद हुआ, तब हमें अंग्रेजों से मुक्ति जरूर मिल गई थी । उसके साथ ही आम जनता को अंग्रेजों के कानून, रहन सहन, भाषा व पहनावे तथा उनके आम जनता पर शासन करने के व्यवहार के तरीके से आजादी नहीं मिली । इसके साथ ही आम जनता को अंग्रेजों के बदले नेताओं व सक्षम लोगों का गुलाम बना दिया गया । इन कतिपय नेताओं व धनाढ्य लोगों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए आम जनता को किसी न किसी बहाने से गुलाम बना रखा है तथा दिखाने के लिए हमें संविधान के द्वारा आजादी दिलाने की या होने की बात प्रसारित कर रखी है । जब हमारा देश आजाद हुआ तब हमें बँटवारे के रूप में हमें पुनः गुलामी दे दी गई, क्योंकि उसमें से कुछ लोग चाहते थे की हम अंग्रेजों के स्थान पर हम उच्च पदो पर बैठकर आम जनता को गुलाम बनाए । जिसके लिए आम जनता को कितना भी नुकसान हो या उन्हें पुनः गुलामी के चंगुल में फँसे, उसकी उन्हें नाम मात्र की भी फिक्र नहीं थी । नेताओं व सक्षम लोगों को केवल सत्ता पर आसीन होकर, अंग्रेजों की जगह बैठकर आम जनता को गुलाम बनाना है । इस प्रकार नेता व सक्षम लोग अपने उक्त उद्देश्य में काफी हद तक सफल भी हुए तथा आज भी उसी के अनुरूप चलते हुए हम आम जनता को गुलाम बना रखा है । अब देखना है कि आम जनता को कुछ नेताओं व कुछ सक्षम लोगों से आजादी कब व कैसे मिलेगी ? देशवासियों को गुलाम बनाने का एक उदाहरण यह है कि नाथद्वारा के नेताओं व धनाढ्य लोगों ने आम जनता को गुलाम बनाकर उनकी जमीन को लूट रहे हैं तथा जनता उससे परेशान हो रही है किंतु उसके विपरीत नेता और सक्षम लोग यह बताने में काफी हद तक सफल हो गए हैं कि हम जनता के सर्वहिताय का ही कार्य कर रहे है । सबका साथ सबका विकास को प्रमाणित करने के लिए कुछ लोगों को अपने साथ मिलाकर, उक्त गलत तथ्यो को जनता पर जबरदस्ती थोपने के कई मामले है । (1) गोमती उदयपुर फोरलेन (2) लालबाग बस स्टैण्ड की जमीन (3) आइकोनिक गेट (4) शिवमूर्ति ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी #(171) #15/08/24 #dineshapna










 

★नागपंचमी व श्रीनाथजी के प्राकृट्य दिवस की बधाई !★ ★श्रीनाथजी के प्रथम दर्शन व प्रथम सेवा - बृजवासीयो के द्वारा★ ★श्रीसद्दू पाण्डे को श्रीनाथजी की प्रथम सेवा की साक्षात् आज्ञा !★ (१) महर्षि गर्गाचार्य जी के कथनानुसार ही विक्रम संवत् 1466 श्रावण शुक्ल पंचमी - नागपंचमी को श्री गोवर्धननाथ जी का नागदमन स्वरुप प्राकट्य श्री गिरिराज पर्वत (गोवर्धन) पर हुआ ! जिसमे सर्व प्रथम ब्रजवासियों को वाम भुजा के दर्शन हुए ! (२) श्री सद्दू पाण्डे जी का प्राकृट्य विक्रम संवत् 1498 को हुआ ! (३) श्रीनाथजी का प्राकृट्य विक्रम संवत् 1535 वैशाख कृष्ण एकादशी को श्री सद्दू पाण्डे जी के समक्ष हुआ व श्रीनाथजी ने श्री सद्दू पाण्डे जी को प्रथम सेवा की साक्षात् आज्ञा की ! (४) श्री वल्लभाचार्य जी का प्राकृट्य (69 वर्ष बाद) विक्रम संवत् 1535 वैशाख कृष्ण एकादशी को हुआ ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी #(170) #09/08/24 #dineshapna