Sunday 16 August 2020

★★पुष्टिमार्ग मे ब्रह्म सम्बंध व समर्पण वल्लभाचार्य जी व बृजवासी के मार्ग★★ ●●●●>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>●●●● ★ब्रह्म सम्बंध वहीं व्यक्ति दे सकता है, जिसका पहले से ब्रह्म से सम्बंध हो ! ब्रह्म सम्बंध मे व्यक्ति अपनी स्व व स्वकीय सकल सम्पत्ति परमात्मा को समपर्ण करके ही ब्रह्म सम्बंध सिद्ध होता है ! ★आत्मनिवेदी के तीन कर्तव्य :- १-असमर्पित वस्तुओं का त्याग २-समर्पित वस्तुओं का ही उपयोग ३-अर्धभुक्त वस्तुओं का असमर्पण ! ■ क्या इस कथन व कर्तव्य की पालना ब्रह्म सम्बंध देने वाले व ब्रह्म सम्बंध लेने वाले कर रहे है ? ●●●●>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>●●●● श्रीवल्लभाचार्य जी ने अन्तिम शिक्षा श्लोक मे कहा कि जब तुम प्रभु को छोडकर बहिँमुखी हो जाओगे, तो तुम्हारा नाश निश्चित है ! ■ क्या श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशज उनकी शिक्षा पर चल रहे है ? ■बृजवासी श्रीवल्लभाचार्य जी के कहने के पूर्व 611 वर्षों से ब्रह्मसम्बंध व शिक्षा श्लोक की पालना आजतक कर रहे है ! ●●●●>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>●●●● दिनेश सनाढ्य - एक बृजवासी 16/08/2020 #dineshapna www.dineshapna.blogspot.com






 

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