Sunday 31 May 2020

★★श्रीनाथजी व बृजवासियों के ★★ ◆बृज मे 97 वर्ष V/S नाथद्वारा मे 98 दिन◆ ●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●● ◆श्रीनाथजी के प्राकृट्य सन् 1409 से 1506 तक (97 वर्ष) "केवल बृजवासियों ने" ही श्रीजी सेवा व भोग का कार्य किया ! इस बात को श्रीवल्लभाचार्य जी ने अच्छी तरह समझा व बृजवासियों को पूर्ण सम्मान दिया ! यह काम श्रीवल्लभाचार्य जी व उनके वंशजों ने सेवा व त्याग से किया , जो पुष्टि मार्ग के प्रचार प्रसार व 84 बैठकों से स्पष्ट है ! इस समय तक बृजवासियों को श्रीनाथजी के सखा के रुप मे सम्मान दिया जाता था, तथा बृजवासी भी अपना पूरा जीवन व जरूरत पडने पर अपने प्राण तक भी दिये थे ! इस प्रकार बृजवासियों के प्रथम शुरुआत के 97 वर्षों को भुलाया नहीं जा सकता है ! बृजवासियों का श्रीनाथजी के प्रति "सखा व सेवा भाव" समान रुप से 611 वर्षों से अनवरत चल रहा है ! ◆611 वर्ष बाद समय दोहराया ....... ◆श्रीनाथजी मे लाँकडाऊन 25/03 से 30/06 तक (98 दिन) "केवल बृजवासियों ने" ही श्रीजी सेवा व भोग का कार्य किया ! पुनः केवल बृजवासियों ने ही लाँकडाऊन समय मे श्रीनाथजी की सेवा कर पुराने 97 वर्षों की यादें ताजा कर दी जब भी केवल बृजवासियों ने ही सेवा की ! किन्तु इस बीच श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशजों व उन्होंने जिन्हें "सेवा का अधिकार हस्तान्तरण" किया जिसमें "सेवा भाव" के स्थान पर "स्वामित्व भाव" आने से बृजवासियों की उपेक्षा शुरू कर दी ! इसके अलावा श्रीवल्लभाचार्य जी के वंशजों मे "स्वामित्व भाव से भी आगे अति "स्वार्थ भाव" जगने के कारण 1959 मे (61 वर्ष पूर्व) नाथद्वारा मन्दिर मण्डल का गठन करना पडा ! इससे भी समस्या कम होने के स्थान पर बढ गई, क्योंकि इस कारण स्वघोषित वैष्णव (बोर्ड मेम्बर्स) व अधिकारी भी अपना हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया ! इस कारण श्रीनाथजी के मूल सखा बृजवासियों की और उपेक्षा होने लगी है ! किन्तु इस लाँकडाऊन ने बृजवासियों को श्रीनाथजी के पुनः निकट ला दिया है ! और अब कानून भी यह मानता है कि श्रीनाथजी के सखा व सेवा का प्रथम व महत्वपूर्ण अधिकार केवल बृजवासियों का ही है ! ★सत्यमेव जयते !★ ■ जब शुरू के (97 वर्ष) व अभी के (98 दिन) मे "श्रीनाथजी व बृजवासियों" के बीच #अन्य व्यक्ति# नहीं थे व है, ■ तो वर्तमान मे #अन्य व्यक्ति# का अवांछित हस्तक्षेप क्यों ? CA. Dinesh Sanadhya - 30/05/2020 www.dineshapna.blogspot.com








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