Friday 3 September 2021

★आम आदमी के अधिकारो की रक्षा कैसे हो ?★ ★इतिहास से जो सीखें वह समझदार, नहीं तो अनाड़ी !★ (१)1947 से पूर्व भारत की आम जनता की एक ही समस्या थी- "गुलामी से आजादी" तथा उसके लिए कई व्यक्ति/संगठन/संस्था/NGO कार्य कर रहे थे, उसमें से एक संगठन था- "कांग्रेस" ! (२)उस समय "कांग्रेस" मे पटेल, तिलक, बोस व गाँधी जैसे व्यक्ति थे तो उनमें कुछ स्वार्थी व्यक्ति भी थे जिन्होंने "गुलामी की समस्या" के लिए काम तो किया किन्तु अपने निजी स्वार्थ के लिए निस्वार्थ व्यक्तियों को या तो कांग्रेस से निकाल दिया/निकलने के लिए मजबूर किया/उनकी आवाज बन्द कर दी ! (३)इस संगठन "कांग्रेस" मे स्वार्थी व्यक्तियों ने "गुलामी की समस्या" का समाधान या "आजादी का अधिकार" हमें समझौते से दिलाया, जबकि उक्त अधिकार को लेने के लिए लाखो व्यक्तियों ने अपने प्राण तक दिये ! (४)उक्त "आजादी के अधिकार" दिलाने मे लाखों व्यक्तियों/कई संगठनों के बलिदान को व्यर्थं साबित करके एक संगठन "कांग्रेस" के कुछ स्वार्थी व्यक्ति ने "आजादी समझौते" मे लेकर आम जनता के साथ धोखा किया / गाँधीजी के साथ धोखा करके उसका फायदा अकेले स्वार्थी व्यक्ति ने उठाया ! जो गलत है पर हकीकत है ! (५)अतः "एक चतुर संगठन" (का़ंग्रेस) हजारों संगठनों (आजाद हिन्द फौज व अन्य) पर चतुराई से भारी रहा ! "एक संगठन" के कुछ व्यक्ति के निजी स्वार्थ के कारण लाखों व्यक्तियों के बलिदान पर पानी फेर दिया व एक देश देकर दो देश समझौते मे लेकर अपनी बुद्विमानी का परिचय दिया ! (६)1947 से पूर्व जो संगठन/संस्था/NGO ने "समझौते से अधिकार" दिलाया, उसी तरह से आजकल 99.99999 % संगठन/संस्था/NGO आम जनता को "समझौते से अधिकार" दिला रहा है ! (७)राजसमन्द के अधिकार दिलाने वाले मंच भी क्या "समझौते से अधिकार" दिला रहे है ? सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी क्रांतिवीर #03/09/2021 #dineshapna





 

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