Friday 4 December 2020

★★★★छद्म धर्मनिरपेक्षता क्यों ?★★★★ धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो बिन्दु है :- (1) राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। (2) सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है। धर्मनिरपेक्षता (सेक्यूलरिज़्म) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग बर्मिंघम के जॉर्ज जेकब हॉलीयाक ने सन् 1846 मे किया। यह कि आस्तिकता-नास्तिकता और धर्म ग्रंथों में उलझे बगैर मनुष्य मात्र के शारीरिक, मानसिक, चारित्रिक, बौद्धिक स्वभाव को उच्चतम संभावित बिंदु तक विकसित करने के लिए प्रतिपादित ज्ञान और सेवा ही धर्मनिरपेक्षता है। हकीकत मे क्या कर रहे है ? (1) धर्म विशेष का पक्ष लेते हुए नियम व कानून बना रहे है ! (2) धर्म विशेष को अनावश्यक रियायतें /सुविधाएं दे रहे है ! (3) समानता व समान कानून की बात करते है तो दोषी करार देते है ! (4) यह "छद्म धर्मनिरपेक्षता" गलत है, "शुद्ध धर्मनिरपेक्षता" लागू हो ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी - 04/12/2020 #dineshapna





 

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