Thursday 24 December 2020

★★धर्म के साथ स्वयं मे भी धार्मिकता हो !★★ ★★धर्मों के बीच धर्म (प्रेम व सम्मान) हो !★★ आजकल लोग धर्म के लिए लडते है, किन्तु स्वयं अपने अपने धर्म का पालन नहीं करते है । अब एक नई तरह की धार्मिकता को दुनिया में लाना होगा, जिसको मौलवी, पादरी, पंडित, पुजारी व धर्म के स्वघोषित ठेकेदार नष्ट न कर सकें । धर्मों को तो नष्ट कर दिया, अब धार्मिकता चाहिए। हमारी चिंता यह नहीं है कि तुम मुसलमान बनो, ईसाई बनो, हिंदू बनो, बौद्ध बनो । हकीकत मे किसी भी धर्म के कुछ ठेकेदार अपने धर्म की स्वयं 100 % पालना नहीं कर रहे है और वह धर्म की चिंता करने का दिखावा करते है । हमारी चिंता यही है कि तुम धार्मिक बनो । धार्मिक होना ही बड़ी और महत्वपूर्ण बात है । सभी धर्म प्रेम, शान्ति, भाईचारा व एक दूसरे का सम्मान और सहयोग करना सिखाता है तो एक धर्म के लोग दूसरे धर्म के लोगों से नफरत क्यों करते है ? अतः स्पष्ट है कि धर्म नफरत करना नहीं सिखाता है बल्कि कुछ धर्म के कुछ ठेकेदार नफरत कर अपनी दुकान चला रही है । धार्मिक व्यक्ति ध्यान सिखेगा, प्रार्थना में डूबेगा, इस दुनिया के सौंदर्य में नहाएगा, इस दुनिया के संगीत को अनुभव करेगा, इस दुनिया में जगह-जगह प्रेम, शान्ति व समृद्धि खोजेगा और पाएगा ! अदृश्य परमात्मा की उपस्थिति और अपने भीतर अनुग्रह का भाव लायेगा ! सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी 24/12/2020 #dineshapna



 

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