Thursday 17 December 2020

हिन्दू मन्दिरों को इस्लाम, ईसाई व नेताओं ने लूटा ! देवस्थान विभाग के बाद, भूमाफियाओं की लूट ! राजस्थान मे 1949 मे देवस्थान विभाग का गठन करके कई मन्दिरों का अधिग्रहण करके हजारों हेक्टेयर जमीन, भवन, आभूषण, सोना चाँदी व अन्य व्यवस्थाओं (प्रबन्ध व संचालन) को अपने हाथ मे लिया । किन्तु धन, स्टाफ व धार्मिक भावनाओं के अनुरूप प्रबन्धन की कमी के चलते मन्दिरो मे अव्यवस्था हो रही है व हजारों हेक्टेयर जमीन व भवनों पर भूमाफियाओं कि कब्जा हो रहा हैं । इतिहास के मुताबिक, भले ही औरंगजेब को मंदिरों का सबसे बड़ा दुश्मन माना गया हो, जिसने अपने शासन काल में सैकड़ों मंदिर तुड़वाए । परन्तु अब तो राजस्थान के अंदर ही एक ऐसा वर्ग पनप चुका है, जो भगवान को उन्हीं की जमीन से उखाड़कर विदा करने को तैयार है । यहां देवताओं को संकटमोचन नहीं मिल रहे. ऊपर से वे कानून के फेरे में फंसे जा रहे हैं. प्रदेश में 'प्रभु' स्थल से जुड़े सवा दो सौ मामले अदालतों में चल रहे हैं । एक तरफ दबंग कब्जाधारी तो दूसरी ओर तरफ लुंज-पुंज अंदाज में देवभूमियों की पैरवी करता देवस्थान महकमा, बीच मे रेंगती न्याय व्यवस्था । अब राजस्थान प्रदेश में देवताओं को विस्थापित होने से बचाने के लिए अदालत ही एकमात्र रास्ता हैं । 【1】मन्दिरों की जमीनों पर कब्जा :- सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारियों के तहत जो तथ्य मिले हैं, उससे तो एकदम उलटी तस्वीर प्रकट होती है । प्रदेश के पांच संभागों - ◆जयपुर, ◆अजमेर, ◆कोटा, ◆उदयपुर, ◆बीकानेर में देवस्थान विभाग के अधीन यही कोई 4,700 हेक्टेयर जमीन है । इसमें से एक तिहाई यानी 1,600 हेक्टेयर से वह हाथ धो चुका है । ◆जयपुर संभाग में तो भगवान शायद कुछ ही दिनों के मेहमान हैं । यहां देवस्थान विभाग की 57.14 हेक्टेयर जमीन में से 56.56 हेक्टेयर पर कब्जे या अतिक्रमण हो चुके हैं. 5 मामले अदालत में विचाराधीन हैं । ◆कोटा संभाग में भी भगवान अपनी 'जमीन' से काफी हद तक विस्थापित हो चुके हैं । यहां विभाग के पास 1,320.3 हेक्टेयर जमीन थी । जिसमें से 941.31 हेक्टेयर पर कब्जेधारी अपने हक जमा चुके हैं । इन कब्जों के खिलाफ अदालत में 137 मामले चल रहे हैं । ◆अजमेर संभाग के हालात बहुत अलग नहीं हैं । यहां देवताओं के लिए देवस्थान विभाग के पास 1,900 बीघा जमीन थी, जिसमें से 1,697 बीघे को कब्जेधारी छीन चुके हैं । यहां मजे की बात यह है कि इतनी जमीन गंवा देने के बावजूद देवस्थान विभाग ने अदालत में कोई मामला दायर नहीं किया है । ◆बीकानेर संभाग में जरूर धोरों की जमीन भगवान के लिए सुरक्षा कवच बन गई है । कब्जे और अतिक्रमण के आदी लोगों ने इस इलाके में ईश्वरीय विस्थापन में बहुत दिलचस्पी नहीं ली । मंदिरों के नाम की 18,135.14 बीघा जमीन में से 549.13 बीघे पर ही अवैध कब्जे हुए हैं । इस संदर्भ में सात मामले अदालत में चल रहे हैं । एक गंगानगर जिले का और 6 चूरू जिले के है । ◆उदयपुर संभाग जो अपने यहां देवस्थान विभाग का मुख्यालय होने के बावजूद उदयपुर संभाग भी अपने यहां के मंदिरों की जमीन नहीं बचा पाया है। हालांकि कब्जा कम ही हुआ है । मंदिरों के नाम की 2,101 हेक्टेयर जमीन में से 197 हेक्टेयर छीनी जा चुकी है । इसके लिए अवैध कब्जेधारियों के खिलाफ 67 मामले अदालत में विचाराधीन हैं । मंदिरों की जमीन पर जिस तरह से कब्जों का सिलसिला चल रहा है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि भगवान की विदाई का आधे से ज्‍यादा काम हो चुका है । दबंग अतिक्रमणकारियों ने उन मंदिरों की जमीन को भी नहीं बख्शा, जहां हर साल लाखों की तादाद में दर्शनार्थी आते हैं । उदयपुर के ऋषभदेव जी को ही ले लें. यह हिंदुओं, आदिवासियों और जैन धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है । यहां प्रदेश ही नहीं, देशभर से लाखों दर्शनार्थी हर साल आते हैं जबकि दूसरी तरफ मंदिर परिसर पर कब्जे की लीला चल रही है. इस मंदिर के नाम 639.44. हेक्टेयर जमीन है, जिसमें से 259.56 पर कब्जे हो चुके हैं । इस जमीन को लेकर चार मामले अदालत में हैं । साफ है कि बड़े मंदिरों की जमीन को भी देवस्थान विभाग नहीं बचा पा रहा है । 【2】मन्दिरों पर भी कब्जा :- जयपुर शहर के बड़ी चौपड़ स्थित भगवान लक्ष्मीनारायण का मंदिर अतिक्रमणकारियों की चपेट में है । दौसा के महुआ स्थित सीतारामजी मंदिर, बूंदी जिले में कव्शवराय पाटन के भगवान कव्शवराय जी मंदिर और बारां जिले के भगवान कल्याराणराय की संपत्ति पर आज कब्जेधारियों की प्रतिमाएं लग चुकी हैं । चूरू के भगवान लक्ष्मीनारायणजी के बड़े मंदिर का मामला अदालत में है । ★देवस्थान विभाग मूक दर्शक व बेबस बना हुआ !★ खैर, बची जमीन की रखवाली तो देवस्थान महकमे को करनी ही है । लेकिन उसकी उदासीनता और स्टाफ की कमी ने कब्जेधारियों के हौसले इतने बुलंद कर दिए हैं कि विभाग की कार्रवाई की भनक लगने पर वे पहले ही अदालत की ड्योढ़ी पर पहुंच जाते हैं । स्टाफ की कमी से जूझ रहा महकमा उसके बाद और भी कागजी कार्रवाइयों की उलझ्न में फंस जाता है । विभागीय उदासीनता का पूरा फायदा अवैध कब्जेधारियों को मिलता है क्योंकि सरकार ठीक से लड़ ही नहीं पाती । कहने को विभाग के पास निरीक्षकों के पद भी हैं लेकिन वे विभागीय और अदालती कामों में बुरी तरह उलझे हुए हैं । शहरी क्षेत्र की कीमती जमीन पर तो भूमाफियाओं की नजर लग चुकी है । ग्रामीण इलाकों में अवैध कब्जेधारियों और शहरी क्षेत्र में भूमाफियाओं तथा अतिक्रमणकारियों से देवस्थान को ज्‍यादा लड़ना पड़ रहा है । देवस्थान विभाग,राजस्थान केअधीन कुल 936 मंदिर हैं। इनमें से राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार श्रेणी के 390, आत्मनिर्भर श्रेणी के 204 और सुपुर्दगी वाली श्रेणी के 342 हैं । पिछले दिनों महकमे की प्रदेश स्तर की एक बैठक में सुरक्षा संबंधी गंभीर मुद्दे उठे । सौ सुरक्षाकर्मियों की मांग उठी लेकिन राज्‍य सरकार ने महज 10 की ही मंजूरी दी । महकमे के कुल 688 पदों में से 173 आज भी खाली है. ऐसी लचर सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंदिर के पुजारी भगवान के जेवर मंदिर के स्ट्रांग रूम में रखते हैं । ऐसे में इन कीमती गहनों की सुरक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है । बड़े मंदिरों के अलावा आज भी ऐसे करीब सौ मंदिर हैं, जिनकी सुरक्षा की जरूरत महसूस की गई है । मूर्तियों की चोरी, कीमती गहने चोरी, भगवान का छत्र चोरी, इस तरह की खबरें अक्सर छपती ही रही हैं । इस तरह की वारदातें बढ़ने के बावजूद पुलिस प्रशासन या फिर संबंधित महकमा कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है । कर्मचारियों मे आस्था, धार्मिक भावनाओं व कर्तव्य निष्ठा की कमी होने के कारण अतिक्रमण हो रहे है । जरूरत है देवस्थान महकमा कुंभकर्णी नींद से उठकर भक्त प्रह्लाद की तरह 24 घंटे चौकन्ना बैठे और अपनी संपति से जुड़ा हर मसला गंभीरता से ले । इससे कब्जेधारियों में कम से कम थोड़ा डर पनपेगा । राज्‍य सरकार को भी चाहिए कि वह थोड़ा करवट लेकर इस ओर ध्यान दे नहीं तो संकट में याद करने के लिए इष्टदेवों की चौखट भी नहीं बचेगी । सीए. दिनेश सनाढ्य - एक हिन्दुस्तानी - एक बृजवासी 17/12/2020 #dineshapna www.dineshapna.blogspot.com


 

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